बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों में एक्जिमा – कारण, लक्षण और उपचार

एक्जिमा बच्चों में होने वाली एक आम समस्या है। पूरे विश्व में पाँच साल तक के हर पाँच में से एक बच्चे में किसी न किसी प्रकार का एक्जिमा देखा जाता है। यह एक तरह का त्वचा रोग होता है, जिसमें रैश और खुजली होती है, जो कि बहुत ही ज्यादा तकलीफ देती है। यह लेख आपको एक्जिमा, उसके कारण, लक्षण और इलाज के तरीकों के बारे में समझने में मदद करेगा। 

एक्जिमा क्या है?

एक्जिमा डर्मेटाइटिस त्वचा रोग का एक प्रकार है, जिसके कारण त्वचा में इन्फ्लेमेशन होती है। यह विश्व में हर वर्ष लगभग 250 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है। हालांकि यह संक्रामक नहीं होता है, इसलिए आपके बच्चे को ज्यादा शारीरिक संपर्क में आने से कोई खतरा नहीं होता है। एक्जिमा के सबसे आम स्वरूपों में एटॉपिक डर्मेटाइटिस, कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस, सेबोरिक डर्मेटाइटिस और स्टैसिस डर्मेटाइटिस शामिल हैं। यहाँ पर हम एटॉपिक डर्मेटाइटिस के बारे में बात करेंगे, जो कि मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। 

बच्चों में यह कितना आम होता है?

एक्जिमा आमतौर पर बहुत छोटे बच्चों में पाया जाता है, लेकिन टीनएजर और उससे बड़े बच्चे भी इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। एक्जिमा का अनुभव करने वाले सभी रोगियों में से लगभग 70% को यह एक साल की उम्र के पहले हुआ था और 25% को पाँच साल की उम्र तक हुआ था। जिन लोगों में हे फीवर, अस्थमा और ऐसी अन्य एलर्जिक बीमारियों के प्रति ज्यादा रुझान होता है, उन्हें इस समस्या के होने की संभावना भी ज्यादा होती है। 

बच्चों में एक्जिमा होने के कारण

एक्जिमा होने का कोई खास कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन कुछ ऐसी खास बातें हैं, जिससे ये बिगड़ सकते हैं या अधिक परेशान कर सकते हैं: 

1. वंशानुगत परिस्थितियां

अगर माता-पिता या परिवार में किसी को एक्जिमा या कोई अन्य त्वचा रोग है, तो बच्चों में भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। 

2. वातावरण

गर्मी, धूल, धुआँ, ठंड, नमी और ऐसे अन्य कारणों से एक्जिमा रैश बढ़ सकते हैं। 

3. तनाव

अध्ययन दर्शाते हैं, कि तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसे लक्षणों से एक्जिमा की समस्या बढ़ती है। 

4. एलर्जी पैदा करने वाले एलिमेंट्स

पोलेन, कुछ विशेष खाना, क्रीम, लोशन, शैंपू आदि में मौजूद केमिकल एवं ऐसी अन्य चीजों से एलर्जी पैदा हो सकती है और एक्जिमा को बढ़ावा मिल सकता है। ऐसा पाया गया है, कि एक्जिमा से ग्रस्त बच्चों में से 40% बच्चे किसी विशेष खाने के प्रति एलर्जिक होते हैं। 

संकेत और लक्षण

बच्चों में एक्जिमा के लक्षण समय-समय पर बदलते रहते हैं। ये कभी बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं, तो कभी कम हो जाते हैं या खत्म हो जाते हैं। 

  • लाल या भूरी, सूखी, मोटी, पपड़ीदार त्वचा इसका सबसे आम लक्षण है। कभी-कभी इनमें एक दूसरे से नजदीक स्थित उभरे हुए लाल फोड़े हो सकते हैं, जिनमें से पानी निकलता रहता है।
  • इन रैशेज में बहुत ज्यादा खुजली होती है, जो कि बच्चे को लगातार खुजलाने पर मजबूर कर देती है। इससे प्रभावित त्वचा काली पड़ सकती है या उसमें निशान बन सकते हैं।
  • छोटे बच्चों में ये रैशेज चेहरे या सिर की त्वचा में होते हैं। वही टॉडलर्स में यह कुहनी की दरारों और घुटनों के पीछे होते हैं।

बच्चे में एक्जिमा की पहचान करना

चूंकि, एक्जिमा के लक्षण हर बच्चे और हर आयु में भिन्न होते हैं, इसलिए इसकी पहचान करना मुश्किल हो सकता है। इसे सोरायसिस जैसी दूसरे स्किन संबंधी रोग समझने की भूल कर लेना बहुत आसान है। फिर भी अगर पीडियाट्रिशियन को इनके एक्जिमा होने का शक है, तो वे नीचे दिए गए स्टेप पर काम करेंगे। 

  • रैश के आकार, आकृति और रंग की जांच।
  • वे आप से पूछ सकते हैं, कि यह रैश कब से उपस्थित है।
  • वे लिचेनिफिकेशन नामक फेनोमेनल की पहचान करने की कोशिश करेंगे, जो कि त्वचा के रगड़ या खुजलाने के कारण त्वचा में आने वाली मोटाई होती है।
  • वे बेहतर इलाज के लिए आपको पेडियाट्रिक डर्मेटोलॉजिस्ट या एलर्जिस्ट से मिलने की सलाह देंगे।
  • वे बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री, विशेषकर बच्चे या परिवार के किसी अन्य सदस्य को होने वाले किसी प्रकार की एलर्जी या त्वचा रोग के बारे में पूछेंगे।

बच्चों में एक्जिमा का इलाज

बच्चे को राहत पहुंचाने के लिए उन्हें एक्जिमा की दवाई दी जाती है। ये दवाएं और उसकी खुराक एक्जिमा की गंभीरता और फैलाव के ऊपर निर्भर करती है और इसे डॉक्टर की सलाह के साथ ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। 

1. टॉपिकल स्टेरॉइड ऑइंटमेंट

बच्चों के एक्जिमा के लिए सबसे ज्यादा हाइड्रोकॉर्टिसोने रेकमेंड की जाती है। यह एक कॉर्टिकोस्टेरॉइड है, जो कि लगातार होने वाली खुजली से राहत देता है। इसे लगाते समय सावधानी बरतें, क्योंकि इसे जरूरत से ज्यादा लगाने से त्वचा पतली हो सकती है। 

2. टॉपिकल इम्यूनोथेरेपी एजेंट

इनमें स्टेरॉयड नहीं होता है और इन्हें इसके इन्फ्लेमेशन के फैलाव को कम करने के लिए दिया जाता है। ये छोटे टॉडलर्स और बच्चों के लिए कारगर होते हैं। 

3. ओरल एंटीहिस्टामाइन ड्रग

ये टैबलेट के रूप में आते हैं और इससे रैश और खुजली को शांत करने में मदद मिलती है, खासकर अगर यह किसी एलर्जी के कारण हो रही हो तो। 

4. ओरल स्टेरॉयड

टॉपिकल पद्धतियों के जैसे ही ये बड़े बच्चों के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। हालांकि, छोटे बच्चों के लिए इनकी सलाह शायद ही दी जाती है, क्योंकि इससे गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। 

5. एंटीबायोटिक

ये ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स होते हैं और इन्हें आमतौर पर किसी सेकेंडरी इंफेक्शन पैदा हो जाने की स्थिति में प्रिस्क्राइब किया जाता है। 

घरेलू उपचार

जहाँ एक ओर स्टेरॉइड क्रीम और एंटीहिस्टामाइन काम करते हैं, वही बच्चों में एक्जिमा के लिए कई प्राकृतिक दवाएं भी उपलब्ध है। हालांकि, अपने बच्चे का इलाज करने के लिए नीचे दिए गए इन तरीकों को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। 

1. हल्दी का लेप

हल्दी एंटीबैक्टीरियल होती है और इसे हजारों सालों से त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है।  हल्दी के लेप को सीधा रैश पर लगाएं या इसे दूध, नारियल के तेल या गुलाब जल के साथ मिलाकर लगाएं। 

2. दही

दही और योगर्ट त्वचा के लिए हेल्दी होते हैं। खासकर इनमें सौम्य एक्सफोलिएंट लैक्टिक एसिड की उपस्थिति के कारण यह त्वचा को शांत करने में मदद करता है। इसके अलावा दही में मौजूद हेल्दी और प्रोबायोटिक बैक्टीरिया हानिकारक बैक्टीरिया से होने वाले इन्फेक्शन से बचाव करने के लिए जाने जाते हैं। 

3. ओट्स

ओट्स में विटामिन ‘ए’ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो कि स्वस्थ त्वचा के लिए एक जरूरी इंग्रिडिएंट है। साथ ही इसमें विटामिन और मिनरल जैसे कई शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं, जो कि त्वचा के लिए बहुत अच्छे होते हैं। ओट्स के पाउडर को शहद या दही के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। 

4. प्लांट ऑयल

रूखी त्वचा को नमी प्रदान करना एक्जिमा के रैश को शांत करने का अच्छा तरीका है। इसके लिए कई प्राकृतिक तेल उपलब्ध हैं। इनमें अलसी का तेल, जोजोबा का तेल, ऑलिव ऑयल और ऐसे अन्य तेल शामिल हैं। कुछ खास एसेंशियल ऑयल भी बहुत लाभकारी होते हैं। इन्हें इस्तेमाल से पहले किसी बेस ऑयल के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाना चाहिए। 

5. ग्रेप सीड

ग्रेप सीड को एंटी इन्फ्लेमेट्री और एंटी पैथोजेनिक गुणों के लिए जाना जाता है, जो कि रैश के साथ-साथ खुजली को भी शांत करने में मदद करते हैं। आप इन्हें कूटकर दही के साथ मिलाकर रैश पर लगा सकते हैं। 

6. चंदन का लेप

यह एक प्राचीन स्किन केयर पद्धति है। एक्जिमा पर चंदन के लेप से इरिटेटेड त्वचा को शांत करने में मदद मिलती है। आप चंदन के पाउडर को गुलाब जल के साथ मिलाकर लेप बनाकर लगा सकते हैं। 

7. नमक

थोड़े से नमक को गुनगुने पानी के साथ मिलाकर रैश पर छिड़काव करने से रूखी त्वचा को नमी देने में मदद मिलती है। आप रुई की सहायता से इस मिश्रण को त्वचा पर लगा भी सकते हैं। नमक किसी घाव या जख्म को नियंत्रित करने में भी कारगर होता है। 

8. एलोवेरा

एलोवेरा को उसकी हीलिंग प्रॉपर्टी के कारण पूरे विश्व में पसंद किया जाता है। आप थोड़े से एलोवेरा को क्रश करके  शहद के साथ मिलाकर रैश पर लगा सकते हैं। 

बच्चों में एक्जिमा कितने लंबे समय तक रहता है?

आपका बच्चा जैसे-जैसे बढ़ता जाता है, एक्जिमा के लक्षण आते जाते रहते हैं। 4 साल की उम्र तक आमतौर पर ये अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। पर कभी-कभी यह एक आजीवन स्थिति बन सकती है। 

क्या कोई ऐसा खाना है जिससे बच्चे में एक्जिमा हो सकता है?

कुछ विशेष खाद्य पदार्थों को एक्जिमा के लक्षणों को बढ़ाने का कारक पाया गया है। इनमें अंडे, दूध, शेल फिश, सोया, ग्लूटेन, गेहूं और मूंगफली शामिल हैं। अगर आपके बच्चे को एक्जिमा है, तो उसे अलग-अलग तरह का खाना खिलाने की कोशिश करें, ताकि आपको एलर्जी के कारण का पता चल सके। अगर जरूरत पड़े तो हाइपरएलर्जेनिक बेबी फार्मूला को भी आजमाएं। रिसर्च बताते हैं, कि जो गर्भवती महिलाएं प्रचुर मात्रा में वेजिटेबल ऑयल का सेवन करती हैं, उनके बच्चों में एक्जिमा के चांस की संभावना ज्यादा होती है। बच्चों के लिए एक्जिमा डाइट प्लान बनाएं, जिसमें किसी भी संभावित एलर्जेनिक खाद्य सामग्री से दूरी बनाई जा सके। 

अगर आपके बच्चे का रैश ठीक न हो तो क्या करना चाहिए?

ऐसे में आपको सबसे पहले अपने बच्चे के पेडिएक्ट्रीशियन से सलाह लेनी चाहिए। अगर दी गई दवाएं काम नहीं करती हैं, तो डॉक्टर कोई दूसरी स्ट्रांग दवा दे सकता है। बुखार, इंफेक्शन, रिसते हुए रैश, पपड़ीदार त्वचा और ऐसे किसी अन्य अजीब लक्षण की स्थिति में अपने डॉक्टर को बताना जरूरी है। 

बच्चे को एक्जिमा से कैसे बचाएं?

बच्चों में एक्जिमा पनपने से रोकने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखा जा सकता है। इनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं: 

  • अपने बच्चे को बताएं कि रैश को हाथ न लगाए। इससे यह बिगड़ सकता है और कोई खतरनाक संक्रमण भी हो सकता है।
  • अपने बच्चे को धूल, जानवरों के बाल, खुशबूदार साबुन और शैंपू, खुरदरे कपड़े और ऐसी दूसरी खुजली पैदा करने वाली चीजों से दूर रखें।
  • एलर्जी पैदा करने वाली चीजों से बचें, जैसे कुछ विशेष खाना, पोलेन, खटमल और ऐसी अन्य चीजें।
  • अपने बच्चे को अधिक गर्म पानी से नहलाने से बचें, क्योंकि इससे रैश और भी बढ़ सकता है।
  • खुशबूरहित लोशन या क्रीम से अपने बच्चे की त्वचा को मोइश्चराइज़ करते रहें।
  • आसपास के वातावरण से तनाव पैदा करने वाली चीजों को हटाकर बच्चे को शांत और रहने में मदद करें।
  • इन्हें ज्यादा गर्मी से बचाएं, क्योंकि अत्यधिक गर्मी और पसीने से एक्जिमा बढ़ सकता है।

याद रखने वाली बातें

माता पिता होने के नाते अपने बच्चे को इस परिस्थिति से निपटने और एक आरामदायक जिंदगी पाने में मदद करने के लिए यहाँ पर कुछ बातें दी गई हैं, जिनका आप को ध्यान रखना चाहिए: 

  • उनकी पर्सनल हाइजीन को अच्छा बनाए रखें। उन्हें नियमित रूप से स्नान कराएं और दिन में कम से कम 2 बार उनके कपड़े बदलें।
  • उनके नाखून को काट कर छोटा करते रहें, जिससे वह खुजलाते समय अपनी त्वचा को नुकसान न पहुंचा सके।
  • आप खुजली से इनके ध्यान को भटकाने की कोशिश करें। इसके लिए आप इनके चेहरे, पीठ और पैरों पर मसाज कर सकते हैं, जिससे इन्हें अच्छी नींद आ सके।
  • एक गीले ठंडे कपड़े या  सूती कपड़े में लिपटे एक आइस पैक को रैश पर रखें, इससे उन्हें खुजली से राहत मिलेगी।
  • खुजली वाली त्वचा को प्योर कॉटन या कॉटन ब्लेंड के कपड़ों से बनी ढीली पट्टियों में लपेट सकते हैं, इसके लिए उनी या सिंथेटिक कपड़ों का इस्तेमाल ना करें।

इन सभी सावधानियों के अलावा यह बहुत जरूरी है, कि आपका बच्चा एक संतुलित आहार ले, जिसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, चमकीले रंगों वाले फल, कुछ खास नट्स, साबुत अनाज और ऐसी अन्य चीजें शामिल हों। इसमें कोई शक नहीं है, कि सहयोग और पोषण के साथ आपका बच्चा एक्जिमा के साथ भी एक स्वस्थ और आरामदायक जीवन जी सकता है। 

यह भी पढ़ें:

बच्चों में हेपेटाइटिस
बच्चों में बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन
बच्चों में टीबी (क्षय रोग) – कारण, निदान और उपचार

पूजा ठाकुर

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

1 day ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

1 day ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

1 day ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago