शिशु

बच्चों में कंजंक्टिवाइटिस के 11 घरेलू उपचार

भले ही आपको गुलाबी रंग कितना ही पसंद हो लेकिन वह गुलाबी रंग कतई अच्छा नहीं लगता जो बच्चे की आँखों में उतरा हुआ दिखाई देता है!  ऐसा तब होता है जब आँखों में कंजंक्टिवाइटिस हुआ हो। इसे ‘पिंक आई’ के नाम से भी जाना जाता है और यह पलकों के आंतरिक हिस्से में सूजन के कारण होता है, जिससे रक्त वाहिकाएं अधिक दिखाई देती हैं और आँखों में लालपन आता है।

कंजंक्टिवाइटिस या आँखों में लालपन संक्रमण या प्रदूषक (अलेर्जिन) के संपर्क से हो सकता है। इस संक्रमण के कारण बच्चे को आँखों में खुजली और आँखों के किनारों से स्राव भी हो सकता है। बच्चों में यह समस्या वायरल, बैक्टीरियल या एलर्जी के रूप में भी हो सकती है।

बच्चों में कंजंक्टिवाइटिस के लिए घरेलू उपचार

बच्चों का इम्युनिटी सिस्टम पूरी तरह से विकसित न होने के कारण कंजंक्टिवाइटिस होने का खतरा अधिक होता है। इनमें पिंक आई या कंजंक्टिवाइटिस को ठीक करने के लिए प्राकृतिक उपचार तुरंत राहत प्रदान कर सकते हैं। प्राथमिक उपचार के तौर पर कई आजमाए हुए घरेलू उपाय हैं जिनका उपयोग ज्यादातर मांएं अपने बच्चों के लिए करती हैं। इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए, लक्षण दिखते ही उपचार करने की सलाह दी जाती है।

यहाँ बच्चों में कंजंक्टिवाइटिस के लिए कई प्राकृतिक उपचार निम्नलिखित हैं:

1. माँ का दूध

ऐसा कहा जाता है कि माँ का दूध शिशु के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है और यह बिलकुल सही बात भी है। माँ के दूध में सिर्फ पोषण ही नहीं बल्कि स्वास्थ्यप्रद गुण भी मौजूद होते हैं। माँ के दूध में पाया जाने वाला ‘कोलोस्ट्रम’ नामक पोषक तत्व सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होता है।

कई मांएं इस उपचार का उपयोग करती हैं और यहाँ तक कि डॉक्टर भी इसके उपयोग की सलाह देते हैं। आप नीचे दिए हुए तरीके से बच्चे की संक्रमित आँखों में माँ के दूध का उपयोग कर सकती हैं –

  • दिन में 2-3 बार अपने बच्चे की दोनों आँखों में ड्रॉपर सहायता से दूध की कुछ बूंदें डालें।
  • खयाल रहे आई ड्रॉपर साफ होना चाहिए और आप इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे करें।
  • असंक्रमित आँख में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए दोनों आँखों पर दूध की बूंदें डालें।

2. शहद

आमतौर पर शहद में एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीबायोटिक गुण होते हैं जिसका उपयोग कई समस्याओं का निदान करने के लिए किया जाता है। आँखों के संक्रमण के लिए भी शहद का उपयोग किया जा सकता है। आँखों के लिए विशेषकर ‘मनुका’ शहद अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। अपने बच्चे की आँखों को ठीक करने के लिए शहद का उपयोग कुछ इस प्रकार से करें;

  • लगभग 1/4 कप गुनगुने पानी में 1/4 कप शहद मिलाएं।
  • आप चाहें तो उसमें थोड़ा सा नमक (सी साल्ट) मिला सकती हैं।
  • फिर मिश्रण को पूरी तरह से ठंडा होने दें।
  • एक साफ ड्रॉपर की मदद से दोनों आँखों में मिश्रण की 1-2 बूंद डालें।
  • प्रभावी परिणामों के लिए इसका उपयोग हर 2 घंटे में करें।

3. कोलोइडल सिल्वर

कोलोइडल सिल्वर का उपयोग आँखों में सूजन के कारण होने वाली जलन को शांत करने के लिए किया जाता है। यह उपाय आपके बच्चे की आँखों के संक्रमण को खत्म करने के लिए अधिक प्रभावी है। आप दिए गए निर्देशों के अनुसार इसका उपयोग कर सकती हैं –

  • एक साफ ड्रॉपर की मदद से इस मिश्रण की 2-3 बूंदें अपने बच्चे की आँखों में डालें।
  • इसे दिन में 3 से 4 बार दोहराएं या तब तक इसका उपयोग करें जब तक यह संक्रमण खत्म न हो जाए।
  • यह सुनिश्चित करें कि संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आप दोनों आँखों में इसका उपयोग करती हैं।

4. कैमोमाइल चाय

कैमोमाइल चाय के प्राकृतिक शीतलता प्रदान करने वाले गुण और शांति देने वाली खुशबू आँखों के संक्रमण को ठीक करने और राहत देने में मदद करती है। इसका उपयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है –

  • काढ़े के रूप में – सबसे पहले कैमोमाइल के फूलों को उबलते पानी में डाल दें और इसे ठंडा होने दें। अब एक पट्टी लें और उसे इस पानी में भिगोकर अपने बच्चे की आँखों में नियमित अंतराल पर रखें या आप इसके लिए रुई का उपयोग भी कर सकती हैं।
  • कैमोमाइल तेल का उपयोग – पानी में तेल की कुछ बूंदें मिलाएं और रुई भिगोकर बच्चे की आँखों में लगभग 5-10 मिनट के लिए रखें। खयाल रहे इस प्रक्रिया का उपयोग 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए नहीं किया जाना चाहिए ।

5. नमक के पानी का घोल

आँखों के संक्रमण के लिए नमक का पानी सबसे सरल, सटीक और प्रसिद्ध उपचारों में से एक है। यह आँखों को शांत करता है और साथ ही आँखों में संक्रमण के कारण होने वाली अशुद्धियों को भी साफ करता है। इसका उपयोग करने के लिए – बर्तन में उबलते हुए पानी में थोड़ा सा नमक डालें और इसे थोड़ी देर के लिए ठंडा होने दें। अब पानी में रुई का फाहा या साफ कपड़े का टुकड़ा डुबोएं और अपने बच्चे की आँखों पर कुछ देर के लिए रखें। खयाल रहे संक्रमित आँखों के लिए हर बार नए कपड़े या नई रुई का ही उपयोग करें।

6. कच्चा आलू

आमतौर पर सभी घरों में पाए जाने वाले आलू में प्राकृतिक एस्ट्रिजेंट के गुण होते हैं जो आँखों को राहत प्रदान करते हैं और दर्द व जलन को भी कम करते हैं। नीचे दिए गए उपाय का प्रयोग करके आप अपने बच्चे की आँखों को राहत दे सकते हैं:

  • सबसे पहले आलू को धोकर पतला-पतला काट लें और फिर दोनों संक्रमित आँखों पर कच्चे आलू के टुकड़े रखें।
  • आप आलू को कद्दूकस करके बंद आँखों पर लगभग 5-10 मिनट के लिए रख सकती हैं।
  • आँखों में रखने के लिए हर बार ताजे आलू का उपयोग करें, इससे बच्चे को जल्द ही राहत मिलेगी।
  • इस प्रक्रिया को दिनभर में कई बार दोहराएं।
  • इस तरीके को आप बड़े बच्चे के लिए उपयोग कर सकती हैं।

7. आई कम्प्रेस

आँखों को कंप्रेस करने से उसके अंदर मौजूद चिपचिपे स्राव के रूप में संक्रमण को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इसके परिणाम-स्वरूप, सूजन के कारण होने वाला दर्द भी कम हो जाता है।

  • बच्चे की आँखों में कंप्रेसर या कपड़े की मदद से हल्की गर्म या ठंडी सिंकाई करें । इसके लिए आप स्टोर से खरीदे गए कम्प्रेसर का उपयोग कर सकती हैं।
  • आप चाहें तो किसी साफ कपड़े को गर्म/ठंडे पानी में डुबोकर निचोड़ लें।
  • गीले कपड़े को अपने बच्चे की आँखों पर रखें।
  • प्रत्येक आँख के लिए अलग-अलग कपड़े का उपयोग करें।
  • इससे भी आपके बच्चे की आँखों में राहत मिलेगी।

8. विटामिन ‘ए’

विटामिन ‘ए’ – युक्त आहार, जैसे गाजर और पालक शरीर को स्वस्थ रखते हैं और साथ ही संक्रमण से बचाव के लिए स्वस्थ कोशिकाओं के विकास में सहायक होते हैं।

9. जिंक और विटामिन ‘सी’

बच्चों के आहार में सब्जियां, खट्टे फल, मछली और अंडे का सेवन बढ़ाने से उनकी इम्युनिटी को बढ़ावा मिलता है। बच्चों की इम्युनिटी में वृद्धि से उनको संक्रमण होने का खतरा नहीं होता है।

10. ओ.टी.सी. दवा

पिंक आई के लिए कुछ ओ.टी.सी. यानि बिना पर्चे के दवाई की दुकान पर मिलने वाली दवाएं भी उपलब्ध हैं। हालांकि, किसी भी ओ.टी.सी. दवा का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है।

11. एंटीबायोटिक्स

यदि आपके बच्चे में कंजंक्टिवाइटिस अपने आप ठीक नहीं हो रही है और उसके शारीरिक तापमान में वृद्धि या आँखों में अत्यधिक दर्द जैसे लक्षण हैं, तो चिकित्सक से तुरंत जांच करवाने की सलाह दी जाती है। इसके लिए दवाइयां संक्रमण की प्रकृति और उसकी गंभीरता पर निर्भर करती हैं ।

सामान्यतः कंजंक्टिवाइटिस होना न तो बहुत गंभीर समस्या है और न ही इसका कोई घातक प्रभाव पड़ता है। हालांकि, विशेषकर बच्चों में आँखों के ऊतकों (टिश्यू) की नाजुक प्रकृति को ध्यान में रखते हुए घरेलू उपचारों की जानकारी होना और कोई भी समस्या होने पर तुरंत उसका इलाज करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

1 week ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

1 week ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago

रामायण की कहानी: क्या सीता मंदोदरी की बेटी थी? Ramayan Story: Was Sita Mandodari’s Daughter In Hindi

रामायण की अनेक कथाओं में से एक सीता जी के जन्म से जुड़ी हुई भी…

2 weeks ago

बदसूरत बत्तख की कहानी | Ugly Duckling Story In Hindi

यह कहानी एक ऐसे बत्तख के बारे में हैं, जिसकी बदसूरती की वजह से कोई…

2 weeks ago

रामायण की कहानी: रावण के दस सिर का रहस्य | Story of Ramayana: The Mystery of Ravana’s Ten Heads

यह प्रसिद्द कहानी लंका के राजा रावण की है, जो राक्षस वंश का था लेकिन…

2 weeks ago