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भागो, भेड़िया आया! बच्चों और कहानीकारों के बीच यह सबसे लोकप्रिय कहानियों में से एक है। इस कहानी को पीढ़ी दर पीढ़ी अपने मुताबिक अलग–अलग तरीकों से संरचित करके बताया गया है। यहाँ आपको आसान भाषा में “भागो! भेड़िया, आया भेड़िया’’ की कहानी बताई गई है, जो आप अपने बच्चों को पढ़कर सुना सकते हैं या बच्चे खुद भी पढ़ सकते है।
एक बार की बात है, एक लड़का था जो अपनी भेड़ों के झुंड को ताजी हरी घास चराने के लिए पहाड़ी पर ले जाता था। यह काम उसके लिए थोड़ा उबाऊ था। ऊपर पहाड़ों में बैठ–बैठे वो पूरा दिन ऊब जाता था। एक दिन उसके दिमाग में एक विचार आया जिससे वो अपनी बोरियत दूर कर सकता है। अपनी बोरियत दूर करने के लिए, वह चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भागो, भेड़िया आया, भेड़िया आया”। आसपास बसें गाँव वाले उसकी आवाज सुनकर अपनी लाठी लेकर दौड़े, सोचकर कि कहीं भेड़िया उस बच्चे को खा न जाएं। लेकिन उन्होंने देखा कि वहाँ कोई भेड़िया नहीं आया था। गाँव वालों को वहाँ देखकर लड़का जोर–जोर से हँसने लगा, उसे लगा उसने लोगों को बेवकूफ बना दिया।
फिर कुछ दिनों के बाद उसने फिर से वैसा ही करने का सोचा, वह चिल्लाया, “भेड़िया आया, भेड़िया आया!” और गाँव वाले फिर से पहाड़ी की ओर भागते हुए गए, तो फिर उन्होंने पाया कि चरवाहे लड़के ने फिर से उन्हें बेवकूफ बनाया था। लड़का फिर लोटपोटकर हँसने लगा यह सोच कर की उसने फिर से गाँव वालों को बेवकूफ बना दिया। इस बात से सभी गाँव वाले बहुत गुस्से में आ गए और उन्होंने उस लड़के से कहा “अगली बार जब तुम सच में मदद के लिए रोओगे, पुकारोगे तो हम नहीं आएंगे।” यह कहकर सभी वहाँ से चले गए।
अगले दिन जब वह लड़का पहाड़ों में अपनी भेड़ें चरा रहा था, तो उसने अचानक उसे एक भेड़िया दिखा। वह डरकर जल्दी से एक पेड़ पर चढ़ गया और जोर से चिल्लाया “बचाओ, भेड़िया आया! भेड़िया आया!”, वह चिल्लाते रहा। लेकिन अफसोस! कोई भी उस लड़के की भेड़ को बचाने नहीं आया। भेड़िया उसकी कुछ भेड़ों को खा गया। अंत में वह बच्चा अपनी बची–खुची भेड़ों को लेकर गाँव वालों के पास गया और अपनी दुख भरी कहानी उनको सुनाया। उसने गाँव वालों से माफी मांगी और वादा किया कि आज के बाद, वह कभी झूठ नहीं बोलेगा।
यह लघु कथा हमें यह सबक देती है कि यदि आप बार–बार किसी से झूठ बोलेंगे तो आपकी सच्ची बातों पर भी कभी कोई भरोसा नहीं करेगा।
भेड़िया आया, एक ऐसी कहानी है जिसे हर बच्चे को पढ़ना चाहिए और उससे हमेशा के लिए सबक सीखना चाहिए कि उन्हें कभी मजाक में भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। यह एक ऐसी कहानी है जो हर पाठक के मन में एक गहरी छाप छोड़ती है।
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