माँ के लिए उसके बच्चे की सुरक्षा से बढ़कर कुछ और नहीं होता है। ऐसे में कोविड और उसके कई नए वैरिएंट पहले ही सबके मन में डर बनाया हुआ है। इसलिए माएं अब पहले से ज्यादा बच्चे की सुरक्षा का ख्याल रखने लगी हैं और किसी भी नई बीमारी के प्रति अधिक जागरूक हो गई हैं। जीका वायरस हाल फिलहाल में बहुत तेजी से चर्चा में आने लगा है, क्योंकि यह गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए एक बड़ा खतरा है और इसके कई मामलें सामने आ रहे हैं। इसलिए जीका वायरस से जुड़ी हर संभव जानकारी हमनें यहाँ बताने की कोशिश की है, ताकि आपका बच्चा और आप पूरी तरह सुरक्षित रहें।

जीका वायरस एक ऐसा वायरस है, जिससे गर्भवती महिला संक्रमित हो सकती है और इससे उसके बच्चे को भी नुकसान पहुंच सकता है। अगर गर्भवती महिला जीका वायरस से संक्रमित है, तो बच्चे को तंत्रिका संबंधी समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है, जिसे माइक्रोसेफली कहते हैं। इसमें बच्चे के दिमाग का आकार और विकास दोनों ही कम होता है। यह समस्या माँ के गर्भ में ही शुरू हो जाती है और जन्म के बाद भी इसका असर दिखता है। किस प्रकार यह जीका वायरस बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता यह आगे जानेंगे।

जीका वायरस क्या है?

जीका वायरस एक ऐसा वायरस है जो की एडीज नाम के मच्छर के जरिए फैलता है। ये मच्छर डेंगू, मलेरिया और अन्य बीमारियों को भी फैलाने का कारण हैं। जब यह मच्छर गर्भवती महिला को काटता है, तो ये वायरस महिला के खून के जरिए बच्चे तक पहुंचता है और गर्भ में पल रहे बच्चे पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इसकी वजह से बच्चे को माइक्रोसेफली जैसी खतरनाक समस्या हो सकती है, इसमें बच्चे के दिमाग का विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है।

जीका वायरस से संक्रमित होने पर इस बच्चे के सिर का आकार छोटा हो जाता है और दमाग का विकास भी कम होता है जिससे अन्य बीमारियां पैदा होने लगती हैं। मस्तिष्क का पर्याप्त विकास न होने पाने कारण बच्चे को सांस लेने और सामान्य रूप से काम करने में भी मुश्किल हो सकती है। अमेरिका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को उन जगहों पर या देशों में जाने से बचना चाहिए जहां जीका वायरस का प्रभाव अधिक है।

जीका वायरस कैसे फैलता है?

बच्चों में जीका वायरस आमतौर से गर्भवती माँ के संक्रमित होने से फैलता है, यदि गर्भवती महिला जीका वायरस से संक्रमित है तो गर्भ में पल रहा बच्चा भी इससे संक्रमित हो सकता है। इसके आलावा यह बच्चों में एडीज प्रजाति के संक्रमित मच्छरों के काटने से भी फैलता है। साथ ही साथ अगर कोई गर्भवती महिला किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाती तो उससे भी बच्चे को जीका वायरस होने का खतरा होता है, इसलिए जो भी पुरुष जीका वायरस से संक्रमित हों, उन्हें शारीरक संबंध बनाने से पहले उनकी जांच करानी चाहिए। अगर नतीजा पॉजिटिव आता है, तो आपको कम से कम छह महीने तक यौन संबंध के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वायरस वीर्य में होता है और यह संबंध बनाने के दौरान फैल सकता है। जिससे बच्चा भी प्रभावित हो सकता है।

इस संक्रमण के बच्चों में फैलने के और भी कई वजह हो सकती है जैसे-

1. बच्चे के जन्म से पहले

अगर गर्भावस्था के दौरान माँ जीका वायरस से संक्रमित हो, तो बच्चे को गर्भ में ही संक्रमण हो सकता है। यह संक्रमण बच्चे के जन्म से कई हफ्ते पहले ही हो जाता है।

2. जन्म के बाद

यदि संक्रमित मच्छर नवजात शिशु को काट ले, तो बच्चा जीका से संक्रमित हो सकता है। कई बार इस संक्रमण के लक्षण बच्चों में नजर नहीं आते हैं और लोग कई बार इसे डेंगू समझकर इसका इलाज करा लेते हैं। इसलिए, डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) देने से बचें और एस्पिरिन देने से भी रेये सिंड्रोम (न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर) का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा बच्चे को न दें।

3. स्तनपान के समय

शोध के अनुसार अगर माँ वायरस से संक्रमित है तो माँ के दूध में भी जीका वायरस पाया जाता है। लेकिन इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है कि माँ के दूध से बच्चे को यह संक्रमण हो सकता है या नहीं और इसलिए सीडीसी का भी कहना है कि माँ को संक्रमित होने के बावजूद स्तनपान जारी रखना चाहिए।

जीका वायरस आमतौर पर कहाँ पाया जाता है?

यहां आपको बताया गया है कि जीका वायरस अक्सर किन जगहों पर अधिक पाया जाता है, जो कुछ इस प्रकार है:

  • अफ्रीका और एशिया जैसे ट्रॉपिकल क्षेत्र और देशों में।
  • ब्राजील, फ्रेंच पोलिनेशिया जैसे देश और प्रशांत महासागर के क्षेत्रों में।
  • सीडीसी द्वारा बताए गए क्षेत्रों में जाने वाले लोगों में।

जीका वायरस का पहला मामला साल 1947 में युगांडा के बंदरों में पाया गया था। इसके बाद साल 1952 में इस वायरस को इंसानों में पहली बार युगांडा और फिर तंजानिया में देखा गया था। साल 2007 में याप द्वीप और 2013 में फ्रेंच पोलिनेशिया और पैसिफिक क्षेत्र में इसके अधिक मामले मिले थे।

बच्चों में जीका वायरस के लक्षण

जो बच्चे जीका वायरस से संक्रमित होते हैं, उनमें आपको कुछ आम लक्षण नजर आ सकते हैं। छोटे बच्चों में पाए जानें वाले  सामान्य लक्षण यह हैं-

  • हल्के लाल चकत्ते पड़ना
  • बुखार
  • जोड़ों में दर्द
  • आंखें लाल होना, लेकिन उनमें पस नहीं होता।
  • मांसपेशियों में दर्द
  • सिरदर्द
  • आंख आना (कंजक्टिवाइटिस)

जीका वायरस बच्चों को कैसे प्रभावित करता है?

बच्चे चाहे गर्भ में हो या उसने जन्म ले लिया हो, जीका वायरस दोनों ही स्थिति में बच्चे पर प्रभाव डालता है। जीका वायरस से बच्चों पर होने वाले प्रभाव कुछ इस प्रकार बताए गए है :

  • जब बच्चा गर्भ में ही जीका वायरस से संक्रमित हो जाए, तो उसे माइक्रोसेफली जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसमें बच्चों का सिर और दिमाग विकसित नहीं होता है।
  • बच्चों को माइक्रोसेफली की वजह से विकास संबंधी समस्याएं जैसे देखने और सुनने में परेशानी  भी हो सकती है।
  • जो बच्चें जन्म के बाद जीका वायरस से संक्रमित होते हैं, उन्हें विकास से जुड़ी समस्याएं या जन्म दोष नहीं होते हैं। लेकिन उनमें आम लक्षण जैसे हल्का बुखार, चकत्ते और अन्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं

क्या जीका वायरस बच्चों में गुइलेन बैरे सिंड्रोम का खतरा बढ़ाता है?

कई अध्ययनों से पता चला है कि जिन देशों में जीका वायरस का प्रकोप अधिक हो रहा है, वहां गुइलेन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामलें भी बढ़ते जा रहे हैं। गुइलेन बैरे सिंड्रोम एक ऐसी स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्या है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों पर हमला करती है, जिससे कमजोरी और कभी-कभी लकवा भी मार जाता है। शोध में पाया गया है कि हर 10,000 जीका संक्रमण के मामलों में कम से कम दो गुइलेन बैरे सिंड्रोम के मामले होते हैं। इससे यह साबित होता है कि जीका वायरस और गुइलेन बैरे सिंड्रोम एक दूसरे से जुड़े हुए है।

जीका वायरस की जाँच कैसे की जाती है?

गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों पर जीका वायरस के प्रभाव की पहचान नीचे दिए निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है:

1. अल्ट्रासाउंड स्कैन

यह स्कैन गर्भ में बच्चे की जांच करता है और 2 से 29 हफ्ते के बच्चे की शारीरिक और मानसिक असामान्यताएं जाँच में दिखाता है। 18 से 22 हफ्ते की गर्भवती महिलाओं को यह अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाने की सलाह दी जाती है।

2. खून की जांच

खून की जांच से जीका वायरस का पता लगाया जाता है क्योंकि यह खून में फैलता है।

3. पेशाब की जांच

डॉक्टर खून की जांच के साथ-साथ पेशाब की जांच भी करवा सकते हैं ताकि ठीक तरह से संक्रमण की पुष्टि हो सके।

बच्चे में जीका वायरस का इलाज कैसे करें?

अगर आपका बच्चा गर्भ में नहीं है और जन्म ले चुका है और जीका से संक्रमित है, तो ऐसे में आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। इन बच्चों में जीका के लक्षण गंभीर नहीं होते और कुछ हफ्तों में खुद ही ठीक हो जाते हैं। यहां कुछ तरीके बताए गए हैं जिनसे आप बच्चे में संक्रमण का सही तरीके से इलाज कर सकते हैं:

  • इस बात का ध्यान रखें कि आपका बच्चा घर पर ही रहकर भरपूर आराम करे।
  • बाहर जाने से पहले अपने बच्चे के कपड़ों पर पर्मेथ्रिन या किसी एपीए द्वारा-स्वीकृत कीट दूर भगाने वाले स्प्रे या पैच का उपयोग करें।
  • इस दौरान ध्यान दें कि आपका बच्चा पर्याप्त मात्रा में पानी पीता रहे।
  • नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स और एस्पिरिन जैसी दवाओं से बचें।
  • बच्चे के बुखार और दर्द को कम करने के लिए एसिटामिनोफेन का उपयोग कर सकते हैं।

जीका वायरस से बचने के टिप्स

जब आप बाहर निकले तो खुद को जीका वायरस से बचा कर रखें, यहां कुछ आसान टिप्स दिए गए हैं जिनकी मदद से आप बच्चे को और खुद को सुरक्षित रख सकती हैं:

1. लंबी आस्तीन के कपड़े पहनें

मच्छर के काटने से बचने के लिए अपने हाथ-पैर ढकें। लंबी आस्तीन और मोटे कपड़े पहनें। कुछ कंपनियां गर्भवती महिलाओं के लिए मच्छर-रोधी कपड़े बनाती हैं। बाहर जाते समय कपड़ों पर मच्छर दूर करने वाला स्प्रे का प्रयोग करें।

2. घर के अंदर रहें

जिस क्षेत्र में जीका वायरस के मामले अधिक होते हैं, वहां जाने से बचे और ज्यादातर समय घर के अंदर रहें। कमरे में एसी का उपयोग करें और सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।

3. जीका-प्रभावित क्षेत्रों से बचें

सीडीसी के अनुसार, अफ्रीका, एशिया, प्रशांत द्वीप, मध्य और दक्षिण अमेरिका, मेक्सिको, और कैरिबियन जैसे अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में जाने से बचें जहां जीका वायरस के अधिक मामले सामने आए हैं।

4. गर्भवती महिला यौन संबंध से बचें

अगर आपको लगता है कि आपका पार्टनर जीका वायरस से संक्रमित है, तो यौन संबंध बनाने से बचे या कम से कम छह महीने तक कंडोम का उपयोग करें। जब तक जांच में ये साबित नहीं हो जाए की आपका पार्टनर पूरी तरह संक्रमण मुक्त है।

फिलहाल जीका वायरस की कोई वैक्सीन या इलाज अभी तक नहीं आया है। इसलिए, इस वायरस से संक्रमित पैदा हुए बच्चों को डॉक्टर की देखरेख में ही रखा जाता है। प्रेग्नेंट महिला को यदि गर्भ में पल रहे अपने बच्चे को जीका संक्रमण से बचाना है, तो उन्हें खुद को सुरक्षित रखना जरूरी है। इस लेख में इस संक्रमण से बचने के कई उपायों के बारे में बताया गया। आप भी इन उपायों को अपनाकर जीका वायरस से खुद को और अपने बच्चे को बचा सकती हैं।

समर नक़वी

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