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अपने बच्चे को भयंकर दर्द में परेशान देखने और इस दर्द के पीछे का कारण पता न होने से पैरंट्स काफी विचलित हो सकते हैं। जब आपके बच्चे को सिर में या पेट में दर्द होता है, तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए। लेकिन कभी-कभी कोई बीमारी या स्थिति माता-पिता को असहाय कर देती है। जब आप अपने बच्चे की किसी स्थिति को मैनेज नहीं कर पाते हैं, तो उससे लड़ने का पहला कदम होता है, उसे समझना। बच्चों के लिए अपेंडिसाइटिस जैसी बीमारियां बेहद दर्दनाक होती है और अगर इनका इलाज न किया जाए, तो ये और भी गंभीर रूप ले सकते हैं। बल्कि अगर लंबे समय तक इनका इलाज न किया जाए, तो अपेंडिसाइटिस जानलेवा भी हो सकता है।
अपेंडिसाइटिस पेट के निचले हिस्से में स्थित अपेंडिक्स में सूजन या पस भर जाने के कारण होता है। अपेंडिक्स का आकार बड़ा हो जाने से पेट का निचला हिस्सा सूज जाता है, जो कि छोटे बच्चों के लिए सबसे दर्दनाक स्थितियों में से एक होती है। अपेंडिसाइटिस 10 वर्ष से 30 वर्ष के उम्र के बीच के किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। ज्यादातर पीडियाट्रिक स्पेशलिस्ट के अनुसार बच्चों में अपेंडिक्स के दर्द की घटनाएं बड़ों से अधिक देखी जाती हैं।
यह स्थिति बिल्कुल भी संक्रामक नहीं होती है और अगर इसका पता चल जाए, तो बिना किसी समस्या के इसका इलाज किया जा सकता है। कभी-कभी बच्चों में अपेंडिक्स को निकालने के लिए डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं और इसमें चिंता की कोई बात नहीं होती है। इस प्रक्रिया में खतरों की संभावना बहुत ही कम होती है।
अपेंडिक्स में संक्रमण के मामलों में इसका फटना भी देखा गया है। जिसके कारण खतरनाक बैक्टीरिया फैल सकते हैं। जिससे पहले से मौजूद बैक्टीरियल इंफेक्शन और भी फैल सकता है या पस बन सकता है।
अपेंडिसाइटिस की पहचान होने पर इलाज के विकल्पों के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। यह स्थिति बहुत जल्दी बिगड़ सकती है और यह जानलेवा भी हो सकती है।
अपेंडिसाइटिस एक आम समस्या है, जो कि नियमित रूप से बहुत सारे बच्चों को प्रभावित करती है। साथ ही यह बड़ों को भी प्रभावित कर सकती है। इसका खतरा किस व्यक्ति को अधिक होता है और किस आयु वर्ग को इसकी संभावना अधिक होती है, यह समझने से आप यह पहचान सकते हैं, कि आपके किस प्रियजन को इसका खतरा हो सकता है:
यह बीमारी अपेंडिक्स में संक्रमण, सूजन या इन्फ्लेमेशन के कारण होती है। जब यह अंग खुद मल, पैरासाइट और म्यूकस के संपर्क में आता है, तो ऐसा हो सकता है। इससे अपेंडिक्स तक जाने वाला खून का बहाव बड़े पैमाने पर ब्लॉक हो जाता है या पतला हो जाता है। जिसके कारण इस अंग को पोषण नहीं मिल पाता है और अंत में जिसकी मृत्यु हो जाती है। शरीर के हर अंग को पोषण के लिए खून की जरूरत होती है और अपेंडिक्स के साथ भी ऐसा ही है। खून की कमी होने से संक्रमण और गंदगी बढने लगती है। जिसके कारण अपेंडिक्स का दबाव बढ़ जाता है और यह फटना शुरू हो जाता है और इसमें छेद बनने लगते हैं, जिसे अपेंडिक्स रप्चर कहा जाता है। इसके फटने से अपेंडिक्स एब्डोमिनल कैविटी में लीक होने लगता है, जिससे मवाद बनने लगता है।
बच्चों में अपेंडिसाइटिस होने के दो प्रमुख कारण होते हैं, जो कि नीचे दिए गए हैं:
ऐसे कई संकेत और लक्षण होते हैं, जो कि आपके बच्चे में अपेंडिसाइटिस की ओर इशारा करते हैं। अगर आपके बच्चे के अपेंडिक्स में किसी तरह की समस्या हो, तो इन संकेतों की जानकारी होने से आपको बहुत मदद मिलेगी।
अपेंडिक्स पेट की दाहिनी ओर निचले हिस्से में स्थित होता है। अगर आपका बच्चा अपेंडिसाइटिस से ग्रस्त है, तो वह इसी क्षेत्र में दर्द की शिकायत करेगा। हालांकि पेट के सभी दर्द अपेंडिसाइटिस का संकेत नहीं होते हैं।
भूख में होने वाली लगातार कमी और अपने पसंदीदा खाने के प्रति कोई उत्साह न होना आपके बच्चे में अपेंडिसाइटिस का संकेत हो सकता है।
अपेंडिसाइटिस में कभी-कभी 99 से 102 डिग्री तक का हल्का बुखार आ सकता है।
लंबे समय तक रहने वाली उल्टी और मतली की समस्या होने पर आपको अपने पीडियाट्रिशियन से संपर्क करना चाहिए।
पेट के निचले हिस्से में किसी तरह का दर्द होने पर पेशाब करने में कठिनाई हो सकती है।
अपेंडिसाइटिस की शुरुआत होने के कुछ दिनों बाद यह लक्षण दिख सकता है। अगर आपका बच्चा अधिक समय तक दस्त से ग्रस्त रहता है, तो आपको मेडिकल अटेंशन लेनी चाहिए।
यह भी अपेंडिसाइटिस का एक आम लक्षण है।
पेट में इन्फ्लेमेशन के साथ टेंडर्नेस अपेंडिसाइटिस का एक संकेत हो सकता है।
अपेंडिसाइटिस में आमतौर पर पेट में तेज और भयंकर दर्द होता है।
अपेंडिसाइटिस के कुछ खास खतरे होते हैं, जिनसे बचा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये आपके नियंत्रण से बाहर होते हैं। न ही आप और न ही आपके डॉक्टर इन बातों को नकार सकते हैं। इनमें निम्नलिखित बातें शामिल हैं:
बच्चे और युवा सबसे अधिक अपेंडिसाइटिस से संक्रमित क्यों होते हैं यह अज्ञात है। 10 से 30 वर्ष का आयु वर्ग इससे सबसे अधिक प्रभावित होता है।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल क्षेत्र में होने से अपेंडिसाइटिस विकसित हो सकता है।
एक घायल अपेंडिक्स को अपेंडिसाइटिस का खतरा अधिक होता है। जिसमें रप्चर की संभावना बहुत अधिक होती है। यह चोट किसी एक्सीडेंट या स्पोर्ट्स के कारण लग सकती है।
अपेंडिसाइटिस का एक रिस्क फैक्टर जिस पर आपका नियंत्रण होता है, वह है कम फाइबर युक्त आहार। ऐसे आहार से खासकर कब्ज की समस्या होती है। सख्त मल की कुछ मात्रा अपेंडिक्स में अटक सकती है और सूजन हो सकती है। आप बच्चे को फाइबर से भरपूर आहार देकर इस स्थिति से बच सकती हैं।
अगर अपेंडिसाइटिस को नजरअंदाज किया जाता है और समय रहते हुए उसे सर्जरी द्वारा निकाला नहीं जाता है, तब अपेंडिक्स फट सकता है और इसमें मौजूद संक्रमित तरल पदार्थ एब्डोमिनल कैविटी में जा सकता है। इससे एब्डोमेन संक्रमित हो सकता है। इस स्थिति को पेरीटोनाइटिस कहा जाता है। अगर एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से इस स्थिति का इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है।
अगर संक्रमित तरल पदार्थ आंतों के साथ मिल जाता है, तो पस से भरा मवाद बन सकता है। इसे या तो एंटीबायोटिक्स के साथ ठीक किया जा सकता है या फिर ट्यूब के द्वारा निकाला जा सकता है।
अपेंडिक्स के फटने से खतरनाक बैक्टीरिया खून में मिल जाते हैं। ये बैक्टीरिया खून में संक्रमण पैदा कर सकते हैं, जिसे सेप्टीसीमिया के नाम से जाना जाता है। यह खतरनाक हो सकता है और इसे एक इमरजेंसी के तौर पर ठीक किया जाना चाहिए।
बच्चों में अपेंडिसाइटिस को पहचानना कठिन हो सकता है। क्योंकि इसमें ऐसे कई लक्षण दिखते हैं, जो कि केवल इसी बीमारी के नहीं होते हैं। एक पूरी मेडिकल हिस्ट्री के साथ एक शुरुआती शारीरिक जांच से आपके डॉक्टर को इसे पहचानने में मदद मिलेगी। अगर डॉक्टर को अपेंडिसाइटिस का संदेह हो, तो वे और अधिक टेस्ट करने की सलाह देंगे।
आमतौर पर ब्लड टेस्ट ही सबसे अधिक किया जाता है, क्योंकि इससे शरीर में संक्रमण की मौजूदगी को आसानी से पहचाना जा सकता है।
किडनी और ब्लैडर में संक्रमण की जांच के लिए यूरिन टेस्ट किया जाता है।
आपके शरीर के अंदरूनी अंगों और ब्लड वेसल के फंक्शन के जांच के लिए यह प्रक्रिया की जाती है।
इस डायग्नोस्टिक टूल में एक्स रे टेक्नोलॉजी के साथ कंप्यूटर टेक्नोलॉजी शामिल होती है, जिससे साफ और स्पष्ट छवि मिलती है।
आपके बच्चे के अपेंडिसाइटिस का इलाज बहुत सारी बातों पर निर्भर करता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
अपेंडिसाइटिस का स्वभाव अपने आप में एक इमरजेंसी मानी जाती है और यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है। ऐसे में सर्जरी के द्वारा अपेंडिसाइटिस का इलाज करना ही सबसे बेहतर विकल्प है, जिसमें अपेंडिक्स को निकाल दिया जाता है। फिक्र न करें, चूंकि अपेंडिक्स एक अवशेषी अंग है, इसलिए इसका कोई खास फंक्शन नहीं होता है।
अपेंडिक्स को सर्जरी के माध्यम से निकाला जाता है। आमतौर पर इसे दो तरीकों में से किसी एक के द्वारा किया जाता है:
यह सर्जरी जनरल एनेस्थीसिया देकर की जाती है। पेट के निचले हिस्से में दाहिनी ओर अपेंडिक्स के पास एक कट लगाया जाता है। इसके बाद सर्जन अपेंडिक्स को ढूंढकर उसे निकालते हैं। अगर अपेंडिक्स हट चुका हो, तो वे एब्डोमिनल कैविटी में एक ट्यूब डालते हैं और सारे फ्लूइड को बाहर निकालते हैं।
यह सर्जरी एक नया तरीका है और इसमें कई छोटे कट लगाए जाते हैं। इन छोटे कट के द्वारा एक कैमरा और एक लाइट सोर्स अंदर डाला जाता है, ताकि सर्जन देख सकें कि अंदर क्या हो रहा है। फिर वह अपेंडिक्स को बाहर निकाल देते हैं। इस तरीके में चीरा बहुत ही छोटा होता है और यह बहुत जल्दी ठीक भी हो जाता है। लेकिन अगर अपेंडिक्स रप्चर हो चुका हो, तो इसकी सलाह नहीं दी जाती है।
सर्जरी के बाद आपके बच्चे को कुछ खाने या पीने की अनुमति नहीं होती है, क्योंकि उसका इंटेस्टाइन ठीक हो रहा होता है। इंट्रावेनस (आईवी) फ्लूइड के द्वारा उसे पोषण दिया जाता है। बच्चे को दवाएं भी इसी के माध्यम से दी जाती हैं। अगर अपेंडिक्स फट चुका हो, तो उसे हॉस्पिटल में अधिक समय तक रहना पड़ सकता है। दोनों ही मामलों में आपके बच्चे को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद भी एक तय समय सीमा तक एंटीबायोटिक जारी रखने होंगे।
डिस्चार्ज के बाद आपके बच्चे को भारी वजन नहीं उठाना चाहिए या खेलकूद में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। उसे दी जाने वाली कुछ दर्द निवारक दवाओं से उसे कब्ज की समस्या हो सकती है। इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करें और समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश करें। सर्जरी के बाद एक ही जगह पर रहने के बजाय हल्के फुल्के मूवमेंट्स कब्ज की समस्या को कम करने में मदद करेंगे। जब आपका बच्चा दोबारा ठोस आहार लेना शुरू कर देता है, तब उसे फाइबर से भरपूर खाना और पर्याप्त पानी और सूप पीने को दें।
बच्चे में अपेंडिक्स के फटने की घटना बहुत ही डरावनी लग सकती है। यह तब होता है, जब अपेंडिक्स के अंदर तरल पदार्थ के जमाव के कारण अपेंडिक्स की दीवारें बहुत कमजोर हो जाती हैं। जब यह फटता है, तब दर्द में थोड़ी देर के लिए कमी आ जाती है। अपेंडिक्स के फटने से कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इसमें मवाद का बनना बहुत ही आम है। आगे और भी संक्रमण से बचाव के लिए मवाद के आसपास स्कार टिशू जल्द ही बनना शुरू हो जाएगा।
बच्चों और वयस्कों में अपेंडिसाइटिस से बचने का कोई निश्चित तरीका नहीं है। डॉक्टरों का मानना है, कि जो व्यक्ति फाइबर से भरपूर भोजन लेता है उसे अपेंडिसाइटिस की संभावना कम होती है, क्योंकि ऐसा खाना सख्त मल की संभावना को कम कर देता है, जिससे आंतों में समस्याएं पैदा होती है।
ऐसे कई घरेलू उपाय हैं, जो अपेंडिसाइटिस से बचने में आपकी मदद कर सकते हैं और आपके बच्चे को लक्षणों से राहत दिला सकते हैं:
ये घरेलू दवाएं अपेंडिसाइटिस से बचाव के लिए दी जा सकती हैं। लेकिन अगर फिर भी बच्चे में इसके लक्षण दिखते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लेने में और मेडिकल मदद लेने में देर नहीं करनी चाहिए।
चाइल्डहुड अपेंडिसाइटिस का इलाज संभव है, लेकिन यह गंभीर हो सकता है। अगर उसके कोई भी लक्षण कम न हो रहे हों, तो आपको जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर के पास जाना चाहिए। अगर आपका बच्चा गंभीर दर्द से जूझ रहा हो, तो तुरंत मेडिकल मदद लें। अपेंडिक्स के फटने के कारण अधिक जटिलताएं हो सकती हैं और इनसे ठीक होना भी कठिन हो सकता है। समय रहते हुए डॉक्टर तक पहुंचने से जल्दी ठीक होने की संभावना होती है।
निष्कर्ष
अपेंडिसाइटिस परेशानी का कारण बन सकता है और यह सभी के लिए बहुत ही तकलीफदायक अनुभव हो सकता है। अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें और शुरुआती स्तर पर ही इस स्थिति को पूरी तरह से ठीक करें, ताकि आपके बच्चे को लंबी और स्वस्थ जिंदगी मिल सके। आपके डॉक्टर की जानकारी और प्रिसक्रिप्शन के बिना बच्चे को दवा न दें। इलाज का पूरा असर पाने के लिए अपने बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में अपने डॉक्टरों को पूरी जानकारी देना बहुत जरूरी है।
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