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बच्चे अक्सर वायरल संक्रमण के शिकार हो जाते हैं। अध्ययन से पता चलता है कि एक बच्चा, अपने विकास के शुरुआती सालों में, एक वर्ष में लगभग 12 वायरल बीमारियों का शिकार हो सकता है। बच्चे अक्सर एक वायरस से उबरने के तुरंत बाद दूसरे वायरस का शिकार बन जाते हैं। हालांकि, आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ बच्चों में वायरल संक्रमण होने का ख़तरा भी कम हो जाता है।
वायरस संक्रामक होते हैं इसलिए एक पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से आसानी से फैल सकते हैं। अधिकतर वायरस खतरनाक नहीं होते और उचित आराम करना ही इलाज का सबसे अच्छा तरीका है। कभी-कभी एंटीबायोटिक्स भी वायरल संक्रमण को ठीक करने में कोई मदद नहीं कर पाते हैं। यदि वायरल संक्रमण से पीड़ित बच्चे में 48 घंटों के बाद भी कोई सुधार नज़र नहीं आता, तो डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
शरीर में मौज़ूद छोटे कीटाणुओं या वायरस से होने वाले संक्रमण को वायरल संक्रमण कहा जाता है। ऐसे बहुत सारे वायरस हैं जो शरीर के लगभग किसी भी हिस्से को संक्रमित कर सकते हैं। ये बिल्कुल अपहरणकर्ताओं की तरह काम करते हैं, पहले सामान्य कोशिकाओं पर हमला करते हैं और बढ़ने व प्रजनन के लिए उन्हीं कोशिकाओं का इस्तेमाल करते हैं।
फ्लू, सामान्य जुकाम के साथ-साथ गले में खराश, दस्त,उल्टी और मस्सों जैसे साधारण संक्रमणों के लिए भी वायरस ही ज़िम्मेदार होते है। इनसे चेचक, इबोला और एच.आई.वी. / एड्स जैसे गंभीर संक्रमण भी हो सकते हैं।
बच्चों में स्कूल या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर किसी संक्रमित बच्चे के संपर्क में आने से वायरल संक्रमण आसानी से फैलता है क्योंकि वायरस जुकाम या वायरस संक्रमित हाथों, यहाँ तक कि खांसी या छींक से भी फैल सकता है। मल, उल्टी और किसी कीड़े के काटने के माध्यम से भी वायरस किसी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँच सकता हैं। बच्चों में दूषित भोजन और पानी के माध्यम से भी वायरल संक्रमण हो सकता है। वायरल संक्रमण आमतौर पर मौसम परिवर्तन के दौरान होता है।वायरस का क्षैतिज संचरण संक्रमित एक व्यक्ति के संपर्क में रहने से दूसरे को हो सकता है या फिर ऊर्ध्वाधर संचरण जैसे कि माँ से उसकी संतान में हो सकता है ।
वायरस से होने वाली कुछ सामान्य बीमारियों की सूची नीचे दी गई हैं
वायरल संक्रमण के प्रकार के आधार पर अलग अलग लक्षण हो सकते हैं। एक बच्चे में आमतौर पर होने वाले वायरल संक्रमण के लक्षण :
यदि वायरल संक्रमण के लक्षण कुछ दिनों के बाद भी कम होते प्रतीत नहीं होते, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करना ही उचित होगा। उस अवस्था में, डॉक्टर यह पता लगाने के लिए कि संक्रमण किस वायरस की वजह से हुआ है, कुछ रक्त परीक्षण करवाने के लिए कह सकते हैं उसके बाद ही डॉक्टर सही उपचार शुरू कर सकते हैं।
वायरल संक्रमण से पीड़ित बच्चों में वायरल संक्रमण के लक्षणों के आधार पर, उपचार की नीति बनाई जाती है। डॉक्टर, दर्द और तेज़ बुखार से राहत के लिए इबुप्रोफेन और दस्त में ओ.आर.एस. और ज़िंक की गोलियां दे सकते हैं। यदि बच्चे को खांसी और जुकाम है, तो डॉक्टर कफ सिरप के साथ नेसल ड्रॉप्स इस्तेमाल करने की सलाह दे सकते हैं।
हालांकि, पहले ही उचित टीकाकरण द्वारा वायरस से बचाव किया जा सकता है। उनका इलाज वायरसरोधि दवाइयों द्वारा भी किया जा सकता है। लेकिन आमतौर पर, वायरल संक्रमण का सबसे अच्छा इलाज उचित आराम, पर्याप्त तरल पदार्थों का सेवन और संक्रमण को उसकी प्राकृतिक अवधि में समाप्त करने देना ही है।
बच्चों में वायरल संक्रमण के इलाज के लिए उपयोगी कुछ घरेलू नुस्खे:
भले ही बच्चा कुछ दिनों में ठीक हो जाए मगर फिर भी वायरल संक्रमण को पूरी तरह से खत्म होने में कुछ हफ्तों तक का समय लग सकता है। आमतौर पर वायरस से संक्रमित होने के बाद उसके लक्षण सामने आने में कुछ दिनों का समय लगता है। खाँसी कुछ समय तक बनी रह सकती है। कभी-कभी बच्चों में संक्रमण के कारण शरीर पर चकत्ते निकल आते हैं जो आमतौर पर कुछ दिनों में अपने आप ही चले भी जाते हैं।
बच्चे को वायरल संक्रमण होने पर निम्नलिखित चीज़े हो सकती हैं:
आमतौर पर, एक वायरल संक्रमण चिंता का विषय नहीं है, फिर भी इसके कारण गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए, यदि आपको बच्चे में नीचे दिए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क कीजिए ।
अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता रखने वाला बच्चा सफलतापूर्वक वायरस से लड़ सकता है। एक अच्छी प्रतिरोधक प्रणाली, एक ढाल की तरह वायरस को शरीर में जाने से रोकती है।सफेद रक्त कोशिकाएं या ल्यूकोसाइट्स उन वायरस को मार गिराता हैं जो उन्हें नष्ट करने के लिए बच्चे के शरीर में प्रवेश करते हैं। बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली भी संक्रमण से बचाव के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करती है जो शरीर में वायरस की पहचान करके, उन्हें बेअसर करती हैं।
आपके बच्चे को वायरल संक्रमण से बचाने के लिए किए जाने वाले कार्यों की सूची:
जब वायरल संक्रमण आपके बच्चे को हो जाए, तो निम्नलिखित सुझाव आपके बच्चे के लिए मददगार साबित हो सकते हैं:
बच्चों में, वायरल बीमारियाँ वायरस द्वारा उत्पन्न होती हैं जबकि जीवाणु संक्रमण जीवाणुओं के कारण होता है। एक जीवाणु संक्रमण को एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक किया जा सकता है जो संक्रमण पैदा करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर देते हैं। लेकिन एंटीबायोटिक्स, बच्चों में वायरल संक्रमण को ठीक करने में कारगर साबित नहीं होते हैं । एक जीवाणु संक्रमण सूजन, दर्द या लाली के रूप में शरीर के एक खास संक्रमित हिस्से में दिखाई दे सकते है। इसलिए, यदि किसी बच्चे को जीवाणुओं के कारण गले में खराश है, तो उसे गले में दर्द भी हो सकता है। दूसरी ओर, शिशुओं में वायरल संक्रमण से एक समय में शरीर के कई हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए यदि किसी बच्चे को वायरल संक्रमण है, तो उसे खाँसी, ज़ुकाम, बदन दर्द हो सकता है और आंखों से पानी निकल सकता है। बच्चों में बार-बार वायरल संक्रमण होना, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली की ओर संकेत करता है। वायरस संक्रमित बच्चे को अगर तेज़ बुखार है तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए क्योंकि इससे निमोनिया जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
अपने बच्चे को वायरल संक्रमण से प्रभावित होने से बचाना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, आप हमेशा अपने बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारने की और मजबूत बनाने की कोशिश कर सकती हैं जिससे आपका बच्चा कम से कम बार वायरल संक्रमण की चपेट में आए। वायरल संक्रमण से बचाने में, बच्चे को संतुलित आहार खिलाना काफी कारगर साबित हो सकता है।
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