बच्चों में त्वचा संबंधी परेशानियां आम होती हैं। न केवल उनकी नाजुक त्वचा के कारण, बल्कि स्कूल और प्ले-ग्राउंड में वायरस और बैक्टीरिया के बार-बार संपर्क में आने के कारण भी ऐसा होता है। इंपीटिगो त्वचा की एक ऐसी ही स्थिति है, जिसमें त्वचा पर घाव हो जाते हैं। 

इंपीटिगो या इन्फेंटिगो क्या है?

इंपीटिगो या इन्फेंटिगो, जिसे स्कूल सोर्स के नाम से भी जाना जाता है, स्टेफिलोकोकस ऑरियस या स्ट्रेप्टोकोकस पायोजेनेस बैक्टीरिया के कारण होने वाला स्किन का सबसे आम बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। यह बच्चों और बड़ों दोनों को ही प्रभावित कर सकता है। बच्चों में इंपीटिगो होने से लाल घाव या फोड़े हो जाते हैं, जो कि फट जाते हैं, उनकी त्वचा हट जाती है, तरल पदार्थ बहता है और कच्चे पैच बन जाते हैं, जो कि सूखकर भूरे-पीले या शहद के रंग की पपड़ी का रूप ले लेते हैं। ऐसे घाव नाक और मुंह के आसपास अधिक आम होते हैं, लेकिन ये शरीर में कहीं पर भी हो सकते हैं। 

क्या बच्चों में इंपीटिगो आम है?

इंपीटिगो आमतौर पर बच्चों में देखा जाता है। इसमें चेहरे पर लाल घाव हो जाते हैं, खासकर मुंह और नाक के आसपास। 2 से 5 वर्ष के बच्चे इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। 

इंपीटिगो का खतरा किसे होता है?

यह बीमारी किसी को भी प्रभावित कर सकती है, लेकिन यह वयस्कों में अधिक आम नहीं है। एक नवजात शिशु जिसका इम्यून सिस्टम कमजोर हो, उसे इन्फेंटिगो के संक्रमण का खतरा अधिक होता है। यह प्रीस्कूलर्स, स्कूल जाने वाले बच्चों और सोशली एक्टिव बच्चों के बीच अधिक देखा जाता है, क्योंकि वे फिजिकल गेम्स अधिक खेलते हैं और दूसरे बच्चों के शारीरिक संपर्क में अक्सर आते हैं। 

विभिन्न प्रकार के इंपीटिगो

इंपीटिगो को तीन प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है – नॉन-बुलस, बुलस और एचिमा। 

1. नॉन-बुलस इंपीटिगो

यह स्वभाव से संक्रामक होता है। यह नाक और मुंह के आसपास लाल फोड़ों के रूप में शुरू होता है, जो कि धीरे-धीरे फट जाते हैं। उनमें से फ्लूइड निकलता है और शहद के रंग जैसी पपड़ी बन जाती है। आमतौर पर ठीक होने के बाद इसका कोई निशान नहीं रहता है। इन घावों में बहुत अधिक दर्द नहीं होता है, लेकिन इससे इरिटेशन और असुविधा हो सकती है। प्रभावित जगह पर आप लिंफ नोड की सूजन महसूस कर सकते हैं। इस प्रकार के इंपीटिगो में आमतौर पर बुखार नहीं होता है। इस जगह को छूने से या खुजली करने से ये घाव शरीर के दूसरे हिस्सों में तुरंत फैल जाते हैं। 

2. बुलस इंपीटिगो

यह 2 साल से अधिक उम्र के बच्चों में आमतौर पर देखा जाता है। यह तरल पदार्थ से भरे छोटे फोड़ों के रूप में शुरू होता है, जो कि बाद में बड़े हो जाते हैं और जब ये फटते हैं, तो इसमें पीली पपड़ी बन जाती है। आमतौर पर ये बाहों, पैरों और शरीर के ऊपरी हिस्से में देखे जाते हैं। 

3. एचिमा

ऐसे मामलों में पस से भरे फोड़े अल्सर का रूप ले लेते हैं और डर्मिस – त्वचा की सबसे गहरी परत – तक पहुंच जाते हैं। जब ये फटते हैं, तब मोटे, सख्त, गहरे पीले रंग की पपड़ी में बदल जाते हैं और इनके निशान रह जाते हैं। प्रभावित क्षेत्रों में लिंफ नोड बन जाते हैं। 

कारण

चूंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, ऐसे में इंफेंटिगो से संक्रमित होने की संभावना बच्चों में अधिक होती है। यहां पर बच्चों में इंपीटिगो के कुछ कारण दिए गए हैं:

  • त्वचा पर कटने, छिलने, कीड़े के काटने या घाव होने पर बैक्टीरिया बच्चे को संक्रमित कर सकते हैं।
  • स्केबीज, एक्जिमा, बॉडी लाइस जैसी स्किन इन्फेक्शन की मौजूदगी के कारण बैक्टीरिया का हमला हो सकता है।
  • जुकाम के बाद एलर्जी के कारण नाक के अंदर की त्वचा कच्ची और नाजुक हो सकती है और उस पर बैक्टीरिया के हमला का खतरा हो सकता है।
  • संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से या संक्रमित व्यक्ति द्वारा छुई गई सतहों के संपर्क में आने से बीमारी फैल सकती है।
  • साफ-सफाई का ध्यान न रखने से और एक अस्वस्थ और गंदे वातावरण में रहने से इंपीटिगो के फैलने का खतरा होता है।
  • गर्म मौसम और नमी युक्त हवा वाले वातावरण में रहने वाले लोगों में इंपीटिगो से प्रभावित होने का खतरा अधिक होता है।
  • प्रभावित जगह पर खुजली करने से ये शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाते हैं।

क्या इंपीटिगो संक्रामक है?

यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक बहुत ही जल्दी फैल जाती है। हालांकि यह हवा से नहीं फैलती है, लेकिन यह बहुत अधिक संक्रामक होती है और संक्रमित व्यक्ति के करीबी संपर्क में आने से फैलती है। यह संक्रमित व्यक्ति के खिलौने, कपड़े, तौलिए, चादर एवं अन्य चीजों को शेयर करने से भी फैल सकती है। खुजली करने से यह शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकती है। 

लक्षण

अगर आपको अपने बच्चे के इंपीटिगो से संक्रमित होने की चिंता सता रही है, तो यहां पर इसके कुछ लक्षण दिए गए हैं, जिन पर आप ध्यान दे सकती हैं:

1. नॉन-बुलस इंपीटिगो

  • विशेषकर नाक और मुंह के आसपास की त्वचा का लाल होना और कच्चापन दिखना।
  • तरल पदार्थों से भरे घाव, जो कि कुछ दिनों बाद फट जाते हैं और उनमें से पस और तरल पदार्थ निकलता है और पीली पपड़ी बन जाती है।
  • नाक और मुंह के आसपास पैच, जिन्हें छूने से या खुजली करने से शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकते हैं।

2. बुलस इंपीटिगो और एचिमा

  • रैश, जो कि परेशानी का कारण बन सकते हैं, लेकिन इनमें दर्द नहीं होता है।
  • लाल कच्चे क्षेत्र, जिनमें सूजन और खुजली हो सकती है।
  • इंपीटिगो में बच्चों के डायपर या ट्रंक एरिया में बड़े फोड़े बन सकते हैं।
  • एचिमा की स्थिति में जहां संक्रमण त्वचा की गहराई में चला जाता है, तो पस से भरे फोड़े बन जाते हैं, जो आगे चलकर अल्सर का रूप ले लेते हैं।
  • लिंफ नोड में सूजन।

बच्चों में इंपीटिगो की पहचान

बच्चों में प्रभावित जगह की सरल शारीरिक जांच के द्वारा इंपीटिगो की पहचान हो सकती है। डॉक्टर स्वास्थ्य की हिस्ट्री, लक्षण, हाल ही में कीड़ों के काटने, कटने, छिलने, रैश और संक्रमित बच्चों और उनकी सामग्री से संपर्क के बारे में पूछेंगे। 

यदि लक्षण गंभीर हों और बार-बार दिख रहे हों, या फिर बच्चे पर इलाज का कोई असर नहीं दिख रहा हो, तो आगे और जांच की जरूरत पड़ सकती है। प्रभावित जगह से पस का सैंपल लेकर त्वचा की किसी अन्य संक्रमण की मौजूदगी की जांच की जा सकती है। इसे कल्चर कहते हैं और इसकी मदद से डॉक्टर बच्चे के लिए जरूरी इलाज का फैसला कर पाएंगे। 

बच्चों में इंपीटिगो का इलाज कैसे किया जाता है?

कुछ सप्ताह में इंपीटिगो अपने आप ठीक हो सकते हैं। इसका इलाज बच्चे की उम्र, उसके स्वास्थ्य और लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। 

इसके इलाज में एंटीबायोटिक या एंटीमाइक्रोबॉयल ड्रग्स शामिल होते हैं, जिन्हें ठोस खुराक या प्रभावित क्षेत्रों में टॉपिकल क्रीम एप्लीकेशन के रूप में दिया जाता है, ताकि बीमारी जल्दी ठीक हो सके। आपको मेडिकेटेड साबुन या सैनिटाइजर और गुनगुने पानी के साथ उसकी प्रभावित जगह को साफ करने की जरूरत होगी। पपड़ी के ऊपर और आसपास की त्वचा को हल्के हाथों से साफ करें, ताकि एंटीमाइक्रोबॉयल मरहम त्वचा की गहराई तक जा सके। इस दौरान आप ग्लव्स का इस्तेमाल कर सकती हैं। प्रभावित जगह को हाथ लगाने से पहले और बाद, अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं, ताकि बीमारी के फैलने से बचाव हो सके। इस बात का ध्यान रखें, कि बीमारी में आराम दिखने के बावजूद, बच्चा दवा के कोर्स को पूरा करे, वरना यह बीमारी दोबारा परेशान कर सकती है। 

जब तक बच्चा ठीक नहीं हो जाता, आमतौर पर इलाज की शुरुआत के 24 से 48 घंटों के बाद, आपको बच्चे को घर पर रखने और स्कूल, डे केयर और खेलकूद से दूर रखने की सलाह दी जाती है, ताकि दूसरे बच्चे संक्रमित ना हों। 

शरीर के दूसरे हिस्सों में बीमारी को फैलने से रोकने के लिए साफ सफाई का उचित ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इंपीटिगो संक्रामक होता है, इसलिए आपको अपने बच्चे को संक्रमित व्यक्ति से दूर रखना चाहिए। वर्तमान में इस बीमारी के प्रति इम्यूनाइजेशन के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। 

घरेलू उपचार

आपको इस बात का ध्यान रखना होगा, कि आपके बच्चे से दूसरे बच्चों में यह संक्रमण न फैले या उसकी खुद की स्थिति बदतर ना हो। नीचे दी गई होम रेमेडीज जल्द इलाज में मदद कर सकती हैं: 

  • इस बात का ध्यान रखें, कि बच्चा प्रभावित जगह को हाथ न लगाएं या खुजली न करें। यदि जरूरी हो, तो उसके आसपास साफ ड्रेसिंग बैंडेज को ढीला लपेट दें। शिशुओं के मामले में उनके हाथों को मिटेंस से कवर कर दें। आपको इस बात का ध्यान रखना होगा, कि बच्चे घाव को छुए नहीं। उनके नाखूनों को छोटा रखें, ताकि वे खुजली न कर सकें और यह संक्रमण न फैले।
  • उसके कपड़ों, चादर, खिलौनों, तौलिए आदि को धोएं और डिसइनफेक्ट करें और उन्हें शेयर करने से बचें।
  • जब तक बच्चा पूरी तरह से ठीक न हो जाए, तब तक उसे दूसरे बच्चों से अलग रखें, ताकि परिवार के दूसरे सदस्यों में यह न फैले।

जटिलताएं

बच्चे इंपीटिगो के प्रमुख शिकार के साथ-साथ इसके वाहक भी होते हैं। कुछ बच्चों में इस संक्रमण के कारण जटिलताएं भी पैदा हो सकती हैं:

  • पोस्ट स्ट्रेप्टोकोकस ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस नामक किडनी की एक गंभीर बीमारी, इंपीटिगो के कारण होने वाली सबसे गंभीर जटिलता होती है।
  • शरीर के दूसरे हिस्सों में संक्रमण का फैलना और बिगड़ना।
  • निशान – इंपीटिगो के प्रकार एचिमा के साथ यह आम होता है।

अपने बच्चे को दोबारा इंपीटिगो होने से कैसे बचाएं?

बच्चे में इंपीटिगो दोबारा होने के कई कारण हो सकते हैं:

  • इसका सबसे आम कारण होता है अधूरा इलाज या रिकमेंडेड एंटीबायोटिक का कोर्स पूरा न करना। यह जरूरी है, कि शारीरिक सुधार दिखने के बावजूद आपका बच्चा दिए गए इलाज को पूरा करे।
  • इंपीटिगो के संक्रमण के दौरान बच्चे के संपर्क में आने वाली सभी सामग्रियों को डिसइनफेक्ट करें। संक्रमण को पूरी तरह से खत्म करने में साफ-सफाई एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • चूंकि यह बीमारी बहुत ही संक्रामक होती है और यह परिवार के सदस्यों और दूसरे बच्चों में आसानी से फैल सकती है, इसलिए संक्रमित व्यक्ति को दूसरों से अलग रखना बहुत जरूरी है, ताकि उसे दोबारा संक्रमित होने से बचाया जा सके।
  • जरूरत पड़ने पर परिवार के सभी सदस्यों के स्वैब सैंपल चेक करवाएं, ताकि बार-बार संक्रमण होने के कारण का पता चल सके और पूरे परिवार को उचित इलाज मिल सके। दोबारा जांच करवाने से संक्रमण के पूरी तरह से खत्म होने के बारे में जानकारी मिल सकती है।

बच्चे से दूसरों तक संक्रमण को फैलने से कैसे रोकें?

साफ-सफाई और हाइजीन के मामले में कुछ बेसिक बातों का ध्यान रखें। इससे दूसरों तक संक्रमण फैलने के साथ-साथ संक्रमित बच्चे का भी स्थिति के बिगड़ने से बचाव हो सकता है:

  • उसे दूसरे बच्चों और परिवार के सदस्यों से अलग रखें, क्योंकि इंपीटिगो बहुत आसानी से फैल सकता है।
  • दूसरों तक संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए, किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित बच्चे के कपड़े, खिलौने, चादर, तौलिए आदि का इस्तेमाल न करने दें।
  • इंपीटिगो के संक्रमण के दौरान बच्चे के संपर्क में आने वाली हर चीज को डिसइनफेक्ट करें।
  • बच्चे के नाखूनों को छोटा रखें, ताकि वह खुजली न कर सके और शरीर के दूसरे हिस्सों में संक्रमण फैल न सके।
  • घाव पर एक ढीली और साफ बैंडेज लपेट दें, ताकि बच्चा उस जगह को बार-बार हाथ न लगाए।

क्या मैं अपने बच्चे को इंपीटिगो के बार-बार संक्रमण से बचा सकती हूं?

अगर आपके बच्चे को इंपीटिगो बार-बार हो रहा है, तो आपको इसके सोर्स का पता लगाने की जरूरत है। यहां पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिनसे आप अपने बच्चे में इंपीटिगो के बार-बार होने वाले हमले को रोक सकते हैं:

  • पूरे परिवार के या बच्चे के लगातार संपर्क में आने वाले लोगों के स्वैब सैंपल लें और संक्रमण के सोर्स का पता लगाएं। स्थिति के अनुसार इलाज कराएं।
  • इस बात का ध्यान रखें, कि स्थिति में सुधार दिखने के बावजूद, आपका बच्चा इलाज के कोर्स को पूरा करे, इससे यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाएगी और दोबारा नहीं होगी।
  • साफ-सफाई बहुत जरूरी है। संक्रमण के दौरान बच्चे के संपर्क में आने वाली हर चीज को डिसइनफेक्ट करें।

इंपीटिगो एक संक्रामक बीमारी है, जो कि बच्चों में आम होती है। साफ-सफाई का उचित ध्यान रख कर इस बीमारी से बचा जा सकता है और यदि संक्रमण हो चुका है, तो जल्द इलाज होने में मदद मिलती है। 

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पूजा ठाकुर

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