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यह कहानी एक जंगल में रहने वाली बूढ़ी बकरी डंपी की है, जो अपने बच्चों के साथ रहती थी। उसके बच्चों पर एक चालक भेड़िया की नजर थी और वो उन्हें खाने के लिए कई तरह का छल और धोखा करता है। लेकिन आखिर में बुराई पर अच्छाई की ही जीत होती है। इस कहानी में यह बताया गया है कि कोई भी चाहे कितना जतन क्यों न कर ले, यदि उसका इरादा गलत हो तो उसके साथ गलत ही होता है। जंगल के जानवरों की यह मजेदार कहानियां बच्चों को बहुत भाती हैं। यदि आप ऐसी कहानियां अपने बच्चों को सुनाना और पढ़ाना चाहते हैं तो इस वेबसाइट के माध्यम से हमसे जुड़े रहें।
कुछ वर्षों पहले की बात है, एक जंगल था जहां एक डंपी नाम की बूढ़ी बकरी अपने 7 बच्चों के साथ रहती थी। हर दिन बकरी बाहर जाती और अपने बच्चों के लिए खाना लेकर आती थी। वहीं उसी जंगल में एक भेड़िया भी रहता था, जिसकी बुरी नजर बकरी के बच्चों पर थी।
भेड़िये की मनसा बकरी को भी पता थी, इसलिए घर से बाहर निकलते वक्त वो अपने बच्चों को जंगली जानवरों से बचने का तरीका बताकर जाती थी। बकरी ने बच्चों को बताया था कि भेड़िया बहुत चतुर होते हैं और उनकी आवाज भारी और काले पैर होते हैं। ऐसा कोई भी जंगल में दिखे तो खुद को बचाने की कोशिश करना।
एक बार बकरी को बच्चों के लिए खाना लेने काफी दूर जाना था। इसलिए उसने अपने बच्चों को एक साथ बुलाकर समझाती हैं कि जब तक वह घर वापस नहीं जाती तब तक घर से बाहर नहीं जाना और दरवाजा नहीं खोलना। सभी बच्चे अपनी माँ को यकीन दिलाते हैं कि वह अपना अच्छे से ख्याल रखेंगे और अपनी माँ को खुशी से विदा कर देते हैं।
जब बकरी चली गई तभी थोड़ी देर बाद भेड़िया उसके घर के बाहर पहुंचा और दरवाजा खटखटाने लगा। बकरी के बच्चे एक साथ बोले बाहर कौन है। तब भेड़िया बकरी बन कर बोलता है – “मैं तुम्हारी माँ हूं।” ये सुनकर बच्चों ने कहा हमारी मम्मी की आवाज इतनी भारी नहीं है। तुम भेड़िया हो और हम लोगों को खाने के लिए आए हो।
ऐसे में भेड़िया समझ गया की बच्चे बहुत चतुर हैं आसानी से जाल में नहीं फसेंगे। तभी भेड़िया के दिमाग में तरकीब आई, उसने सोचा शहद खाने से आवाज अच्छी हो जाती है और वह तुरंत जंगल गया और मधुमक्खी का शहद ढूंढकर खा लिया। तब मधुमखियों ने उसे डंक मार दी। भड़िये ने खुद को संभाला और दुबारा बकरी के घर पहुंच गया। वहां दरवाजा खटखटाया और कहा – “बच्चों दरवाजा खोलो।”
इस बार बच्चों को एक मीठी आवाज सुनाई दी और उन्हें लगा उनकी माँ आई हैं। लेकिन उसी समय उन्होंने भेड़िया के काले पैरों को देख लिया और बोलने लगे कि तुम हमारी माँ नहीं हो उनके पैर गोर हैं, तुम भेड़िया हो। भेड़िया की चाल फिर नाकामयाब हो गई और वह वहां से चला गया।
जब भेड़िया लौट रहा था तभी उसी रस्ते में आटा चक्की दिखी और वहां पर जमीन पर बिखरे आटा को अपने पैरों में लगा लिया ताकि वह गोरे लगे। भेड़िया अब अपने सफेद पैर लेकर एक बार फिर से बकरी के घर पहुंचा। वहां पहुंचने के बाद भेड़िया ने आवाज बदलकर बकरी के बच्चों को बुलाया, इस बार बच्चों को आवाज भी मधुर लगी और पैर भी गोरे दिखाई दिए। ये देखने के बाद वह दरवाजा खोलने जा ही रहे थे कि अचानक से बकरी का सबसे छोटा बच्चा बोलता है – “यह हमारी माँ नहीं हो सकती” लेकिन उसकी बात किसी ने नहीं मानी और दरवाजा खोल दिया।
जैसे ही दरवाजा खुला, बच्चें सामने भेड़िया को देखकर घबरा गए और बचने के लिए इधर-उधर भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन भेड़िया ने 6 बच्चों को एक-एक कर के थैले में डाल दिया। भेड़िया इतना जल्दबाजी में था कि वह यह भूल गया कि बकरी के 6 नहीं 7 बच्चे थें। वो बकरी के 6 बच्चों को एक थैले में भरकर अपनी गुफा में लेकर चला गया।
जब कुछ समय बाद जब डंपी बकरी घर पहुंची और अपना घर बिखरा देखकर घबरा गई। वहां उसका छुपा हुआ एक बच्चा जो भेड़िया से बच गया था बाहर निकला और अपनी माँ को पूरी बात बताई। सारी बातों को सुनने के बाद बकरी को भेड़िया पर बहुत गुस्सा आया और वो उसको सबक सिखाने के लिए उसकी गुफा की ओर बढ़ गई।
वहीं, बकरी के बच्चों को ले जा रहे भेड़िया की हालत खस्ता हो गई और वो आराम करने के लिए पेड़ के नीचे बैठ गया। पेड़ के नीचे उसे नींद आ गई। वहीं पर डंपी बकरी भी पहुंच गई। उसने देखा भेड़िया सोया हुआ था, इस मौके का फायदा उठाते हुए थैले से अपने बच्चों को बाहर निकाला और फिर उस थैले में पत्थर भर दिए और उसके बाद पास की झाड़ियों में जाकर छुप गए।
थोड़ी देर बाद भेड़िया जागा और अपना थैला उठाकर गुफा की तरफ चल दिया। उसे अपना थैला भारी लगने लगा, फिर भी उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। भेड़िया चल रहा था और रास्ते में एक नदी पड़ी जिसको पार कर के ही वह अपनी गुफा तक पहुंच सकता था। जैसे ही वह अपना भारी थैला लेकर नदी में चलने लगा तो वह डूबने लगा। डंपी और उसके बच्चे यह दृश्य देखकर बहुत खुश हुए और अपने घर वापस लौट गए।
भेड़िया और बकरी के बच्चों की इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो किसी के साथ छल और धोखा करता है, उसका भी भला नहीं होता है।
भेड़िया और बकरी के सात बच्चों की कहानी एक नैतिक कहानी है जिससे हमें शिक्षा मिलती है।
भेड़िया और बकरी की कहानी हमें ये बताती है कि कोई चाहे आपके साथ कितना भी छल, धोखा करे, आपको अपने ऊपर भरोसा होना चाहिए और किसी से डरना नहीं चाहिए।
हम सबको किसी के साथ कभी भी धोखा नहीं करना चाहिए और न ही धोखे से किसी चीज को हासिल करना चाहिए क्योंकि उसका परिणाम बुरा ही होता है और आप खुश नहीं रह सकते हैं।
भेड़िया और बकरी के सात बच्चों की इस कहानी से सभी को सबक लेना चाहिए की किसी पर भी आसानी से भरोसा नहीं करना चाहिए और जो आपके माता-पिता समझाते हैं उसको सही तरीके से समझना चाहिए। साथ ही छल और धोखे से किया गया परिणाम हमेशा बुरा ही होता है। बच्चों को यह कहानी जरूर पसंद आएगी और इसको पढ़ने के बाद उन्हें बहुत कुछ समझने को मिलेगा। ऐसी मजेदार कहानियों से आप अपने बच्चों का मनोरंजन कर सकते हैं।
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