नाक में अंगुली डालना, नाखून काटना, दांत पीसना और अंगूठा चूसना आदि बच्चों में कुछ ऐसी बुरी आदतें होती हैं, जिन्हें बच्चे अपना लेते हैं। बच्चे आमतौर पर अपना स्ट्रेस, बोरियत दूर करने के लिए ऐसा करते हैं या इसलिए भी कर सकते हैं क्योंकि उन्हें मजा आता है। हालांकि, बड़े होकर, ये आदतें खराब लगती हैं, इसलिए बेहतर यही है कि आप शुरुआत से ही बच्चे को बेसिक मैनर्स सिखाएं ताकि आपको आगे चलकर बच्चे की बुरी आदतों को लेकर चिंता न करनी पड़े।
बच्चे ऐसी कई बुरी आदतें अपना लेते हैं, जो पेरेंट्स के लिए कभी कभी बहुत शर्मिंदगी का कारण बन सकती हैं। वैसे बड़े हो कर बच्चों में खुद यह आदतें छूट जाती है, लेकिन अधिकांश बच्चे इससे बड़े हो जाते हैं, जबकि कुछ बच्चों में यह आदत लंबे समय तक बनी रह सकती है। इनमें से कुछ आदतें साफ-सफाई के प्रति चिंता पैदा करती हैं।
हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि जब आप बच्चे में किसी भी आदत को खत्म करने का प्रयास कर रही हों, तो आपका धैर्य बनाएं रखना बहुत जरूरी है। यहाँ तक कि कभी कभी बहुत अच्छे पैरेंट भी अपना धैर्य खो बैठे हैं और अपने बच्चे की इन बुरी आदतों पर उन्हें फटकार लगा देते हैं। जब आप बच्चे की किसी खराब आदत पर नकारात्मक तरीके से रिएक्ट करती हैं, तो यह बच्चे पर और भी ज्यादा बुरा असर डाल सकता है, इसके अलावा बच्चे को अपना अपमान महसूस होता है और यह बात उसके दिमाग में इमोशनल कॉम्प्लेक्स विकसित कर सकती है वह आपके इस बर्ताव से निराश हो सकता है।
इसलिए, सबसे अच्छा एक्शन ये होगा कि आप पॉजिटिव चीजों पर फोकस करें और जब वो कुछ ऐसा करें तो उनको याद दिलाएं कि ये बुरी आदत है उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए, धीरे-धीरे इस प्रकार आप बच्चे की बुरी आदतों को छुड़ा सकती हैं।
यहाँ बच्चों में पाई जाने वाली कुछ ऐसी बुरी आदतें बताई गई हैं, जो काफी आम होती हैं और आपके बच्चे में उन बुरी आदतों को कैसे ठीक किया जा सकता इसके लिए भी टिप्स दी गई हैं, तो विस्तार से इस लेख को पढ़ते हैं।
बहुत से बच्चे जब बोर होते हैं, घबराते हैं, स्ट्रेस में होते हैं, टीवी या पढ़ाई करते हैं, तो इस दौरान दांत से नाखून काटने की आदत पड़ जाती है। कुछ बच्चे अपने नाखून इसलिए भी चबाते हैं क्योंकि वो खुद ही टूट रहे होते हैं। नाखूनों के आसपास वाले हिस्से में ड्राइनेस होने से और खुरदरापन होने की वजह बच्चे का क्यूटिकल बाइटिंग करना भी काफी आम होता है।
मुँह से नाखून काटने से इंफेक्शन और ब्लीडिंग हो सकती है, क्योंकि लगातार नाखून काटने से उसके आसपास की त्वचा में सूजन होती है। इसके अलावा, चूंकि कीटाणु और बैक्टीरिया नाखूनों के नीचे जमा हो जाते हैं, इसलिए लगातार नाखून काटने की आदत बच्चे में इन्फेक्शन पैदा कर सकती है।
सबसे पहले आपको बच्चे की इस आदत पर आपको कोई नेगेटिव अटेंशन नहीं देना चाहिए। अपने बच्चे को यह न बताएं कि ये आदत बहुत गंदी है या उसके नाखून भद्दे दिखते हैं। आपको ध्यान रखना होगा कि बच्चा अंगुलियों से गंदगी न खोदे, जिससे उसके नाखूनों के आसपास खुरदुरापन न हो और न ही नाखून टूटे, वरना फिर बच्चा मुँह से नाखून काटेगा ।
चूंकि ड्राईनेस इस विषय में सबसे बड़ी चिंता है, इसलिए आप नेल केयर रूटीन पर खास ध्यान दें और हर दिन नाखूनों को मॉइस्चराइज करें। एक नेल फाइल या एमरी बोर्ड का उपयोग करके खुरदुरे किनारों को स्मूथ करें। इसके अलावा यह जानने का प्रयास करें कि कहीं आपके बच्चे को कोई स्ट्रेस तो नहीं है, जिसकी वजह से उसके अंदर यह आदत विकसित हो गई हो। आपको ध्यान रखना होगा कि किस वजह से उनमें यह आदत ट्रिगर हो रही है और फिर उस समस्या को दूर करने का प्रयास करें।
सूखे और फटे होंठों को नम करने के लिए बच्चों में होंठों को चाटने की आदत पड़ जाती है, क्योंकि इससे रूखी त्वचा मुलायम हो जाते हैं। लेकिन ऐसा करना इस समस्या को और बढ़ा सकता है, जिससे बच्चों को इसकी आदत लग जाती है और जब बच्चा बोर होता है या स्ट्रेस में होता है तो अपने होठों को चबाने लगता है।
होठों को लगातार चाटने और चबाने से उनमें दर्द, तकलीफ होती है और होठों के आसपास की त्वचा कट जाने की वजह से बच्चे को इंफेक्शन होने का भी खतरा बढ़ जाता है। होंठ भी लाल दिखाई देते हैं और इस आदत के कारण त्वचा में इर्रिटेशन महसूस होती है।
अपने बच्चे को यह न बताएं कि फटे होंठों के साथ वो खराब लगता है, क्योंकि इससे उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंच सकती है और उसके ऊपर अपने लुक्स को लेकर और भी ज्यादा स्ट्रेस पढ़ सकता है, जो इस आदत को बढ़ावा देता है।
होठों को मॉइस्चर देने के लिए आप बच्चे को लिप बाम इस्तेमाल करने दें। यदि आपका बच्चा प्रीस्कूल में है, तो आप खुद अपने हाथों से उसके होंठों पर बाम लगा सकती हैं। अगर बच्चे के होठों पर क्रैक पड़ गए हैं, तो उन्हें कवर करने के लिए लिप बाम को वर्टिकल स्ट्रोक्स में लगाने की कोशिश करें। किसी भी कट या क्रैक को ठीक करने के लिए सोने से पहले पेट्रोलियम जेली या लैनोलिन लगाएं।
नाक में अंगुली डालना हर बच्चे की बुरी आदत होती है, जो ज्यादातर बच्चों में आम होती है। हालांकि आप पूरी तरह से बच्चों में इस आदत को छुड़ा पाने में कामयाब न हों, लेकिन यह आप पर है कि आप उन्हें कैसे समझाएं कि सार्वजनिक रूप से ऐसे नाक अंगुली डालना अच्छी बात नहीं होती है और अगर उनको नाक में इर्रिटेशन महसूस हो रही है तो टिश्यू का उपयोग करें।
लगातार नाक में अंगुली डाले रहने से नोज ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है, खासकर अगर बच्चे के नाखून बड़े हों, तो अंदर की त्वचा कट सकती है। साथ ही सर्दी और रेस्पिरेटरी अंगुलियों से नाक तक आसानी से फैल जाते हैं। जब बच्चे में यह आदत लगातार बनी रहती है, तो इससे नाक के अंदरूनी हिस्से में दर्द होने लगता है और खुजली होने लगती है, जिससे और बार-बार नाक में अंगुली डालने लगता है।
बच्चे में इस आदत को देखे जाने पर आप उनसे खराब तरीके से बर्ताव न करें। इससे बच्चे को यह महसूस होता है कि आपने उसे रिजेक्ट कर दिया है। कभी-कभी, नेगेटिव तरीके से डील करने से बच्चे और जिद्दी हो जाते हैं और पैरेंट के इस रिएक्शन का उन पर कोई असर नहीं पड़ता है।
अच्छी टोन में आप बच्चे को समझाने का प्रयास करें कि उन्हें दूसरों के सामने अपनी नाक में अंगुली नहीं डालना चाहिए और टिश्यू का इस्तेमाल करना चाहिए । यदि आपके बच्चे को खुजली हो गई है या नाक में दर्द है तो आप उसे आराम पहुंचाने के लिए उसकी नाक में पेट्रोलियम जेली लगा सकती हैं।
बच्चों में अंगूठा चूसना काफी आम होता है और ये आदत चार साल से कम उम्र वाले बच्चों में ज्यादा आम होती है। लेकिन कुछ बच्चों में बड़े हो जाने के बाद भी यह आदत बनी रहती है। बाकि आदतों की तरह, अंगूठा चूसना भी बच्चा बोर होने के कारण कर सकता है या क्योंकि यह बच्चों को सूदिंग फील देता है और उन्हें सोने में मदद करता है, इसलिए उन्हें अंगूठा चूसना पसंद हो सकता है।
लंबे समय तक अंगूठा चूसने से अंगूठे में दर्द हो सकता है या अंगूठे के आसपास की त्वचा हार्ड हो सकती है। यह नेल इंफेक्शन को भी जन्म दे सकता है। जिन बच्चों के परमानेंट दांत आ गए हैं, उनके इस वजह से टेढ़े-मेढ़े दांत निकने का यह एक कारण हो सकता है, जिससे आगे चलकर आपको बच्चे के दांतों की अलाइनमेंट को ठीक करने के लिए ब्रेसेस लगवाने पड़ सकते हैं ।
बच्चे को शर्मिंदा न करें या दंडित न करें क्योंकि इससे उनके अंदर नेगेटिविटी पैदा हो सकती है। यदि आपका बच्चा चार साल से कम उम्र का है तो उसे इससे खुद बाहर निकलने देना ही सबसे अच्छा है।
आमतौर पर बच्चों की अंगूठा चूसने की आदत उन्हें दिलासा देने का काम करती है, इसलिए आप उन्हें ऐसा महसूस कराने के लिए दूसरे तरीके ढूंढें। अपने बच्चे का दिमाग किसी एक्टिविटी और गेम में व्यस्त रखें। बच्चे को प्यार से बताएं कि ऐसा करना अच्छी आदत नहीं होती और अगर वे फिर उसे नहीं दोहराएंगे, तो आप उन्हें इसके लिए इनाम भी देंगी। आप इस आदत को छुड़ाने के लिए उसके अंगूठे पर कोई कड़वी चीज लगा दें या अंगूठे पर पट्टी बांध दें ताकि वह ऐसा न कर पाए।
अपने बाल खींचना एक आदत है जो आमतौर पर अंगूठा चूसने की आदत के साथ शुरू होती है और इस आदत के खत्म होने के साथ खत्म होती है। हालांकि, अगर यह अंगूठा चूसने की आदत बंद हो जाने के बाद भी जारी रहती है, तो यह ट्रिकोटिलोमेनिया नामक एक गंभीर और क्रोनिक समस्या का संकेत हो सकती है।
बार बार बाल खींचने से सिर में जगह जगह से गंजापन हो जाता है और बच्चे के आत्म-सम्मान को प्रभावित कर सकते हैं।
बच्चे को अपने बालों को घुमाने या उलझाने के लिए डांटें नहीं। हो सकता है कि बालों को छोटा करना, हाथों को ग्लव्स से ढकना प्रभावी साबित नहीं होता, क्योंकि यह केवल प्रॉब्लम की ओर और भी ज्यादा अधिक आकर्षित करता है।
इस आदत को छुड़ाने के लिए पहले आप अंगूठा चूसने की आदत को को छुड़ाने पर फोकस करें। हालांकि, यदि आपके बच्चे को बाल खींचने की आदत बनी रहती है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करना ज्यादा बेहतर होगा, क्योंकि डिप्रेशन का लक्षण भी हो सकता है।
दांत पीसना, जिसे ब्रुक्सिज्म भी कहा जाता है, एक ऐसी आदत है जो आमतौर पर तब होती है जब आपका बच्चा सो रहा होता है। हालांकि ऐसा क्यों होता है कोई स्पष्ट रूप समझ नहीं पाया है, यह एंग्जायटी और स्ट्रेस के कारण हो सकता है, या यहाँ वो अनजाने में कर रहे होते हैं। हालांकि, यह आदत बच्चे के बड़े हो जाने के बाद भी जारी रहने की संभावना हो सकती है।
दांत पीसने की आदत वाले बच्चे अपने जबड़े पर बहुत अधिक बल लगाते हैं क्योंकि वे अपने दांतों को जकड़ लेते हैं, जिससे सिरदर्द, दांत ढीले हो सकते हैं या जबड़े में दर्द भी हो सकता है।
यदि आप देखती हैं कि आपका बच्चा सोते समय भी अपने दांत पीस रहा है, तो उसे जगाने की कोशिश न करें। हो सकता है कि आपका बच्चा इस आदत से पूरी तरह अनजान हो और अचानक से बच्चे को जागने से उसके मन में भ्रम ही पैदा होगा।
नियमित रूप से डेंटल चेकअप के लिए जाएं, इससे आपको दांतों में होने वाले किसी भी डैमेज के बारे में पता चल पाएगा। कोशिश करें कि बच्चे को सोने से पहले बेडटाइम स्टोरी सुनाएं और जितना ज्यादा हो सके स्लीप टाइम को रिलैक्सिंग बनाएं ।
अपने शरीर को समझने करने के रूप में, बच्चे अपने जेनिटल को भी एक्सप्लोर करते हैं और अक्सर इसके साथ खेलते हैं। फिर यह उनकी आदत बन जाती है, क्योंकि इससे उन्हें रिलैक्स फील होने लगता है। जबकि हस्तमैथुन या जेनिटल के साथ खेलना बच्चों के लिए सेक्सुअल नहीं है, लेकिन आपका उन्हें यह समझाना जरूरी है कि ऐसा सबके सामने करना अच्छी बात नहीं है ।
इस आदत से जुड़ा कोई हेल्थ कंसर्न नहीं है, क्योंकि यह बड़े होने के बाद लाइफ का आम हिस्सा होता है। हालांकि, बच्चे कि इस हरकत पर अक्सर मता-पिता नेगेटिव रिएक्शन देते हैं, जो बच्चों में इमोशनल डिस्ट्रेस का कारण बन सकता है।
यदि आप अपने बच्चे को ऐसी हरकत करते हुए पकड़ती हैं, तो बहुत ज्यादा नेगेटिविटी के साथ रिएक्ट न करें। यह आपके बच्चे के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचा सकता है और आपके बच्चे को अपने शरीर को एक्सप्लोर करने के लिए गिल्ट महसूस करा सकता है।
आप अपने बच्चे को उसके शरीर के बारे में शिक्षित करने से शुरुआत कर सकती हैं। अगर आपका बच्चा चार साल से छोटा है, तो बेहतर होगा कि बच्चे का ध्यान किसी दूसरी एक्टिविटी से लगाएं। एक बार जब आपका बच्चा बड़ा हो जाता है, तो आप उसे सिखा सकती हैं कि ऐसा सार्वजनिक रूप से अच्छा नहीं माना जाता है।
हालांकि, यदि आपका बच्चा हस्तमैथुन का आदि हो गया है या अन्य बच्चों को अनुचित तरीके से छूता है, तो आपको डॉक्टर से परामर्श करने की आवश्यकता है, क्योंकि बच्चा सेक्सुअल कंटेंट या दुर्व्यवहार का शिकार हो सकता है।
गलत आदतों को खतम करने के लिए आपको बहुत ज्यादा धैर्य रखने की जरूरत होती है, कोशिश करें कि आसान तरीके से बच्चे को अपनी बात समझाएं । बच्चों को चिल्लाने से या उन्हें खराब तरीके से डील करने से उनमें जिद और ज्यादा बढ़ सकती या आपकी डांट उन पर बुरा प्रभाव डाल सकती है । आपको बच्चे में देखी जाने वाली आदत की गंभीरता से समझना होगा, फिर इसके कारण की पहचान करें, बच्चे का दूसरी चीजों में ध्यान भटकाएं, बच्चे को प्रेरित करें, आपकी बात मानने पर उन्हें पुरस्कार दे और किसी भी बुरे काम के लिए नेगेटिव रिएक्शन न दें। जब स्कूल जाने वाले बच्चों में बुरी आदतों को नोटिस किया जाता है, तो पैरेंट को और ज्यादा चिंता होने लगती है। लेकिन धैर्य रखें और ऊपर बताई गई टिप्स का पालन करें।
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