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आमतौर पर जोड़ों की बीमारियां बड़ों में देखने को मिलती हैं, लेकिन ये समस्याएं बच्चों को भी प्रभावित कर सकती हैं। जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए) बच्चों में होने वाली एक ऐसी बीमारी है, जिसमें उनके जोड़ों में सूजन और दर्द होता है। अगर आपके बच्चे में इस समस्या का पता चला है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। सही जानकारी और देखभाल से इसे बेहतर तरीके से संभाला जा सकता है। आइए आसान भाषा में इसे समझते हैं कि जेआईए क्या है।
जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए) एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों के जोड़ों को प्रभावित करती है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) गलती से अपने ही स्वस्थ सेल्स को दुश्मन मानकर उन पर हमला करने लगती है। इस बीमारी में जोड़ों के अंदर की नरम परत, जिसे सिनोवियम कहते हैं, सूज जाती है। इस सूजन के कारण जोड़ों में तेज दर्द होता है। यह समस्या 6 से 16 साल के बच्चों में देखने को मिलती है, लेकिन अभी तक इसके होने का सही कारण पता नहीं चल पाया है।
जेआईए के सात प्रकार हैं जिनकी पहचान हुई है।
इसे स्टील डिजीज भी कहा जाता है। यह शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करता है। इसमें बच्चे को तेज बुखार आता है, जो शाम के समय बढ़ सकता है और बाद में ठीक हो जाता है। त्वचा पर लाल चकत्ते दिख सकते हैं और बच्चा पीला-सा दिखने लग सकता है। इसके अलावा, यह आंतरिक अंगों जैसे दिल, लिवर, तिल्ली (स्प्लीन) और लसीका ग्रंथियों (लिम्फ नोड्स) को भी प्रभावित कर सकता है। तिल्ली और लिम्फ नोड्स सूज सकते हैं।
यह जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस का सौम्य रूप है, जो 5 या उससे कम जोड़ों को प्रभावित करता है। आमतौर पर यह घुटनों, टखनों और कलाई में दर्द और सूजन लाता है। कभी-कभी यह आंखों की पुतली (आइरिस) पर असर डाल सकता है। यह समस्या लड़कों की तुलना में लड़कियों में अधिक होती है, और ज्यादातर बच्चे बड़े होने के साथ इससे ठीक हो जाते हैं।
यह प्रकार 4-5 से अधिक जोड़ों को प्रभावित करता है, जैसे हाथ, घुटने, कूल्हे और गर्दन। यह ज्यादातर लड़कियों में देखा जाता है। इसमें हल्का बुखार हो सकता है और बच्चों को बैठने या झुकने पर जोड़ों में दबाव या दर्द महसूस हो सकता है।
यह प्रकार वयस्क रुमेटॉइड आर्थराइटिस जैसा होता है। इसमें खून में रूमेटाइड फैक्टर (आरएफ) या सीसीपी एंटीबॉडी पाई जाती है। यह हड्डियों और जोड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है और अन्य प्रकारों की तुलना में अधिक जटिल है।
इसमें आर्थराइटिस के साथ सोरायसिस नाम की त्वचा की बीमारी भी होती है। त्वचा पर लाल-सी परतें, जैसे कोहनी, घुटने और कान के पीछे, दिख सकती हैं। अगर परिवार में किसी को सोरायसिस है, तो बच्चे में यह बिना त्वचा के लक्षणों के भी हो सकता है। ऐसे बच्चों के नाखूनों पर गड्ढे या खुरदरापन दिख सकता है।
यह हड्डियों और टेंडन्स (जहां मांसपेशियां हड्डियों से जुड़ती हैं) को प्रभावित करता है। कूल्हों, घुटनों और पीठ में दर्द होता है। यह समस्या 8 साल से बड़े लड़कों में ज्यादा पाई जाती है, खासकर अगर परिवार में किसी पुरुष रिश्तेदार को पीठ का आर्थराइटिस हो।
इस प्रकार में आर्थराइटिस के लक्षण किसी एक खास श्रेणी में नहीं बैठते या आर्थराइटिस के कई प्रकारों से जुड़े हो सकते हैं।
बच्चों में आर्थराइटिस, खासतौर पर जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए), एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इसका मतलब है कि शरीर की इम्यून प्रणाली गलती से अपने ही जोड़ों पर हमला करने लगती है। हालांकि, इसके पीछे का सही कारण अभी तक नहीं पता चल पाया है। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ विशेष कारण इसे ट्रिगर कर सकते हैं।
बच्चों में आर्थराइटिस के लक्षण अक्सर अस्पष्ट होते हैं, यानी ये साफ तौर पर बीमारी का संकेत नहीं देते। कई बार तो बच्चों में कोई लक्षण दिखाई ही नहीं देते। लेकिन अगर कुछ आम समस्याएं बार-बार हो रही हों, तो यह जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस का संकेत हो सकता है। जैसे:
जेआईए के लिए कोई एक खास जांच नहीं होती है, इसलिए डॉक्टर अन्य बीमारियों जैसे लूपस, हड्डियों की बीमारियां, या फाइब्रोमायल्जिया जैसी समस्याओं की जांच से निदान का तरीका अपनाते हैं।
सबसे पहले डॉक्टर बच्चे के स्वास्थ्य इतिहास के बारे में जानते हैं और शारीरिक जांच करते हैं। इसके अलावा, जेआईए के प्रकार की पहचान करने के लिए कुछ और जांच की जा सकती हैं।
अगर आपके बच्चे में जेआईए के लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना बेहद जरूरी है। इलाज न कराने पर यह बीमारी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है।
जेआईए के इलाज में दवाएं, फिजिकल थेरेपी और नियमित एक्सरसाइज शामिल होती हैं। इलाज की योजना बच्चे की स्थिति और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करती है।
नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं, जैसे आइबुप्रोफेन (एडविल, मोट्रिन) दर्द और सूजन को कम करने के लिए दी जाती हैं। इनकी खुराक बच्चे की स्थिति के आधार पर तय की जाती है।
आर्थराइटिस के अचानक बढ़े लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कोर्टिकोस्टेरॉयड दवाएं दी जा सकती हैं। हालांकि, इनके दुष्प्रभाव (जैसे धीमा विकास, वजन बढ़ना, त्वचा में बदलाव) की वजह से इन्हें बच्चों के लिए बहुत कम इस्तेमाल किया जाता है।
अगर एनएसएआईडी से फायदा न हो, तो डिजीज मॉडिफाइंग एंटी-रूमेटिक दवाएं (जैसे मिथोट्रेक्सेट) दी जाती हैं। अन्य दवाएं जैसे हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, सल्फासालजीन और ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर (टीएनएफ) इनहिबिटर भी बच्चों को दी जा सकती हैं। ये नई दवाएं है, जिन्हें खासतौर पर जेआईए के लिए तैयार किया गया है। इन्हें इंजेक्शन या आइवी के जरिए अस्पताल में दिया जाता है।
फिजिकल थेरेपी से बच्चों के जोड़ बेहतर तरीके से हिल सकते हैं। थेरेपिस्ट बच्चे की स्थिति के आधार पर कुछ व्यायाम करवाएंगे, जो जोड़ों की जकड़न को कम करते हैं, लचीलापन बढ़ाते हैं और मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं।
बच्चे को नियमित व्यायाम करने की आदत डालना बेहद फायदेमंद होता है। यह जोड़ों के दर्द को कम करने और उनके चलने-फिरने के तरीके को बेहतर बनाने में मदद करता है। वॉर्म-अप एक्टिविटीज और सुरक्षित व्यायाम जैसे चलना, तैरना और साइकिल चलाना बच्चों के लिए सुरक्षित मानी जाती हैं।
अगर बच्चा कोई खेल खेलता है, तो डॉक्टर से जरूर पूछें कि क्या उसे किसी खास स्पोर्ट्स से बचना चाहिए ताकि गंभीर चोटों का खतरा न हो।
समय पर जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस का इलाज बच्चे को दर्द से राहत दिलाने और एक बेहतर जीवन जीने में मदद कर सकता है। यह जरूरी है कि माता-पिता बच्चे के विकास पर ध्यान दें और उसे संतुलित और पौष्टिक आहार दें। सही देखभाल और समर्थन के साथ, बच्चा न सिर्फ इस बीमारी से उबर सकता है, बल्कि अपनी दिनचर्या में भी सुधार कर सकता है।
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