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स्तनपान कराने से आपके बच्चे को अनेकों फायदे मिलते हैं, लेकिन कभी-कभी इससे जुड़ी कुछ चुनौतियां भी हो सकती हैं। कई बार नई माओं को अपने काम, स्वास्थ्य समस्याओं या अन्य कारणों से अपने बच्चे को बोतल से दूध पिलाना शुरू करना पड़ता है। जब माँ बच्चे को बोतल से दूध पिलाने लगती हैं, तो बच्चे में सबसे आम समस्या ‘निप्पल-कंफ्यूजन’ की समस्या हो सकती है, जिसमें बच्चा स्तनपान और बोतल के बीच भ्रमित हो जाता है। ऐसे में अगर आप दोनों, स्तनपान और बोतल से दूध पिलाना करना चाहती हैं, तो इसके लिए ‘पेस्ड बोतल फीडिंग’ एक बेहतर तरीका हो सकता है। इसमें बच्चे को बोतल से धीरे-धीरे और आराम से दूध पिलाया जाता है, ताकि बच्चा दोनों के बीच अंतर न करे।
‘पेस्ड बोतल फीडिंग’ का मतलब है कि बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के दौरान दूध की गति को नियंत्रित करना। इसमें बोतल को सीधा खड़ा रखने की बजाय थोड़ा आड़ा लगभग 45 डिग्री में रखा जाता है। इससे बच्चा धीरे-धीरे अपनी जरूरत के हिसाब से दूध पी सकता है और दूध एकदम से तेजी से नहीं आता। इस तरीके में सबसे ज्यादा ध्यान बोतल पकड़ने वाले को देना पड़ता है, इसलिए इसे सही तरीके से करने में थोड़ा समय और अभ्यास लग सकता है।
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Paced bottle feeding Image: 1978748621 | Normal bottle feeding: 1937041144
पेस्ड बोतल फीडिंग और सामान्य बोतल फीडिंग में मुख्य अंतर ये है कि पेस्ड फीडिंग में दूध की मात्रा को नियंत्रित किया जाता है। बच्चे को उतना ही दूध मिलता है जितनी उसे जरूरत होती है। जबकि सामान्य बोतल फीडिंग में दूध बिना रुके आता रहता है और इसकी गति गुरुत्वाकर्षण से नियंत्रित होती है। पेस्ड बोतल फीडिंग सामान्य स्तनपान जैसा होता है, जिसमें बच्चा अपनी जरूरत के हिसाब से दूध पीता है।
अगर आप अपने बच्चे के लिए पेस्ड बोतल फीडिंग शुरू करना चाहती हैं, तो आपको नीचे बताई गई कुछ चीजों की जरूरत होगी:
यहां कुछ ऐसे कारणों के बारें में बताया गया है जो बोतल से दूध पीने वाले बच्चे जरूरत से ज्यादा दूध पी लेते हैं:
बोतल से दूध पीते समय बच्चों के पास दूध की मात्रा को नियंत्रित करने का विकल्प नहीं होता है और वह इस कारण हर बार ज्यादा दूध पी जाते हैं। ज्यादा दूध पीने की वजह से बच्चे बाद में चिड़चिड़े होने लगते हैं।
बोतल से दूध पीने पर बच्चा अपनी जरूरत के हिसाब से दूध की मात्रा को कम या ज्यादा नहीं कर पाता। इसलिए ज्यादा दूध पीने से बच्चे का वजन बढ़ने लगता है।
हालांकि, पेस्ड बोतल फीडिंग में इन दोनों बातों का ध्यान रखा जाता है। इसमें बच्चे खुद दूध की गति और मात्रा को नियंत्रित कर सकते हैं। इसके अलावा, पेस्ड फीडिंग सामान्य स्तनपान से काफी मिलता-जुलता होता है, जिससे बच्चे के लिए इसे अपनाना आसान हो जाता है।
यहां बताया गया है कि आप अपने बच्चे के लिए पेस्ड बोतल फीडिंग को कैसे अपना सकती हैं:
जब आप माँ बनती हैं, तो आपको अपने बच्चे की सब जरूरतों का ध्यान रखना पड़ता है। आप ये देखती हैं कि आपका बच्चा कब भूखा है और उसे दूध कब पिलाना है। आमतौर पर, बच्चे को हर 2 से 3 घंटे में दूध चाहिए होता है। लेकिन कुछ नया शुरू करने से पहले अपने बच्चे के संकेतों पर ध्यान देना बेहतर होता है। अगर बच्चा चिड़चिड़ा हो रहा है, होंठ चाट रहा है या अपने हाथों को चूस रहा है, तो ये संकेत हो सकते हैं कि उसे दूध चाहिए।
कभी- कभी उसके रोने का कारण कुछ और भी हो सकता है, तो हर बार ये न समझे कि उसे भूख ही लगी होगी।
जब आप अपने बच्चे को बोतल द्वारा दूध देना शुरू करें, तो शुरुआत में दूध की मात्रा ज्यादा नहीं होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, पहले दिन बच्चा सिर्फ 5 से 7 मिलीलीटर दूध पी सकता है, लेकिन पहले हफ्ते के अंत तक यह 45 से 60 मिलीलीटर तक बढ़ सकता है। यह इसलिए है क्योंकि बच्चा इस नई फीडिंग तकनीक को समझ रहा होता है। पहले महीने के अंत तक, आप उम्मीद कर सकती हैं कि आपका बच्चा 80 से 150 मिलीलीटर दूध पीने लगेगा और यह मात्रा बढ़ती जाएगी। चार से छह महीने की उम्र में बच्चा हर बार 160 से 240 मिलीलीटर दूध पीने लगेगा, जब तक आप उसे ठोस आहार देना शुरू नहीं करती हैं।
यहां कुछ आसान कदम दिए गए हैं, जिनसे आप अपने बच्चे को पेस्ड फीडिंग कर सकते हैं:
आप अपने बच्चे को दूध पिलाते समय उसको सीधा पकड़ें, जिससे उसके सिर और गर्दन को अच्छे से सहारा मिल सके। माँ का भी आराम से बैठना जरूरी है ताकि वह बच्चे को दूध पिलाते वक्त उसे सही तरीके से सहारा दे सके।
बोतल का निप्पल लें और धीरे से अपने बच्चे के होठों के बीच में डालें। इससे आपके बच्चे को अपना मुंह खोलने में मदद मिलेगी। बोतल के निप्पल को बच्चे की जीभ के ऊपर रखना सही तरीका होता है, इससे उसके मुंह में हवा कम जाती है।
बोतल को जमीन के समानांतर में रखते हुए आड़ा ही पकड़ें, पूरा सीधा खड़ा न करें। इससे वह अपने हिसाब से दूध खीचकर पिएगा, बिलकुल वैसे जैसे वो स्तनपान करता है। ऐसे में निप्पल की चिंता न करें, यह इस तरह डिजाइन किए जाते हैं कि जिससे आपके बच्चे का मुंह पूरी तरह से बंद नहीं हो।
बच्चे आमतौर पर फीडिंग के दौरान थोड़ी देर ब्रेक लेकर पीते हैं, यह बिलकुल सामान्य बात है। अगर बच्चा दूध पीते हुए रुकता है, तो उसे थोड़ी देर आराम करने दें और अगर वह भूखा है तो फिर से बोतल दे दें। जब बच्चा रुकता है, तो उसका साइड बदलें, जैसा कि स्तनपान करते वक्त किया जाता है। इससे बच्चे को बेहतर फीडिंग में मदद मिलती है और वह दूध पीने के लिए एक साइड को ही नहीं चुनता है।
जब आपको लगे कि आपके बच्चे ने पर्याप्त दूध पी लिया है, तो आप फीडिंग को धीरे-धीरे रोक सकती हैं। बच्चे के धीरे-धीरे चूसने, हाथों का ढीला करना या आंखों का इधर-उधर घुमाने जैसे संकेत आपको देने लगेंगे कि उसे और दूध नहीं चाहिए। अगर बच्चा मना करता है तो उसे मजबूर न करें। बच्चे को यह पता होता है कि उसे कितना दूध चाहिए। और अगर वह फीडिंग के दौरान सो जाता है, तो उसे जगाएं नहीं, क्योंकि शायद उसका पेट भर गया होगा (हालांकि यह नवजात शिशुओं के मामले में लागू नहीं होता)।
एक सामान्य फीडिंग सत्र आमतौर पर 15 से 20 मिनट तक चलता है और आपका बच्चा हर बार लगभग 90 मिलीलीटर दूध पी सकता है। लेकिन ध्यान रखें, हर बच्चे की जरूरतें अलग होती हैं, इसलिए कुछ बच्चे ज्यादा दूध पीते हैं या फीडिंग में ज्यादा समय ले सकते हैं।
जब आप अपने बच्चे को दूध पिलाना खत्म कर लें, तो उसे डकार दिलाना बहुत जरूरी है। आप दूध पिलाने के दौरान भी बच्चे को डकार दिला सकती हैं। जब बच्चा दूध पीते-पीते रुकता है या बोतल का साइड बदलता है, तब आप उसे डकार दिला सकती हैं। इससे बच्चे के पेट में जो भी हवा जमा हो गई हो, वो बाहर निकल जाती है, जिससे गैस की परेशानी कम होती है।
पेस्ड फीडिंग फीडिंग तकनीक के कई फायदे होते हैं, जो बच्चे के लिए फायदेमंद साबित होते हैं। आइए, इन फायदों को सरल भाषा में आपको समझाते हैं:
यह तरीका बच्चे को स्तनपान जैसा अनुभव देता है। इस तरीके को बच्चे आसानी से अपना लेते हैं। अगर आप स्तनपान भी कराना चाहती हैं, तो इससे उसकी रुचि स्तनपान से कम नहीं होगी।
साधारण बोतल से दूध पीने से बच्चा खुद तय नहीं कर पाता कि उसे कितनी मात्रा में दूध पीना चाहिए, जिससे कभी-कभी वह जरूरत से ज्यादा दूध पी लेता है। लेकिन पेस्ड फीडिंग में बच्चा अपनी भूख के हिसाब से दूध पीता है, जिससे ओवरफीडिंग का खतरा कम हो जाता है।
पेस्ड बोतल फीडिंग में माँ को पूरी तरह से बच्चे को दूध पिलाने के दौरान बोतल पकड़नी होती है, जबकि साधारण बोतल फीडिंग में बच्चा खुद बोतल पकड़ सकता है। अगर बच्चा बोतल लेकर सो जाता है, तो ऐसे में दूध उसके मुंह में जमा हो सकता है और इससे दांत खराब होने का खतरा होता है। लेकिन पेस्ड फीडिंग दांत खराब होने का खतरा नहीं होता है।
बच्चे को बोतल से दूध पिलाने में एक आम समस्या होती है कि उसको गैस की समस्या होने लगती है, क्योंकि वह दूध पीने के साथ मुंह के द्वारा हवा भी निगल लेते हैं। लेकिन पेस्ड बोतल फीडिंग में बच्चे की पोजीशन और दूध पीने का तरीका ऐसा होता है कि वह कम से कम हवा निगलते हैं, जिससे बच्चों को गैस की समस्या भी कम होती है।
जब बच्चे को बोतल से दूध पिलाया जाता है, तो कभी-कभी वह स्तनपान करना छोड़ देते हैं या उनकी उसमें रुचि कम हो जाती है। लेकिन पेस्ड बोतल फीडिंग में ऐसे निप्पल का इस्तेमाल किया जाता है, जो माँ के निप्पल जैसा होता है और पिलाने का तरीका भी स्तनपान जैसा होता है। इससे बच्चे को स्तनपान और बोतल के बीच फर्क नहीं समझ आता और निप्पल कंफ्यूजन का खतरा कम हो जाता है।
पेस फीडिंग के दौरान बच्चे को सुरक्षित तरीके से दूध पिलाने के लिए ध्यान रखने वाली कई जरूरी बातें होती हैं, नीचे इन उपायों को बताया गया है:
अगर आपका बच्चा दूध और नहीं पीना चाहता, तो उसे जबरदस्ती दूध पिलाने की कोशिश न करें। अगर वह बोतल का सारा दूध खत्म नहीं करता, तो इसमें कोई भी दिक्कत नहीं है।
अगर आप अपने बच्चे को पेस्ड फीडिंग के साथ-साथ स्तनपान भी कराना चाहती हैं, तो आप ऐसा कर सकती हैं। स्तनपान से बेहतर कोई विकल्प नहीं है, यह बच्चे के लिए सबसे अच्छा है।
अपने बच्चे के लिए एक फीडिंग शेड्यूल बनाएं और उसे नियमित रूप से फॉलो करें। इससे बच्चे की भूख और पोषण सही तरह से पूरा होगा।
शुरुआत में आपको और बच्चे को इस तकनीक को समझने में दिक्कत हो सकती है, लेकिन धीरे-धीरे अभ्यास से आप दोनों इसे सही तरीके से कर पाएंगे।
कई माता-पिता चिंता करते हैं कि बच्चा दूध पीते वक्त हवा ज्यादा निगल सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। साधारण बोतल से दूध पीने की तुलना में पेस्ड फीडिंग में बच्चे के पेट में कम हवा जाती है। फिर भी, बीच-बीच में और फीडिंग के बाद बच्चे को डकार दिलाना जरूरी रहता है ताकि उसे किसी भी तरह की गैस की समस्या न हो।
हर माता-पिता को लगता होगा कि पेस फीडिंग की वजह से उनके बच्चे को गैस होगी, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है। असल में, ये गैस की समस्या बच्चे के अपरिपक्व पाचन तंत्र और नर्वस सिस्टम के कारण होती है। हालांकि, अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा पेस फीडिंग के दौरान ज्यादा हवा निगल रहा है, तो इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
पेस्ड बोतल फीडिंग के कई फायदे हैं और आप भी इनका फायदा उठा सकती हैं। अगर आप अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए इस तरीके अपनाना चाहती हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें और जानें कि इस तकनीक को सही तरीके से कैसे अपनाया जा सकता है।
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