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हम सभी जानते हैं, कि बच्चों का दिमागी विकास शुरुआती शिक्षा से बड़े पैमाने पर प्रभावित होता है। बच्चे सबसे अच्छी तरह से तब सीखते हैं, जब उन पर अधिक दबाव नहीं डाला जाता है और क्रिएटिविटी के लिए उन्हें समय दिया जाता है। इस कारण कई पेरेंट्स प्रीस्कूल को गंभीरता से लेते हैं और उनके लिए जरूरी बातों की शिक्षा देने के लिए, बच्चों के साथ अधिक समय बिताने पर जोर देते हैं। बच्चे की आगे की पढ़ाई के लिए यह काफी फायदेमंद देखा गया है।
अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन 3 और 5 साल की उम्र के बीच के बच्चों के लिए होती है। आमतौर पर इसे प्रीस्कूल, प्री किंडरगार्डन, डे केयर, नर्सरी स्कूल या सीधे तौर पर अर्ली एजुकेशन कहा जाता है। इन सबका केवल एक ही उद्देश्य होता है, बच्चे को एलिमेंट्री स्कूल के लिए तैयार करना। एलिमेंट्री स्कूल से पहले बच्चे पर विशेष ध्यान देने से उसके भविष्य के लिए बेहतर शुरुआत करने में मदद मिलती है।
शुरुआती बाल शिक्षा एक ट्रेनिंग प्रोग्राम जैसी होती है, जो कि छोटे बच्चों को दी जाती है। क्लास के दौरान बच्चे सामाजिक, भावनात्मक, शारीरिक और कॉग्निटिव डेवलपमेंट सीखते हैं, ताकि उज्जवल भविष्य पाने में उनकी मदद हो सके। इसे सही तरह से किया जाए तो बच्चों में अर्ली एजुकेशन के द्वारा बच्चों में सीखने के प्रति आजीवन प्रेम का विकास हो सकता है।
बच्चों का दिमाग स्पंज की तरह होता है। इसमें बहुत सारी जानकारी सोखने की क्षमता होती है। इसके कारण सीखने के दौरान उन्हें गाइडेंस देना बहुत जरूरी होता है। बच्चों के अर्ली एजुकेशन से संबंधित कई पहलू होते हैं और इसके कई फायदे हमने यहां पर दिए हैं:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और सोशलाइजेशन या सामाजिकता का मुख्य कांसेप्ट शुरुआती बचपन में अपनी जड़ें जमाता है। परिवार से दूर एक सुरक्षित वातावरण में बच्चे अपनी उम्र के दूसरे बच्चों से मिलते हैं जिससे उनके मस्तिष्क में सोशलाइजेशन और फ्रेंडशिप के बीज बोए जाते हैं। इससे आपके बच्चे में आत्म विश्वास का विकास होता है और उसका शर्मिला व्यवहार दूर होता है।
इस चरण के दौरान बच्चे शेयर करना, एक दूसरे की मदद करना, अपनी बारी का इंतजार करना और ऐसी अन्य कई चीजें सीखते हैं। ये सभी एक सुरक्षित सामाजिक जीवन का हिस्सा हैं। यह खासकर एक अकेले बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है, जिसे चीजें शेयर करने की आदत नहीं होती है। सुरक्षित वातावरण में बच्चा प्रोफेशनल के गाइडेंस में सहयोग करना सीखता है।
एक इंसान होने के नाते पर्सनालिटी के सभी पहलुओं में मजबूत नींव होना जरूरी है, जैसे भावनात्मक, सामाजिक, मानसिक और शारीरिक। जो टीचर छोटे बच्चों को संभालते हैं, उन्हें बच्चों के कमजोर पहलू को पहचानने के लिए अच्छी तरह से ट्रेन किया जाता है और प्रैक्टिकल सेशन के द्वारा उन्हें सुधार करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस मामले में बच्चों के साथ इंटरेक्शन करना सबसे ज्यादा जरूरी है।
अगर बच्चों को फनी और मजेदार गतिविधियों के द्वारा सिखाया जाए, तो उनमें सीखने की एक भूख पैदा होती है। सीखने की यह उत्सुकता और उत्साह बच्चों में आजीवन रहता है।
प्रीस्कूल में उपलब्ध एक नया वातावरण बच्चों को शिक्षा की जरूरत को लेकर पूरी तरह से एक अलग नजरिया देता है। ज्ञान लेना और उसे अपने जीवन में लागू करना शिक्षा का महत्व बताता है।
प्रीस्कूल का वातावरण बच्चों को एक दूसरे के प्रति अच्छा व्यवहार सीखने में मदद करता है और वे यह समझना शुरू करते हैं, कि सम्मान केवल लोगों और चीजों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके वातावरण से भी संबंधित है।
एक व्यक्ति की टीम कार्यक्षमता दूसरों की राय, सुनने की क्षमता और बराबरी की मानसिकता पर निर्भर करती है। ये सभी गुण बच्चों को कम उम्र में सिखाए जाने चाहिए। कई प्रीस्कूल एक्टिविटीज टीम वर्क पर फोकस करते हैं और बच्चों में एक टीम के रूप में काम करने के रवैये का विकास करते हैं।
हमारा समाज हमेशा बदलता रहता है और जितनी जल्दी हो सके लचीलापन पैदा करना बहुत जरूरी है। प्रोफेशनल्स द्वारा दी गई चुनौतीपूर्ण स्थितियों से बच्चों को अपने खुद के अनुभव से सीखने में मदद मिलती है। चुनौतियों से मिलने वाली चोटों और खरोचों के साथ भविष्य की चुनौतियों से लड़ने की नींव तैयार होती है।
प्रीस्कूल में दिए जाने वाले टास्क और एक्टिविटी में बच्चे के कंसंट्रेशन की बहुत जरूरत होती है। बार-बार होने वाली एक्टिविटी उसके कंसंट्रेशन स्किल को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
एक वयस्क के जीवन में धैर्य की अक्सर परीक्षा होती रहती है और बच्चों को भविष्य के लिए ऐसी स्थितियों को संभालने के लिए ट्रेन होना जरूरी है। टीचर का ध्यान शेयर करना, अपनी बारी का इंतजार करना जैसे अनुभव बच्चे में धैर्य का विकास करते हैं।
एक व्यक्ति के लिए अपने टैलेंट को समझने के लिए कुशलता की एक भावना जरूरी है। बच्चों और शिक्षकों के साथ सकारात्मक इंटरेक्शन से बच्चों में खुद को लेकर सकारात्मक विचार की प्रेरणा मिलती है। यह बच्चों की अर्ली एजुकेशन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण असर है।
प्रीस्कूल में प्रोफेशनली बनाई गई एक्टिविटीज मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा देती हैं। विश्लेषण और लॉजिकल रीजनिंग युक्त विभिन्न एक्टिविटी बच्चों के स्किल के विकास में मदद करती हैं।
आधुनिक दुनिया में बहुत विविधता होती है और बच्चों को इन्हें सराहने और समाज की विभिन्नता को स्वीकार करना सिखाने की जरूरत होती है।
बच्चा बड़ा होकर कैसा इंसान बनेगा, इसमें हर नए शब्द, नए अनुभव और नए व्यक्ति का योगदान होता है, क्योंकि शुरुआती सालों के दौरान बच्चे पर गहरी छाप छोड़ना संभव होता है। अधिकतर पेरेंट्स इस बात को समझते हैं और बच्चों की आरंभिक बाल शिक्षा को बहुत महत्व देते हैं।
हाल ही में किए गए अध्ययनों से यह पता चला है, कि बच्चों की अर्ली एजुकेशन उनके मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक विकास को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। इसलिए अपने बच्चे की शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए आपको उनकी अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन सुनिश्चित करनी चाहिए। इसलिए हमेशा ध्यान रखें, कि इसकी शुरुआत जल्द की जाए, ताकि भविष्य में यह एक समस्या बनकर न उभरे।
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