In this Article
एक्जिमा बच्चों में होने वाली एक आम समस्या है। पूरे विश्व में पाँच साल तक के हर पाँच में से एक बच्चे में किसी न किसी प्रकार का एक्जिमा देखा जाता है। यह एक तरह का त्वचा रोग होता है, जिसमें रैश और खुजली होती है, जो कि बहुत ही ज्यादा तकलीफ देती है। यह लेख आपको एक्जिमा, उसके कारण, लक्षण और इलाज के तरीकों के बारे में समझने में मदद करेगा।
एक्जिमा डर्मेटाइटिस त्वचा रोग का एक प्रकार है, जिसके कारण त्वचा में इन्फ्लेमेशन होती है। यह विश्व में हर वर्ष लगभग 250 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है। हालांकि यह संक्रामक नहीं होता है, इसलिए आपके बच्चे को ज्यादा शारीरिक संपर्क में आने से कोई खतरा नहीं होता है। एक्जिमा के सबसे आम स्वरूपों में एटॉपिक डर्मेटाइटिस, कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस, सेबोरिक डर्मेटाइटिस और स्टैसिस डर्मेटाइटिस शामिल हैं। यहाँ पर हम एटॉपिक डर्मेटाइटिस के बारे में बात करेंगे, जो कि मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है।
एक्जिमा होने का कोई खास कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन कुछ ऐसी खास बातें हैं, जिससे ये बिगड़ सकते हैं या अधिक परेशान कर सकते हैं:
अगर माता-पिता या परिवार में किसी को एक्जिमा या कोई अन्य त्वचा रोग है, तो बच्चों में भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है।
गर्मी, धूल, धुआँ, ठंड, नमी और ऐसे अन्य कारणों से एक्जिमा रैश बढ़ सकते हैं।
अध्ययन दर्शाते हैं, कि तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसे लक्षणों से एक्जिमा की समस्या बढ़ती है।
पोलेन, कुछ विशेष खाना, क्रीम, लोशन, शैंपू आदि में मौजूद केमिकल एवं ऐसी अन्य चीजों से एलर्जी पैदा हो सकती है और एक्जिमा को बढ़ावा मिल सकता है। ऐसा पाया गया है, कि एक्जिमा से ग्रस्त बच्चों में से 40% बच्चे किसी विशेष खाने के प्रति एलर्जिक होते हैं।
बच्चों में एक्जिमा के लक्षण समय-समय पर बदलते रहते हैं। ये कभी बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं, तो कभी कम हो जाते हैं या खत्म हो जाते हैं।
चूंकि, एक्जिमा के लक्षण हर बच्चे और हर आयु में भिन्न होते हैं, इसलिए इसकी पहचान करना मुश्किल हो सकता है। इसे सोरायसिस जैसी दूसरे स्किन संबंधी रोग समझने की भूल कर लेना बहुत आसान है। फिर भी अगर पीडियाट्रिशियन को इनके एक्जिमा होने का शक है, तो वे नीचे दिए गए स्टेप पर काम करेंगे।
बच्चे को राहत पहुंचाने के लिए उन्हें एक्जिमा की दवाई दी जाती है। ये दवाएं और उसकी खुराक एक्जिमा की गंभीरता और फैलाव के ऊपर निर्भर करती है और इसे डॉक्टर की सलाह के साथ ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
बच्चों के एक्जिमा के लिए सबसे ज्यादा हाइड्रोकॉर्टिसोने रेकमेंड की जाती है। यह एक कॉर्टिकोस्टेरॉइड है, जो कि लगातार होने वाली खुजली से राहत देता है। इसे लगाते समय सावधानी बरतें, क्योंकि इसे जरूरत से ज्यादा लगाने से त्वचा पतली हो सकती है।
इनमें स्टेरॉयड नहीं होता है और इन्हें इसके इन्फ्लेमेशन के फैलाव को कम करने के लिए दिया जाता है। ये छोटे टॉडलर्स और बच्चों के लिए कारगर होते हैं।
ये टैबलेट के रूप में आते हैं और इससे रैश और खुजली को शांत करने में मदद मिलती है, खासकर अगर यह किसी एलर्जी के कारण हो रही हो तो।
टॉपिकल पद्धतियों के जैसे ही ये बड़े बच्चों के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। हालांकि, छोटे बच्चों के लिए इनकी सलाह शायद ही दी जाती है, क्योंकि इससे गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
ये ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स होते हैं और इन्हें आमतौर पर किसी सेकेंडरी इंफेक्शन पैदा हो जाने की स्थिति में प्रिस्क्राइब किया जाता है।
जहाँ एक ओर स्टेरॉइड क्रीम और एंटीहिस्टामाइन काम करते हैं, वही बच्चों में एक्जिमा के लिए कई प्राकृतिक दवाएं भी उपलब्ध है। हालांकि, अपने बच्चे का इलाज करने के लिए नीचे दिए गए इन तरीकों को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
हल्दी एंटीबैक्टीरियल होती है और इसे हजारों सालों से त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। हल्दी के लेप को सीधा रैश पर लगाएं या इसे दूध, नारियल के तेल या गुलाब जल के साथ मिलाकर लगाएं।
दही और योगर्ट त्वचा के लिए हेल्दी होते हैं। खासकर इनमें सौम्य एक्सफोलिएंट लैक्टिक एसिड की उपस्थिति के कारण यह त्वचा को शांत करने में मदद करता है। इसके अलावा दही में मौजूद हेल्दी और प्रोबायोटिक बैक्टीरिया हानिकारक बैक्टीरिया से होने वाले इन्फेक्शन से बचाव करने के लिए जाने जाते हैं।
ओट्स में विटामिन ‘ए’ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो कि स्वस्थ त्वचा के लिए एक जरूरी इंग्रिडिएंट है। साथ ही इसमें विटामिन और मिनरल जैसे कई शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं, जो कि त्वचा के लिए बहुत अच्छे होते हैं। ओट्स के पाउडर को शहद या दही के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है।
रूखी त्वचा को नमी प्रदान करना एक्जिमा के रैश को शांत करने का अच्छा तरीका है। इसके लिए कई प्राकृतिक तेल उपलब्ध हैं। इनमें अलसी का तेल, जोजोबा का तेल, ऑलिव ऑयल और ऐसे अन्य तेल शामिल हैं। कुछ खास एसेंशियल ऑयल भी बहुत लाभकारी होते हैं। इन्हें इस्तेमाल से पहले किसी बेस ऑयल के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
ग्रेप सीड को एंटी इन्फ्लेमेट्री और एंटी पैथोजेनिक गुणों के लिए जाना जाता है, जो कि रैश के साथ-साथ खुजली को भी शांत करने में मदद करते हैं। आप इन्हें कूटकर दही के साथ मिलाकर रैश पर लगा सकते हैं।
यह एक प्राचीन स्किन केयर पद्धति है। एक्जिमा पर चंदन के लेप से इरिटेटेड त्वचा को शांत करने में मदद मिलती है। आप चंदन के पाउडर को गुलाब जल के साथ मिलाकर लेप बनाकर लगा सकते हैं।
थोड़े से नमक को गुनगुने पानी के साथ मिलाकर रैश पर छिड़काव करने से रूखी त्वचा को नमी देने में मदद मिलती है। आप रुई की सहायता से इस मिश्रण को त्वचा पर लगा भी सकते हैं। नमक किसी घाव या जख्म को नियंत्रित करने में भी कारगर होता है।
एलोवेरा को उसकी हीलिंग प्रॉपर्टी के कारण पूरे विश्व में पसंद किया जाता है। आप थोड़े से एलोवेरा को क्रश करके शहद के साथ मिलाकर रैश पर लगा सकते हैं।
आपका बच्चा जैसे-जैसे बढ़ता जाता है, एक्जिमा के लक्षण आते जाते रहते हैं। 4 साल की उम्र तक आमतौर पर ये अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। पर कभी-कभी यह एक आजीवन स्थिति बन सकती है।
कुछ विशेष खाद्य पदार्थों को एक्जिमा के लक्षणों को बढ़ाने का कारक पाया गया है। इनमें अंडे, दूध, शेल फिश, सोया, ग्लूटेन, गेहूं और मूंगफली शामिल हैं। अगर आपके बच्चे को एक्जिमा है, तो उसे अलग-अलग तरह का खाना खिलाने की कोशिश करें, ताकि आपको एलर्जी के कारण का पता चल सके। अगर जरूरत पड़े तो हाइपरएलर्जेनिक बेबी फार्मूला को भी आजमाएं। रिसर्च बताते हैं, कि जो गर्भवती महिलाएं प्रचुर मात्रा में वेजिटेबल ऑयल का सेवन करती हैं, उनके बच्चों में एक्जिमा के चांस की संभावना ज्यादा होती है। बच्चों के लिए एक्जिमा डाइट प्लान बनाएं, जिसमें किसी भी संभावित एलर्जेनिक खाद्य सामग्री से दूरी बनाई जा सके।
ऐसे में आपको सबसे पहले अपने बच्चे के पेडिएक्ट्रीशियन से सलाह लेनी चाहिए। अगर दी गई दवाएं काम नहीं करती हैं, तो डॉक्टर कोई दूसरी स्ट्रांग दवा दे सकता है। बुखार, इंफेक्शन, रिसते हुए रैश, पपड़ीदार त्वचा और ऐसे किसी अन्य अजीब लक्षण की स्थिति में अपने डॉक्टर को बताना जरूरी है।
बच्चों में एक्जिमा पनपने से रोकने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखा जा सकता है। इनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:
माता पिता होने के नाते अपने बच्चे को इस परिस्थिति से निपटने और एक आरामदायक जिंदगी पाने में मदद करने के लिए यहाँ पर कुछ बातें दी गई हैं, जिनका आप को ध्यान रखना चाहिए:
इन सभी सावधानियों के अलावा यह बहुत जरूरी है, कि आपका बच्चा एक संतुलित आहार ले, जिसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, चमकीले रंगों वाले फल, कुछ खास नट्स, साबुत अनाज और ऐसी अन्य चीजें शामिल हों। इसमें कोई शक नहीं है, कि सहयोग और पोषण के साथ आपका बच्चा एक्जिमा के साथ भी एक स्वस्थ और आरामदायक जीवन जी सकता है।
यह भी पढ़ें:
बच्चों में हेपेटाइटिस
बच्चों में बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन
बच्चों में टीबी (क्षय रोग) – कारण, निदान और उपचार
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…