बच्चों का बुरा व्यवहार करना किसी न किसी कारण से होता है। ये कारण बच्चे में पोषण की कमी, जिद्दी स्वभाव या किसी मानसिक विकार की वजह से होते हैं। अपोजीशनल डिफाएंट डिसऑर्डर (ओडीडी) भी ऐसा ही एक विकार है जो बच्चों को उद्दंड बनता है। यह तब ज्यादा दिखाई देता है जब कोई बच्चा अपनी भावनाओं, व्यवहार और विचारों पर नियंत्रण खो देता है। वह असहयोग करने लगता है और विद्रोही रवैया अपना लेता है। माता-पिता के लिए ओडीडी से ग्रस्त बच्चे का पालन-पोषण करना एक बड़ी चुनौती बन जाता है और इसके लिए उन्हें डॉक्टर की मदद लेनी पड़ती है।
अपोजीशनल डिफाएंट डिसऑर्डर (ओडीडी) क्या होता है?
अपोजीशनल डिफाएंट डिसऑर्डर बच्चों में व्यवहार संबंधी एक आम विकार है जो उन्हें उद्दंड और विद्रोही व्यवहार के लिए प्रेरित करता है। इसमें बच्चा चिड़चिड़ा होता है और माता-पिता, अध्यापक और दूसरे बड़ों की बात नहीं मानता है। बच्चा वह काम करने से इंकार कर देता है जो उसे करने के लिए कहा जाता है और जब उसे ऐसा करने के लिए जबरदस्ती की जाए तो वह गुस्सा दिखाता है या आक्रामक प्रतिक्रिया देता है। वह सोचता है कि उसे दिया गया काम या कही गई बात सही नहीं हैं और इसलिए वह उसे करने या मानने से इंकार कर देता है।
बच्चों में ओडीडी कितना आम है?
अपोजीशनल डिफाएंट डिसऑर्डर छोटे बच्चों और किशोरावस्था के बच्चों को भी प्रभावित करने के लिए जाना जाता है। 12 साल से कम उम्र के 10 बच्चों में से हर एक बच्चा ओडीडी से पीड़ित बताया जाता है। ओडीडी से प्रभावित लड़कों की संख्या लड़कियों की तुलना में दोगुनी है।
हालांकि, एक अनुमान के मुताबिक ओडीडी से प्रभावित दो तिहाई से ज्यादा बच्चे उम्र बढ़ने के साथ इन व्यवहार संबंधी इन बदलावों से उबर जाते हैं। इसके अलावा, 18 वर्ष की उम्र तक पहुँचने तक इनमें से अधिकांश बच्चों के लक्षण दिखना बंद हो जाते हैं।
कारण
किसी बच्चे में ओडीडी से जुड़े लक्षण विकसित होने के लिए कई कारक एक साथ होने चाहिए। अभी तक किए गए शोधों में अपोजीशनल डिफाएंट डिसऑर्डर की शुरुआत के एक कोई एक वजह तय नहीं हुई है। यहां कुछ कारण दिए गए हैं जो बच्चों में ओडीडी के विकास का कारण बन सकते हैं:
- शारीरिक कारण: ब्रेन केमिकल यानी मस्तिष्क से निकलने वाले रसायनों (हार्मोन) की बड़ी मात्रा में उपस्थिति ओडीडी के लक्षणों को बढ़ाने के लिए जानी जाती है। मस्तिष्क के रसायनों को न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में जाना जाता है। इन न्यूरोट्रांसमीटरों की असामान्य रूप से बड़ी मात्रा उनके संतुलन को बिगाड़ सकती है। ओडीडी तब हो सकता है जब दिमाग न्यूरोट्रांसमीटर की असामान्य मात्रा के कारण विभिन्न अंगों के बीच संचार को ठीक से पढ़ने में असमर्थ होता है।
- आनुवांशिक कारण: जिन बच्चों में ओडीडी का निदान पाया जाता है, उनके परिवार में अक्सर विभिन्न मानसिक बीमारियों का इतिहास होता है। ऐसे मामलों में पाए जाने वाले लोगों में मूड संबंधी विकार, एंग्जायटी के विकार और व्यक्तित्व संबंधी बीमारियां आम हैं। यह इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि जिन बच्चों के परिवार में ऐसी बिमारियों का इतिहास रहा है उनके घटक बच्चों में ओडीडी होने की संभावना अधिक है, उन बच्चों की तुलना में जो ऐसे आनुवंशिक विकारों के संपर्क में नहीं हैं।
- आसपास का वातावरण: जिस माहौल में बच्चा बड़ा होता है वह ओडीडी के लक्षणों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला साबित हो सकता है। जिन परिवारों में आए दिन वाद-विवाद, झगड़े और घरेलू हिंसा होती है, उनके बच्चों में यह विकार पनपने की ज्यादा संभावना रहती है। जो बच्चे ऐसे दोस्तों के बीच रहते हैं जो हिंसक व विनाशकारी बर्ताव के शिकार होते हैं, उनमें ओडीडी से संबंधित प्रवृत्ति दिखाई दे सकती है।
संकेत व लक्षण
आम धारणा के विपरीत, केवल टीनेजर बच्चे ही विद्रोही रवैया दिखाते हैं ऐसा नहीं है। बच्चे में आठ वर्ष की उम्र से पहले ओडीडी के लक्षण दिखना शुरू हो सकते हैं। लेकिन जिद्दी बच्चे और ओडीडी से ग्रस्त बच्चे के बीच अंतर की रेखा काफी सूक्ष्म होती है और दोनों में फर्क करना मुश्किल हो सकता है। साथ ही, इसके लक्षण लड़कियों और लड़कों में अलग-अलग हो सकते हैं।
आपके बच्चे को ओडीडी है या वह केवल जिद्दी है, इस बारे में जानने के लिए उसमें नीचे बताए गए भावनात्मक और व्यवहार संबंधी लक्षणों की जांच करें:
- बदले की भावना: ऐसे बच्चे दूसरों पर जल्दी क्रोधित हो जाते हैं उनके प्रति ईर्ष्या की भावना रख सकते हैं। बच्चे के दिमाग में एक ही बात रहती है कि उस व्यक्ति से बदला लेना है जिसने उनके साथ कुछ गलत किया है।
- खराब मूड: जो बच्चे ओडीडी से पीड़ित होते हैं वे बेहद संवेदनशील होते हैं। वे बहुत छोटी बात पर नाराज हो जाते हैं और दूसरों की किसी बात से बहुत जल्दी प्रभावित भी होते हैं। किसी थोड़ा सा उकसाने पर भी वे क्रोधित हो सकते हैं या रो हो सकते हैं।
- गलती न मानना: ओडीडी से पीड़ित बच्चे कुछ भी गलत होने पर हमेशा किसी और को दोषी ठहराते हैं। अपनी गलतियों को न मानना और जिम्मेदारी लेने से इंकार करना ओडीडी के पक्के लक्षण हैं।
- हमेशा गुस्से में रहना: बच्चा पूरे समय गुस्से में रहता है और अक्सर अपना आपा खो देता है। किसी भी बात पर तुनकने और चिढ़ने जैसे लक्षणों पर ध्यान दें।
- बहस करना: ओडीडी से पीड़ित बच्चों को ऐसी लोगों को चुनौती देना और उनसे बहस करना आसान लगता है जिनके पास कुछ अधिकार होते हैं। जैसे माता-पिता, टीचर या बड़े लोग बहस और झगड़ने के लिए उनके निशाने पर रहते हैं।
- नियमों को मानना: ऐसे बच्चे नियमों का पालन करने से नफरत करते हैं और परवाह नहीं करते हैं। वे नियम-कायदों पर सवाल उठाते रहते हैं और उन्हें लागू करने की कोशिश करने वालों के हमेशा खिलाफ रहते हैं।
इन संकेतों और लक्षणों को इस प्रकार बांटा जा सकता है:
बच्चों में ओडीडी के लक्षण
कॉग्निटिव लक्षण
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- बोलने से पहले न सोचना
- निराशा
मनोसामाजिक लक्षण
- आत्मसम्मान और आत्मविश्वास खोना
- दोस्त न बना पाना
- हमेशा गुस्से में रहना
- नकारात्मकता
व्यवहार संबंधी लक्षण
- जानबूझकर गुस्से भरा व्यवहार करना
- दूसरों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार
- दूसरों के साथ समझौता न करना
- झट से दोस्ती तोड़ देना
- छोटी-छोटी बातों पर बदला लेना
- आज्ञा व नियम न मानना
- हमेशा झगड़े के लिए तैयार रहना
- नियमों और अधिकार वाले लोगों के प्रति घृणा रखना
- दूसरों पर आरोप लगाना
निदान
ओडीडी का निदान करते समय डॉक्टर को बच्चे का पूरा मेडिकल इतिहास जानना होगा। वह आपके बच्चे के व्यवहार के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए आपसे सवाल-जवाब भी करेंगे। डॉक्टर को बच्चे का बुरा व्यवहार कब शुरू हुआ, इसका पैटर्न और कुछ घटनाओं से संबंधित जानकारी की जरुरत होगी। आपको बच्चे की सेहत से जुड़ी सारी बातें डॉक्टर को बतानी होंगी ताकि वह ये समझ सकें कि उसके गलत व्यवहार करने के पीछे कोई शारीरिक कारण तो नहीं है।
डॉक्टर और सायकोलॉजिस्ट ओडीडी विकार की पहचान आसानी से आकर लेते हैं। वे अक्सर इसके निदान के लिए एक प्रश्नावली इस्तेमाल करते हैं। ऐसा करने से, आपको पता चल जाएगा कि क्या बच्चा ओडीडी से पीड़ित है, या वह घर या स्कूल की बस अलग-अलग स्थितियों पर प्रतिक्रिया दे रहा है।
डॉक्टर से खुलकर बात करना आवश्यक है, अन्यथा निदान सटीक नहीं हो सकेगा। उन्हें बच्चे के सामाजिक और भावनात्मक व्यवहार की स्पष्ट जानकारी दें। उन्हें अच्छे से बताएं कि वह घर पर, दोस्तों के साथ या स्कूल में अलग-अलग परिस्थितियों में कैसे प्रतिक्रिया देता है। जब आप हर बात ईमानदारी से बताएंगे तभी वे ओडीडी का सही निदान और फिर जरूरी इलाज कर सकेंगे।
जोखिम के कारक
नीचे बताए गए मुद्दे बच्चे में ओडीडी बढ़ने की वजह हो सकते हैं:
- पारिवारिक झगड़े
- हिंसा से सामना
- बच्चे के पालन पोषण में अनियमितता
- बिगड़ा हुआ पारिवारिक जीवन
- बचपन में दुर्व्यवहार या उपेक्षा का सामना करना
- परिवार में मानसिक रोग
- नशा
- माता-पिता से बातचीत न होना
- अजीब तरह का अनुशासन
बच्चों में अपोजीशनल डिफाएंट डिसऑर्डर से जुड़ी जटिलताएं
यदि ओडीडी का इलाज नहीं हुआ, तो यह माता-पिता के लिए तनाव और चिंता का कारण बन सकता है। इससे परिवार पर तो प्रभाव पड़ेगा ही, साथ ही बच्चे को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए, इस विकार का जल्द निदान उसके जीवन में आगे हो सकने वाली गंभीर समस्याओं को रोकने में मदद कर सकता है। ये जटिलताएं दीर्घकालिक और अल्पकालिक दोनों हो सकती हैं, जो इस प्रकार हैं:
- आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की निश्चित कमी
- पढ़ाई और एकाग्रता में कठिनाई
- स्कूल से निकाला जाना
- नशीली दवाओं/शराब का दुरुपयोग और लत
- असामाजिक व्यवहार
- उद्दंड व्यवहार
- दोस्त न होना
- किसी से बात करने में समर्थ न होना
- कानूनी समस्याएं
- गंभीर आपराधिक व्यवहार
कभी-कभी, ओडीडी से पीड़ित बच्चों में एंग्जायटी या मूड संबंधी विकार, भाषा संबंधी विकार, सीखने के विकार और एडीएचडी – अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर जैसी मानसिक बीमारियां विकसित हो सकती हैं। एडीएचडी अपोजीशनल डिफाएंट डिसऑर्डर वाले बच्चों को होने वाली एक आम समस्या है। डॉक्टर बच्चे के निदान के दौरान ऐसी दूसरी जटिलताओं के बारे में जान सकेंगे।
उपचार
ओडीडी के उपचार में बच्चे और परिवार के सदस्यों के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण और लंबे समय तक मनोचिकित्सा लेनी होती है। उपचार की विधि निम्नलिखित कारकों पर निर्भर है:
- बच्चे के व्यवहार संबंधी लक्षण
- ओडीडी कितना गंभीर है
- आसपान का माहौल
ओडीडी के लिए दवा तभी दी जाती है जब इसके साथ कोई अन्य मानसिक समस्या या व्यवहार संबंधी विकार हो।
ओडीडी से पीड़ित बच्चों के लिए निम्नलिखित प्रकार के उपचार किए जाते हैं:
- कॉग्निटिव व्यवहार थेरेपी: इसका उपयोग बच्चे को समस्या का समाधान निकालने का कौशल विकसित करने और उन्हें दैनिक जीवन में लागू करने में मदद करने के लिए किया जाता है। इस तरीके से गलत व्यवहार को बदला जा सकता है और बच्चा तनावपूर्ण स्थितियों को अच्छी तरह से संभालना सीखता है।
- माता-पिता के लिए प्रशिक्षण: माता-पिता बच्चे और उसके बुरे व्यवहार से निपट सकते हैं। उन्हें बच्चे के साथ बातचीत करने और उसकी समस्याओं से निपटने के नए तरीके सिखाए जाते हैं। इस प्रशिक्षण में माता-पिता और भाई-बहन जैसे परिवार के सदस्यों के साथ-साथ टीचर्स को भी शामिल किया जाता है ताकि उन्हें स्थिति पर बेहतर नियंत्रण दिया जा सके।
- सामाजिक कौशल प्रशिक्षण: ओडीडी से पीड़ित बच्चों, विशेष रूप से टीनेजर, को सामाजिक कौशल प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है ताकि वे दोस्तों से बात करते समय बेहतर व्यवहार रखें। यह उन्हें स्कूल में अच्छा करना सिखाता है। ऐसा प्रशिक्षण ग्रुप एक्टिविटीज का हिस्सा होता है और खुले माहौल में किया जाता है।
- दवाएं: जब ओडीडी के साथ एडीएचडी या मूड/चिंता विकार जैसी स्थितियां होती हैं, तो इलाज में दवा जरूरी हो जाती है। इससे ओडीडी के गंभीर मामलों को नियंत्रित किया जाता है और बढ़ने से रोका जाता है।
ओडीडी से पीड़ित बच्चे के लिए गतिविधियां
जब किसी बच्चे के व्यवहार में सुधार करने की बात आती है तो सूची में एक्टिविटीज और खेल सबसे ऊपर होते हैं। हालांकि उसे इनमें शामिल करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन आप नीचे बताए गए उपाय आजमा सकते हैं:
- साथ में काम करना सिखाने के लिए ऐसे खेल खेलना जिसमें किसी मुश्किल का हल ढूंढना होता है। इससे बच्चा आप पर भरोसा करना और सम्मान करना सीखेगा।
- रोल-प्ले से बच्चे को मौजूदा स्थिति पर एक अलग दृष्टिकोण मिलता है। बच्चे को कहें कि वह मां या पिता है और आप उसकी जगह बच्चा बनकर व्यवहार करें।
- जब बच्चा उद्दंडता करने लगे तो उसे शांत होने का मौका दें। उसे तभी बोलने के लिए कहें जब वह शांत हो जाए। इससे उसे अपने गुस्से पर नियंत्रण रखना और प्रतिक्रिया करने से बचना सिखाया जाएगा।
- बच्चे को अलग-अलग भावनाओं से निपटने में मदद करने के लिए एक्टिविटीज करें। यह गुस्सा और बदले जैसी भावनाओं को काम करने में मदद करेगा।
- ऐसे मजेदार गेम खेलें जिसमें बच्चे को आपके द्वारा दिए गए निर्देशों के ठीक उल्टा करना हो। ऐसा करने पर उसे अंक दें इससे ओडीडी की तरह दृष्टिकोण में बलाव आएगा।
आप अपने बच्चे की मदद कैसे कर सकते हैं?
माता-पिता के रूप में, आपको अपने बच्चे को ओडीडी से निपटने में मदद करने के लिए पूरे अधिकार हैं। उसे इस विकार से छुटकारा दिलाने के लिए आ निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं:
- बच्चे के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करें और इस बात को हमेशा याद रखें कि वह आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। उसके साथ यादगार समय बिताएं और उसे सबसे ज्यादा अहमियत दें।
- तारीफ सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करती है। छोटी-छोटी बातों में उसकी प्रशंसा कारण का मौका ढूंढें। एक भी नकारात्मक टिप्पणी के बदले उसके लिए छह बार तारीफ के शब्द कहें। धमकी देने और नकारात्मक बोलने से बचें।
- बच्चे तक अपने विचार पहुंचाने के लिए कम शब्दों में बताएं। जैसे उससे पूछें कि क्या वह रात में खाना खाने के बाद पढ़ाई करना चाहता है या अभी। इस तरह विकल्प देकर बोलने से बच्चा आपके मन मुताबिक जवाब देगा।
- बच्चे के हर सकारात्मक रवैये के लिए एक चार्ट बनाकर पॉइंट्स दें। 3 से 8 साल की उम्र के बच्चे इस उपाय से बेहतर व्यवहार करते हैं।
- गलत बर्ताव पर तुरंत प्रतिक्रिया दें। अगर बच्चा कोई काम करने से इंकार करे या कहना न माने तो उसे दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती कर दें। जैसे टीवी देखने की मनाही।
चूंकि ओडीडी एक व्यवहार संबंधी विकार है जो बच्चे में अलग-अलग कारणों से विकसित होता है, इसलिए इसके लिए खड़ को जिम्मेदार न ठहराएं। यदि आप बच्चे के व्यवहार को बदलने पर पूरा ध्यान लगाते हैं उसके व्यक्तित्व में अच्छा खासा परिवर्तन देख पाएंगे।