अपने नन्हे से बच्चे के साथ कुछ पल बिता कर आप तनावमुक्त महसूस कर सकते हैं। लेकिन आपका छोटा सा बच्चा भी हाइपरटेंशन से ग्रस्त हो सकता है। यह बात डरावनी है, लेकिन दुर्भाग्य से सच है! बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर माता-पिता के लिए चिंता का कारण हो सकता है। लेकिन इस समस्या से दूर भागना कोई समाधान नहीं है। बच्चों में हाइपरटेंशन के बारे में जरूरी सभी जानकारी इस लेख में दी गई है। 

ब्लड प्रेशर क्या होता है?

यह वो दबाव होता है, जो आपका खून आर्टरीज की दीवारों पर हर बार हृदय के द्वारा खून पंप करने पर डालता है, क्योंकि शरीर के सभी अंगों में खून दौड़ता है। हृदय के पंपिंग एक्शन से ब्लड प्रेशर पैदा होता है। तनाव, एंग्जायटी और थकाने वाली गतिविधियां ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकती हैं। 

ब्लड प्रेशर को कैसे मापें?

ब्लड प्रेशर को एक आर्म कफ के द्वारा मापा जाता है, जिसमें हवा भरी जाती है और एक गौज के द्वारा दबाव को मापा जाता है। ब्लड प्रेशर को मॉनिटर करने के लिए ब्लड प्रेशर को पढ़ना आना जरूरी है। पहला, ऊंचा या ऊपर के अंक दिल के धड़कने पर आर्टरीज में दबाव को मापते हैं और इसे सिस्टोलिक प्रेशर कहा जाता है। निचली रीडिंग धड़कनों के बीच आर्टरीज में दबाव को मापती है और इसे डायस्टोलिक प्रेशर कहा जाता है। 

बच्चे के लिए सामान्य ब्लड प्रेशर क्या होता है?

बच्चे के लिए नॉर्मल ब्लड प्रेशर को तीन फैक्टर के आधार पर मापा जाता है – आयु, लिंग और वजन। एक नवजात शिशु में 64/41 के ब्लड प्रेशर को सामान्य माना जाता है। एक महीने से लेकर दो वर्ष के बच्चे के लिए 95/58 को सामान्य माना जाता है। ब्लड प्रेशर चार्ट उपलब्ध होते हैं, जिनके इस्तेमाल से हाइपरटेंशन को देखा जाता है। इन अंकों में भिन्नता होना सामान्य है। अगर तीन बार जांच करने के बाद रीडिंग ऊंची आती है, तो डॉक्टर यह मान लेते हैं, कि आपका बच्चा हाइपरटेंशन से ग्रस्त है और डॉक्टर नियमित रूप से इसे मॉनिटर करने की सलाह देते हैं। 

हाई ब्लड प्रेशर क्या होता है?

सामान्य स्थिति में हृदय ब्लड वेसल्स के द्वारा पूरे शरीर में खून को पंप करता है, जो कि खून के प्रवाह को रेगुलेट और मेंटेन करने के लिए फैलते और सिकुड़ते रहते हैं। जब खून ब्लड वेसल्स पर अधिक दबाव डालता है, जिससे वेसेल्स, हृदय और अन्य अंग डैमेज हो जाते हैं, तो इसे हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है। हाइपरटेंशन का अर्थ होता है आयु, वजन और कद के अनुसार 95% से अधिक हाई ब्लड प्रेशर होना। 

बच्चों में हाइपरटेंशन के कारण

आनुवांशिक स्वरूप या प्राइमरी हाइपरटेंशन हाई ब्लड प्रेशर के लिए सबसे आम कारण होते हैं। अधिक वजन वाले और मोटापे से ग्रस्त बच्चों और किशोरों में यह आम बात होती है। प्राइमरी हाइपरटेंशन का कारण अज्ञात है। किडनी के फंक्शन में असामान्यता, किडनी की आर्टरीज का संकरा हो जाना, हृदय की जन्मजात बीमारियां, एड्रेनल ग्लैंड का दुर्लभ ट्यूमर हाई ब्लड प्रेशर के कुछ अन्य कारण हैं। ये रूप सेकेंडरी हाइपरटेंशन कहे जाते हैं, क्योंकि इनके पीछे के छिपे हुए कारणों का पता लगाया जा सकता है। 

बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण

बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण हमेशा नजर नहीं आते हैं, लेकिन ये निम्नलिखित तरीकों से प्रकट हो सकते हैं: 

  • त्वचा का नीला पड़ना
  • सांस लेने में दिक्कत
  • धीमा विकास और वजन का बहुत कम बढ़ना
  • बार-बार होने वाला यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन
  • थकान और फीकापन

बच्चों में हाइपरटेंशन की पहचान

अगर आपका बच्चा 3 रीडिंग के बाद हाइपरटेंशन से ग्रस्त पाया जाता है, तो आपके डॉक्टर नीचे दिए गए टेस्ट कर सकते हैं, ताकि इसके पीछे के किन्हीं छिपे कारणों से ब्लड प्रेशर के बढ़ने का पता लगाया जा सके। 

  • शुगर लेवल, किडनी फंक्शन और ब्लड सेल काउंट को चेक करने के लिए ब्लड टेस्ट
  • यूरिन टेस्ट
  • इकोकार्डियोग्राम – बच्चे के हृदय में जाने वाले खून के प्रवाह को चेक करने के लिए किया जाने वाला टेस्ट, ताकि हाइपरटेंशन के पीछे हृदय की किसी संभावित स्ट्रक्चरल समस्या की मौजूदगी का पता लगाया जा सके
  • किडनी का अल्ट्रासाउंड

अगर आपके बच्चे का ब्लड प्रेशर एक साल से अधिक समय के लिए बढ़ा हुआ रहता है या तीन क्लीनिकल विजिट से अधिक समय तक उसे स्टेज-1 हाइपरटेंशन रहता है, तो डॉक्टर ब्लड प्रेशर की एम्बुलेटरी मॉनिटरिंग करने की सलाह देंगे। ऐसे मामले में बच्चे को एक उपकरण पहनाया जाता है, जो कि पूरे दिन उसके ब्लड प्रेशर को मापता रहता है। इसकी मदद से यह पता लगाया जा सकता है, कि क्या कुछ टेंपरेरी कारणों से बच्चे का ब्लड प्रेशर हाय रहता है या नहीं, जैसे डॉक्टर की मौजूदगी के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ जाना। 

हाइपरटेंशन के प्रकार

अगर तीन अलग-अलग रीडिंग के आधार पर औसतन सिस्टोलिक या डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 95वें परसेंटाइल या उससे अधिक पाया जाता है, तो इसे हाइपरटेंशन कहा जाता है। जांच के बाद इवैल्यूएशन और ट्रीटमेंट के लिए इसे नीचे दिए आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:

  • नॉर्मल: 90वें परसेंटाइल से नीचे की रीडिंग को सामान्य माना जाता है।
  • प्री हाइपरटेंशन: 90 से <95 परसेंटाइल या > या = 120/80 एमएम एचजी + के बीच की रीडिंग को हाइपरटेंशन कहा जाता है।
  • स्टेज वन हाइपरटेंशन: 95 से 99 परसेंटाइल के साथ 5 एमएम एचजी के बीच की रीडिंग को स्टेज-1 हाइपरटेंशन कहा जाता है।
  • स्टेज टू हाइपरटेंशन: एक रीडिंग > 99 परसेंटाइल के साथ 500 एचजी को स्टेज-2 हाइपरटेंशन कहा जाता है।

*कृपया नोट कीजिए, यह वर्गीकरण तीन अलग-अलग अवसरों पर मापे गए लिंग, आयु, ऊंचाई और वजन पर आधारित हैं। 

+ अगर 120/80 एमएम एचजी 95 परसेंटाइल या इससे अधिक में हों, तब इसे हाइपरटेंशन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। 

बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के खतरे और कॉम्प्लिकेशन

यहां पर बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के कुछ खतरे और कॉम्प्लिकेशंस दिए गए हैं: 

  • हाई ब्लड प्रेशर हृदय पर कार्य के भार को बढ़ा देता है। हाई ब्लड प्रेशर के बीच खून को दबाने से हृदय के पंपिंग चेंबर बड़े और मोटे हो जाते हैं।
  • हृदय का बायां हिस्सा बड़ा और मोटा हो सकता है, जिसके कारण लेफ्ट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी के कारण हार्ट अटैक हो सकता है।
  • किडनी की आर्टरीज डैमेज हो सकती हैं। ये संकरी हो सकती हैं और किडनी की ओर जाने वाला ब्लड सप्लाई कम हो सकता है, जिससे किडनी के फंक्शन को नुकसान हो सकता है।

  • मस्तिष्क तक खून पहुंचाने वाली आर्टरीज दीवारों के कमजोर होने के कारण डैमेज हो सकती हैं, जिसके कारण ब्लीडिंग और स्ट्रोक हो सकता है।
  • आर्टिरीज के संकरे और ट्विस्ट हो जाने के कारण, आंख को नुकसान हो सकता है और दृष्टि स्थाई रूप से जा सकती है।

बच्चों में हाइपरटेंशन का इलाज कैसे होता है?

हाइपरटेंशन के इलाज के लिए ट्रीटमेंट प्लान तैयार करने के लिए अपने बच्चे के साथ मिलकर काम करें। यहां पर इसके लिए कुछ निर्देश दिए गए हैं:

1. डाइट प्लान

आहार में फैट और सेचुरेटेड फैट की मात्रा कम करके, फल, सब्जियों और साबुत अनाजों का इस्तेमाल ज्यादा करें। नमक के सेवन को कम करने और खाने में विविधता लाने पर ध्यान दें। 

2. वजन पर नियंत्रण

मोटापे के कारण हाइपरटेंशन का खतरा बढ़ सकता है। अपने बच्चे को नियमित एक्सरसाइज और उचित आहार लेने को कहें, ताकि वजन नियंत्रित हो सके। 

3. सिगरेट से दूरी

पैसिव स्मोकिंग से आपके बच्चे में हाई ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, इसलिए इससे बचना जरूरी है। 

4. दवाएं

अगर जीवन शैली में बदलाव करने से मदद नहीं मिलती है, तो आपके डॉक्टर नीचे दी गई कुछ दवाओं का एक कॉम्बिनेशन प्रिसक्राइब कर सकते हैं:

क. अतिरिक्त सोडियम को हटा कर खून में फ्लुइड की मात्रा को कम करने के लिए ड्यूरेटिक।
ख. अल्फा-ब्लॉकर्स, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स, ब्लड वेसल को टाइटनिंग से बचाने के लिए।
ग. शरीर को एड्रेनालाईन नामक स्ट्रेस हार्मोन बनाने से बचाने के लिए बेटा-ब्लॉकर्स। 

हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त बच्चे की मदद के लिए कुछ टिप्स

  • टीवी देखने में और गैजेट का इस्तेमाल करने में बिताए जाने वाले समय को कम करना।
  • खाने में नमक और तले हुए भोजन को कम कर के खानपान में बदलाव करना।
  • हर दिन कुछ देर के लिए बच्चे को एक्सरसाइज करने के लिए कहना।
  • डॉक्टर द्वारा रेकमेंड किए अनुसार बच्चे के ब्लड प्रेशर की नियमित जांच कराना।

बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर से कैसे बचा जा सकता है?

प्राइमरी हाइपरटेंशन अनुवांशिक कारणों से हो सकता है, लेकिन हाई ब्लड प्रेशर से बचाव का प्रयास निश्चित रूप से किया जा सकता है। आपका बच्चा टीवी देखने में और बिजली से चलने वाले अन्य उपकरणों के इस्तेमाल में कितना समय बिताता है, इस पर ध्यान दें और इसे कम करें। उनके खानपान पर नजर रखें और उसे प्रोसेस्ड और तले हुए खाद्य पदार्थ देने से बचें। नियमित एक्सरसाइज के द्वारा वजन को नियंत्रित रखने की कोशिश करें। डॉक्टर से रूटीन विजिट के द्वारा बच्चे के ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन चार्ट के द्वारा मॉनिटर करने में मदद मिलेगी और किसी तरह की अनियमितता का पता तुरंत चल पाएगा। 

अपने बच्चे और डॉक्टर के साथ मिलजुल कर ध्यान से काम करके और एक व्यापक हेल्थ प्लान तैयार करके, आप निश्चित रूप से इस पर नजर भी रख सकते हैं और इसे रेगुलेट भी कर सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन जीने में अपने बच्चे की मदद भी कर सकते हैं। 

यह भी पढ़ें: 

बच्चों में मानसिक विकार
बच्चों में माइग्रेन की समस्या
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पूजा ठाकुर

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