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गर्मियों में बाहर चाहे कितनी भी तेज धूप हो लेकिन बच्चों को हर समय घर में रखना लगभग असंभव होता है। गर्मी की छुट्टियां लगने पर स्कूल और होमवर्क से ब्रेक मिलने के बाद बच्चे पूरा दिन सिर्फ खेलना ही तो चाहते हैं। पर एक माता-पिता होने के नाते जाहिर है आपको विशेषकर इस चिलचिलाती धूप में अपने बच्चे के स्वास्थ्य की चिंता होगी। गर्मियों में अक्सर बच्चों को बहुत पसीना आता है, उनकी भूख कम हो जाती है और साथ ही इन दिनों में बच्चों को एलर्जी व बीमारियां भी हो सकती हैं, इनमें ‘हीट स्ट्रोक’ यानी ’लू लगना’ भी एक गंभीर समस्या है।
हीटस्ट्रोक यानी लू लगना – यदि आप गर्मियों में ज्यादा देर तक धूप में रहती हैं तो आपको हीटस्ट्रोक की समस्या हो सकती है। यह शरीर का तापमान बढ़ने की वजह से होता है। सामान्य तौर पर हमारा शरीर बाहरी तापमान के अनुसार अपने तापमान को घटा और बढ़ा सकता है। इसलिए अक्सर गर्मियों में हमें पसीना आता है (शरीर को ठंडक देने के लिए) और ठंड में हम ज्यादा खाते हैं (क्योंकि पाचन क्रिया की मदद से शरीर को गर्माहट मिलती है)। हालांकि यदि बाहरी वातावरण का तापमान बहुत ज्यादा है तो हमारा शरीर इसे सहन नहीं कर पाता है। इसलिए यदि आप गर्मियों की दोपहर में कहीं बाहर जाती हैं तो आपका शरीर प्राकृतिक रूप से बाहरी तापमान के अनुकूल नहीं हो पाता है।
बच्चे को हीटस्ट्रोक की समस्या होने से पहले उसमें निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं, आइए जानें;
हीटस्ट्रोक एक गंभीर समस्या है जिसमें तुरंत इलाज कराने की जरूरत होती है। हालांकि यदि आपके बच्चे को यह समस्या होती है तो आपके लिए इसके लक्षण जानना बहुत जरूरी है ताकि आप इसका इलाज करवा सकें। बच्चे में हीटस्ट्रोक के निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं;
गर्मी के मौसम में अक्सर बहुत ज्यादा पसीना आता है पर यदि आपका बच्चा हीटस्ट्रोक से ग्रसित है तो उसे पसीना नहीं आएगा। हीटस्ट्रोक होने पर यह लक्षण सबसे पहले और बहुत सरलता से दिखाई देता है।
हीटस्ट्रोक की वजह से बच्चा तेज और गहरी सांसे लेता है।
हीटस्ट्रोक की वजह से सबसे पहले प्रभाव बच्चों की त्वचा पर पड़ता है। इस समस्या से त्वचा लाल और गर्म हो जाती है व सूख भी सकती है।
यदि आपका बच्चा हीटस्ट्रोक से ग्रसित है तो वह कंफ्यूज हो सकता है, उसका सिर चकरा सकता है और इस समस्या के कारण बच्चे को समझ नहीं आता है कि उसे क्या करना है और कहाँ जाना है। बहुत दुर्लभ मामलों में बच्चा बुलाने या पूछने पर कोई भी जवाब नहीं देता है।
हीटस्ट्रोक की वजह से बच्चे को अचानक गंभीर अटैक भी आ सकता है जिससे शरीर में मरोड़ आ सकती है या ऐंठन भी हो सकती है
यदि बच्चा हीटस्ट्रोक से ग्रसित है तो वह बेहोश भी हो सकता है।
यदि आपके बच्चे को हीटस्ट्रोक की समस्या होती है तो इसका इलाज करवाना भी जरूरी है। आमतौर पर हीटस्ट्रोक से ग्रसित मरीज को डॉक्टर हॉस्पिटल में एडमिट करने के लिए कहते हैं पर ऐसा हमेशा नहीं होता है। आप अपने बच्चे के लिए भी सबसे पहले एम्बुलेंस बुलाना चाहेंगी। एम्बुलेंस आने तक बच्चे को आराम देने के लिए निम्नलिखित चीजें कर सकती हैं, आइए जानें;
वैसे आप सोच रही होंगी कि बर्फ से तो शरीर का तापमान बहुत जल्दी कम हो सकता है। वास्तव में हीटस्ट्रोक के प्रभाव को कम करने के लिए अक्सर फर्स्ट एड के तौर पर इसकी सलाह दी जाती है। हालांकि शिशुओं और बच्चों के लिए हीटस्ट्रोक कम करने के लिए बर्फ का उपयोग करना हानिकारक हो सकता है। क्योंकि उनका शरीर तापमान में हुई इस अचानक और तीव्र गिरावट को सहन नहीं कर पाता है और यह उनके लिए घातक हो सकता है। इसलिए आप अपने बच्चे में हीटस्ट्रोक के प्रभाव को कम करने के लिए बर्फ का कतई उपयोग न करें।
यह जानना जरूरी है कि शिशुओं, बच्चों और बुजुर्गों को हीटस्ट्रोक और गर्मी से संबंधित अन्य समस्याओं से ज्यादा खतरा होता है, जैसे डिहाइड्रेशन, सिर चकराना इत्यादि। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनका शरीर गर्मी को उतना सहन नहीं कर पाता है जितना कि एक आम वयस्क कर लेता है। इसलिए किसी भी स्थिति में हीटस्ट्रोक से बचना बहुत जरूरी है।
यहाँ कुछ तरीके बताए गए हैं जिनकी मदद से आप खुद को और अपने बच्चे को हीटस्ट्रोक से बचा सकती हैं, आइए जानें;
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