शिशु

शिशुओं में जुकाम के कारण, इलाज और घरेलू उपचार

बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली अपरिपक्व होने के कारण उनमें बहुत तेजी से जुकाम की समस्या हो जाती है। यदि एक छोटा बच्चा जुकाम के लिए जिम्मेदार 200 वायरस में से किसी एक के संपर्क में भी आता है, तो उसे जुकाम हो सकता है। नवजात शिशु या शिशुओं के लिए, दवा का उपयोग करना आवश्यक होने तक उचित नहीं है। जब डॉक्टर दवा की सलाह न दें, आप जुकाम से ग्रसित अपने शिशु का इलाज करने के लिए इस लेख में दिए हुए घरेलू उपचारों की मदद ले सकती हैं।

बच्चों में जुकाम

बच्चों में जुकाम बहुत गंभीर समस्या नहीं है और आमतौर पर यह सभी बढ़ते बच्चों में देखा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चे 2 वर्ष के होने तक लगभग 8 से 10 बार जुकाम से ग्रसित हो सकते हैं। शिशु को दूध पीने में असहज और रातभर असुविधाजनक देखकर आपको तकलीफ होती ही होगी लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि आप अपने बच्चे की असहजता को कम करने के लिए कई कार्य कर सकती हैं।

फ्लू द्वारा जुकाम, एलेर्जी व अन्य बीमारी में कैसे अंतर करें?

जुकाम और फ्लू के बीच अंतर करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। यदि आपके बच्चे की बहती नाक के साथ स्पष्ट व साफ बलगम आता है, जो अगले हफ्तों में थोड़ा गाढ़ा हो सकता है तो आपके बच्चे को आम जुकाम है। यदि बच्चे को जुकाम के साथ बुखार आता है तो बुखार को पहले कम होने दें। यदि बुखार कम होने के बाद आपका बच्चा सक्रिय और चंचल है तो यह केवल जुकाम की समस्या है लेकिन अगर बुखार कम होने के बावजूद आपका शिशु बेचैन और कमजोर रहता है तो यह लक्षण संक्रामक फ्लू हो सकता है। इसके अलावा, यदि आपके बच्चे को बहती नाक के साथ खांसी है पर बुखार नहीं है, तो उसे सिर्फ जुकाम हो सकता है।

बच्चों में फ्लू या अन्य कोई बीमारी अचानक से ही आती है और संभवतः वह समस्या दस्त या उल्टी भी हो सकती है। दूसरी ओर, एलर्जी के लक्षण समान होते हैं, लेकिन इसमें अंतर करना आसान है। एलर्जी आपके बच्चे में बुखार का कारण नहीं होती है। बच्चों में एलर्जी के सामान्य लक्षण आँखों और नाक में खुजली और पानी निकलना है। बच्चा बारबार छींकता हैं, और त्वचा में खुजली के कारण चकत्ते विकसित हो जाते हैं। इसके अलावा, आप देखेंगी कि एलर्जी के मामले में, आपके बच्चे की नाक से निकलने वाला बलगम हमेशा स्पष्ट होता है और उसका रंग न तो बदलता है और न ही वह गाढ़ा होता है।

जुकाम के सामान्य कारण क्या हैं?

नवजात शिशुओं में जुकाम 200 या उससे भी ज्यादा विषाणुओं के कारण हो सकता है, लेकिन शिशुओं में सामान्य जुकाम के लिए जिम्मेदार राइनोवायरस होता है। जुकाम आमतौर पर नाक और गले को संक्रमित करता है। जुकामके बारे में दिलचस्प तथ्य यह है कि एक बार ठंड के विषाणु से संक्रमित होने पर, आपका बच्चा उन विषाणुओं से प्रतिरक्षित हो सकता है। ऐसे अनेक विषाणु जुकाम का कारण भी हो सकते हैं इसलिए आपका बच्चा 2 साल का होने तक इस समस्या से कई बार पीड़ित हो सकता है। चूंकि ठंड एक संक्रामक रोग है, यह आपके बच्चे के शरीर में अनेक माध्यम से प्रवेश कर सकता है:

  • हवा के माध्यम से: आमतौर पर जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता है, बात करता है या छींकता है, तो इससे विषाणु फैलने की संभावना हो सकती है।
  • स्पर्श के माध्यम से: जब एक संक्रमित व्यक्ति आपके बच्चे को छूता है, तो इससे भी शिशु के संक्रमित होने की संभावना हो सकती है।
  • संक्रमित सतहों के माध्यम से: आपका बच्चा, खिलौने या किसी अन्य सतह को छूकर भी संक्रमण के संपर्क में आ सकता है जहाँ पर विषाणु 2 घंटे या उससे अधिक समय तक रहते हैं।

आपका शिशु अपनी अपरिपक्व प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण जुकाम से जल्दी ही ग्रसित हो सकता है। इससे पीड़ित अन्य बच्चों के साथ मिलजुल कर रहने से आपके बच्चे को जुकाम होने का उच्च खतरा हो सकता है। हवा में परिवर्तन आपके शिशु को जुकाम के प्रति संवेदनशील बनाता है।

शिशुओं में जुकाम के संकेत और लक्षण

यदि आपका शिशु जुकाम से संक्रमित है तो आपको उसमें निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:

  • खांसी
  • गले में खराश
  • लाल आँखें
  • बहती नाक
  • कानों में दर्द
  • 101° F (38°C) तक बुखार
  • भूख न लगना
  • आँख के नीचे, सिर के पीछे और गर्दन पर सूजे हुए लिम्फ नोड्स

आपके बच्चे को भरी नाक के कारण बेचैनी हो सकती है और वह रात भर जाग सकता है, उसे स्तनपान करने में भी अधिक समस्या हो सकती है। चूंकि आपका शिशु अपनी नाक खुद साफ नहीं कर सकता है इसलिए आपको बलगम को साफ करने की आवश्यकता है। बलगम के कारण बच्चे को नाक से सांस लेना मुश्किल हो जाता और इससे बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है।

जुकाम के कारण आम समस्याएं

जुकाम की गंभीरता अनचाही समस्याओं का कारण बन सकती हैं:

  • जब जीवाणु या विषाणु कान के परदे के पीछे की जगह में प्रवेश करते हैं, तब कान के गंभीर संक्रमण होने की संभावना होती है।
  • कुछ मामलों में, जुकाम के कारण घरघराहट अधिक बढ़ जाती है। इसके अलावा क्या आपका बच्चा अस्थमा से पीड़ित है। जुकाम के दौरान अस्थमा से ग्रसित बच्चों में घरघराहट और ज्यादा बढ़ सकती है।
  • जुकाम साइनसाइटिस का कारण भी बन सकता है।
  • अन्य समस्याओं में न्युमोनिया, ब्रोंकियोलाइटिस और क्रुप (कर्कश खांसी) शामिल हैं।

जुकाम का इलाज

जुकाम को बहुत गंभीर उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। इसके लक्षणों और तकलीफ को कम करने के लिए आप कुछ सरल चीजें कर सकती हैं। यदि जुकाम गंभीर है और एक सप्ताह के बाद भी खत्म नहीं होता है, तो यह सुनिश्चित करने के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श लें कि चिंता की कोई बात नहीं है।

  • सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे को बहुत आराम मिले।
  • तय करें और अपने बच्चे को कुछ अतिरिक्त भोजन दें। यदि आपका शिशु फार्मूला दूध पीता है या ठोस पदार्थ खाता है, तो सुनिश्चित करें कि वह साथ बहुत सारा पानी भी पिए। आप उसे हाइड्रेटेड रखने के लिए विटामिन ‘सी’ से भरपूर फल या रस भी दे सकती हैं।
  • यदि आपका बच्चा 3 महीने और उससे अधिक का है, तो आप बुखार कम करने के लिए उसे पैरासिटामोल दे सकती हैं, लेकिन ऐसा करने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें, बच्चे को खुद से किसी भी हालत में न दें। कृपया डॉक्टर से परामर्श लिए बिना जुकाम के लिए कोई भी दवा न दें।
  • यदि बच्चे को नाक बंद होने की वजह से सांस लेने में मुश्किल होती है तो उसके सिर के नीचे दो नर्म तौलिए रखकर उसके सिर को थोड़ी ऊंचा रखें, तकिए के इस्तेमाल से बचें क्योंकि इससे बच्चे का दम घुट सकता है।
  • बलगम को हटाने के लिए अपने बच्चे की नाक को पोंछ लें। त्वचा में किसी भी प्रकार की जलन से बचने के लिए नाक के आसपास की त्वचा को मॉइस्चराइज करने के लिए एक हल्के पेट्रोलियम जेली का उपयोग करें।
  • यदि आपके शिशु को उसकी भरी हुई नाक के कारण दूध पीना मुश्किल हो रहा है, तो अपने डॉक्टर से बंद नाक को साफ करने के लिए नाक की सलाईन ड्राप को संरक्षित करने का अनुरोध करें।

  • सुनिश्चित करें कि आप बच्चे को कोई भी बाहरी उत्पाद जो घरेलू उपचार नहीं हैं, लगाने से पहले या उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

यदि आपके शिशु को जुकाम के कोई अन्य लक्षण के बिना सिर्फ बहती हुई नाक से तकलीफ है, तो बाहरी कणों को साफ करने के लिए उसकी नासिका छिद्रों की जांच करें।

बच्चों में जुकाम के लिए घरेलू उपचार

घरेलू उपचार कुछ मामलों में जादू की तरह काम करते हैं और यह बच्चों के साथसाथ बड़ों को भी खांसी और जुकाम से राहत दिलाते हैं। यहाँ कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं जो आपके बच्चे की मदद कर सकते हैं;

अतिरिक्त तरल पदार्थ

यदि आपका बच्चा 6 महीने से काम उम्र का है, तो सुनिश्चित करें कि आप उसे केवल स्तनपान कराएं और यदि वह 6 महीने से अधिक का है, तो उसे विटामिन ‘सी’ युक्त फल, घर में निकाला गया रस और पर्याप्त मात्रा में पानी दें। फार्मूला दूध पीने वाले शिशुओं को एक अलग निप्पल वाली बोतल में पानी दें। यह आपके बच्चे को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है।

सलाइन को स्प्रे करके बलगम को खत्म करें

अपने बच्चे के सिर को पीछे की ओर झुकाएं और प्रत्येक नासिका छिद्र में सलाईन के पानी की दो बूंदें डालें ताकि बलगम नर्म हो जाए। बच्चे के सिर को लगभग 20 सेकंड तक उसी स्थिति में रखें। फिर, सिरिंज के बल्ब को निचोड़ें, नाक के पहले छेद के अंदर बल्ब सिरिंज की रबर टिप डालें, एक उंगली से दूसरे छेद को बंद करें, धीरेधीरे बलगम और सलाईन पानी इकट्ठा करने के लिए बल्ब को छोड़ दें, फिर धीरे से सिरिंज को हटा दें। बलगम को निकालकर सीरिंज को साफ करें और नाक के दूसरे छेद को भी साफ करने के लिए यह प्रक्रिया दोहराएं ।

ह्यूमिडिफायर का प्रयोग करें

घर के अंदर की हवा को नम रखें, अपने बच्चे के कमरे में एक ह्यूमिडिफायर का प्रयोग करें। शुष्क जलवायु से शिशुओं में जुकाम और खांसी बढ़ सकती है।

आराम करने दें

अपने बच्चे को जितना हो सके सोने दें और आराम करने दें। जब तक आपका बच्चा सोता नहीं है तो सुनिश्चित करें कि वह कुछ शांत गतिविधियों में शामिल है और उसे बिलकुल भी उत्साहित न होने दें। अगर आपका बच्चा थोड़ा बड़ा हो गया है तो उसको कुछ पढ़ के सुनाएं या उसका पसंदीदा वीडियो चलाएं। याद रखें कि आपका बच्चा जितना अधिक आराम करेगा, उतनी ही तेजी से ठीक होगा।

चेतावनी वाले संकेत पर ध्यान दें

यदि घरेलू उपचार से भी आपके बच्चे की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा, तो डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी सलाह लें। यदि आपका बच्चा बेहद असहज महसूस करता है, स्तनपान के दौरान रोता है, रोते समय लगातार उसके कानों को छूता है या उसकी आँखों से अत्यधिक पानी आता है तो आपका बच्चा जुकाम से अधिक किसी समस्या से पीड़ित हो सकता है।

बलगम निकालने में बच्चे की मदद करें

आपके बच्चे के गले से बलगम निकलना बहुत मुश्किल हो सकता है। कमरे में ह्यूमिडिफायर, नाक में सलाईन बूंदें और छाती पर डॉक्टर द्वारा अनुशंसित वेपराइजर से हल्का मालिश करके बलगम को हल्का करने में मदद मिल सकती है, जिसे आपका बच्चा बाहर निकाल सकता है। यदि आवश्यक हो तो आपके डॉक्टर नेब्युलाइजेशन करने का भी सुझाव दे सकते हैं।

जुकाम से बीमार होने की संभावना को न्यूनतम करने के लिए युक्तियां

घर और घर के बाहर मूलभूत स्वच्छता रखकर, आप अपने बच्चे को जुकाम लगने की आवृत्तियों को कम करने में सहायता कर सकती हैं। यहाँ बचाव के लिए कुछ उपाय दिए गए हैं जो आपके शिशु को जुकाम से बीमार पड़ने की संभावना को न्यूनतम कर सकते हैं।

  • यह सुनिश्चित करें कि आपके परिवार के सभी सदस्य और दोस्त, आपके बच्चे को उठाने से पूर्व अपने हाथ धो लें।
  • बच्चे के कपड़े बदलने और उसे साफ करने से पहले हमेशा अपने हाथों को धोएं और सैनिटाइजर का उपयोग करें।
  • जितना संभव हो सके अपने बच्चे को बीमार और संक्रमित लोगों से दूर रखें। जुकाम एक संचारी रोग है इसलिए एक संक्रमित व्यक्ति आपके बच्चे को छुए बिना भी विषाणु दे सकता है।
  • इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित करें कि आपका शिशु धूम्रपान के संपर्क में न आए। यह आपके बच्चे के श्वसन तंत्र में समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
  • अगर आपका शिशु ठोस पदार्थ खाता है, तो अपने बच्चे को विटामिन-’सी’ से भरपूर फल या फलों के रस दें, ताकि उसे हाइड्रेटेड रखा जा सके और यह सुनिश्चित करें कि वह बहुत सारा पानी पी रहा है।
  • शिशु को जितना हो सके उतना स्तनपान कराएं, ताकि वह स्तनपान के सभी लाभों को प्राप्त कर सके।
  • घर के अंदर की हवा को नम बनाए रखने के लिए शुष्क मौसम की स्थिति में रूम ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें।

डॉक्टर की सलाह कब जरूरी है

3 महीने से छोटे बच्चों के लिए जुकाम और बुखार के पहले संकेत पर डॉक्टर से परामर्श करें। 3 से 6 महीने के बच्चों को अगर 101°F (38°C) बुखार हो जाए तो डॉक्टर से सलाह लें। 6 महीने से अधिक उम्र के बच्चों को अगर 102°F (39°C) तक बुखार बढ़ता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। यदि आपको यह लक्षण दिखते हैं तो उम्र का ध्यान किए बिना आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए:

  • बुखार 2 दिनों से अधिक समय तक रहता है।
  • यदि बच्चा तेजी से सांस लेता है, उसमें घरघराहट होती है या वह अधिक हांफता है।
  • यदि आपका बच्चा रोते समय अपने कानों को खींचता है या रगड़ता है। बच्चे जो स्तनपान करते समय रोते हैं या असामान्य रूप से उनकी तरफ ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
  • चिपचिपी आँखें या आँखों से पानी आने का मतलब हो सकता है कि आपका बच्चा पिंक आई/कंजंक्टिवाइटिस या ‘आँख आना’ से पीड़ित है।
  • अत्यधिक बेचैनी, नींद या खाने की आदतों में बदलाव।
  • यदि जुकाम के लिए उपचार काम नहीं करते हैं।
  • यदि जुकाम के लक्षण 5 से 8 दिनों तक रहने के बाद और खराब हो जाते हैं।

क्या शिशु को ओवरकाउंटर (.टी.सी.) खांसी और जुकाम की दवा देना सुरक्षित है?

6 महीने से कम उम्र के बच्चों को ओ.टी.सी. बिलकुल न दें। वास्तव में, यह देखा गया है कि ओ.टी.सी. बच्चों में दुष्प्रभाव का कारण बन सकता है। जुकाम और खांसी की दवाएं आपके बच्चे को संक्रमण से नहीं बचाती हैं या यहाँ तक कि इसकी अवधि को कम भी नहीं करती हैं। यह आपके बच्चे को कुछ समय के लिए अस्थायी रूप से राहत दे सकता है किंतु निश्चित रूप से यह तरीका खतरा लेने के लायक नहीं है।

सभी उम्र के बच्चों में जुकाम आम है लेकिन छोटे बच्चों में इसका इलाज थोड़ा कठिन हो सकता है, क्योंकि वे बिना मदद के बलगम को बाहर नहीं निकाल सकते हैं । उनकी देखरेख करना और उपाय के लिए डॉक्टर की मदद लेना महत्वपूर्ण है।

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

1 day ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

1 day ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

1 day ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago