बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों के जीवन में दादा-दादी, नाना-नानी का होना क्यों जरूरी है?

आजकल संयुक्त परिवारों में बच्चों का जन्म भले ही कम हो गया हो, लेकिन दादा-दादी और नाना-नानी का अपने पोते- पोतियों के साथ लगाव अब भी वैसा ही है जैसे पहले हुआ करता था। वे हमारे घर के सिर्फ बड़े सदस्य ही नहीं होते बल्कि इनका बच्चों की जिंदगी में होना बहुत मायने रखता है। दादा-दादी और नाना-नानी बच्चों को परिवार की पुरानी कहानियां सुनाते हैं, उनके साथ अपने अनुभवों को साझा करते हैं, कभी कहानियों के रूप में तो कभी सीख के रूप में लेकिन हर हाल में उनके साथ खड़े रहते हैं। उनका प्यार और दुलार बच्चों को भावनात्मक रूप से मजबूत बनने में मदद करता है। वे बच्चों के जीवन को सही आकार देने में उनका एक बड़ा योगदान होता है, जो बच्चे के आगे के जीवन में उन्हें हालातों का सामना करने की हिम्मत और समझ देता है।

बच्चों के लिए दादा-दादी, नाना-नानी का होना क्यों जरूरी है?

बच्चों के लिए परिवार के बाकी सभी सदस्यों के साथ अच्छे रिश्ते बनाना बहुत जरूरी है। लेकिन दादा-दादी, नाना-नानी और बच्चे के बीच का रिश्ता बेहद खास होता है, उनकी भूमिका बच्चे को बहुत प्रभावित करती है। हालांकि उनके और बच्चों के बीच का रिश्ता कई तरह से बच्चे की परवरिश और विकास में भूमिका निभाते हैं। आइए पता करते हैं:

1. माता-पिता के बाद बच्चों का पहला दूसरा रिश्ता

दादा-दादी के साथ बच्चों का रिश्ता उनके जीवन का पहला ऐसा रिश्ता होता है जो माता-पिता के अलावा उनके साथ बनता है जिस पर वो भरोसा करते हैं। कुछ बच्चों के लिए यह रिश्ता उनके जन्म से ही बन जाता है, क्योंकि उनके दादा-दादी, नाना-नानी उनके साथ ही रहते हैं, जबकि कुछ बच्चों को यह बांड बनाने में समय लगता है, क्योंकि वे उनके साथ नहीं रहते। इस रिश्ते में बच्चे अपने दादा-दादी के साथ आसानी से खुलकर बात कर पाते हैं, जो उन्हें समझने और भावनात्मक रूप से मजबूत होने में मदद करता है।

2. दो पीढ़ियों के बीच की सीढ़ी

हम सभी अलग-अलग समय और हालात में पले-बढ़े हैं। आज का समय बहुत तेजी से बदल रहा है और नई तकनीकों पर निर्भर है, जो बच्चों के लिए सीखना आसान है, लेकिन दादा-दादी के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है। वहीं, बच्चों को इतनी जल्दी दुनिया की कई चीजों से परिचित कराने पर वे कभी-कभी परेशान हो जाते हैं। ऐसे में, दादा-दादी और बच्चों का रिश्ता दोनों को एक-दूसरे की मदद करने का मौका देता है। बच्चे अपने दादा-दादी को मोबाइल या कंप्यूटर चलाना सिखाते हैं और दादा-दादी अपने अनुभवों से बच्चों को जीवन की बातें सिखाते हैं।

3. बच्चों की देखभाल में भी उनका सहारा

आजकल के माता-पिता बच्चे के जन्म के बाद जल्द से जल्द अपनी नौकरी और करियर पर वापस लौटना चाहते हैं। डे-केयर या बेबीसिटिंग में बच्चे के लिए अपनापन और भरोसा भी नहीं होता। लेकिन अगर बच्चे दादा-दादी पास रहते हैं, तो बच्चों की देखभाल के लिए वह बहुत बड़ा सहारा होते है। उनके पास दिनभर का समय होता है, और इस दौरान वे बच्चे के साथ समय बिताकर एक अच्छा रिश्ता बनाते हैं, जिससे आपका बच्चा उनकी देखभाल में सुरक्षित महसूस करता है।

4. लाड-प्यार में थोड़ा बिगड़ना

ज्यादातर दादा-दादी अपने पोते-पोतियों से बहुत प्यार करते हैं, कभी-कभी तो इतना कि उनकी हर बात मान लेते हैं। बच्चे भी दादा-दादी के साथ खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं, क्योंकि वे उनसे अपनी बातें आसानी से शेयर कर सकते हैं। यहां तक कि वे उन सख्त नियमों से बच सकते हैं, जो माता-पिता ने बनाए होते हैं। हालांकि, कुछ नियमों पर सहमति जतानी जरूरी है, लेकिन बच्चों को थोड़ा विद्रोह करने की आजादी दी जा सकती है, यह जानते हुए कि दादा-दादी उनके साथ हैं। जैसे, होमवर्क से बचकर पार्क में खेलने जाना बच्चों के लिए बहुत खुशी की बात होती है।

5. अनुशासन और बातों को समझना सीखना

माता-पिता अक्सर बच्चों पर सख्ती करते हैं और जिससे बच्चों को उनकी बात मानने के आलावा विकल्प नहीं होता है। इससे बच्चे कभी-कभी चुपचाप रहने लगते हैं या फिर बहस करने लगते हैं और वो काम करने से कतराते हैं जो उनसे कहा गया हो। ऐसे में दादा-दादी की मौजूदगी काफी फायदेमंद साबित होती है। उनके पास बहुत धैर्य होता है और वे माता-पिता की बातों को इस तरह से समझा सकते हैं कि बच्चे को वो मुश्किल न लगे। दादा-दादी का अनुभव और समझदारी बच्चों को उनकी बात मानने और सलाह मानने में मदद करती है। 

6. एक अलग तरह से जीवन को जानना

दादा-दादी के पास उम्र के साथ जीवन का बड़ा अनुभव और ज्ञान होता है। उनके पास कहानियों और मजेदार किस्सों का खजाना होता है, जिनमें से कुछ आपके बचपन से भी जुड़े होते हैं। जब आपका बच्चा अपने दादा-दादी के साथ समय बिताता है, तो उसकी सोच का दायरा बढ़ता है और वो समझने लगता है कि सबका जीवन कैसे अलग-अलग हो सकता है। यहां तक कि वह आपको भी अपनी उम्र के बच्चे के रूप में सोचने लगता है। हालांकि, कुछ दादा-दादी अपने अनुभव को इतना ज्यादा महत्व देते हैं कि वे आपको अपने तरीके से बच्चे को पालने में रोकने लगते हैं। आपको ऐसे में उनसे बात करनी चाहिए, लेकिन उनके पास जाने से मत रोकिए उन्हें एक अलग तरह के जीवन का अनुभव करने दें, जिसमें बहुत सारी कहानियां और मजेदार चीजें शामिल हैं।

दादा-दादी और पोते-पोतियों के बीच मजबूत रिश्ता बनाने के आसान तरीके

दादा-दादी और पोते-पोतियों के बीच एक मजबूत और अच्छा रिश्ता बनाना बहुत जरूरी है। जब आप समझ जाते हैं कि दादा-दादी का होना बच्चों पर कितना अच्छा असर डाल सकता है और इसके कितने फायदे होते हैं, तो आप इस रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं। यहां कुछ आसान टिप्स दिए गए हैं जो इस रिश्ते को मजबूत बनाने में आपकी मदद करेंगे:

1. एक फैमिली ट्री बनाएं

आप इसे अपने बच्चे के साथ खुद भी बना सकते हैं। लेकिन दादा-दादी इस काम के लिए सबसे बेहतर होते हैं क्योंकि वे परिवार के बारे में ज्यादा जानते हैं। इसके अलावा, दादा-दादी बच्चों को परिवार के अन्य सदस्यों के बारे में बताते हैं और उनके जीवन से जुड़ी कहानियां सुनाते हैं, जो बच्चों को प्रेरित करने के साथ मजेदार भी लगती हैं। इससे दादा-दादी को अपने पुराने दिन याद कर के अच्छा महसूस होता है।

2. दादा-दादी का कोई हुनर सीखना

दादा-दादी के पास कोई खास हुनर या शौक हो सकता है, जो आजकल के समय में बहुत आम न हों। यह बच्चों के लिए बहुत रोचक हो सकता है और दोनों के लिए एक साथ समय बिताने जे लिए मजेदार गतिविधि हो सकती है। दादा-दादी को बहुत अच्छा लगता है जब वे अपने पोते-पोतियों को कुछ नया सिखाते हैं और बच्चों को भी इसे सीखकर मजा आता है क्योंकि अब वो यह हुनर अपने दोस्तों को भी सिखा सकते है। इस तरह साथ में समय बिताने से दोनों के बीच एक खास रिश्ता बनता है, जिसे कोई भी बदल नहीं सकता।

3. पत्र या मेल के जरिए संपर्क में रहें

हर दादा-दादी अपने पोते-पोतियों के पास नहीं रह पाते। यह बच्चों के लिए दादा-दादी से संपर्क में रहने का एक मौका होता है। अपने बच्चे को दादा-दादी के लिए हाथ से लिखा हुआ पत्र भेजने दें, जिसमें सही डाक टिकट और लिफाफा हो। जब दादा-दादी अपने पोते-पोतियों का लिखा पत्र पढ़ते हैं, तो उन्हें बहुत खुशी होती है। बाद में, बच्चे उन्हें ईमेल इस्तेमाल करना भी सिखा सकते हैं और फिर उनके साथ ईमेल के जरिए बात कर सकते हैं।

4. फोटो से यादें बनाएं

अपने बच्चों को दादा-दादी के साथ सेल्फी लेने दें और उन्हें खुद भी फोटो खींचना सिखाएं। आप ऐसे एक अच्छा एलबम तैयार कर सकते है, जिसमें बच्चे अपने दादा-दादी के साथ अपनी यादों को हमेशा के लिए बचा कर रख सकते हैं। यह बच्चों के लिए उनकी यादों का एक अनमोल खजाना होगा, जिसे आप सब मिलकर कभी भी देख सकते हैं।

5. वीडियो कॉल करें

डिजिटल युग में, किसी से भी बात करना बहुत आसान हो गया है। वीडियो कॉल का इस्तेमाल करके दादा-दादी से नियमित रूप से बात कराएं या बच्चों को उन्हें कुछ भी नया दिखाने का मौका दें। दादा-दादी भी अपनी कहानियां या वीडियो रिकॉर्ड करके अपने पोते-पोतियों को भेज सकते हैं, इससे बच्चों को अच्छा लगेगा।

6. मिलने जरूर जाएं

किसी से मिलकर समय बिताने का अनुभव सबसे अच्छा होता है। चाहे दादा-दादी कहीं भी रहते हों, साल में कम से कम एक या दो बार उनसे मिलने का प्लान बनाएं ताकि आपके बच्चे उनके साथ एक मजबूत रिश्ता बना सकें। दादा-दादी भी अपने परिवार को अपने पास पाकर बहुत खुश होंगे और साथ में कुछ पारिवारिक उत्सव भी मना सकते हैं।

दादा-दादी का होना बच्चों के भावनात्मक विकास पर बहुत गहरा असर डालता है, जो हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। उनके साथ बच्चों का जो रिश्ता होता है, वह बहुत खास और अनमोल होता है। इसलिए, कोशिश करें कि आपके बच्चे दादा-दादी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। इससे वे बड़े होकर अच्छे और समझदार इंसान बनेंगे।

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समर नक़वी

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