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गर्भावस्था के दौरान आपके ब्रेस्ट में मिल्क प्रोडक्शन शुरू हो जाता है और बहुत ही जल्द आप ब्रेस्ट लीकेज का अनुभव भी करेंगी। नई मांओं को इसका सामना करने के लिए इसके बारे में जानना जरूरी है। अगर इसे ठीक से मैनेज किया जाए तो यह आपके शरीर को नुकसान पहुँचाए बिना टैकल किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं को ब्रेस्ट लीकेज होना कॉमन है। यह अच्छा संकेत है, जिसमें नेचुरल मैकेनिज्म के जरिए ब्रेस्ट में महसूस होने वाले भारीपन से राहत मिलती है, जो बच्चे को फीडिंग कराने वाली माँ इस समय पर काफी ज्यादा महसूस करती हैं। इसे मिल्क लेट डाउन के नाम से भी जाना जाता है।
इसके लिए हार्मोन ऑक्सीटोसिन जिम्मेदार होते हैं और इसके कारण मिल्क इजेक्शन रिफ्लेक्स (एमईएफ) यानि ब्रेस्ट से दूध लीक होने लगता है। यही हार्मोन ऑर्गैज्म के दौरान भी प्रोडूस होते है जिससे ब्रेस्ट से दूध का रिसाव होने लगता है।
यह कुछ हफ्तों से लेकर कई महीनों तक जारी रह सकता है, जिससे यह आपके लिए अप्रत्याशित और काफी असहज हो सकता है। कुछ मामलों में, ब्रेस्ट लीकेज गर्भावस्था के दौरान ही शुरू हो सकता है, तो वहीं कुछ मामलों में यह ब्रेस्टफीडिंग के पहले कुछ हफ्तों के दौरान जारी रहता और फिर ठीक हो जाता है। कुछ मामले में यह पूरे नर्सिंग पीरियड तक जारी रहता है, यहाँ तक कि जब आप बच्चे ठोस आहार देना शुरू कर देती हैं यह उसके बाद भी जारी रहता है।
बच्चे को एक ब्रेस्ट से दूध पिलाते समय अक्सर, दूसरे ब्रेस्ट से रिसाव शुरू हो सकता है। अपने साथी के साथ नजदीकियां बढ़ाने से भी ऑर्गैज्म के कारण ब्रेस्ट लीकेज हो सकता है।
इमोशनल ट्रिगर भी रिसाव का कारण हो सकता है। यह उस स्थिति में हो सकता है जहाँ आपको सोचने या अपने बच्चे के बारे में बात करने से ब्रेस्ट लीकेज शुरू हो सकता है। यहाँ तक कि दूसरे बच्चे के रोने की आवाज सुनने या बच्चे की तस्वीरें देखने से भी लीकेज हो सकता है।
यह सवाल बार बार स्तनपान कराने वाली मांओं द्वारा पूछा जाता है कि ब्रेस्ट लीकेज को कैसे रोका जाए। चूंकि यह शरीर की एक नेचुरल प्रक्रिया है, इसलिए आपके शरीर को थोड़ा समय लग सकता है जब तक कि बच्चे का फीडिंग शेड्यूल ठीक तरह से एडजस्ट नहीं हो जाता है। ब्रेस्टफीडिंग शेड्यूल को समझने के लिए आपके बच्चे को भी समय लग सकता है।
ब्रेस्ट लीकेज से आपके ब्रेस्ट में मौजूद एक्स्ट्रा दूध बाहर निकल जाता है और आपको भारीपन से राहत मिलती है। आपको यह सलाह दी जाती है कि फीडिंग मिस न करें और लंबे समय तक बच्चे को फीडिंग कराएं। यह निप्पल की मांसपेशियों के चारों ओर स्फिंक्टर आकार देने में मदद करता है और भविष्य में इस तरह के रिसाव को भी रोकता है।
उस सिचुएशन में जहाँ आप अपने बच्चे से दूर हैं, अपने ब्रेस्ट पर हल्का सा प्रेशर डालें, इससे लीकेज रुक जाता है। ऐसा करने के लिए आप अपनी बाहों को क्रॉस पोजीशन में मोडें इससे आपके ब्रेस्ट पर प्रेशर पड़ेगा और लीकेज रुक जाएगा। समय के साथ इस रिसाव में कमी आने लगती है। हालांकि, इससे मिल्क फ्लो की क्वान्टिटी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, बल्कि यह इस बात का संकेत होता है कि शरीर मिल्क प्रोडक्शन को सही तरह से रेगुलेट कर रहा है।
आप ब्रेस्ट लीकेज को रोकने क लिए ब्रेस्ट पैड का भी उपयोग भी कर सकती हैं, क्योंकि वे रिसाव को अब्सॉर्ब करने का काम करते हैं, इस प्रकार आपका ब्रेस्ट क्लीन और ड्राई रहता है। हालांकि, आप निप्पल को उसके आस-पास होने वाले दर्द और नमी से बचने के लिए पैड को समय समय पर बदलती रहें।
ब्रेस्टफीडिंग का अनुभव हर महिला के लिए अलग होता है। इससे जुड़ी प्रॉब्लम के बारे डिस्कस करने से आपको बेहतर लगेगा। हर माँ अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छा चाहती है और ब्रेस्ट लीकेज से खराब न महसूस करें, यह माँ होने का बेहद खूबसूरत एहसास दिलाता है।
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