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आपका बच्चा उम्र और विकास की सीढ़ियों को जैसे-जैसे चढ़ता जाता है, वैसे-वैसे आप स्कूल के विभिन्न उपलब्ध विकल्पों पर विचार करने लगते हैं। आज के समय में शिक्षा के लिए कोई भी उपलब्ध माध्यम चुन लेने में समझदारी नहीं है। हम सभी एक व्यापक शैक्षिक वातावरण चाहते हैं, जो ना केवल पढ़ाई में अच्छा करने के बारे में ध्यान रखे, बल्कि साथ ही बच्चे के संपूर्ण और व्यक्तित्व के समग्र विकास का भी खयाल रखे।
पारंपरिक स्कूलों के विपरीत बोर्डिंग स्कूल के बच्चे स्कूल के कैंपस में ही रहते हैं। वे एक साथ क्लासेस अटेंड करते हैं, एक साथ खाना खाते हैं और एक ही कमरे में रहते हैं। गर्मी की छुट्टियों में और परीक्षाओं के बीच बच्चे घर जाते हैं। कुछ स्कूल वीकेंड पर भी बच्चों को घर जाने की अनुमति देते हैं। आपको निश्चित रूप से इस बात पर विचार करना चाहिए, कि आपके बच्चे के लिए कौन सा विकल्प सही होगा। बोर्डिंग स्कूल अच्छे होते हैं या बुरे होते हैं, इस संदर्भ में किसी निष्कर्ष पर आना उचित नहीं होगा। हर बच्चा अलग होता है और हर बच्चे की जरूरतें भी अलग होती हैं और हर स्कूल का अपना एक अलग उद्देश्य, नजरिया और वक्तव्य होता है। ट्रिक यह है, कि आपको एक ऐसे स्कूल की तलाश करनी है, जो आपके बच्चे की जरूरतों और उसके व्यक्तित्व के साथ मेल खाए।
बच्चे को बोर्डिंग स्कूल भेजने के अनगिनत फायदे होते हैं। इनमें से कुछ चौंकाने वाले भी हो सकते हैं। इसके कुछ फायदे यहां पर दिए गए हैं:
बोर्डिंग स्कूल के लगभग सभी बच्चे अपने हमउम्र दूसरे बच्चों से अधिक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर होते हैं। उन्हें अपनी रोज की समस्याएं खुद सुलझानी होती हैं, जैसे साबुन खत्म होने पर उसकी व्यवस्था खुद करना या इस बात का ध्यान रखना कि उनके स्कूल यूनिफार्म धुले हुए हों और इस्त्री किए हुए हों।
चूंकि बच्चे हर छोटी-बड़ी चीज को खुद करने लगते हैं, तो ऐसे में उन्हें अपनी क्षमताओं पर अधिक विश्वास होने लगता है। बोर्डिंग स्कूल बच्चों से कई तरह की एक्टिविटीज कराते हैं, जैसे समाज सेवा, कला, ड्रामा और कार्पेंट्री के साथ-साथ अन्य कई चीजें। जब बच्चों को पता चलने लगता है, कि उन्हें क्या पसंद है और वे किस चीज में अच्छे हैं, तब उनका आत्मविश्वास और भी बढ़ जाता है।
बोर्डिंग स्कूल के बच्चे अपनी उम्र के दूसरे बच्चों की तुलना में अधिक अनुशासित जीवन जीते हैं। पढ़ाई के समय की तरह ही, खाने-पीने का समय भी तय होता है अगर उन्हें टीवी देखने की अनुमति हो, तो इस पर भी करीबी नियंत्रण रखा जाता है। बच्चों के लिए अनुशासन सीखना जरूरी है, क्योंकि इससे उन्हें अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलती है।
सभी बच्चे एक जैसे क्वार्टर में रहते हैं और कुछ स्कूल इस बात का अनुबंध भी पहले से ही करते हैं, कि बच्चे को अलाउंस के रूप में केवल एक निश्चित राशि ही मिलनी चाहिए। इससे सभी बच्चे एक समान लगते हैं और स्टेटस और ओनरशिप जैसी अनावश्यक चीजें उनसे दूर रहती हैं।
जब आपका बच्चा सैकड़ों अन्य बच्चों के साथ रहता है, पढ़ता है, घुलता-मिलता है, तो वह आपसी भेदभाव से बाहर निकलना बहुत जल्द सीख जाता है। एक ग्रुप का हिस्सा बनना और बनाना, बोर्डिंग स्कूल में रहने की कुंजी है और ऐसे स्कूलों के ज्यादातर बच्चे बड़े होकर स्वस्थ सामाजिक जीवन जीते हैं।
चूंकि बच्चे स्कूल के कैंपस में रहते हैं, तो ऐसे में वे किसी भी समय पढ़ाई से संबंधित सहायता दूसरे बच्चों से ले सकते हैं। जिन बच्चों को कुछ खास विषयों के साथ कठिनाई होती है, उनके लिए बोर्डिंग स्कूल आफ्टर स्कूल प्रिपरेशन को सेट अप करने में भी मदद कर सकते हैं। सहपाठियों के साथ पढ़ने का मतलब होता है, कि बच्चे के पास सीखने के लिए हमेशा कोई ना कोई जरूर मौजूद होता है।
स्कूल के बाद बोर्डिंग स्कूल के बच्चों को कई तरह की एक्टिविटीज कराई जाती हैं, जिनसे उनको संपूर्ण शिक्षा मिलती है, जिसमें कला भी शामिल है। चूंकि स्कूल में यह अनिवार्य होता है, ऐसे में बच्चे की हॉबी उसकी पढ़ाई में रुकावट नहीं बनती है और बच्चा अपने पैशन को भी जी सकता है।
जहां बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने के कई फायदे होते हैं, वहीं इसके कुछ खास नुकसान भी हो सकते हैं और अगर आप अपने बच्चे को ऐसे स्कूल में भेजने की सोच रहे हैं, तो आपको इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए:
जहां बोर्डिंग स्कूल बच्चों से भरा होता है, जिनमें बहुत सारी चीजें कॉमन होती हैं, वहीं इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है, कि बच्चा अपने घर और परिवार की कमी को महसूस करता है।
आपको भी ऐसा लग सकता है, कि अपने बच्चे से अलग होना भावनात्मक रूप से बहुत कठिन होता है।
बोर्डिंग स्कूल बच्चों से भरा होता है, लेकिन यह जरूरी नहीं है, कि आपका बच्चा उनका हिस्सा बन सके। जहां कुछ बच्चे बहुत जल्दी दोस्त बना लेते हैं, वहीं कुछ बच्चों को इसमें दिक्कतें आ सकती हैं।
कुछ बच्चों को बोर्डिंग स्कूल की रोक-टोक वाली जिंदगी पसंद नहीं आती है और वे अपने खाली समय का इस्तेमाल अपने हिसाब से करना चाहते हैं। ऐसे बच्चे इतने महीनों तक दूर रहने के बाद अपने परिवार के साथ कनेक्ट करने में भी कठिनाई महसूस कर सकते हैं।
ज्यादातर बोर्डिंग स्कूल या तो केवल लड़कों के लिए होते हैं या फिर केवल लड़कियों के लिए। लेकिन आज के समय में यह बेहद जरूरी है, कि बच्चे को-एड इंस्टीट्यूशन का हिस्सा बनें।
कुछ अन्य खतरों में बुली करना भी शामिल है, जिससे बोर्डिंग स्कूल में बच पाना बहुत कठिन हो सकता है, क्योंकि बच्चे ज्यादातर समय एक दूसरे के साथ ही रहते हैं।
रेगुलर स्कूलों में बच्चे स्कूल छोड़ सकते हैं और पढ़ाई के दबाव को कुछ समय के लिए हटा सकते हैं, लेकिन बोर्डिंग स्कूल में यह दबाव लगातार बना रहता है।
केवल स्कूल के द्वारा उपलब्ध कराई गई एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज को ही महत्व दिया जाता है या उन पर ध्यान दिया जाता है। अगर आपके बच्चे के पास कोई विशेष टैलेंट है, तो उसे फलने-फूलने के लिए उस पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
अगर आपने अपने बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में भेजने का फैसला कर लिया है, तो उसे वहां भेजने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जो कि नीचे दी गई हैं:
बोर्डिंग स्कूल के कई तरह के फायदे और नुकसान होते हैं। अपने बच्चे को बोर्डिंग स्कूल भेजने का फैसला पूरी तरह से आपके बच्चे और उस विशेष बोर्डिंग स्कूल के स्वभाव और जरूरतों पर निर्भर करता है। अपने स्तर पर जानकारी इकट्ठी करें और अन्य पेरेंट्स से संपर्क करें, जो उस स्कूल में पढ़ रहे हैं, जिसमें आप भी अपने बच्चे को भेजना चाहते हैं।
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