बच्चों में खांसी की समस्या के लिए 10 प्रभावी उपचार

बच्चों में खांसी की समस्या के लिए 10 प्रभावी उपचार

बच्चों में खांसी एक आम समस्या है जिससे वे अक्सर परेशान रहते हैं। यह समस्या रात के समय में और भी ज्यादा प्रभावी इसलिए लगती है क्योंकि एक तरफ खांसी के कारण आपका बच्चा परेशान होता है और दूसरी तरफ उसकी नींद भी पूरी नहीं हो पाती है जिस कारण से बच्चा अधिक बीमार भी हो सकता है। वास्तव में खांसी विशेषकर शिशुओं और बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली कम होने के कारण होती है इसलिए अक्सर मांए अपने बच्चे की इस जटिल समस्या को खत्म करने के लिए घरेलू उपचारों की खोज करती हैं।यदि खांसी के कारण आपके बच्चे की भी नींद खराब होती है तो यहाँ आपके लिए खास आजमाए हुए प्रभावी घरेलू उपचारों की सूची दी हुई है। किंतु आइए पहले खांसी होने के कुछ कारणों को जानते हैं ।

बच्चों में खांसी के सामान्य कारण

अनेक कारणों से बच्चों में खांसी की समस्या अत्यधिक पाई जाती है और यदि सही समय पर इसका उपचार न किया जाए तो यह बहुत ज्यादा कष्टदायी हो सकती है। निम्नलिखित कुछ कारण दिए हुए हैं जिससे आपके बच्चे में भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है, आइए जानें;

१. संक्रमण: बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली अत्यधिक कमजोर होने के कारण उनमें सर्दी व जुकाम तेजी से होता है। इसी सर्दी-जुकाम के ‘संक्रमण’ से बच्चों में खांसी की समस्या होती है।

२. अम्ल प्रतिवाह (एसिड रिफ्लक्स): खांसी के अनेक लक्षणों में से एक लक्षण ‘एसिड रिफ्लक्स’ भी है। इस समस्या में पेट का एसिड भोजन नली के द्वारा गले में आ जाता है , जिसके कारण बच्चों को खांसी होती है। इसे सुनिश्चित करने के लिए अन्य लक्षणों पर भी ध्यान दें।

३. अस्थमा: ‘अस्थमा’ भी खांसी का एक कारण है जिसका निदान करना कठिन होता है क्योंकि इस समस्या के अलग-अलग बच्चों में विभिन्न लक्षण दिखते हैं।अस्थमा के दौरान ज्यादातर छाती में भारीपन महसूस होता है और साथ ही सांस लेने में भी तकलीफ होती है।

४. एलर्जी या साइनस: सर्दी के कारण बच्चों को ‘साइनस’ हो सकता है जिसमें उन्हें नाक बंद, सिर दर्द, गले में खराश जैसी समस्याएं होती हैं और गले में खराश के परिणाम स्वरुप बच्चों को खांसी हो जाती है। बच्चों को धूल या मिट्टी से ‘एलर्जी’ के कारण भी खांसी हो सकती है।

५. काली खांसी: ‘काली खांसी’ की समस्या के दौरान खांसी के साथ बलगम आता है और साथ ही सांस लेते समय घर्घराहट की आवाज होती है। इस प्रकार की खांसी ‘बोर्डेटेला पर्टुसिस बैक्टीरिया’ के कारण हो सकती है। बच्चों में यह समस्या कुछ दिनों या कुछ महीनों तक भी रहने की संभावना होती है।

बच्चों को रात में खांसी होने के कुछ उपचार

सर्दी-जुकाम से लेकर फेफड़ों के संक्रमण तक बच्चों में खांसी का कोई भी कारण हो, यह समस्या उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से परेशान कर ही देती है।बच्चों को खांसी विशेषकर रात में अधिक तीव्रता से प्रभावित करती है जिससे उनकी नींद पर काफी असर पड़ता है या नींद खराब हो सकती है और इसके परिणाम-स्वरुप बच्चे दिन-भर थका हुआ महसूस करते हैं।यदि आपके बच्चे को भी रात में अत्यधिक खांसी होती है तो निम्नलिखित उपचार आपकी मदद कर सकते हैं।

१. नीलगिरी के तेल का चमत्कार

नीलगिरी का तेल बच्चों की खांसी, साइनस, ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं को ठीक करने में सक्षम है।यदि आपका बच्चा 2 वर्ष से कम उम्र का है, तो उसके तलिए और बिस्तर पर नीलगिरी के तेल की कुछ बूंदें डाल दें। यह आपके बच्चे की बंद नाक को खोलता है और उन्हें जुकाम से मुक्त रखता है।दिन के समय में आप अपने बच्चे के कपड़ों पर भी नीलगिरी के तेल की कुछ बूंदें डाल सकती हैं। हमेशा याद रखें यदि आपका बच्चा बहुत छोटा है, तो उसके गले पर तेल की मालिश न करें।

नीलगिरी के तेल का चमत्कार

२. गर्म सूप दें

गर्म सूप बच्चों के गले से लेकर पेट तक व पूर्ण शरीर में गर्माहट प्रदान करता जिससे सर्दी के कारण किसी भी प्रकार की पीड़ा में प्रभावी राहत मिलती है। आप अपने बच्चे को सब्जी, चिकन का गर्म सूप दे सकती हैं, यह उन्हें खांसी या गले में खराश जैसी तकलीफों से आराम देने में मदद करता है।

गर्म सूप दें

३. गले को आराम देने वाली गोली खिलाएं

यह देखा गया है कि बच्चों को हर 2-3 घंटों में जिंक-युक्त कैंडी देने से उन्हें खांसी व जुकाम से आराम मिलता है। यह कैंडी गले की सूजन के कारण होने वाली जलन में भी फायदा पहुँचाती है जिससे संक्रमण के कारण हुई खांसी ठीक हो जाती है।

गले को आराम देने वाली गोली खिलाएं

बच्चों को गले में जलन के कारण खांसी को ठीक करने के लिए मिश्री भी दी जा सकती है। ऐसा कहा जाता है कि मिश्री की तरह गले में सलाइवा उत्पन्न करने वाली या नमी प्रदान करने वाली कोई भी कैंडी गले की खराश और जलन को खत्म करती है।

४. हल्दी वाला दूध दें

हल्दी के एंटी-बैक्टीरियल गुण बच्चों में सर्दी के कारण हुए संक्रमण को खत्म करते हैं। गर्म दूध के गुण उन्हें गले में और शारीरिक राहत व गर्माहट प्रदान करते हैं। अपने बच्चे को एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिलाएं, यह उन्हें काफी आराम देगा। छोटे बच्चे एक पूरा गिलास दूध नहीं पी पाएंगे इसलिए उन्हें आप चम्मच से हल्दी का दूध पिला सकती हैं।

हल्दी वाला दूध दें

५. हल्दी और शहद का मिश्रण दें

हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल गुण बच्चे को संक्रमित होने से बचाते हैं और शहद बच्चे के गले को आराम देता है। यह मिश्रण विशेषकर रात के समय देने से बच्चों में सूखी खांसी नहीं होती है।इस प्रकार के घरेलू उपचार आपको आपके घर में ही प्राप्त हो सकते हैं और यह हर किसी के लिए फायदेमंद भी हैं।

हल्दी और शहद का मिश्रण दें

६. हल्दी की जड़ का धुंआ करें

हल्दी के एंटी-बैक्टीरियल गुण बच्चों को अनेक रोगों से मुक्त करने में मदद करता है, यह सिर्फ खाने या दूध में ही फायदेमंद नहीं होती है। आप हल्दी की जड़ या पत्तों को जलाकर अपने घर के वातावरण में बहुत हल्का धुंआ कर सकती हैं। हल्दी की खुशबू से भरा धुंआ आपके बच्चे की खांसी, जुकाम और अन्य समस्याओं के लिए अधिक फायदेमंद होता है। व्यस्क इसके अधिक धुंए को सांस द्वारा खींच सकते हैं किंतु ध्यान रखें छोटे बच्चों के लिए कम धुंए का उपयोग करें। बच्चों का उपचार करते समय हल्दी की जड़ या पत्तों का धुंआ इतना कम होना चाहिए कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ न हो। आयुर्वेद में इस उपचार को धूम पान कहते हैं।

हल्दी की जड़ का धुंआ करें

७. अदरक और शहद दें

अदरक का एंटीहिस्टमीन गुण सर्दी से हुई एलर्जी विशेषकर खांसी का इलाज करने में मदद करते हैं । यह बच्चों में अधिक जटिल खांसी को भी ठीक करने में मदद करते हैं । आप इसका उपचार करने के लिए सबसे पहले अदरक को पीसकर उसका रस निकालें और शहद में मिलाकर अपने बच्चे को दें। यह मिश्रण आपके बच्चे के गले की सूजन को कम करता है और खांसी को ठीक करने में भी मदद करता है।

अदरक और शहद दें

८. सिर ऊंचा करके सुलाएं

जब अधिक सर्दी के कारण बलगम बच्चों की नाक द्वारा गले में पहुँचता है तो इससे उन्हें लगातार खांसी हो सकती है। यह समस्या अक्सर रात को सोते समय अधिक होती है और बच्चे रातभर खांसते हैं। इसके उपचार के लिए आप बच्चे के सिरहाने कुछ तकियों को लगाकर उनका सिर थोड़ा ऊंचा करके लिटाएं। ऐसा करने से बलगम का बहाव कम होगा और खांसी भी कम आएगी।

सिर ऊंचा करके सुलाएं

९. तेल से मालिश करें

सरसों के तेल को गर्म करके उसमें पिसा हुआ लहसुन मिलाएं और ठंडा होने दें। इस तेल का उपयोग आप अपने बच्चे के गले, छाती, पीठ, हथेली और पैरों के तलवे पर मालिश करें। सरसों के गर्म तेल में लहसुन मिलाकर मालिश करने से बच्चों के शरीर में गर्माहट पहुँचती है। लहसुन में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण बच्चों को संक्रमण से सुरक्षित रखते हैं और मालिश करने से बच्चों की मांसपेशियां सक्रीय होती हैं व रक्त परिसंचरण बढ़ता है। इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि मालिश करते समय बच्चे की छाती में अधिक दबाव न पड़े, यह बहुत सौम्यता और आराम से की जानी चाहिए।

तेल से मालिश करें

१०. तुलसी और शहद दें

तुलसी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करती है और सभी संक्रमण से बचाव भी करती है।तुलसी के गुण बच्चों की छाती या नाक में जमे बलगम को निकालते हैं और साथ खांसी के कारणों को भी खत्म करते हैं। शहद में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरस गुण संक्रमण को रोक कर गले को आराम देते हैं। तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर बच्चों को देने से उनकी खांसी में जल्द आराम मिलता है।

तुलसी और शहद दें

इन सभी उपचारों के अलावा आप अपने बच्चे की खांसी को दूर करने के लिए अन्य विकल्प भी चुन सकती हैं, जैसे गुनगुने पानी से गरारा करना और इत्यादि। एक गिलास गुनगुने पानी में थोड़ा नमक घोलें और अपने बच्चे को उससे गरारा करवाएं। इस उपचार का उपयोग आप दिन में 3 बार कर सकती हैं, यह बच्चे के गले की खराश और सूजन को खत्म करता है। आप चाहें तो गुनगुने पानी में नमक और हल्दी का घोल बनाकर भी गरारा करवा सकती हैं। हल्दी और नमक में एंटी-बैक्टीरियल गुण होने के कारण यह मिश्रण गले के संक्रमण को खत्म करता है।

सदियों में बच्चों को खांसी की समस्या तुरंत होने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में उनकी इस समस्या को रोकने के लिए आप उनके कमरे में ह्यूमिडिफायर (वायु को नम रखने वाला उपकरण) रख सकती हैं। यह कमरे के अंदर सर्दियों की शुष्क हवा को नम करने में मदद करता है और साथ ही इसके कारण बच्चों में खांसी की शिकायत कम होती है। याद रखें ह्यूमिडिफायर की समय पर सफाई होनी चाहिए और इसमें फंफूदी न लगे।

खांसी साधारणतः एक गंभीर समस्या नहीं है किन्तु फिर भी इसका उपचार करना चाहिए। खांसी को ठीक करने के लिए घरेलू उपचार बहुत पहले से ही लोकप्रिय रहे हैं। यदि ऊपर दिए हुए घरेलू उपचारों का उपयोग करने के बाद भी आपके बच्चे की खांसी ठीक नहीं हो रही है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।