भले ही आपको गुलाबी रंग कितना ही पसंद हो लेकिन वह गुलाबी रंग कतई अच्छा नहीं लगता जो बच्चे की आँखों में उतरा हुआ दिखाई देता है! ऐसा तब होता है जब आँखों में कंजंक्टिवाइटिस हुआ हो। इसे ‘पिंक आई’ के नाम से भी जाना जाता है और यह पलकों के आंतरिक हिस्से में सूजन के कारण होता है, जिससे रक्त वाहिकाएं अधिक दिखाई देती हैं और आँखों में लालपन आता है।
कंजंक्टिवाइटिस या आँखों में लालपन संक्रमण या प्रदूषक (अलेर्जिन) के संपर्क से हो सकता है। इस संक्रमण के कारण बच्चे को आँखों में खुजली और आँखों के किनारों से स्राव भी हो सकता है। बच्चों में यह समस्या वायरल, बैक्टीरियल या एलर्जी के रूप में भी हो सकती है।
बच्चों का इम्युनिटी सिस्टम पूरी तरह से विकसित न होने के कारण कंजंक्टिवाइटिस होने का खतरा अधिक होता है। इनमें पिंक आई या कंजंक्टिवाइटिस को ठीक करने के लिए प्राकृतिक उपचार तुरंत राहत प्रदान कर सकते हैं। प्राथमिक उपचार के तौर पर कई आजमाए हुए घरेलू उपाय हैं जिनका उपयोग ज्यादातर मांएं अपने बच्चों के लिए करती हैं। इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए, लक्षण दिखते ही उपचार करने की सलाह दी जाती है।
यहाँ बच्चों में कंजंक्टिवाइटिस के लिए कई प्राकृतिक उपचार निम्नलिखित हैं:
ऐसा कहा जाता है कि माँ का दूध शिशु के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है और यह बिलकुल सही बात भी है। माँ के दूध में सिर्फ पोषण ही नहीं बल्कि स्वास्थ्यप्रद गुण भी मौजूद होते हैं। माँ के दूध में पाया जाने वाला ‘कोलोस्ट्रम’ नामक पोषक तत्व सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
कई मांएं इस उपचार का उपयोग करती हैं और यहाँ तक कि डॉक्टर भी इसके उपयोग की सलाह देते हैं। आप नीचे दिए हुए तरीके से बच्चे की संक्रमित आँखों में माँ के दूध का उपयोग कर सकती हैं –
आमतौर पर शहद में एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीबायोटिक गुण होते हैं जिसका उपयोग कई समस्याओं का निदान करने के लिए किया जाता है। आँखों के संक्रमण के लिए भी शहद का उपयोग किया जा सकता है। आँखों के लिए विशेषकर ‘मनुका’ शहद अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। अपने बच्चे की आँखों को ठीक करने के लिए शहद का उपयोग कुछ इस प्रकार से करें;
कोलोइडल सिल्वर का उपयोग आँखों में सूजन के कारण होने वाली जलन को शांत करने के लिए किया जाता है। यह उपाय आपके बच्चे की आँखों के संक्रमण को खत्म करने के लिए अधिक प्रभावी है। आप दिए गए निर्देशों के अनुसार इसका उपयोग कर सकती हैं –
कैमोमाइल चाय के प्राकृतिक शीतलता प्रदान करने वाले गुण और शांति देने वाली खुशबू आँखों के संक्रमण को ठीक करने और राहत देने में मदद करती है। इसका उपयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है –
आँखों के संक्रमण के लिए नमक का पानी सबसे सरल, सटीक और प्रसिद्ध उपचारों में से एक है। यह आँखों को शांत करता है और साथ ही आँखों में संक्रमण के कारण होने वाली अशुद्धियों को भी साफ करता है। इसका उपयोग करने के लिए – बर्तन में उबलते हुए पानी में थोड़ा सा नमक डालें और इसे थोड़ी देर के लिए ठंडा होने दें। अब पानी में रुई का फाहा या साफ कपड़े का टुकड़ा डुबोएं और अपने बच्चे की आँखों पर कुछ देर के लिए रखें। खयाल रहे संक्रमित आँखों के लिए हर बार नए कपड़े या नई रुई का ही उपयोग करें।
आमतौर पर सभी घरों में पाए जाने वाले आलू में प्राकृतिक एस्ट्रिजेंट के गुण होते हैं जो आँखों को राहत प्रदान करते हैं और दर्द व जलन को भी कम करते हैं। नीचे दिए गए उपाय का प्रयोग करके आप अपने बच्चे की आँखों को राहत दे सकते हैं:
आँखों को कंप्रेस करने से उसके अंदर मौजूद चिपचिपे स्राव के रूप में संक्रमण को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इसके परिणाम-स्वरूप, सूजन के कारण होने वाला दर्द भी कम हो जाता है।
विटामिन ‘ए’ – युक्त आहार, जैसे गाजर और पालक शरीर को स्वस्थ रखते हैं और साथ ही संक्रमण से बचाव के लिए स्वस्थ कोशिकाओं के विकास में सहायक होते हैं।
बच्चों के आहार में सब्जियां, खट्टे फल, मछली और अंडे का सेवन बढ़ाने से उनकी इम्युनिटी को बढ़ावा मिलता है। बच्चों की इम्युनिटी में वृद्धि से उनको संक्रमण होने का खतरा नहीं होता है।
पिंक आई के लिए कुछ ओ.टी.सी. यानि बिना पर्चे के दवाई की दुकान पर मिलने वाली दवाएं भी उपलब्ध हैं। हालांकि, किसी भी ओ.टी.सी. दवा का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है।
यदि आपके बच्चे में कंजंक्टिवाइटिस अपने आप ठीक नहीं हो रही है और उसके शारीरिक तापमान में वृद्धि या आँखों में अत्यधिक दर्द जैसे लक्षण हैं, तो चिकित्सक से तुरंत जांच करवाने की सलाह दी जाती है। इसके लिए दवाइयां संक्रमण की प्रकृति और उसकी गंभीरता पर निर्भर करती हैं ।
सामान्यतः कंजंक्टिवाइटिस होना न तो बहुत गंभीर समस्या है और न ही इसका कोई घातक प्रभाव पड़ता है। हालांकि, विशेषकर बच्चों में आँखों के ऊतकों (टिश्यू) की नाजुक प्रकृति को ध्यान में रखते हुए घरेलू उपचारों की जानकारी होना और कोई भी समस्या होने पर तुरंत उसका इलाज करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
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