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यदि आपका बच्चा छोटा है तो इसका यह मतलब नहीं है कि अभी अच्छी बातें या शिष्टाचार सिखाने की उसकी उम्र नहीं है। छोटी आयु से ही बच्चे नई-नई चीजें बहुत जल्दी सीख जाते हैं। बच्चों को हमेशा याद रहता है कि उन्हें क्या सिखाया गया है और वे बड़ी आयु की तुलना में बचपन में चीजों को बहुत तेजी से सीखते हैं।
बच्चों में शिष्टाचार और संस्कार ही दर्शाते हैं कि उनकी परवरिश कितनी अच्छी तरह से की गई है। बच्चों को अच्छी बातें सीखाना थोड़ा कठिन हो सकता है पर ध्यान रखें इस दौरान आपके लिए धैर्य रखना जरूरी है। आखिर धैर्य रखना भी एक अच्छी आदत है और बच्चे अपने बड़ों से ही सीखते हैं कि उन्हें एक अच्छा व्यक्ति कैसे बनना चाहिए। इसलिए माता-पिता या बड़े होने के नाते यह जरूरी है कि बच्चों के सामने अच्छा व्यवहार करें ताकि वे भी आपको देखकर सीखें।
बच्चों को अच्छी बातें सिखाने से वह पूर्ण रूप से एक अच्छा, दयालु, सभ्य और महत्वकांक्षी व्यक्ति बनता है। इस लेख में हमने उन 20 अच्छी बातों के बारे में विस्तार से चर्चा की है जो हर बच्चे में होनी चाहिए।
एक बच्चे के अच्छे मैनर्स हमेशा दूसरों को प्रेरित करते हैं, फिर चाहे वो स्कूल में हों या समाज में लोगों के बीच। यहाँ बताया गया है कि बच्चों में शिष्टाचार होना क्यों जरूरी है, आइए जानते हैं;
इस रियल वर्ल्ड में बच्चों को उनके अच्छे बिहेवियर और मैनर्स पर तारीफ मिलने से उनमें सेल्फ-कॉन्फिडेंस आती की है। किसी के इंसान को रेस्पेक्ट मिलने पर उसका कॉन्फिडेंस बढ़ता है।
जो बच्चे रूड और गुस्सैल होते हैं, वे गलत संगत को आकर्षित करते हैं। वहीं दूसरी ओर जो बच्चे अपने बड़ों और दोस्तों को रेस्पेक्ट करते हैं और उनकी हमेशा मदद करते हैं वे पॉपुलर होते हैं और हमेशा अच्छी संगत व अपने जैसे लोगों को ही आकर्षित करते हैं। हमेशा अच्छे मैनर्स के साथ ही स्ट्रांग और पॉजिटिव रिश्ते बनते है।
अच्छे मैनर्स वाले बच्चे हमेशा ही भीड़ से अलग दिखाई देते हैं और एकेडेमिक जीवन व करियर में उन्हें अच्छे ओपोर्चुनिटीज मिलते हैं। सभ्य लोग अक्सर जल्दी एम्प्लॉइड होते हैं और अपने करियर में बहुत तेजी से आगे बढ़ते हैं।
कुछ अच्छा करने या किसी से अच्छा रेस्पॉन्स मिलने से अक्सर लोगों को खुशी व संतुष्टि मिलती है, और वे इन अच्छी आदतों को अडॉप्ट करते हैं और अपनी बिहेवियर में शामिल कर लेते हैं। गुड मैनर्स व्यवहार बच्चों की जिंदगी में खुशियां लेकर आती हैं।
यह एक आम शिष्टाचार है जो बच्चों को सबसे पहले सिखाना चाहिए। बच्चों को उनके बचपन से ही ‘प्लीज’ और ‘थैंक यू’ कहने का महत्व बताएं। उन्हें बताएं कि जब हम किसी से कुछ पूछते या विनती करते हैं, उस वक्त प्लीज कहना चाहिए और किसी की मदद लेने पर या कोई भी चीज लेते समय थैंक यू कहना चाहिए। इससे बच्चों में यह आदत बन जाएगी।
बच्चों को सिखाएं कि वे हमेशा किसी की कोई भी चीज लेने से पहले उनसे पूछ लें क्योंकि वह किसी और की चीज है। चाहे वह चीज उसके दोस्त, रिश्तेदार या माता-पिता का ही क्यों न हो, लेने से पहले पूछना जरूरी है। अपने बच्चे को यह भी सिखाएं कि उसने जो चीज ली है, उसे ‘थैंक यू’ कहते हुए वापस करे।
प्लीज और थैंक यू के साथ बच्चे को सिखाएं कि यदि वह कोई गलती करता है तो उसे सॉरी कहना यानी माफी मांगना भी जरूरी है। बच्चे में गलती करने पर माफी मांगने की आदत होनी चाहिए। बच्चे को सिखाएं कि उसे कब व कहाँ माफी मांगनी चाहिए और हर बार ऐसे ही सॉरी नहीं बोलना चाहिए। माफी मांगना एक स्किल है जिसे अपने बिहेवियर में ढालना आना चाहिए।
बच्चों को विशेषकर घर में प्राइवेसी के मायने सीखना चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि किसी के कमरे में जाने से पहले सम्मान से दरवाजा खटखटाकर अंदर आने के लिए पूछना जरूरी है। यदि आपका बच्चा यह सब चीजें आपके सामने करेगा तो उसे अच्छी आदतें बनाने में मदद मिल सकती है।
बच्चों को सिखाएं कि उन्हें जब भी खांसी या छींक आती है तो उन्हें अपना मुंह ढकना चाहिए। साथ ही उन्हें बताएं कि कई लोगों के सामने नाक में उंगली डालना बैड बिहेवियर होता है। यह सिर्फ अच्छी आदतें ही नहीं हैं बल्कि यह स्वच्छता का भी एक भाग है।
यह एक और अच्छी आदत है जो बच्चों में होनी चाहिए। बच्चों में धैर्य की कमी होती ही है इसलिए उन्हें यह सिखाना जरूरी है कि उन्हें बाद करने से पहले ‘एक्सक्यूज मी’ बोलना आना चाहिए। आप अपने बच्चे को यह भी सिखा सकते हैं कि किसी को बात को बिना काटे अपनी बात कैसे रखनी चाहिए।
यह बच्चों को शुरू से ही सिखाना चाहिए, यदि एक बच्चे को नहीं पता है तो उसके लिए किसी का मजाक उड़ाना एक आम बात है। आप अपने बच्चे को सीखा सकते हैं कि लोगों के सामने या अकेले में भी किसी का मजाक उड़ाकर उसकी भावनाओं को चोट पहुँचाना अच्छी बात नहीं होती है।
आपके बच्चे को पता होना चाहिए कि फोन पर बात कैसे की जाती है और जब कोई बात करता है तो चुप रह कर उसकी बात सुनना भी जरूरी है। इससे बच्चों को लोगों पर अपना अच्छा प्रभाव डालने में मदद मिलती है।
बहुत पहले से यह ट्रेडिशन चली आ रही है कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए बच्चों को अपने से बड़ों की रेस्पेक्ट करना चाहिए। अपने बच्चे को सिखाएं कि वह अपने माता-पिता, दादा-दादी, टीचर्स और अन्य बड़ों की रेस्पेक्ट करनी चाहिए। बड़ों का आदर करने का एक यह भी तरीका है कि बच्चों से पहले घर के बड़ों को खाना परोसें या पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बड़ों या बुजुर्गों को बैठने के लिए अपनी सीट दें और यदि बच्चा आपको ऐसा करते हुए देखता है तो वह भी इस आचरण को अपना लेगा। उन्हें इसके महत्व का ज्ञान भी होगा।
किसी का नाम पुकारना या याद रखना यह दर्शाता है कि आपने उनके नाम को याद रखने का प्रयास किया है । अपने बच्चे को सिखाएं कि उसे अपने दोस्त या परिवार के किसी सदस्य का नाम बार-बार पुकारने से उसे याद हो जाएगा। किसी का नाम याद रखना भी शिष्टाचार का ही अंश है।
बच्चों को लोगों की भावनाओं को समझाने के लिए आप उदाहरण के तौर पर यह कह सकते हैं कि जब हम किसी की तरफ एक उंगली करते हैं तो बाकी तीनों उंगलियां हमारी तरफ ही होती हैं। बच्चे से पूछें कि उसे कैसा लगेगा यदि कोई इस प्रकार से उसकी तरफ उंगली करके इशारा करेगा या उसे घूरेगा। इससे बच्चे को समझ में आ सकता है कि किसी को घूरना या उसकी तरफ उंगली दिखाना गलत बात होती है।
बच्चे हर चीज के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक होते हैं इसलिए यदि वे किसी विकलांग व्यक्ति को देखते हैं तो उसकी तरफ इशारा करते हैं, जोर से सवाल पूछ सकते हैं या डर भी सकते हैं। बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि विकलांग व्यक्ति भी अन्य लोगों की तरह ही होते हैं और उनके साथ भी वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा अन्य लोगों के साथ किया जाता है।
किसी के घर जाते समय बच्चे को काइंड और पोलाइट बनना सिखाएं। बच्चों को यह बताएं कि किसी के घर जाने के बाद वहाँ कैसा व्यवहार करना चाहिए, जिद व शैतानी नहीं करनी चाहिए और अपनी बात को स्पष्ट रूप से सम्मान के साथ कहना चाहिए। आप अपने बच्चे को यह भी सिखा सकती हैं कि जब कोई मेहमान घर आते हैं तो उनके साथ भी कैसा व्यवहार करना चाहिए।
बच्चों को यह सीखना चाहिए कि चिल्लाना, गुस्सा करना और शोर मचाना किसी से बात करने का सही तरीका नहीं है। वह जितना भी गुस्से में हो उसे प्यार से बात करना सिखाएं और अपनी बात को आराम से कहना सिखाएं। आप अपने बच्चे के सामने ऐसा ही व्यवहार करके उसे भी अच्छी तरह बोलना सिखा सकते हैं। बच्चे को सिखाएं कि जब कोई दूसरा व्यक्ति बात कर रहा हो तो उसकी बात पूरी होने तक का इंतजार करें फिर अपनी बात को रखें। इस आदत से आपका बच्चा आपको भी सुनना शुरू कर देगा।
आप अपने बच्चे में दूसरों के प्रति दया का भाव रखने और किसी की मदद करने की आदत भी डाल सकती हैं। इससे आपके बच्चे को खुद में अच्छा महसूस होगा और वह लोकप्रिय होगा। आप बच्चे को कुछ चीजें सीखा सकते हैं, जैसे यदि किसी के हाथ में बहुत सारा सामान है तो उसके लिए दरवाजे को खोलना और पकड़े रखना या किसी काम में अपने माता-पिता व शिक्षक की मदद करना।
जब बच्चे अन्य बच्चों के साथ खेलना शुरू कर देता है तो उसमें यह आदत होना बहुत जरूरी है। अपने बच्चे को सिखाएं कि शेयर करना ही किसी की केयर करना होता है और वे भी अपने टॉयज या भोजन किसी से शेयर कर सकते हैं। आप खेल-खेल में भी अपने बच्चे को शेयर करना सिखा सकते हैं।
बच्चे खाते समय गंदगी कर सकते हैं या अपने कपड़ों को इधर-उधर डाल सकते हैं या उपयोग के बाद अपने टॉयज को ठीक से नहीं रखते हैं। बच्चे में साफ-सफाई रखने की आदत डालने के लिए उसे खाने के बाद सिंक पर अपनी प्लेट धोना सिखाएं या उससे कहें कि वह घर के काम करने में मदद करे। बच्चा समय रहते अपने आप ही साफ सफाई रखना सीख जाएगा।
बच्चों को छोटी उम्र से ही ईमानदार रहना सिखाएं और उन्हें बताएं कि उन्हें झूट नहीं बोलना चाहिए। यह महत्वपूर्ण वैल्यूज हैं जो बच्चों के लिए जरूरी हैं। सुनिश्चित करें कि वह हमेशा उन बातों पर दृढ़ रहे जो वह कहता है। यदि बच्चा खोकले वाडे करता है तो उसके साथ बैठें और उसे सच बोलने का महत्व बताएं। दृढ़ रहें और उन्हें बताएं कि ईमानदारी ही एक सबसे अच्छी नीति है। बच्चों का नैतिक विकास शुरू से होना बहुत जरूरी है।
किसी से बात करते समय आई कांटेक्ट बनाए रखने से आत्मविश्वास और लोगों में सम्मान भी बढ़ता है। बच्चे के साथ क्वालिटी टाइम बिताते समय उसे इस बात का भी महत्व समझाएं और उसके साथ बात करते समय आई कांटेक्ट रखें। यदि वह इस आदत को अपना लेता है तो वह बहुत आगे जाएगा और अन्य लोगों से उसके संबंध भी अच्छे होंगे।
गलत भाषा बहुत ज्यादा अपमानजनक और असभ्य होती है। आप अपने बच्चे को सिखाएं कि उसे किसी से भी गलत भाषा में बात नहीं करनी चाहिए। फिर चाहे उसने यह सब टीवी पर किसी शो में सुना हो या कहीं और। इस आदत को सीखना बहुत जरूरी है। आप चाहें तो अपने बच्चे के साथ आराम से बैठें और उसे समझाएं कि ऐसी भाषा का उपयोग करना क्यों गलत होता है।
एक माता-पिता होने के नाते आपकी भी जिम्मेदारी है कि आप अपने बच्चे में अच्छी आदतों का महत्व समझें और यह सुनिश्चित करें कि वह उन्हीं आदतों के साथ बड़ा हो रहा है। आप अपने बच्चे में अच्छी आदतें बनाने के लिए निम्नलिखित टिप्स का उपयोग कर सकते हैं, वे कौन से हैं आइए जानें;
मैनर्स बहुत जरुरी चीज है जिससे बच्चों में समझ बढ़ती है और बड़े होकर उन्हें एक अच्छा इंसान बनाती है। इसकी मदद से बच्चों को लोगों का साथ अच्छा लगेगा, वे स्कूल और ऑफिस में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और उनमें दूसरों से एक अच्छा संबंध बनाने की समझ होगी। एक पोलाइट और थॉटफुल बच्चा ही अन्य लोगों पर अपना अच्छा प्रभाव डाल सकता है। इसलिए बच्चों को छोटी आयु से ही ऊपर दिए हुए मैनर्स सिखाएं।
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