In this Article
भोजन, कपड़े, और आश्रय – यह वो कुछ चीजें है जो शिशुओं को बहुत ही बुनियादी स्तर पर मिलनी चाहिए, और साथ ही अच्छी नींद और एक प्यार भरा वातावरण भी बेहद जरूरी है। हो सकता है कि बच्चे की इन तमाम जरूरतों को पूरा करने के बावजूद भी आप परेशान हो कि आपका बच्चा ठीक से खाना नहीं खा रहा है।यह मुमकिन है कि, वह अपनी जरूरत के अनुसार भूख जाहिर नहीं कर रहा हो, या वो उतनी मात्रा में नहीं खा रहा हो, जितना की उसे खाना चाहिए। इस कारण निसंदेह, यह उसके वजन को प्रभावित कर सकता है और उसके विकास को लेकर आपके लिए अधिक चिंता का कारण बन सकता है। तो अगर आप सोच रहे हैं कि बच्चे की भूख को स्वाभाविक रूप से कैसे बढ़ाया जाए, तो यहाँ कुछ चीजें दी गई हैं जिन्हें आप निश्चित रूप से आजमा सकती हैं।
शिशुओं में कम भूख के कुछ सामान्य कारण हैं जो निम्नलिखित है :
यदि आपका बच्चा आमतौर पर अच्छी तरह से खाता है, लेकिन कुछ दिनों से ठीक से नहीं खा रहा है , तो संभवतः उसकी तबियत ठीक नहीं है या फिर वह किसी बीमारी के बाद ठीक हो रहा है। जब कोई बीमार होता है तो उसकी सभी शारीरिक प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं, जिसमें पाचन भी शामिल होता है। इससे भूख कम लगती है और जाहिर है कि इसका असर उनके खाने पर भी पड़ता है। बीमारी के ख़त्म होने के बाद भी, दवा और उसके प्रभाव के कारण पाचन प्रक्रिया के सामान्य होने और भोजन का स्वाद बेहतर लगने में कुछ और समय लग सकता है।
पेट में भोजन को पचाने के लिए आवश्यक प्रमुख घटकों में से एक हाइड्रोक्लोरिक एसिड है। यह भूख की भावना को जगाने में भी मदद करता है। इस एसिड के उत्पादन के लिए जिंक मुख्य रूप से जिम्मेदार होता है। इसलिए यदि आपके बच्चे को कम भूख लगती है, तो उसके जिंक की कमी से पीड़ित होने की संभावना हो सकती है। आहार में जिंक की मात्रा को बढ़ाकर इसका संतुलन वापस से सही किया जा सकता है। चिकन, काजू, गेँहू का चोकर, कद्दू के बीज और जिंक से भरपूर अन्य चीजों को शामिल कर के इसके स्तर को वापस सामान्य किया जा सकता है।
हमारे पेट में भोजन को संसाधित करने और उसे पचाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस ऊर्जा को आयुर्वेद में अग्नि (आग) की संज्ञा दी जाती है। पेट में अपच, गैस, पेट फूलना आदि होने पर यह ऊर्जा प्रभावित होती है। बीमारियां भी एक अनुचित पाचन वातावरण का कारण हो सकती है जिसके परिणाम स्वरूप भूख कम हो सकती है।
हर बार कम भूख लगना किसी समस्या का संकेत नहीं है। यदि आपका बच्चा बहुत छोटा है, तो उसकी भूख और खाना-पीना शुरूआती महीनों में समान रह सकता है या बढ़ भी सकता है। लेकिन 4-5 महीनों के बाद, उनका विकास थोड़ा धीमा हो जाता है और उसके लिए ऊर्जा की जरूरत भी कम हो जाती है। जिस कारण अनिवार्य रूप से उनकी भूख कम हो जाती है, जो कि परेशानी वाली बात नही है, इसलिए चिंता न करें ।
आमतौर पर, समय के साथ, जैसे-जैसे आपका बच्चा बढ़ता है, उसका शरीर और वजन भी बढ़ना चाहिए। लेकिन अगर वह लगातार बीमार रहता है, या उसे कई तरह का संक्रमण व बुखार है, तो उसे अतिरिक्त वजन बढ़ाने या यहाँ तक की, घटाने में भी परेशानी होगी। इस तरह के परिदृश्य को ‘वजन बढ़ने में विफलता’ कहा जाता है।
किसी भी भोजन का सेवन करने से बाद शरीर को उसे ठीक से पचाने और आत्मसात करने की आवश्यकता होती है, इससे पहले कि शरीर को दूसरे भोजन की आवश्यकता महसूस हो। यदि दो समय के भोजन के बीच 4 घंटे से कम का अंतराल है, तो प्राकृतिक रूप से भूख महसूस नहीं होती और उपभोग किया गया भोजन ठीक से नहीं पचता है, जिससे कि भूख कम हो जाती है।
सभी आहार को संतुलित रूप से देना चाहिए । यदि आपका बच्चा साबुत अनाज से बने खाद्य पदार्थों का बहुत अधिक सेवन करता है, तो उसके पेट लंबे समय तक भरा हुआ रहेगा। साबुत अनाज में रेशा होता है और इसे पूरी तरह पचाने के लिए काफी समय लगता है। पर इसके साथ ही, यदि आपका बच्चा गाय के दूध पर निर्भर है या आवश्यकता से अधिक फार्मूला दूध पीता है, तो यह उसकी भूख पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे हो सकता है कि आपके बच्चे को बिल्कुल भी भूख न लगे।
यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपने बच्चे की भूख में सुधार कर सकती हैं।
दिन की शुरुआत में ऊर्जा की जरूरत सबसे ज्यादा होती है। इसलिए पौष्टिक और पर्याप्त नाश्ता करने से शरीर का मेटाबोलिज्म ठीक रहता है और दिन की शुरुआत अच्छी होती है।
वयस्कों के लिए तीन समय की भोजन करने के बाद बिना किसी समस्या के दिनभर काम कर सकते हैं। पर चूंकि बच्चों का विकास चरम सीमा पर होता है, उसमें काफी ऊर्जा व्यय होती है, इसलिए उनके पाचन तंत्र को एक मजबूत सहारे की आवश्यकता होती है। इसे प्राप्त करने के लिए उन्हें तीन समय भोजन देने के बजाय, उन्हें हर थोड़े घंटों में कुछ खाने को दें । यह उन्हें ऊर्जावान बनाए रखता है और उन्हें सही मात्रा में भोजन खाने में भी मदद करता है।
पानी पीना दो तरीकों से महत्वपूर्ण है, आप चाहे जागने के तुरंत बाद या भोजन करने से लगभग आधे घंटे पहले पिए । ससर्वप्रथम, यह सुबह उठने के बाद सबसे पहले शरीर में जाकर उपवास को तोड़ता है और शरीर में पानी के कम हुए स्तर को फिर से ठीक करने में मदद करता है। दूसरा, पानी पीने से, पाचन तंत्र खुद को तैयार करता है और भोजन की अपेक्षा भी करता है। पानी आपके बच्चे में भूख को लगने के लिए प्रेरित करता है।
स्नैक्स जैसे बिस्कुट, चिप्स और नमकीन आदि जैसे अनियमित खाद्य पदार्थ बच्चों को बिलकुल न दें है। गैर-पौष्टिक स्नेक्स देकर भूख को मारने के बजाय, आप उन्हें सैंडविच या पौष्टिक कुकीज़ दे सकती हैं। ये भूख बढ़ाने के साथ-साथ आवश्यक पोषण भी प्रदान करता है।
बच्चे को एक गिलास दूध देना अच्छे नाश्ते में शामिल है, यह वास्तव में एक मिथक है। इसमें पोषण अच्छी मात्रा में पाया जाता है लेकिन नाश्ते या भोजन के लिए यह पर्याप्त नहीं है। दूध के अत्यधिक सेवन से भूख कम हो जाती है, जो हर तरह से प्रतिकूल होता है। दूध को सीमित मात्रा में दिया जाना चाहिए और इसके अन्य डेयरी उत्पादों को भी विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए ।
मूंगफली उन कुछ खाद्य पदार्थों में से एक है जिनको खाने से भूख बढ़ती है । भूनी हुई मूंगफली का एक क्षुधावर्धक के रूप में सेवन किया जाना काफी लोकप्रिय है और यह आपके बच्चे के लिए उपयोगी भी होती है। यदि आपके बच्चे को ब्रेड और बटर का नाश्ता करना पसंद हो, तो सामान्य बटर की जगह पीनट बटर देने की कोशिश करें।
शाम के समय बाहर जाकर खेलना या सुबह के वक़्त व्यायाम करने से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। ऊर्जा खर्च करने से शरीर में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पैदा होती है, जो पाचन तंत्र को उत्तेजित करती है, और इससे पेट अधिक भोजन की माँग करता है। आप हमेशा गौर करेंगी कि वे बच्चे जो ज्यादातर खेलों में और अन्य शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं, वो भोजन ठीक से करते हैं।
पर्यावरणीय बदलाव बच्चों के साथ-साथ वयस्कों की भूख पर भी असर डालते हैं हैं। आमतौर पर, गर्मियों के समय में इसका असर ज्यादा होता है जबकि सर्दियों के दौरान अधिक खाना खाते हैं । हमें गर्म रखने के लिए हमारे शरीर द्वारा ऊर्जा का उपयोग आसपास के तापमान पर निर्भर करता है। तुलनात्मक रूप से आसपास के वातावरण को ठंडा बनाए रखने से, चयापचय प्रक्रियाएं सामान्य गति से होंगी और इससे सही समय पर भूख लगेगी।
पाचन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जिंक की उपस्थिति आवश्यक है। जब पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का स्तर सामान्य हो जाता है, तो पाचन प्रक्रिया भी फिर से अपने आप ही शुरू हो जाती है। जिन खाद्य पदार्थों में जिंक मौजूद होता है उसका सेवन करने के अलावा, आप चिकित्सक की सलाह पर बच्चे को जिंक-आधारित अनुपूरकों का उपयोग कर सकती हैं ।
कभी-कभी, सब कुछ ठीक होता है लेकिन आपके बच्चे की मनोदशा ठीक नहीं रहती । हो सकता है वह रोज एक जैसा खाना खाकर थक गया हो या किसी और चीज से परेशान हो। आप उसे उसकी पसंद के हिसाब से खाना बनाकर दें ताकि वह चाव से खाए और उन्हें अधिक खाना खाने की इच्छा हो ।
निम्नलिखित खाद्य पदार्थ शिशुओं की भूख बढ़ाने में मदद करते हैं।
नींबू में बहुत से गुण पाए जाते हैं। यह तालू को साफ करने की क्षमता रखता है और इससे पहले जैसी भूख लगने लगती है। आप अपने बच्चे को एक गिलास नींबू पानी या नींबू का रस बनाकर दे सकती हैं। आप देखेंगी कि उसका पाचन तंत्र धीरे-धीरे सक्रिय होने लगेगा और वह खाना मांगने लगेगा ।
फलों में, आलूबुखारा एक लोकप्रिय फल है जो भूख बढ़ाने के लिए जाना जाता है और इसमें पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। इसके स्वाद के कारण बच्चे इसे खाना पसंद भी करते हैं, आप इसे अपने बच्चे को देकर उसकी भूख को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।
पहले यह फल मुश्किल से प्राप्त होता था । लेकिन आजकल, यह आसानी से बाजार में उपलब्ध होता है । आड़ू स्वाद में भी अच्छा होता है और आप इसे अपने बच्चे की भूख को बढ़ाने के लिए दे सकती हैं।
दही एक अच्छा पाचन उत्तेजक पदार्थ है। मेथी के बीज लेकर उन्हें पीसकर उसका चूर्ण बना लें, और दही के साथ मिलाएं। इसे अपने बच्चे को दें और आप कुछ ही समय में उसकी भूख को बढ़ते हुए देखेंगी।
मेथी के बीज के बजाय पुदीने के पत्ते का भी प्रयोग किया जा सकता है । यह सुझाव ज्यादातर तब दिया जाता है यदि आपका बच्चा दूध पीना पसंद करता है लेकिन इसके बहुत अधिक उपभोग से भूख मर गई हो। पुदीने की कुछ पत्तियां लें, उन्हें एक साथ मिलाकर उसमें नमक डालें । यह भूख को बढ़ाने में मदद करता है और एक वर्ष की उम्र के बच्चों को भी दिया जा सकता है।
जी हाँ, कद्दू की बीजों का उपयोग भूख कम करने के लिए किया जाता है, हो सकता है आपको यह सुनकर थोड़ा अजीब लगे लेकिन कद्दू के बीज में मौजूद जिंक पाचन प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
गाजर के अनगिनत फायदे हैं और इसकी भूख बढ़ाने की प्रवृत्ति अद्भुत होती है इस। यह तरीका पीढ़ियों से चला आ रहा है, भोजन से लगभग 30 मिनट पहले एक कटोरी गाजर के रस का सेवन करने से यह भूख बढ़ाता है ।
जिंक जैसा आवश्यक घटक मूंगफली में अच्छी मात्रा में मौजूद होता है। यदि आपका बच्चा एक साल से कम उम्र का है, तो उसे मूंगफली न दें, क्योंकि मूंगफली से अक्सर बच्चों को एलर्जी हो जाती है । एलर्जी की जाँच करने के लिए शुरू में से थोड़ा थोड़ा दें और अगर एक हफ्ते तक सब ठीक लगे तो आप इसे बच्चे के आहार का हिस्सा बना सकती हैं। मूंगफली का सेवन चाहे बटर के रूप में किया जाए फिर चिक्की और चटनी के रूप में हो यह हर तरह से लाभदायक होता है।
इसे ‘थाइम’ के नाम से भी जाना जाता है, यह बच्चों के भूख को बढ़ाने वाली एक बहुत अच्छी हर्ब मानी जाती है। जब इसे चावल या दाल में डाला जाता हैै, तो यह न केवल उसका स्वाद बढ़ाता है बल्कि भूख को भी बढ़ने में मदद करता है।
यह दक्षिण में बहुत लोकप्रिय है और बच्चे को दिए जाने वाले पहले ठोस पदार्थों में से एक है । यह सूप, पाचन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के साथ-साथ भूख को भी बढ़ाने में मदद करता है।
आपको अपने पिज्जा के साथ मिले ओरिगैनो के पैकेट को बचा कर रखना चाहिए क्योंकि यह स्वाद को बढ़ाने के साथ-साथ खाने के प्रति भूख भी बढ़ाता है ।
यह पुरानी पीढ़ी के लोगों के बीच एक लोकप्रिय टॉनिक है, जो वयस्कों और बच्चों दोनों की ही भूख बढ़ाने के लिए काफी प्रभावशाली है।
जैसा कि आयुर्वेद में इसका वर्णन किया गया है, यह एक बहु-उद्देशीय व बहु-मूल्यवान घटक है। इसे छाछ के साथ मिलाकर दिया जा सकता ताकि इससे पाचन ऊर्जा को फिर से प्राप्त किया जा सकता है।
संक्रमण से लेकर अपच तक हर चीज का इलाज करने वाली हल्दी को थोड़े से घी में मिलाकर अपने बच्चे को खाने से पहले देने से, धीरे-धीरे उसकी भूख वापस आ जाएगी।
बाजार में मौजूद किसी भी अच्छा च्यवनप्राश का उपयोग आप नियमित रूप से बच्चे को देने के लिए कर सकती हैं ताकि उसकी भूख फिर से पहले जैसी हो जाए।
दालचीनी में मौजूद हाइड्रोक्सीकैलकोन की वजह से इसे विभिन्न खाद्य पदार्थों में मिलाकर बच्चों को दिया जाता ताकि इससे उनकी भूख बढ़ाई जा सके। दालचीनी एक शक्तिशाली घटक के रूप में कार्य करता है।
यह एक ऐसा उपाय है जो पीढ़ियों से चला आ रहा है, तुलसी का जल या केवल तुलसी की पत्तियां आपके बच्चे की भूख को पुनःस्थापित करने में सहायता कर सकती हैं।
यह आठ तरह की जड़ी-बूटियों से बनाया गया एक आयुर्वेदिक चूर्ण है जो काफी लोकप्रिय है, इसे बच्चों की भूख बढ़ाने के लिए, चावल या घी के साथ मिलाकर उनको दिया जाता है ।
हींग न केवल गैस और फूले पेट से छुटकारा दिलाता है, बल्कि यह अप्रत्यक्ष रूप से भूख को प्रभावित करता है और इससे पेट भरा-भरा सा महसूस नहीं होता है।
बच्चों में भूख की कमी होना कोई नई बात नहीं है। बच्चों को पहले जैसे भूख लगे, इसके लिए आपको कुछ तकनीक अपनानी होगी । बच्चों में कम उम्र से ही अच्छी खान-पान की आदतें डालने से यह उन्हें स्वस्थ रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…