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बच्चों में त्वचा संबंधी परेशानियां आम होती हैं। न केवल उनकी नाजुक त्वचा के कारण, बल्कि स्कूल और प्ले-ग्राउंड में वायरस और बैक्टीरिया के बार-बार संपर्क में आने के कारण भी ऐसा होता है। इंपीटिगो त्वचा की एक ऐसी ही स्थिति है, जिसमें त्वचा पर घाव हो जाते हैं।
इंपीटिगो या इन्फेंटिगो, जिसे स्कूल सोर्स के नाम से भी जाना जाता है, स्टेफिलोकोकस ऑरियस या स्ट्रेप्टोकोकस पायोजेनेस बैक्टीरिया के कारण होने वाला स्किन का सबसे आम बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। यह बच्चों और बड़ों दोनों को ही प्रभावित कर सकता है। बच्चों में इंपीटिगो होने से लाल घाव या फोड़े हो जाते हैं, जो कि फट जाते हैं, उनकी त्वचा हट जाती है, तरल पदार्थ बहता है और कच्चे पैच बन जाते हैं, जो कि सूखकर भूरे-पीले या शहद के रंग की पपड़ी का रूप ले लेते हैं। ऐसे घाव नाक और मुंह के आसपास अधिक आम होते हैं, लेकिन ये शरीर में कहीं पर भी हो सकते हैं।
इंपीटिगो आमतौर पर बच्चों में देखा जाता है। इसमें चेहरे पर लाल घाव हो जाते हैं, खासकर मुंह और नाक के आसपास। 2 से 5 वर्ष के बच्चे इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
यह बीमारी किसी को भी प्रभावित कर सकती है, लेकिन यह वयस्कों में अधिक आम नहीं है। एक नवजात शिशु जिसका इम्यून सिस्टम कमजोर हो, उसे इन्फेंटिगो के संक्रमण का खतरा अधिक होता है। यह प्रीस्कूलर्स, स्कूल जाने वाले बच्चों और सोशली एक्टिव बच्चों के बीच अधिक देखा जाता है, क्योंकि वे फिजिकल गेम्स अधिक खेलते हैं और दूसरे बच्चों के शारीरिक संपर्क में अक्सर आते हैं।
इंपीटिगो को तीन प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है – नॉन-बुलस, बुलस और एचिमा।
यह स्वभाव से संक्रामक होता है। यह नाक और मुंह के आसपास लाल फोड़ों के रूप में शुरू होता है, जो कि धीरे-धीरे फट जाते हैं। उनमें से फ्लूइड निकलता है और शहद के रंग जैसी पपड़ी बन जाती है। आमतौर पर ठीक होने के बाद इसका कोई निशान नहीं रहता है। इन घावों में बहुत अधिक दर्द नहीं होता है, लेकिन इससे इरिटेशन और असुविधा हो सकती है। प्रभावित जगह पर आप लिंफ नोड की सूजन महसूस कर सकते हैं। इस प्रकार के इंपीटिगो में आमतौर पर बुखार नहीं होता है। इस जगह को छूने से या खुजली करने से ये घाव शरीर के दूसरे हिस्सों में तुरंत फैल जाते हैं।
यह 2 साल से अधिक उम्र के बच्चों में आमतौर पर देखा जाता है। यह तरल पदार्थ से भरे छोटे फोड़ों के रूप में शुरू होता है, जो कि बाद में बड़े हो जाते हैं और जब ये फटते हैं, तो इसमें पीली पपड़ी बन जाती है। आमतौर पर ये बाहों, पैरों और शरीर के ऊपरी हिस्से में देखे जाते हैं।
ऐसे मामलों में पस से भरे फोड़े अल्सर का रूप ले लेते हैं और डर्मिस – त्वचा की सबसे गहरी परत – तक पहुंच जाते हैं। जब ये फटते हैं, तब मोटे, सख्त, गहरे पीले रंग की पपड़ी में बदल जाते हैं और इनके निशान रह जाते हैं। प्रभावित क्षेत्रों में लिंफ नोड बन जाते हैं।
चूंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, ऐसे में इंफेंटिगो से संक्रमित होने की संभावना बच्चों में अधिक होती है। यहां पर बच्चों में इंपीटिगो के कुछ कारण दिए गए हैं:
यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक बहुत ही जल्दी फैल जाती है। हालांकि यह हवा से नहीं फैलती है, लेकिन यह बहुत अधिक संक्रामक होती है और संक्रमित व्यक्ति के करीबी संपर्क में आने से फैलती है। यह संक्रमित व्यक्ति के खिलौने, कपड़े, तौलिए, चादर एवं अन्य चीजों को शेयर करने से भी फैल सकती है। खुजली करने से यह शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकती है।
अगर आपको अपने बच्चे के इंपीटिगो से संक्रमित होने की चिंता सता रही है, तो यहां पर इसके कुछ लक्षण दिए गए हैं, जिन पर आप ध्यान दे सकती हैं:
बच्चों में प्रभावित जगह की सरल शारीरिक जांच के द्वारा इंपीटिगो की पहचान हो सकती है। डॉक्टर स्वास्थ्य की हिस्ट्री, लक्षण, हाल ही में कीड़ों के काटने, कटने, छिलने, रैश और संक्रमित बच्चों और उनकी सामग्री से संपर्क के बारे में पूछेंगे।
यदि लक्षण गंभीर हों और बार-बार दिख रहे हों, या फिर बच्चे पर इलाज का कोई असर नहीं दिख रहा हो, तो आगे और जांच की जरूरत पड़ सकती है। प्रभावित जगह से पस का सैंपल लेकर त्वचा की किसी अन्य संक्रमण की मौजूदगी की जांच की जा सकती है। इसे कल्चर कहते हैं और इसकी मदद से डॉक्टर बच्चे के लिए जरूरी इलाज का फैसला कर पाएंगे।
कुछ सप्ताह में इंपीटिगो अपने आप ठीक हो सकते हैं। इसका इलाज बच्चे की उम्र, उसके स्वास्थ्य और लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है।
इसके इलाज में एंटीबायोटिक या एंटीमाइक्रोबॉयल ड्रग्स शामिल होते हैं, जिन्हें ठोस खुराक या प्रभावित क्षेत्रों में टॉपिकल क्रीम एप्लीकेशन के रूप में दिया जाता है, ताकि बीमारी जल्दी ठीक हो सके। आपको मेडिकेटेड साबुन या सैनिटाइजर और गुनगुने पानी के साथ उसकी प्रभावित जगह को साफ करने की जरूरत होगी। पपड़ी के ऊपर और आसपास की त्वचा को हल्के हाथों से साफ करें, ताकि एंटीमाइक्रोबॉयल मरहम त्वचा की गहराई तक जा सके। इस दौरान आप ग्लव्स का इस्तेमाल कर सकती हैं। प्रभावित जगह को हाथ लगाने से पहले और बाद, अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं, ताकि बीमारी के फैलने से बचाव हो सके। इस बात का ध्यान रखें, कि बीमारी में आराम दिखने के बावजूद, बच्चा दवा के कोर्स को पूरा करे, वरना यह बीमारी दोबारा परेशान कर सकती है।
जब तक बच्चा ठीक नहीं हो जाता, आमतौर पर इलाज की शुरुआत के 24 से 48 घंटों के बाद, आपको बच्चे को घर पर रखने और स्कूल, डे केयर और खेलकूद से दूर रखने की सलाह दी जाती है, ताकि दूसरे बच्चे संक्रमित ना हों।
शरीर के दूसरे हिस्सों में बीमारी को फैलने से रोकने के लिए साफ सफाई का उचित ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इंपीटिगो संक्रामक होता है, इसलिए आपको अपने बच्चे को संक्रमित व्यक्ति से दूर रखना चाहिए। वर्तमान में इस बीमारी के प्रति इम्यूनाइजेशन के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
आपको इस बात का ध्यान रखना होगा, कि आपके बच्चे से दूसरे बच्चों में यह संक्रमण न फैले या उसकी खुद की स्थिति बदतर ना हो। नीचे दी गई होम रेमेडीज जल्द इलाज में मदद कर सकती हैं:
बच्चे इंपीटिगो के प्रमुख शिकार के साथ-साथ इसके वाहक भी होते हैं। कुछ बच्चों में इस संक्रमण के कारण जटिलताएं भी पैदा हो सकती हैं:
बच्चे में इंपीटिगो दोबारा होने के कई कारण हो सकते हैं:
साफ-सफाई और हाइजीन के मामले में कुछ बेसिक बातों का ध्यान रखें। इससे दूसरों तक संक्रमण फैलने के साथ-साथ संक्रमित बच्चे का भी स्थिति के बिगड़ने से बचाव हो सकता है:
अगर आपके बच्चे को इंपीटिगो बार-बार हो रहा है, तो आपको इसके सोर्स का पता लगाने की जरूरत है। यहां पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिनसे आप अपने बच्चे में इंपीटिगो के बार-बार होने वाले हमले को रोक सकते हैं:
इंपीटिगो एक संक्रामक बीमारी है, जो कि बच्चों में आम होती है। साफ-सफाई का उचित ध्यान रख कर इस बीमारी से बचा जा सकता है और यदि संक्रमण हो चुका है, तो जल्द इलाज होने में मदद मिलती है।
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