शिशु बहुत नाजुक होते हैं, और अपने परिवेश के प्रति संवेदनशील भी होते हैं। इसीलिए वे बीमारियों और संक्रमणों की चपेट में अधिक आसानी से आ जाते हैं। कान का संक्रमण एक ऐसा संक्रमण है जो बच्चों में आम है और सामान्य तौर पर जुकाम या अन्य ई.एन.टी. बीमारियों के परिणाम स्वरूप होता है।
कान के संक्रमण का प्राथमिक कारण वायरस और बैक्टीरिया होते हैं। कान हर समय तरल पदार्थ बनाते रहते हैं, यह तरल पदार्थ कान के परदे के पीछे एकत्र होकर संक्रमित हो जाता है। यह वहाँ जमा होने लगता है और बैक्टीरिया को जन्म देता है। इस तरह के बैक्टीरिया कान के मध्य भाग में सूजन पैदा करते हैं।
शिशुओं में कान के संक्रमण के कई अन्य कारण हैं, जैसे:
नीचे बच्चों के कान के संक्रमण के लिए कुछ प्राकृतिक उपचार दिए गए हैं, जिनका उपयोग आप डॉक्टर से मिले बिना कर सकते हैं:
लहसुन एंटीबायोटिक दवाओं की तुलना में बैक्टीरिया को मारने में बहुत प्रभावी पाया जाता है, और जब लहसुन के साथ मलेन भी हो, तो यह शिशुओं के कान के दर्द का सबसे अच्छा घरेलू उपचार बनता है। लहसुन प्रतिरक्षा प्रदान करने की अपनी क्षमता के लिए और मलेन दर्द को कम करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। अपने बच्चे के कान में लहसुन और मलेन के तेल की 2-3 बूंदें डालें और ज्यादा राहत के लिए इसे दिन में 3 बार प्रयोग करें।
तरल पदार्थ भी शिशुओं के कान के संक्रमण के इलाज में मदद करते हैं। यदि आपका शिशु अभी भी स्तनपान करता है, तो उसे सामान्य से अधिक बार दूध पिलाने पर विचार करें, क्योंकि स्तन के दूध में मौजूद रोग-प्रतिकारक आपके बच्चे को कान के संक्रमण से बचा सकते हैं।
कान के बाहरी हिस्से पर गर्म सेंक करने से संक्रमण के कारण हो रहे कान के दर्द से राहत मिल सकती है। एक गर्म पानी की बोतल, एक हीटिंग पैक, या यहाँ तक कि गर्म पानी में डुबोया हुआ एक कपड़ा धीरे से अपने शिशु के कान पर लगाया जा सकता है, ताकि उसका दर्द दूर हो सके। हालांकि, यह करने से पहले पानी या पैक के तापमान के बारे में सावधान रहना चाहिए, क्योंकि शिशुओं की त्वचा संवेदनशील होती है।
गर्म पानी और परॉक्साइड को समान मात्रा में मिलाएं। शिशु के कान में 2-3 बूंदें डालें, और इसे 15 सेकंड के लिए छोड़ दें। बाद में, अपने बच्चे के सिर को एक ओर झुकाएं ताकि द्रव बह जाए। बेहतर परिणाम के लिए इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराएं।
बेहतर रक्तसंचार और शिशु के कान से तरल पदार्थ की निकासी सुनिश्चित करने के लिए मालिश एक और आसान व सुविधाजनक विकल्प है। अपने शिशु के कान के बाहरी हिस्से या उसकी गर्दन पर नीचे की दिशा में धीरे से मालिश करें और उसके गाल के पीछे के हिस्से से सामने के हिस्से की तरफ अंदर की ओर दबाव दें। रोज़मेरी, लैवेंडर, टी ट्री या यहाँ तक कि नीलगिरी तेल जैसे एसेंशियल तेलों का उपयोग करके दिन में कम से कम दो बार मालिश करें।
बेकिंग सोडा से अपने बच्चे के कान को धोने से कान के संक्रमण का उपचार किया जा सकता है। पानी में बेकिंग सोडा की कुछ बूंदें मिलाएं और एक सीरिंज की मदद से कान की सतह पर इस तरल पदार्थ के छींटें डालें। बेकिंग सोडा से इसे धोने के बाद, एसेंशियल तेल जैसे कि लहसुन या लैवेंडर के तेल की कुछ बूंदें कान में डालें।
ऐकीनेसिया और पीतकंद दो जड़ी-बूटियां हैं, जो कान के संक्रमण को रोकने में बहुत मदद करती हैं। बच्चों के कान के संक्रमण के इलाज और प्रतिरक्षा के निर्माण के लिए दिन में कम से कम 3 बार इन जड़ी बूटियों के मिश्रण का 2 मि.ली. बच्चों के लिए इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। ये दोनों जड़ी-बूटियां बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ती हैं।
शिशुओं में कान के संक्रमण के इलाज के लिए कैमोमाइल तेल एक अच्छा विकल्प है। एक ड्रॉपर का उपयोग करके कैमोमाइल तेल की 2-3 बूंदें कान में डालें और इसे लगभग 5-10 मिनट तक छोड़ दें। उसके बाद बच्चे के सिर को एक ओर झुकाएं और तेल को बाहर बह जाने दें।
प्याज में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, और यह दर्द से राहत प्रदान करने के लिए और यहाँ तक कि रक्तसंचार को बढ़ावा देने के लिए भी जाना जाता है। प्याज को काट कर माइक्रोवेव करें ताकि वह गर्म और नर्म हो जाए। एक बार जब प्याज गर्म हो जाए, तो इसे कपड़े में लपेटें और 10-15 मिनट के लिए बच्चे के कान पर रखें। इस प्रक्रिया को दोहराएं, और यदि दर्द दूर नहीं होता है तो अधिक राहत के लिए, ड्रॉपर का उपयोग करके कान में लहसुन के गुनगुने तेल की 2-3 बूंदें डालें।
कान के पानी के संपर्क में आने के कारण कर्ण नलिका में सूजन (ओटाइटिस एक्स्टर्ना) का संक्रमण होता है। यह संक्रमण स्विमर्स इयर के नाम से भी जाना जाता है और आमतौर पर कर्ण नलिका में अतिरिक्त नमी मौजूद होने के कारण होता है। हाइड्रोजन परॉक्साइड या पतली की हुई शल्यक स्पिरिट (रबिंग अल्कोहल) के साथ बच्चे का कान धोकर इसका इलाज किया जा सकता है।
शिशुओं में कान के संक्रमण के लिए ऊपर दिए गए घरेलू उपचार करने से उन्हें संक्रमण से लड़ने में मदद होगी और काफी हद तक राहत मिलेगी। यदि समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर से परामर्श करें।
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