In this Article
यह कहानी है जानवरों की जोड़ियों में एक बहुत मजेदार जोड़ी की – बिल्ली और चूहे की। कहानी में बताया गया है कि शरीर व ताकत में बड़ी, बेहद चालाक व शातिर बिल्ली से पहले चूहे घबराते हैं और फिर एक बुद्धिमान और अनुभवी चूहे की सूझबूझ से वे उसके जाल में फंसने से कैसे बचते हैं।
यह कहानी मुख्य रूप से बिल्ली और चूहों के बीच की है इसलिए इसके मुख्य पात्र भी वही हैं। इसमें चूहों का एक झुंड है हालांकि अहम किरदार के रूप में एक बूढ़ा लेकिन बुद्धिमान चूहा है। कहानी के प्रमुख पात्र इस प्रकार हैं –
एक बार एक बहुत चालाक बिल्ली थी जो चूहों को मारकर खा जाती थी। बिल्ली इतनी चौकस रहती थी कि चूहे दिखने पर झपट्टा मारकर अपने पंजों से एक साथ कई चूहों का शिकार कर देती थी। उससे डरकर धीरे-धीरे चूहों ने बिलों से निकलना की कम कर दिया। बिल्ली को इस बात का एहसास हुआ लेकिन वह कब तक इस तरह रहती। उसे तो खाने के लिए चूहे चाहिए थे। फिर उसने एक योजना बनाई। बिल्ली एक अलमारी पर चढ़ गई और वहां से सिर नीचे की ओर लटका कर ऐसे लेट गई जैसे कि वह मर गई हो। वह एक पंजे से रस्सी को पकड़कर खुद को ऊपर उठाए हुए थी।
जब चूहों ने बाहर झाँककर बिल्ली को उस स्थिति में देखा, तो उन्होंने सोचा कि उसे किसी बुरे काम की सजा के रूप में वहाँ लटका दिया गया है। उन्होंने पास जाकर उसे ध्यान से देखा और सूंघा कि क्या वह सचमुच मर चुकी है। लेकिन जब कोई हलचल नहीं हुई तो सभी चूहों ने मान लिया कि बिल्ली मर गई है और वे जश्न मनाने लगे।
तभी बिल्ली ने अपनी रस्सी छोड़ दी और इससे पहले कि चूहे अपनी आँखों पर विश्वास कर पाते, उसने तीन चूहों को अपने पंजों में पकड़ लिया। बचे हुए सभी चूहे अपने बिलों की ओर भाग खड़े हुए। बिल्ली का काम हो गया था और उसने पकड़े हुए चूहों को खा डाला। इस तरह बिल्ली ने इस बार तो अपना पेट भर लिया, लेकिन चूहे अब और भी ज्यादा सतर्क हो गए।
लेकिन इसके बाद अगले दिन से बिल्ली फिर भूखी थी। अब पेट भरने के लिए उसे दूसरी योजना बनानी थी। लेकिन चूहे अब बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतना चाहते थे इसलिए इस बार छोटी योजना से काम नहीं बनने वाला था। बिल्ली को एक तरकीब सूझी। उसने खुद को आटे में लपेट लिया और रसोईघर के बीच में लेट गई। चूहों ने देखा तो सोचा कि वह आटा है और उसे खाने के लिए आ गए। लेकिन तभी एक बुद्धिमान बूढ़े चूहे ने उन्हें रोक दिया। उसे बिल्लियों और उनकी चालाकियों का अनुभव था। उसने ध्यान से आटा देखा, तो उसे उसमें बिल्ली का आकार दिखने लगा। उसने चूहों से कहा कि यह आटे से ढकी बिल्ली हो सकती है। ऐसा सुनते ही चूहे फिर से अपने बिलों की ओर भाग गए और इस तरह बुद्धिमान बूढ़े चूहे ने उन सबकी जान बचा ली।
बिल्ली और चूहों की कहानी से यह सीख मिलती है कि चाहे कैसा भी मौका हो समझदारी कभी नहीं छोड़नी चाहिए। किसी भी परिस्थिति में बुद्धि का इस्तेमाल करके धोखे से बचा जा सकता है और अपने अनुभवों से सीखना और जीवन में उनके आधार पर निर्णय लेना हमेशा कारगर होता है।
यह कहानी बच्चों को एक संदेश देती है कि परिस्थिति कोई भी हो अपनी सूझबूझ कभी नहीं छोड़नी चाहिए। बुद्धि का सही समय पर इस्तेमाल बेहद जरूरी है। इसलिए यह कहानी नैतिक कहानियों की श्रेणी में आती है।
यह कहानी बताती है कि समय अच्छा हो या बुरा हमेशा अपनी बुद्धि से काम लेना चाहिए। इस तरह किसी भी तरह की मुसीबत और किसी भी कठिन परीक्षा को पार किया जा सकता है।
बिल्ली चूहों को खाती है इसलिए बिल्ली और चूहों में दुश्मनी कही जाती है।
बिल्ली को चालाक और चूहों को होशियार माना जाता है।
दादी-नानी से कहानियां तो हम सभी ने सुनी हैं। उसमें भी रात को सोने के समय कहानी सुनने का मजा और ही होता था। लेकिन कहानी सुनाना केवल दादी या नानी का ही काम नहीं होता। पेरेंट्स भी अगर बच्चों को रात में बेडटाइम पर एक अच्छी सीख देने वाली और दिलचस्प कहानी सुनाने की आदत डालेंगे तो वह समय दोनों के लिए बहुत मजेदार और यादगार होगा।
भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, जिसमें धरती अचानक से हिलने लगती है। यह तब होता…
जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है, उसके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू उभरने लगते हैं। या…
भगवान के अलावा हमारे जीवन में किसी दूसरे वयक्ति को अगर सबसे ऊंचा दर्जा मिला…
शादी के बाद प्यार बनाए रखना किसी भी रिश्ते की सबसे खूबसूरत बात होती है।…
शादी के बाद रिश्तों में प्यार और अपनापन बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। पति-पत्नी…
ऐसे कई माता-पिता होते हैं जो अपने बच्चे का नाम इतिहास के वीर महापुरुषों के…