बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

शिशुओं और बच्चों में यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन

जैसे ही आपको यह खबर मिलती है कि आपके घर नया मेहमान आने वाला है, आपकी खुशियां दोगुनी हो जाती हैं। आपको यह जानने की बहुत एक्साइटमेंट होती है आगे क्या होने वाला है! 

इस दौरान आप नए अनुभवों के साथ अपने बच्चे को पोषण, सुविधाएं, हेल्थकेयर, हाइजीन, बेहतरीन लाइफस्टाइल देने का प्रयास करेंगी। बच्चे के साथ बिताया गया हर पल हर पड़ाव आपके लिए बहुत यादगार होगा। बच्चे को जरा सी परेशानी होने पर आप घबरा भी जाएंगी। बच्चे का इम्युन सिस्टम कमजोर होने के कारण उसे कई सारे हेल्थ इशू का सामना करना पड़ता है, जिसमें से एक है यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई)  जो कि काफी कॉमन है।

यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) क्या है?

यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है जो यूरिनरी ट्रैक्ट में होता है। आमतौर पर एक स्टेराइल एनवायरमेंट, यूरिनरी ट्रैक्ट में इन्फेक्शन पैदा करता है, जब बैक्टीरिया जेनिटल के आसपास की त्वचा या रेक्टम के जरिए यूरिन या ब्लड फ्लो में प्रवेश करता है।

ऊपरी यूरिनरी ट्रैक्ट में इन्फेक्शन किडनी और यूरेटर्स की वजह से यूटीआई होता है जिसे अपर यूटीआई कहा और जो इन्फेक्शन निचले यूरिनरी ट्रैक्ट में ब्लैडर और यूरेथ्रा की वजह से होता है उसे लोअर यूटीआई कहते हैं। किडनी यूरिन बनाती है जो ब्लैडर में ट्रांसपोर्ट हो जाता है। यूरेटर्स यूरिन को ब्लैडर में ट्रांसपोर्ट करता है और जब यह यूरेथ्रा के जरिए शरीर से बाहर नही निकल जाता है तब तक वो इसे स्टोर किए रहता है। ब्लैडर में होने वाले इन्फेक्शन को सिस्टिटिस का नाम दिया जाता है और किडनी इन्फेक्शन को पाइलोनफ्राइटिस कहा जाता है।

क्या शिशुओं और बच्चों में यूरिनरी ट्रैक्ट का इन्फेक्शन होना कॉमन है?

बचपन में यूटीआई होना कॉमन होता जो पहले वर्ष में लड़कों की तुलना में लड़कियों को ज्यादा होता है। प्रीमैच्योर बच्चों, नवजात शिशुओं, जिनमें यूरिन फ्लो को रोकने वाली कोई बाधा हो और यूरिनरी सिस्टम में बर्थ डिफेक्ट वाले बच्चों में यूटीआई होने का खतरा ज्यादा होता है। डॉक्टरों के अनुसार, 2 साल से कम उम्र के बच्चों में यूटीआई के कारण सीरियस डैमेज होने की संभावना ज्यादा होती है और इसलिए यूटीआई का निदान और इलाज जल्द से जल्द किया जाना चाहिए। इसके कारण बच्चों में सिस्टाइटिस और पाइलोनफ्राइटिस भी हो सकता है और बच्चों में पाइलोनफ्राइटिस की तुलना में सिस्टाइटिस ज्यादा कॉमन है। 

बच्चों में यूरिनरी ट्रैक्ट के इन्फेक्शन का क्या कारण है?

रेक्टम और यूरेथ्रा के ज्यादा करीब होने के कारण लड़कियों में यूटीआई का खतरा अधिक होता है। बच्चों में यूटीआई होने के कुछ कारण इस प्रकार दिए गए हैं:

  • मल के यूरेथ्रा के संपर्क में आने से, खासकर जब लड़कियों में इसे पीछे से आगे पोछा जाता है।
  • गंदे नैपी में लगे मल का यूरेथ्रा के संपर्क में आना।
  • बबल-बाथ भी यूटीआई का खतरा पैदा करते हैं क्योंकि इससे बैक्टीरिया आसानी से प्रवेश कर सकते हैं।
  • टाइट फिटिंग के कपड़े पहनना भी यूटीआई का एक और कारण होता है।

कभी-कभी बच्चों को यूटीआई ब्लैडर खाली होने की वजह से हो जाता है। आपको यहाँ यूटीआई के कुछ अन्य कारण बताए गए हैं:

  • कब्ज की वजह से कभी-कभी बड़ी आंत के एक हिस्से में सूजन हो जाती है। जो ब्लैडर पर दबाव डालती है और इस तरह इसे खाली करने से रोकती है।
  • डिसफंक्शनल एलिमिनेशन सिंड्रोम, एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें बच्चा पेशाब लगने के बाद भी ब्लैडर खाली नहीं करता है। अगर कोई बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट में मौजूद हो तो यूरिन के जरिए निकल जाता है। यदि ऐसा न किया जाए तो बैक्टीरिया के बढ़ने की संभावना होती है।
  • वेसीकूरेटरल रिफ्लेक्स (वीयूआर) एक ऐसी कंडीशन है जो जन्म के समय मौजूद होती, इसमें यूरेटर में यूरिन वापस चला जाता और ब्लैडर से किडनी में चला जाता है। यह यूरेटर्स में मौजूद वाल्वस में डिफेक्ट के कारण होता है जहाँ यह ब्लैडर में प्रवेश कर जाता है।

यूटीआई के संकेत और लक्षण

कभी-कभी केवल बुखार से ही इसके बारे में पता चलता है, समय से ट्रीटमेंट होने से बच्चे को ज्यादा परेशानी नही होती है। बताए गए लक्षणों से आप जान सकती हैं कि आपके बच्चे को यूटीआई है या नहीं। 

शिशुओं और छोटे बच्चों देखे जाने वाले लक्षण

छोटे बच्चे अपनी परेशानी खुद नहीं बता सकते हैं, इसलिए यदि आप उनमें निम्नलिखित लक्षणों को नोटिस करती हैं, तो तुरंत निदान करें:

  • बुखार के अलावा कोई और लक्षण दिखाई न देना और कोई अन्य कारण नजर न आना
  • पेशाब से खराब बदबू आना
  • उल्टी
  • खाने की इच्छा न होना
  • धुंधला या खूनी रंग का पेशाब होना
  • लगातार चिड़चिड़ापन या घबराहट होना
  • पेशाब करते समय दर्द से रोना
  • दस्त

बच्चों में देखे जाने वाले लक्षण

  • पेशाब करते समय दर्द या जलन की शिकायत होना।
  • बार बार पेशाब लगना
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
  • ब्लैडर कंट्रोल न होने की वजह से पेशाब निकल जाना (एन्यूरिसिस)
  • खराब-महक, लाल, गुलाबी या धुंधला पेशाब होना
  • फ्लैंक (रिब केज के नीचे और कमर के ऊपर का क्षेत्र) और एक तरफ या दोनों तरफ पीठ दर्द होना।

बच्चों में यूटीआई होने के रिस्क फैक्टर्स

कुछ बच्चों को दूसरे बच्चों की तुलना में यूटीआई होने का खतरा ज्यादा होता है। यहाँ आपको इसके कुछ रिस्क फैक्टर्स बताए गए हैं:

  • बिना खतना हुए बेबी बॉय में इसका जोखिम में ज्यादा होता है, क्योंकि बैक्टीरिया चमड़ी के नीचे पनप सकते हैं।
  • जो बच्चा अक्सर पेशाब रोके रहता है उन बच्चों के यूरिनरी ट्रैक्ट में बैक्टीरिया जाने का खतरा ज्यादा होता है। पेशाब करते रहने से बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं।
  • इम्यून सिस्टम और यूरिनरी सिस्टम का ठीक से  काम न करना।
  • टॉयलेट हाइजीन न होना।

बच्चों में यूटीआई का निदान

ऊपर बताए गए लक्षणों की पहचान हो जाने के बाद, बिना किसी और देरी के डॉक्टर द्वारा इसका तुरंत निदान करना जरूरी है। डॉक्टर बच्चे की शारीरिक जाँच करेंगे और आपसे दिखाई देने वाले लक्षणों के बारे में पूछेंगे। अगर डॉक्टर यूटीआई बताता है तो बच्चे का यूरिन सैंपल लिया जाएगा, यूरिन कल्चरल टेस्ट के जरिए इन्फेक्शन और सूजन की जाँच की जएगी। 

बच्चों के लिए, स्टेराइल यूरिन सैंपल लेना एक चुनौती है। क्योंकि बैक्टीरिया बच्चे की त्वचा में मौजूद होता है और यह यूरिन सैंपल को संक्रमित कर देता है और इससे गलत रिजल्ट आ जाता है। ऐसे केस में कैथेटरकेस का उयोग करके सैंपल लिया जाता है, जो जेनिटल को साफ कर के लिए जाता है। सैंपल लेने के लिए यूरेथ्रा में कैथेटर या ट्यूब डाला जाता है और ब्लैडर से सैंपल लिया जाता है। हालांकि बच्चा इस दौरान रो सकता है, लेकिन यह एक सेफ ऑप्शन है।

डॉक्टर यूरिन टेस्ट रिजल्ट प्राप्त करने से पहले शारीरिक जाँच करते हैं और उसके आधार पर दवाएं लिख सकते हैं। क्योंकि यूरिन कल्चरल टेस्ट का रिजल्ट आने में एक से दो दिन लग सकते हैं। 

एक बार जब बच्चा ठीक हो जाता है, तो डॉक्टर किसी भी ब्लॉकेज या वेसिकूरेटरल रिफ्लेक्स की जाँच करने के लिए इन टेस्ट को कराने की सलाह देते हैं:

  • किडनी और ब्लैडर की जाँच करने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाना।
  • वॉइडिंग सिस्टॉरेथ्रोग्राम (वीसीयूजी): यह एक 20 मिनट की प्रक्रिया है जिसमें यूरिनरी सिस्टम का एक्स रे किया जाता है जो कैथेटर डालने और उसमें डाई इंजेक्ट करने से पहले किया जाता है। यह ये पता लगाने में मदद करता है कि क्या ब्लैडर से पेशाब किडनी में वापस चला जाता है।
  • न्यूक्लियर स्कैन: यह प्रोसीजर वीसीयूजी की तरह ही है, बस इसमें डाई की जगह रेडियोएक्टिव लिक्विड का उपयोग किया जाता है।

छोटे बच्चों के लिए यूटीआई का उपचार

3 महीने से कम उम्र के बच्चों को हॉस्पिटल में एडमिट कराने की जरूरत पड़ सकती हैं और आईवी के माध्यम से दवा दी जाती है। हो सकता है डॉक्टर कुछ देर बच्चे को हॉस्पिटल में ही रखें।

3 महीने से बड़े बच्चे का इलाज करने के लिए, बच्चे को लिक्विड फॉर्म में एंटीबायोटिक्स दी जा सकती है। इसकी डोज कितनी होनी चाहिए यह इस बात पर निर्भर करता है प्रॉब्लम कितनी सीरियस है, उसकी उम्र क्या है, किस टाइप की एंटीबायोटिक बच्चे को दी जा रही है आदि। दवा का कोर्स पूरा करना जरूरी है, और इन्फेक्शन के दोबारा लौटने के चांसेस कम हों।  

इसके अलावा, बच्चे के यूटीआई के कारण होने वाले दर्द से राहत देने के लिए, बच्चे को हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी है, ताकि जर्म पेशाब के जरिए निकल जाएं। अगर बच्चा खाना या तरल चीजों का सेवन करने से मना करता है तो  उसे हॉस्पिटल में भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी और उसे आईवी के जरिए दवा दी जएगी।

यदि यूटीआई 2-3 दिनों के बाद भी बना रहता है, तो अपने डॉक्टर से दूसरे उपचार के बारे में बात करें। 

ब्लॉकेज के मामले में, इसे ठीक करने के लिए एक सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। वीयूआर के लिए, बच्चा 6 साल या उससे ज्यादा उम्र का होना चाहिए। यूटीआई से बचने के लिए  एंटीबायोटिक्स  लंबे समय तक के लिए दी जा सकती है।

क्या बच्चों में यूटीआई के इलाज के लिए कोई घरेलू उपचार है?

हालांकि इनमें से कुछ घरेलू उपचारों के लिए कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं मिलता है। फिर भी वे बच्चों में  यूटीआई के लक्षणों को कम करने के लिए मददगार साबित होते हैं। 

बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन के घरेलू उपचार:

  • तरल पदार्थ: तरल पदार्थ का सेवन करने से पेशाब में जरिए जर्म्स और बैक्टीरिया शरीर के बाहर चले जाते हैं।
  • क्रैनबेरी या ब्लूबेरी जूस: ये जूस बैक्टीरिया को यूरिनरी ट्रैक्ट में टिकने नही देता है, जिससे यूटीआई के केस में काफी मदद मिलती है।
  • अनानास: अनानास में ब्रोमेलैन होता है जो अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण की वजह से जाना जाता है। जो यूटीआई के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।

यूटीआई से बचाव कैसे करें

अब जब आप यूटीआई के बारे में काफी कुछ जान गई होंगी, आइए जानते हैं कि इस कंडीशन से अपने बच्चे को कैसे बचाया जाए। 

  • हाइड्रेशन: यह यूटीआई से बचने का सबसे बेहतर उपाय है।
  • ब्रेस्टफीडिंग: अपने बच्चे को कम से कम 6 महीने तक ब्रेस्टफीडिंग कराने से आपके बच्चे की इम्युनिटी बेहतर होती है। यह प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला साबित होता है और कब्ज से बचने में भी मदद करता है।
  • हेल्दी डाइट: सुनिश्चित करें कि आप बच्चे के आहार में बहुत सारे फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल करें। अपने बच्चे के आहार में कैफीन और कार्बोनेटेड ड्रिंक शामिल करने से बचें।
  • हाइजीन: अपने बच्चे को बताएं कि टॉयलेट जाने के बाद खुद को साफ कैसे करना है। ध्यान दें कि अगर आपकी बेटी है तो आगे से पीछे की ओर अपने जेनिटल एरिया को साफ करें।
  • बबल बाथ और टाइट फिटिंग के कपड़े पहनने से बचें।

बच्चों में होने वाली यूटीआई की समस्या के बारे में आप काफी कुछ इस लेख के जरिए जान गई होंगी। अब आपको पता होगा कि इससे बच्चे का बचाव कैसे करना है। हालांकि यहाँ बताई गई होम रेमेडी भी यूटीआई को दूर करने में मदद कर सकती है, लेकिन अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें जैसे ही आपको इसके लक्षण दिखाई देते हैं। इसका समय पर इलाज होना बचचे की हेल्थ के लिए बेहतर होगा। 

यह भी पढ़ें:

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समर नक़वी

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