बीरबल की खिचड़ी की कहानी | Birbal Ki Khichdi Story In Hindi

बादशाह अकबर और बीरबल की खिचड़ी की ये कहानी बहुत ही रोचक है। इसमें बताया गया है कि कैसे एक गरीब व्यक्ति सिर्फ कुछ पैसे कमाने के लिए अपनी जान की परवाह न करते हुए कुछ भी कर सकता है। साथ ही ये भी सीख मिलती है कि बिना किसी व्यक्ति के परिश्रम को जाने आप उनके बारे में कोई राय नहीं बना सकते हैं। अकबर और बीरबल की कहानियां सालों से मशहूर हैं और बच्चों की भी ये फेवरेट होती हैं। बच्चों को इन कहानियां को पढ़कर मजा तो आता ही है साथ ही उन्हें कई ज्ञानवर्धक चीजें सीखने को भी मिलती हैं।

कहानी के पात्र (Characters Of The Story)

  • बादशाह अकबर
  • बीरबल
  • बादशाह के मंत्री
  • गंगाधर (एक गरीब व्यक्ति)

अकबर बीरबल की कहानी: बीरबल की खिचड़ी | Birbal Ki Khichdi

एक बार ठंड के मौसम मे बादशाह अकबर एक मंत्री के साथ अपने बगीचे मे टहल रहे थे। टहलते हुए अकबर मंत्री से बोलें, “इस साल सर्दी कुछ ज्यादा पड़ रही है। महल से बाहर आने मे ठंड से हालत खराब हो रही है” मंत्री ने भी जवाब देते हुए बोला,” जी हुजूर, अपने बिलकुल सही कहा। इस साल सर्दी इतनी बढ़ गई है की सभी ने अपने घर से बाहर निकलना कम कर दिया है। ”

जब बादशाह बगीचे मे टहल रहे थे कि तभी वह बगीचे में बने तालाब के पास पहुंचे। उन्होंने अपना हाथ जब तालाब के पानी में डाला, उन्हें पानी बर्फ समान लगा। पानी से हाथ निकालते वक्त अकबर ने मंत्री से कहा,” तुम सही कह रहे हो। इतनी सर्दी में कौन बाहर निकलेगा।”

तभी बीरबल को चुपचाप किनारे खड़ा देखकर अकबर ने पूछा, “बीरबल, तुम्हारा इस बारे में क्या विचार है?” बीरबल सिर नीचे करते हुए कहा, “मैं क्षमा चाहूंगा हुजूर, इस बारे में मेरा विचार थोड़ा अलग है। मैं आप दोनों की बातों से असहमत हूं।”

अकबर हैरान हो गए और बीरबल से पूछने लगें, “अच्छा, तो आप हमें अपना विचार बताएं।” बीरबल बोला, “हुजूर मेरा कहना है कि किसी भी गरीब इंसान के लिए पैसा ही सब कुछ होता है। उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा बाहर सर्दी हो या गर्मी।” अकबर आश्चर्यचकित होकर बीरबल से बोलें, “तो आपका ये कहना है कि इस कंपकपाने वाली ठंड में एक गरीब व्यक्ति कोई भी ऐसा काम कर सकता है, जिससे उसे पैसा मिल सके।” बीरबल ने सहमति देते हुए कहा, “जी हुजूर, मैं यही कहना चाहता हूं।”

ऐसे में बादशाह अकबर चुनौती दी और कहा, “तो सही है, यदि तालाब के इस बर्फीले पानी में आपने रात भर किसी को खड़ा रहने के लिए मंजूर कर लिया और मुझे साबित कर दिया, तो हम आपके द्वारा लाए गए गरीब व्यक्ति को 20 सोने के सिक्के पुरस्कार के रूप में देंगे।”

बादशाह अकबर की बात को मानते हुए, बीरबल अगले दिन दरबार में बादशाह के सामने एक गरीब व्यक्ति को लाने का वादा किया। बादशाह ने बीरबल से फिर से उस गरीब व्यक्ति के लिए पूछा जो तालाब में पूरी रात खड़ा होने के लिए तैयार है। इस बार बीरबल ने बादशाह के सामने गंगाधर नाम के व्यक्ति को पेश किया और कहा कि ये व्यक्ति 20 सोने की मुद्राओं के लिए तालाब के ठंडे पानी में पूरी रात बिताने के लिए तैयार है। सभा को खत्म करते हुए अकबर ने अपने दो सिपाहियों को उस व्यक्ति की सारी रात निगरानी करने को कह दिया।

अगली सुबह एक बार फिर से सभा बुलाई गई और दरबार में बादशाह अकबर ने बीरबल से गंगाधर के बारे में जानकारी ली और पूछा, “आपका साथी कहां है बीरबल? वह उस बर्फ जैसे पानी में कितनी देर रुक पाया?” बीरबल ने कहा – “महाराज वो तो यहीं है। मैं उसे इस दरबार में लाने की इजाजत चाहता हूं।” जिसके बाद बीरबल ने गंगाधर को दरबार में बुलाया।

अकबर ने बीरबल को शाबाशी दी और कहा, “हमें विश्वास नहीं हो रहा है कि तुम ठंड में इतने बर्फीले पानी में पूरी रात रहे और उसके बाद भी हमारे सामने सही-सलामत खड़े हो। ये हैरान कर देने वाला काम तुमने कैसे किया? पूरी सभा को बताएं।”

गंगाधर बोला, “हुजूर, शुरू-शुरू में थोड़ा कठिन था, लेकिन कुछ वक्त के बाद मुझे महल की खिड़की पर एक जलता हुआ दीया दिखाई पड़ा। उसे देखते हुए मैंने पूरी रात बिता दी।” बादशाह ने गुस्से में कहा, यह तो फरेब है, तुमने हमारे महल के दिए की गर्मी से सारी रात बिताई। धोखेबाज! तुम्हारी इस हरकत पर हम तुम्हें दंड नहीं देंगे, लेकिन अब तुम्हें इनाम नहीं मिलेगा।” ये बात बोलते हुए अकबर ने सिपाहियों से गंगाधर को महल से बाहर ले जाने का आदेश दिया और सभा समाप्त करते हुए सब अपने कमरे में चले गए।

अगली सुबह जब सभी लोग हमेशा की तरह बादशाह दरबार में पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि बीरबल के अलावा सभी दरबारी अपनी जगह पर मौजूद थे। अकबर ने सिपाही से बीरबल के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि वो आज महल नहीं आए हैं। ऐसे में बादशाह ने सिपाही को बीरबल के घर उन्हें लेकर आने के लिए भेजा।

थोड़ी देर बाद जब सिपाही बिना बीरबल के महल में पहुंचा तो अकबर ने उससे अकेले आने की वजह पूछी। सिपाही ने बताया, “बीरबल अपने घर पर खाना पका रहे हैं और उन्होंने ये कहा है कि जब तक खाना पूरी तरह पक नहीं जाता वो दरबार नहीं आएंगे।” सिपाही की बातें सुनकर बादशाह को हैरानी हुई क्योंकि इससे पहले बीरबल कभी भी महल में आने में देर नहीं की है। अकबर को बीरबल की बातों पर शंका हुई और उन्होंने उनके घर जाने का फैसला किया।

बादशाह अकबर जब बीरबल के घर पहुंचे, तो वह वहां का दृश्य देखकर हैरान हो गए। उन्होंने देखा की एक ऊंचाई पर हांड़ी लटकी हुई है और नीचे जमीन पर लकड़ियां जल रही हैं। बादशाह बीरबल से सवाल करने लगे कि तुम ये क्या कर रहे हो। इस बात पर बीरबल ने कहा कि वह अपने खाने के लिए खिचड़ी पका रहा है। अकबर ने बोला, “क्या तुम पागल हो गए हो? ऐसे खिचड़ी कैसे बन सकती है। तुमने हांड़ी इतनी ऊंचाई पर टांग रखी है और आग नीचे जल रही है। ऐसे में खिचड़ी पकने के लिए उस तक आगे कैसे पहुंचेगी?”

ये बात सुनकर बीरबल ने शांति से बादशाह को जवाब दिया, “हुजूर, क्यों नहीं पहुंचेगी? जब महल की खिड़की पर रखे दीये की गर्मी गंगाधर तक पहुंच सकती है, तो मेरी हांड़ी तो आग से इतनी भी दूर नहीं है।”

बीरबल की बातों को सुनकर बादशाह अकबर को समझ आ गया और उन्होंने मुस्कुराकर कहा, “हम जानते हैं तुम क्या कहना चाहते हो बीरबल।” इसके बाद बादशाह अकबर ने अपने महल में उस गरीब व्यक्ति गंगाधर को बुलाया और उसका इनाम 20 सोने सिक्के दिए। साथ ही बीरबल की निपुणता पर उन्हें भी इनाम दिया।

बीरबल की खिचड़ी की कहानी से सीख (Moral Of Birbal Ki Khichdi Hindi Story)

बीरबल की खिचड़ी की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों की सफलता के पीछे की गई मेहनत और परिश्रम को जाने बिना उनके बारे में राय नहीं बनानी चाहिए। हर व्यक्ति के परिश्रम का सम्मान जरूर करना चाहिए।

बीरबल की खिचड़ी की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type Of Birbal Ki Khichdi Hindi Story )

बीरबल की खिचड़ी की यह कहानी अकबर-बीरबल की कहानियां के अंतर्गत आती है। इससे हमें नैतिक शिक्षा भी मिलती है कि बिना जाने समझे कोई भी फैसला नहीं करना चाहिए और किसी की मेहनत को कम नहीं समझना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. बीरबल की खिचड़ी की नैतिक कहानी क्या है?

बीरबल की खिचड़ी की नैतिक कहानी ये है कि कोई भी गरीब व्यक्ति पैसों के लिए किसी भी हद तक जाकर मेहनत कर सकता है, लेकिन उसकी परिस्थिति को बिना समझे हमें कोई भी राय नहीं बनानी चाहिए बल्कि उनकी मेहनत की इज्जत करनी चाहिए।

2. हमें दूसरों का परिश्रम जाने बगैर कोई राय क्यों नहीं बनानी चाहिए?

जीवन में हर व्यक्ति का अपना परिश्रम होता है, इसलिए किसी को कुछ बोलने और करने से पहले ध्यान से उसकी परिस्थिति को समझे और उसके अनुसार ही कोई कार्य करें। हम नहीं जानते सामने वाले व्यक्ति ने अपने मुकाम तक पहुंचने में कितना संघर्ष किया है।

निष्कर्ष (Conclusion)

बीरबल की खिचड़ी की कहानी एक ऐसी कहानी है जो हमें बहुत कुछ सिखाती है। इसमें हमें गरीब इंसान के संघर्ष, बीरबल की समझदारी और कैसे एक गलत फैसला से किसी व्यक्ति का जीवन खराब हो सकता है यह बताया गया है। इसलिए हमेशा कोई भी कार्य सूझबूझ के साथ ही करें। अकबर और बीरबल की कहानियां बेहद रोचक और लुभावनी होती हैं। यदि आपके बच्चे को भी ऐसी कहानियां रात में सोने से पहले पसंद है तो उसे एक बार ये कहानी जरूर सुनाएं।

समर नक़वी

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