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बच्चों का अपनी माँ से कम्यूनिकेट करने का एक अलग तरीका होता है। भूख लगने पर बच्चे अक्सर एक ही तरीके से कम्यूनिकेट करते हैं। हालांकि उनके रोने के तरीके में भिन्नता जरूर होती है जिससे सोने, भूख लगने या तबियत खराब होने का संकेत मिलते हैं। भूख लगने पर बच्चे कैसे संकेत देते हैं इसके बारे में यहाँ बताया गया है जानने के लिए आगे पढ़ें।
बच्चे खुद ही यह पता करने में सक्षम होते हैं कि उन्हें भूख लगी है या नहीं। वे अपने शरीर के आंतरिक संकेतों को समझने में सक्षम हैं और उनमें प्रतिक्रियाएं भी देते हैं। बच्चे में भूख लगने के संकेतों को समझने में सक्षम होने के बाद उसकी भूख को जल्दी से जल्दी खत्म करने में मदद मिलती हैं। भूख लगने पर बच्चे निम्नलिखित संकेत देते हैं, आइए जानें;
जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है वह भूख लगने के अलग-अलग संकेत देता है। इसके बारे में पहले से ही जानकारी लेने से आप खुद को तैयार कर सकती हैं और बच्चे के हर एक संकेत को बेहतरीन तरीके से समझ सकती हैं। आयु के अनुसार बच्चा भूख लगने के कौन से संकेत देता है, आइए जानें;
आयु | भूख लगने के संकेत |
0 से 5 महीने | · बच्चा उंगलियां चूसता है · बच्चा जागकर इधर-उधर देखता है · वह बहुत ज्यादा रोता और शोर करता है · बच्चा बार-बार मुंह खोलता और बंद करता है |
5 से 8 महीने | · बच्चा उस व्यक्ति को देखता है जिसने उसे गोदी में लिया है · बच्चा भोजन को देखकर आवाज करता है · बच्चा खाने की तरफ इशारा करता है या चम्मच की तरफ झुकता है · वह हाथ से खाने की ओर इशारा करता है |
8 से 12 महीने | · बच्चा भोजन को देखकर उस तक पहुँचने की कोशिश करता है · भोजन मिलने पर बच्चा एक्साइटेड और खुश हो जाता है · बच्चा भूख लगने का संकेत देने के लिए कुछ विशेष शब्द बोलता है या आवाज करता है |
दूध पिलाने के बाद भी आपको बार-बार ऐसा लगेगा कि बच्चा और दूध पीना चाहता है व वह थोड़ी देर बाद ही भूखा हो जाता है। उनका पेट बहुत छोटा होता है मेटाबॉलिज्म बढ़ता है जिसकी वजह से वो थोड़ा ही दूध पीता है जो बहुत जल्दी पच जाता है। इसकी वजह से बच्चे को बार-बार दूध पिलाना पड़ता है और यह आम है।
शुरूआती दिनों में बच्चे को दिन भर में 12 बार दूध पिलाने की जरूरत होती है। बच्चा अभी भी अनजानी चीजों से एडजस्ट करने की कोशिश करता है और इस दौरान उसकी माँ का पास में होना बहुत जरूरी है। इससे बच्चा सुरक्षित महसूस करता है और यह जानकर सुविधाजनक रहता है कि वह अपनी आवश्यकता के अनुसार दूध पी सकता है।
हर बच्चा अलग तरीके से कम्यूनिकेट करता है इसलिए कोई एक पैटर्न सेट करना आसान नहीं है। हालांकि यदि बच्चा लगातार रोता है और ज्यादा देर तक दूध पीता है तो इसका अर्थ यही है कि बच्चे को भूख लगी है और उसे बार-बार दूध पिलाने की जरूरत है। वहीं दूसरी तरफ यदि बच्चे का नैपी नियमित रूप से गीला होता है, उसका वजन बढ़ता है वह खुश रहता है तो इसका अर्थ है कि बच्चे ने ठीक से दूध पिया है और चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है।
बच्चे की कुछ आयु, जैसे 10 दिन, 3-6 सप्ताह, 4-6 महीने में उसका विकास होता है। इन चरणों में वह कुछ दिनों तक सामान्य से अधिक दूध पीता है। इसके अलावा शरीर अपने आप ही आवश्यकता के अनुसार दूध की आपूर्ति करता है ताकि बच्चा भूखा न रहे।
यदि आपको नहीं पता है कि बच्चे का पेट भरा है या नहीं तो आप सावधानी जरूर बरतें। यह चेक करने के लिए आप बच्चे को बोतल या ब्रेस्ट से दूध पिलाने का प्रयास करें। ब्रेस्टफीडिंग कराने की सलाह दी जाती है क्योंकि यदि बच्चा भूखा है तो सिर्फ वह दूध ही नहीं पीता है और उसे सुविधा होती है बल्कि इससे ब्रेस्ट में दूध उत्पन्न होता है और बेहतरीन आपूर्ति होती है।
हमारे लिए बच्चे की भूख के संकेत जानना उतना ही जरूरी है जितना कि उनके लिए है। नियमित रूटीन न बनाने से बच्चा कन्फ्यूज हो सकता है और इस वजह से वह ज्यादा दूध भी पी सकता है या वह पर्याप्त दूध नहीं पी पाता है। बच्चा आप पर विश्वास करता है कि आपको उसकी भूख से संबंधित सभी चीजें पता है और आप यह भी जानती हैं कि उसे कब भूख लगी है और कब नहीं।
पेट भरने पर बच्चों को तुरंत पता लग जाता है और वे इसका संकेत भी देते हैं। यदि बच्चे का पेट भर चुका है तो वह अपने होंठ बंद कर लेगा और ब्रेस्ट या दूध की बोतल से अलग हो जाएगा। यदि बच्चे का पेट भर जाता है तो आमतौर पर वह दूध पीते-पीते सो जाएगा और उसके मुंह से निप्पल बाहर आ जाएगा। बड़े बच्चे या टोडलर खाने को अपने से अलग कर देते हैं और क्योंकि उनका पेट भर चुका है इसलिए वे इधर-उधर देखने लगते हैं।
बच्चे में भूख लगने के संकेत जानना बहुत जरूरी है क्योंकि यह उनके लिए ही है। अनियमित रूटीन से बच्चा कफ्यूज हो सकता है और वह पेट भर के दूध नहीं पीता है या भोजन नहीं करता है। विश्वास बनाने से बच्चा समझने लगता है कि उसे कब भूख लगेगी यह आप अच्छी तरह से जानती हैं।
बच्चे में भूख लगने के संकेतों से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले कुछ सवालों के जवाब यहाँ दिए गए हैं, आइए जानें;
यदि नवजात शिशु को दूध चाहिए तो वह अंगूठा या उंगलियां चूसेगा क्योंकि उसे लगातार भूख लगती है। 6 से 8 सप्ताह तक बच्चा अपने हाथ व मुंह से शरीर को समझना शुरू कर देता है। बच्चा अक्सर उंगली या अंगूठा चूसता है और हर बार इसका यही मतलब नहीं है कि उसे भूख लगी है।
यदि बच्चे के दांत निकल रहे हैं तो यह चीजें बहुत आम हैं क्योंकि इस दौरान वह किसी न किसी चीज को चबाने या चूसने की कोशिश करेगा।
नवजात शिशु जन्म के बाद शुरूआती दिनों में बहुत सोते हैं। बच्चा सोते समय भी मुंह हिला सकता है। जन्म के बाद से शुरूआती 4 सप्ताह तक आप बच्चे को रात के दौरान दूध पिलाने के लिए हर 4 घंटे में जगाएं और यही दिन के दौरान हर 2 घंटे में करें। यदि बच्चे का वजन बढ़ता है और उसे पॉटी व पेशाब नॉर्मल तरीके से आती है तो यानि यह शेड्यूल ठीक काम कर रहा है।
यदि बच्चे ने ठीक से दूध नहीं पिया है तो कुछ बच्चे सोते समय भी भूख लगने के संकेत देते हैं। यदि बच्चे चिड़चिड़ाता है या बेचैन होता है तो आप चेक करें और उसकी भूख मिटाने के लिए दूध पिलाएं। यदि बच्चा अपना मुंह ब्रेस्ट से दूर ले जाता है या उसे असुविधा होती है तो उसे गैस या पेट में दर्द की समस्या हो सकती है इसलिए आप इसकी भी जांच करें।
आप बच्चे को थोड़ी-थोड़ी देर में दूध पिलाती रहें। यह लगातार दोपहर से शाम तक होना चाहिए। इसके अलावा यदि बच्चे का विकास हो रहा है तो वह भूख लगने के संकेत सामान्य से ज्यादा देगा।
बच्चे को जानने से आप उसके संकेतों को भी आसानी से समझ पाएंगी। कई बार बच्चे के संकेत नजरअंदाज भी हो सकते हैं और वह रोने लगता है। आपको इसमें परफेक्ट होने की जरूरत नहीं है। बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने और उसे करीब रहने के लिए प्रेरित करने से आपके और बच्चे के संबंध में नजदीदकी बढ़ती है।
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