बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों में जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए) l Bacchon Mein Juvenile Idiopathic Arthritis(JIA)

आमतौर पर जोड़ों की बीमारियां बड़ों में देखने को मिलती हैं, लेकिन ये समस्याएं बच्चों को भी प्रभावित कर सकती हैं। जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए) बच्चों में होने वाली एक ऐसी बीमारी है, जिसमें उनके जोड़ों में सूजन और दर्द होता है। अगर आपके बच्चे में इस समस्या का पता चला है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। सही जानकारी और देखभाल से इसे बेहतर तरीके से संभाला जा सकता है। आइए आसान भाषा में इसे समझते हैं कि जेआईए क्या है।

जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए) क्या है?

जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए) एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों के जोड़ों को प्रभावित करती है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) गलती से अपने ही स्वस्थ सेल्स को दुश्मन मानकर उन पर हमला करने लगती है। इस बीमारी में जोड़ों के अंदर की नरम परत, जिसे सिनोवियम कहते हैं, सूज जाती है। इस सूजन के कारण जोड़ों में तेज दर्द होता है। यह समस्या 6 से 16 साल के बच्चों में देखने को मिलती है, लेकिन अभी तक इसके होने का सही कारण पता नहीं चल पाया है।

जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए) के प्रकार

जेआईए के सात प्रकार हैं जिनकी पहचान हुई है।

1. सिस्टमेटिक आर्थराइटिस

इसे स्टील डिजीज भी कहा जाता है। यह शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करता है। इसमें बच्चे को तेज बुखार आता है, जो शाम के समय बढ़ सकता है और बाद में ठीक हो जाता है। त्वचा पर लाल चकत्ते दिख सकते हैं और बच्चा पीला-सा दिखने लग सकता है। इसके अलावा, यह आंतरिक अंगों जैसे दिल, लिवर, तिल्ली (स्प्लीन) और लसीका ग्रंथियों (लिम्फ नोड्स) को भी प्रभावित कर सकता है। तिल्ली और लिम्फ नोड्स सूज सकते हैं।

2. ओलिगोआर्थराइटिस

यह जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस का सौम्य रूप है, जो 5 या उससे कम जोड़ों को प्रभावित करता है। आमतौर पर यह घुटनों, टखनों और कलाई में दर्द और सूजन लाता है। कभी-कभी यह आंखों की पुतली (आइरिस) पर असर डाल सकता है। यह समस्या लड़कों की तुलना में लड़कियों में अधिक होती है, और ज्यादातर बच्चे बड़े होने के साथ इससे ठीक हो जाते हैं।

3. पॉलीआर्थराइटिस – रुमेटॉइड फैक्टर नेगेटिव

यह प्रकार 4-5 से अधिक जोड़ों को प्रभावित करता है, जैसे हाथ, घुटने, कूल्हे और गर्दन। यह ज्यादातर लड़कियों में देखा जाता है। इसमें हल्का बुखार हो सकता है और बच्चों को बैठने या झुकने पर जोड़ों में दबाव या दर्द महसूस हो सकता है।

4. पॉलीआर्थराइटिस – रुमेटॉइड फैक्टर पॉजिटिव

यह प्रकार वयस्क रुमेटॉइड आर्थराइटिस जैसा होता है। इसमें खून में रूमेटाइड फैक्टर (आरएफ) या सीसीपी एंटीबॉडी पाई जाती है। यह हड्डियों और जोड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है और अन्य प्रकारों की तुलना में अधिक जटिल है।

5. सोरायसिस आर्थराइटिस

इसमें आर्थराइटिस के साथ सोरायसिस नाम की त्वचा की बीमारी भी होती है। त्वचा पर लाल-सी परतें, जैसे कोहनी, घुटने और कान के पीछे, दिख सकती हैं। अगर परिवार में किसी को सोरायसिस है, तो बच्चे में यह बिना त्वचा के लक्षणों के भी हो सकता है। ऐसे बच्चों के नाखूनों पर गड्ढे या खुरदरापन दिख सकता है।

6. एंथेसाइटिस संबंधित आर्थराइटिस

यह हड्डियों और टेंडन्स (जहां मांसपेशियां हड्डियों से जुड़ती हैं) को प्रभावित करता है। कूल्हों, घुटनों और पीठ में दर्द होता है। यह समस्या 8 साल से बड़े लड़कों में ज्यादा पाई जाती है, खासकर अगर परिवार में किसी पुरुष रिश्तेदार को पीठ का आर्थराइटिस हो।

7. अस्पष्ट आर्थराइटिस

इस प्रकार में आर्थराइटिस के लक्षण किसी एक खास श्रेणी में नहीं बैठते या आर्थराइटिस के कई प्रकारों से जुड़े हो सकते हैं।

बच्चों में आर्थराइटिस के कारण

बच्चों में आर्थराइटिस, खासतौर पर जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए), एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इसका मतलब है कि शरीर की इम्यून प्रणाली गलती से अपने ही जोड़ों पर हमला करने लगती है। हालांकि, इसके पीछे का सही कारण अभी तक नहीं पता चल पाया है। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ विशेष कारण इसे ट्रिगर कर सकते हैं।

  1. कुछ वायरस या पर्यावरणीय कारक शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भ्रमित कर सकते हैं। शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों की परत (लाइनिंग) को बाहरी शत्रु समझकर उस पर हमला करती है। इसके परिणामस्वरूप जोड़ों में सूजन और दर्द शुरू हो जाता है।
  2. कुछ बच्चों में संक्रमण के कारण रिएक्टिव आर्थराइटिस हो सकता है। यह समस्या आमतौर पर कुछ हफ्तों में ठीक हो जाती है। लेकिन जेआईए वाले बच्चों में यह ठीक क्यों नहीं होती, इसका अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है।
  3. जिन बच्चों के परिवार में रुमेटॉइड आर्थराइटिस या जोड़ों व हड्डियों से जुड़ी अन्य बीमारियां होती हैं, उनमें जेआईए का जोखिम अधिक हो सकता है। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि यह बीमारी अनुवांशिक है।

बच्चों में आर्थराइटिस के लक्षण

बच्चों में आर्थराइटिस के लक्षण अक्सर अस्पष्ट होते हैं, यानी ये साफ तौर पर बीमारी का संकेत नहीं देते। कई बार तो बच्चों में कोई लक्षण दिखाई ही नहीं देते। लेकिन अगर कुछ आम समस्याएं बार-बार हो रही हों, तो यह जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस का संकेत हो सकता है। जैसे:

  • जोड़ों में जकड़न
  • सूजन और दर्द
  • बुखार
  • वजन कम होना
  • त्वचा पर लाल चकत्ते
  • चिड़चिड़ापन
  • थकान
  • धुंधली दृष्टि
  • आंखों में दर्द या लाली
  • लंगड़ाना
  • भूख कम लगना

जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस का निदान और जांच

जेआईए के लिए कोई एक खास जांच नहीं होती है, इसलिए डॉक्टर अन्य बीमारियों जैसे लूपस, हड्डियों की बीमारियां, या फाइब्रोमायल्जिया जैसी समस्याओं की जांच से निदान का तरीका अपनाते हैं।

सबसे पहले डॉक्टर बच्चे के स्वास्थ्य इतिहास के बारे में जानते हैं और शारीरिक जांच करते हैं। इसके अलावा, जेआईए के प्रकार की पहचान करने के लिए कुछ और जांच की जा सकती हैं।

  • कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) जांच से लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी), सफेद रक्त कोशिकाओं (डब्लूबीसी) और प्लेटलेट्स की संख्या और उनके आकार की जांच होती है। इससे किसी अन्य संभावित मेडिकल समस्या का पता लगाने में मदद मिलती है।

  • अगर किसी संक्रमण की संभावना हो, तो ब्लड कल्चर जांच की जाती है। यह खून में बैक्टीरिया की मौजूदगी का पता लगाने में मदद करता है।
  • अगर डॉक्टर को ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) का शक हो, तो बोन मैरो बायोप्सी की जाती है।
  • एरिथ्रोसाइट सेडीमेंटेशन रेट जांच से पता चलता है कि लाल रक्त कोशिकाएं जांच ट्यूब के नीचे कितनी जल्दी बैठती हैं। अगर यह रेट तेज हो, तो यह सूजन या आर्थराइटिस जैसी बीमारी का संकेत हो सकता है।
  • सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी), यह प्रोटीन लिवर द्वारा संक्रमण या सूजन की स्थिति में खून में रिलीज होता है। सीआरपी का लेवल बढ़ा हुआ होने पर आर्थराइटिस या संक्रमण की संभावना रहती है।
  • रूमेटाइड फैक्टर (आरएफ) और सीसीपी एंटीबॉडी जांच, खास प्रकार के जीआईए (जो वयस्कों में अधिक आम होता है) का पता लगाया जा सकता है।
  • एएनए (एंटी-न्यूक्लियर एंटीबॉडी),  ये जांच ऑटोइम्यून बीमारियों का पता लगाने के लिए की जाती है। साथ ही, यह भी बता सकती है कि जीआईए की वजह से बच्चे को आंखों से जुड़ी समस्या हो सकती है।
  • एक्स-रे और एमआरआई, हड्डियों और जोड़ों को हुए नुकसान का पता लगाने के लिए किया जाता है।
  • अगर जोड़ों और हड्डियों में दर्द की वजह साफ न हो, तो बोन स्कैन से इसका कारण पता लगाया जाता है।
  • जोड़ों के द्रव और सिनोवियल टिश्यू की जांच, इसमें ऑर्थोपेडिक सर्जन जोड़ों से द्रव या टिश्यू का सैंपल लेकर इसकी जांच करते हैं। इससे संक्रमण या अन्य सूजन से जुड़ी समस्याओं का पता चलता है।

जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस के कारण होने वाली समस्याएं

अगर आपके बच्चे में जेआईए के लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना बेहद जरूरी है। इलाज न कराने पर यह बीमारी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है।

  • अगर समय पर इलाज न मिले, तो जोड़ों में स्थायी नुकसान हो सकता है, जिससे बच्चा सामान्य रूप से चलने-फिरने में असमर्थ हो सकता है।
  • जेआईए और इसके इलाज के लिए दी जाने वाली कुछ दवाएं बच्चों की हड्डियों और मांसपेशियों के विकास को प्रभावित कर सकती हैं।
  • जेआईए की वजह से आंखों में सूजन हो सकती है। इसे यूवाइटिस कहा जाता है, जो इलाज न होने पर और गंभीर हो सकता है।
  • यूवाइटिस का इलाज न होने पर यह ग्लूकोमा (आंखों का दबाव बढ़ना), मोतियाबिंद या यहां तक कि अंधापन भी पैदा कर सकता है।
  • बिना इलाज के, जेआईए बच्चों के जोड़ों को विकृत (डिफॉर्म) कर सकता है, जिससे उनके शरीर के सामान्य आकार और गतिविधियों में समस्या हो सकती है।
  • अगर गंभीर स्थिति को अनदेखा किया गया, तो जेआईए बच्चों के हाथों की कार्यक्षमता को भी प्रभावित कर सकता है।

जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस का इलाज

जेआईए के इलाज में दवाएं, फिजिकल थेरेपी और नियमित एक्सरसाइज शामिल होती हैं। इलाज की योजना बच्चे की स्थिति और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करती है।

1. दवाइयां

नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं, जैसे आइबुप्रोफेन (एडविल, मोट्रिन) दर्द और सूजन को कम करने के लिए दी जाती हैं। इनकी खुराक बच्चे की स्थिति के आधार पर तय की जाती है।

आर्थराइटिस के अचानक बढ़े लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कोर्टिकोस्टेरॉयड दवाएं दी जा सकती हैं। हालांकि, इनके दुष्प्रभाव (जैसे धीमा विकास, वजन बढ़ना, त्वचा में बदलाव) की वजह से इन्हें बच्चों के लिए बहुत कम इस्तेमाल किया जाता है।

अगर एनएसएआईडी से फायदा न हो, तो डिजीज मॉडिफाइंग एंटी-रूमेटिक दवाएं (जैसे मिथोट्रेक्सेट) दी जाती हैं। अन्य दवाएं जैसे हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, सल्फासालजीन और ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर (टीएनएफ) इनहिबिटर भी बच्चों को दी जा सकती हैं। ये नई दवाएं है, जिन्हें खासतौर पर जेआईए के लिए तैयार किया गया है। इन्हें इंजेक्शन या आइवी के जरिए अस्पताल में दिया जाता है।

2. फिजिकल थेरेपी

फिजिकल थेरेपी से बच्चों के जोड़ बेहतर तरीके से हिल सकते हैं। थेरेपिस्ट बच्चे की स्थिति के आधार पर कुछ व्यायाम करवाएंगे, जो जोड़ों की जकड़न को कम करते हैं, लचीलापन बढ़ाते हैं और मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं।

3. नियमित व्यायाम

बच्चे को नियमित व्यायाम करने की आदत डालना बेहद फायदेमंद होता है। यह जोड़ों के दर्द को कम करने और उनके चलने-फिरने के तरीके को बेहतर बनाने में मदद करता है। वॉर्म-अप एक्टिविटीज और सुरक्षित व्यायाम जैसे चलना, तैरना और साइकिल चलाना बच्चों के लिए सुरक्षित मानी जाती हैं।

अगर बच्चा कोई खेल खेलता है, तो डॉक्टर से जरूर पूछें कि क्या उसे किसी खास स्पोर्ट्स से बचना चाहिए ताकि गंभीर चोटों का खतरा न हो।

समय पर जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस का इलाज बच्चे को दर्द से राहत दिलाने और एक बेहतर जीवन जीने में मदद कर सकता है। यह जरूरी है कि माता-पिता बच्चे के विकास पर ध्यान दें और उसे संतुलित और पौष्टिक आहार दें। सही देखभाल और समर्थन के साथ, बच्चा न सिर्फ इस बीमारी से उबर सकता है, बल्कि अपनी दिनचर्या में भी सुधार कर सकता है।

समर नक़वी

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