गर्भधारण

बांझपन (इनफर्टिलिटी) के लिए बेहतरीन आयुर्वेदिक उपचार

बांझपन की समस्या दुनिया भर में एक बहुत ही कॉमन प्रॉब्लम के रूप में सामने आती है और लाखों कपल अलग-अलग कारणों से गर्भधारण नहीं कर पाते हैं। सिर्फ भारत में, एक सर्वे के अनुसार 20 मिलियन कपल बांझपन का शिकार हैं और यह सर्वे इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च द्वारा किया गया है।

बांझपन क्या है?

बांझपन दो प्रकार के होते हैं। इसका अर्थ यह हो सकता है कि एक महिला प्रोटेक्शन के बगैर संभोग करने के बाद भी गर्भधारण करने में सक्षम नहीं होती है। मेडिकल टर्म में इसका मतलब है कि वो महिला फुल टर्म प्रेगनेंसी कैरी करने में असमर्थ है। बांझपन को एक ऐसी कंडीशन के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है जहाँ एक पुरुष संभोग के बाद महिला को गर्भधारण कराने में असमर्थ होता है।

गर्भधारण न कर पाने के पीछे दोनों में से कोई भी जिम्मेदार हो सकता है या फिर दोनों के अलग-अलग कारणों से भी कपल को बांझपन का सामना करना पड़ता है।

आयुर्वेद बांझपन का इलाज करने में कैसे मदद करता है?

बांझपन के लिए बहुत सारे उपचार हैं और आप आम ट्रीटमेंट के अलावा भी कई अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट का विकल्प चुन सकते हैं। आयुर्वेदिक इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट उन्ही में से एक अल्टरनेटिव मेथड है। इस मेथड को अपनाने के लिए और ट्रीटमेंट को सफल बनाने के लिए आपको अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने होंगे।

आयुर्वेद के अनुसार बांझपन होने का क्या कारण है?

आयुर्वेद के अनुसार बांझपन की समस्या तब उत्पन्न होती है जब ‘शुक्र धातु’ को जरूरी पोषण नहीं प्राप्त होता है। इसका कारण है खराब पाचन, बैलेंस डाइट का अभाव या शरीर में टॉक्सिन्स मौजूद होना जिससे आपका रिप्रोडक्टिव सिस्टम प्रभावित होता है।

आयुर्वेद के अनुसार बांझपन के कुछ कारण इस प्रकार हैं –

  1. बहुत ज्यादा संभोग करना – आयुर्वेद के अनुसार यह शुक्र क्षय (शुक्र धातु में कमी) करता है और इससे नपुंसकता हो सकती है।
  2. अर्तव धातु की गुणवत्ता और मात्रा का अनुचित होना – ‘अर्तव धातु’ फीमेल रिप्रोडक्टिव टिश्यू का नाम है। यदि इसकी गुणवत्ता या मात्रा अपर्याप्त होती है, तो इससे महिलाओं में बांझपन हो सकता है।
  3. मानसिक समस्या होना – आयुर्वेद कहता है कि एंग्जाइटी, डिप्रेशन और अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति को गर्भधारण करने में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  4. भोजन का सेवन – अगर आप बहुत ज्यादा मसालेदार भोजन का सेवन करते हैं, तो इससे गर्भधारण में समस्या होती है क्योंकि यह ‘पित्त’ को बढ़ाता है और शुक्राणु या शुक्र धातु को कमजोर करता है।
  5. यौन इच्छा पर नियंत्रण – यदि आप लंबे समय से अपनी यौन इच्छा को दबाते रहे हैं या कंट्रोल करते रहे हैं, तो इससे ‘वीर्य-अवरोध’ या वीर्य में रुकावट पैदा होती है, जो कामेच्छा में कमी का कारण बनता है।

आयुर्वेद में बांझपन का इलाज

बांझपन को अभी भी बहुत सारे कल्चर में गलत समझा जाता है। हालांकि, यह एक मेडिकल समस्या है जिसका ट्रीटमेंट होना जरूरी है।

आयुर्वेद के अनुसार बांझपन का जो कारण है उसके अनुसार इसका ट्रीटमेंट किया जाता है:

महिलाओं के लिए

  1. शरीर में अर्तवा धतू का बढ़ाना: गर्भाधान के लिए ‘अर्तव धातु’ की क्वालिटी और मात्रा बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह जरूरी है कि ‘अर्तव धातु’ महिलाओं की रिप्रोडक्टिव कैपेसिटी और उनकी हेल्थ को बेहतर करे। कुछ हर्ब और खाद्य पदार्थ हैं (शतावरी, ब्रोकोली, खजूर) जो ‘‘अर्तव धातु’ को बढ़ाते हैं। क्विनोआ जैसे अनाज एस्ट्रोजन को बढ़ाने और महिलाओं के लिए शरीर में हार्मोनल एक्टिविटी को बैलेंस करने में मदद करते हैं।
  2. मसालेदार भोजन से परहेज करें: आयुर्वेद के अनुसार ‘‘अर्तव धातु’ फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी होती है और फर्टिलिटी सपोर्ट के लिए आपको एक ठंडे वातावरण की जरूरत होती है। इसलिए बहुत ज्यादा मसालेदार भोजन का सेवन करने से गर्भधारण की प्रक्रिया में बाधा पैदा हो सकती है। इसके अलावा बहुत अधिक गर्म भोजन का सेवन करने से महिलाओं की ओवम क्वालिटी कम होती है।
  3. महिलाओं के लिए ‘लोधरा (सिम्प्लोकोस रेसमोसा)’ फायदेमंद है: ‘लोधरा’ महिलाओं में बांझपन का इलाज करने के लिए एक बेहतरीन आयुर्वेदिक उपचार है। यह एफएसएच (फॉलिक्युलर स्टिमुलेटिंग हार्मोन) और एलएच (ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन) जैसे रिप्रोडक्टिव हार्मोन को बढ़ाता है। अगर गर्भावस्था की शुरूआती में इसका सेवन किया जाए तो यह मिसकैरेज की संभावना को कम करता है। ऐसा माना जाता है कि अगर ‘लोधरा’ को सुपारी पाक के साथ रोजाना दिन में दो बार शहद और दूध के साथ लिया जाता है, तो इससे गर्भधारण के सफल होने की उम्मीद बढ़ जाती है।
  4. ‘गोक्षुरा (ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस)’: यह हर्ब दोनों के लिए फायदेमंद है। महिलाओं में, यह ओवुलेशन को बढ़ाती है।

पुरुषों के लिए

  1. शरीर में ‘शुक्र धातु’ को बढ़ाना: गर्भधारण के लिए ‘शुक्र धातु’ की गुणवत्ता और मात्रा दोनों का होना बहुत आवश्यक है। ये इसलिए जरूरी है क्योंकि ‘शुक्र धातु’ पुरुषों में रिप्रोडक्टिव कैपेसिटी और उनकी हेल्थ में सुधार करती है। कुछ हर्ब और भोजन हैं (शतावरी, ब्रोकोली, खजूर) जो ‘शुक्र धातु’ को बढ़ाने में मदद करते हैं, उन्हें ‘वृष्य’ के रूप में जाना जाता है। शतावरी, खजूर, बादाम का सेवन करने से पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन रिलीज होते हैं, जिससे शुक्राणु की संख्या बढ़ती है।
  2. मसालेदार भोजन से परहेज करें: आयुर्वेद के अनुसार ‘शुक्र धातु’ को फर्टिलिटी सपोर्ट के लिए अच्छे वातावरण की जरूरत होती है। इसलिए बहुत ज्यादा मसालेदार भोजन इस प्रक्रिया को बाधित कर सकता है और शुक्राणु के उत्पादन में रूकावट पैदा कर सकता है। इसके अलावा तेज गर्म भोजन का सेवन करने से शुक्राणु की क्वालिटी और संख्या कम हो जाती है।
  3. ब्रीफ्स के बजाय बॉक्सर पहनें: महिलाओं और पुरुषों दोनों के रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर हीट का बहुत ही नेगेटिव इफेक्ट होता है। शुक्राणु के उत्पादन में तापमान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर का तापमान कम होना चाहिए। आमतौर पर स्क्रोटल सैक को ठंडे तापमान पर रखा जाता है, लेकिन जब कोई व्यक्ति टाइट अंडरवियर पहनता है, तो शरीर की गर्मी को फैब्रिक रोक लेता है और इसे बाहर नहीं निकलने देता। इससे स्पर्म काउंट में कमी होने लगती है।
  4. ‘कापिकाच्चु (मुकुना प्रुरिएन्स)’ पुरुषों के लिए बेहतरीन कार्य करता है: ‘कापिकाच्चु या मुकुना प्रुरिएन्स एक हर्ब है, जिसमें कामोत्तेजक गुण होते हैं और यह पुरुषों की फर्टिलिटी में सुधार करती है, साथ ही कामेच्छा बढ़ाती है और शुक्राणु की क्वालिटी और संख्या में वृद्धि करती है।
  5. ‘गोक्षुरा (ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस)’ महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए फायदेमंद है: पुरुषों में, यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या को ठीक करने में मदद करता है और स्पर्म काउंट बढ़ाता है।

(नोट: आयुर्वेदिक उपचारों को डॉक्टर की देखरेख में ही लिया जाना चाहिए)

पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए बांझपन के कॉमन ट्रीटमेंट:

  1. ‘बस्ती’ (एनीमा) – यह थेरेपी आपके रेक्टम से ‘दोष’ को खत्म करती है और ‘अपान वायु’ को मेडिकेटिड ऑयल से रेगुलेट (विनियमित) करने में मदद करती है। इससे वीर्य और ओवम की गुणवत्ता में सुधार होता है।
  2. ‘शिरोधारा’ थेरेपी – आयुर्वेद में हार्मोनल इम्बैलेंस का उपचार करने के लिए कई स्पेसिफिक मेडिकेटिड ऑयल मौजूद हैं। इसे ‘शिरोधारा’ थेरेपी के रूप में जाना जाता है। इसमें माथे पर किसी विशेष पॉइंट पर तेल डाला जाता है और माना जाता है कि यह आपके मेंटल स्टेट को बैलेंस करने में मदद करता है। महिलाओं में, यह ओवेरियन फॉलिकल के विकास में मदद करता है।

आयुर्वेदिक घरेलू उपचार

  1. स्वेदनम – इस प्रक्रिया में ब्लैंकेट एक्सरसाइज की मदद से आपके शरीर से पसीने के माध्यम से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं।
  2. वमनम – यह एक डिटॉक्सिंग थेरेपी है और इसमें शरीर से टॉक्सिन्स निकाले जाते हैं। यह आपके लिए थोड़ा असहज हो सकता है, लेकिन यह काफी मददगार भी साबित होता है।
  3. बरगद के पेड़ की छाल – कई डॉक्टर सूखे बरगद के पेड़ की छाल के चूर्ण के सेवन करने की सलाह देते हैं, जो कि बांझपन को दूर करने के लिए सबसे अच्छे आयुर्वेदिक उपचारों में से एक है, बस आप इसे चीनी के साथ मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं।

डाइट और लाइफस्टाइल में किए जाने वाले बदलाव

आहार में बदलाव

चूंकि आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट संपूर्ण उपचार की तरह से किया जाता है, इसलिए आपका अपनी डाइट में कुछ बदलाव करना जरूरी है।

आपको डाइट में फ्रेश फ्रूट (रसदार) और सब्जियां, होल ग्रेन्स, डेयरी प्रोडक्ट, दालें, बादाम और अखरोट जैसी चीजों को शामिल करना होगा जो आपके गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने में मदद करेगा। जिन खाद्य पदार्थों में प्रिजर्वेटिव होते हैं, उनमें वसा की मात्रा ज्यादा होती है, इस दौरान आपको कार्बोहाइड्रेट और कैफीन से भी परहेज करना चाहिए।

लाइफस्टाइल में बदलाव

क्योंकि, जैसा कि आपको पहले ही बताया गया है कि आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट शरीर को पूरी तरह से कवर करता है, हर उस फैक्टर को ध्यान में रखा जाता है जो आपके गर्भधारण करने में बाधा उत्पन्न कर रहा हो। ऐसे में वो कपल जो गर्भधारण करने का प्रयास कर रहे हैं और एक हेल्दी बच्चा चाहते हैं तो उन्हें अपनी लाइफस्टाइल में कुछ चेजेंस करने होंगे। आपको अपनी सभी खराब आदतों जैसे स्मोकिंग, अल्कोहल या किसी दूसरे ड्रग का इस्तेमाल करना तुरंत बंद करना होगा, ताकि जल्दी गर्भधारण हो सके। जब आप इनफर्टिलिटी का ट्रीटमेंट कराने जा रहे हों, तो आपका पॉजिटिव एटीट्यूड भी बहुत जरूरी है।

ध्यान देने योग्य बातें

आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट इस बात पर जोर देता है कि आप स्ट्रेस फ्री लाइफ जिएं। ज्यादा स्ट्रेस लेने से आपकी कामेच्छा पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जो लंबे समय तक ऐसे ही जारी रहने पर गर्भधारण प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। महिलाओं में लंबे समय तक स्ट्रेस में रहने से ओवुलेशन में समस्या पैदा होती है और पुरुषों में यह टेस्टोस्टेरोन लेवल को कम करता है, जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा ट्रीटमेंट के दौरान आपका पॉजिटिव माइंडसेट होना बेहद जरूरी है।

आयुर्वेद लगभग 5000 सालों से अस्तित्व में है, यह ट्रीटमेंट मेथड सबसे पुराना और भरोसेमंद है। इनफर्टिलिटी के लिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट की सफलता की दर नेचुरल कन्सेप्शन और आर्टिफिशियल रिप्रोडक्टिव टेक्नीक दोनों तरह से ही देखी गई है।

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समर नक़वी

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