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यह हमेशा ही होता आया है कि जब कोई महिला पहली बार माँ बनती है, तो उसे अन्य अनुभवी महिलाओं से कई तरह की सलाह जरूर मिलती है। उन विषयों में से एक है स्तनपान बनाम फॉर्मूला दूध पिलाने का विषय। ये बहस कई सालों से चल रही है, इस मामले पर हर एक का अलग विचार हो सकता है। ऐसे में माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक सही निर्णय लेना जरूरी है।
माँ का दूध या फॉर्मूला दूध – आखिर किसे अपनाना चाहिए?
हाल ही के एक अध्ययन से पता चला है कि जो बच्चे, जिन्हें स्तनपान कराया गया और वो बच्चे जिन्हें नहीं कराया गया उनके बीच ज्यादा अंतर नहीं है। हालांकि, जिन बच्चों ने स्तनपान नहीं किया उनके मुकाबले स्तनपान करने वाले बच्चों में सकारात्मक विकास देखा गया। इस लेख को विस्तार में पढ़ें ताकि आपको पूरी जानकरी मिल सके।
- जिन बच्चों को स्तनपान कराया जाता है उनमें 3 साल की उम्र तक हाइपर एक्टिविटी की समस्या कम देखने को मिलती है।
- ऐसे बच्चे शब्दावली और प्रॉब्लम सॉल्विंग के टेस्ट में भी अच्छे अंक प्राप्त करते हैं।
नई माँ होने के नाते आप इस बात को याद रखें कि स्तनपान निस्संदेह आपके बच्चे के लिए पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है, हालांकि कुछ नियम ऐसे हैं जिनका आपको पालन करने की जरूरत है। लेकिन, कभी-कभी ऐसी परिस्थिति आ जाती है कि जब आपको अपने बच्चे को फॉर्मूला दूध देने का विकल्प चुनना पड़ता है। यहां आपको इसमें मिलने वाले पोषण के साथ बच्चे के विकास में अंतर के बारे में भी बताया जाएगा, जो आपको ब्रेस्टफीडिंग और फॉर्मूला मिल्क से जुड़े सवालों को लेकर सही निर्णय लेने में आपकी मदद करेगा।
माँ का दूध और फॉर्मूला दूध पीने वाले बच्चों के विकास में होने वाला अंतर
यहां स्तनपान करने वाले बच्चे और फॉर्मूला दूध पीने वाले बच्चों के बीच विकास का अंतर बताया गया है।
1. जन्म के कुछ दिन बाद
जन्म के पहले दस दिनों में बच्चे का वजन लगभग 10% कम हो जाता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि जब स्तनपान बनाम फॉर्मूला दूध की बात आती है, तो जन्म के शुरुआती हफ्तों में स्तनपान करने वाले बच्चों का वजन उन बच्चों की तुलना में ज्यादा कम होता है, जिन्हें फॉर्मूला दूध पिलाया जाता है। हालांकि माँ का दूध अधिक पौष्टिक होता है, लेकिन जन्म के ठीक बाद दूध की आपूर्ति कम हो सकती है। दूसरी ओर फॉर्मूला दूध की कमी नहीं होती है, यही वजह है कि जिन बच्चों को फॉर्मूला दूध दिया जाता है उनका वजन स्तनपान करने वाले बच्चों की तुलना में अधिक होता है।
2. पहले 3 महीने
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि एक बार जब माँ का दूध पर्याप्त मात्रा में मिलने लगता है, तो फॉर्मूला दूध पीने वाले और स्तनपान करने वाले बच्चों के विकास में कोई अंतर नहीं रहता है। दोनों पौष्टिक दूध की अच्छी आपूर्ति का आनंद ले सकते हैं और लगातार बेहतर रूप से वजन बढ़ा सकते हैं।
3. 6 से 12 महीने
डॉक्टर सलाह देते हैं कि 6 महीने पूरा करने के बाद बच्चों को माँ के दूध या फॉर्मूला दूध के साथ ठोस आहार दिया जाना चाहिए। यह तब होता है जब कई महिलाएं अपने बच्चों का दूध छुड़ाना शुरू करती हैं तो उनके रोजाना के आहार में ठोस आहार शामिल करती हैं। बच्चों के लगातार विकास के लिए उन्हें उचित मात्रा में एनर्जी और प्रोटीन की जरूरत होती है। एक बार जब एक माँ अपने बच्चे को ठोस आहार देकर दूध छुड़ाने की कोशिश शुरू कर देती है, तो स्तनपान खुद ही धीरे-धीरे कम हो जाता है।
माँ का दूध बनाम फॉर्मूला दूध में मौजूद पोषक तत्व
वैसे तो फॉर्मूला दूध में जरूरी विटामिन और मिनरल मौजूद होते हैं, लेकिन माँ के दूध में मौजूद पोषण की कोई बराबरी नहीं कर सकता है। यहां दोनों ही विकल्पों में मौजूद पोषक तत्वों बारे में बताया गया है।
1. फॉर्मूला दूध
हम सभी जानते हैं कि बाजार में कई प्रकार के फॉर्मूला दूध मिल रहे हैं, उदाहरण के लिए जैसे, सोया फॉर्मूला, हाइपोएलर्जेनिक फॉर्मूला, आदि। निम्नलिखित सूची केवल सामान्य सामग्री और मात्रा के बारे में बताती है, जो आमतौर पर फॉर्मूला दूध में पाई जा सकती है।
- पानी
- लैक्टोज और कॉर्न माल्टोडेक्सट्रिन जैसे कार्बोहाइड्रेट (ऊर्जा का स्रोत)
- प्रोटीन सामग्री (जो हड्डियों और मांसपेशियों को बनाने में मदद करती है) आंशिक रूप से हाइड्रोलाइज्ड रिड्यूस्ड मिनरल्स व्हे प्रोटीन कंसंट्रेट से
- पाम ओलीन, सोयाबीन तेल, नारियल तेल आदि से फैट
- मिनरल जैसे पोटैशियम साइट्रेट, कैल्शियम क्लोराइड, सोडियम साइट्रेट, आदि
- विटामिन जैसे विटामिन डी3, विटामिन बी12, फोलिक एसिड, राइबोफ्लेविन आदि
- एंजाइम – ट्रिप्सिन।
- अमीनो एसिड (प्रोटीन के निर्माण के लिए मुख्य) जैसे टॉरिन और एल-कार्निटाइन
- न्यूक्लियोटाइड, जो केमिकल कंपाउंड हैं जो आरएनए और डीएनए की संरचनात्मक यूनिट हैं
- सोया लेसिथिन – एक एमल्सिफायर
2. माँ का दूध
माँ के दूध में बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं, जिसमें विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, अमीनो एसिड आदि शामिल हैं। इसके अलावा इस सूची में करीब 200 से अधिक घटक मौजूद होते हैं। यहां उसी की एक संक्षिप्त सूची दी गई है:
- पानी
- लैक्टोज और ओलिगोसैकेराइड जैसे कार्बोहाइड्रेट
- कार्बोक्जिलिक एसिड, जैसे अल्फा हाइड्रोक्सी एसिड और लैक्टिक एसिड
- प्रोटीन जैसे व्हे प्रोटीन, अल्फा-लैक्टो बुमिन, कैसिइन आदि
- नॉन-प्रोटीन नाइट्रोजन जैसे क्रिएटिन, क्रिएटिनिन, यूरिया, आदि
- अमीनो एसिड जैसे ऐलेनिन, आर्जिनिन, वेलिन, आदि
- न्यूक्लियोटाइड जैसे यूरिडीन डाइफॉस्फेट, ग्वानोसिन डाइफॉस्फेट, आदि।
- फैट जैसे ट्राइग्लिसराइड्स, लंबी चेन वाले पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड, लिनोलिक एसिड आदि
- मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, संतृप्त फैटी एसिड, फॉस्फोलिपिड, स्पिंगोलिपिड, आदि
- स्टेरोल्स जैसे स्क्वालीन, लेनोस्ट्रोल, विटामिन डी मेटाबोलाइट्स, स्टेरॉयड हार्मोन आदि
- विटामिन ए, बी6, बी8, बी12, सी, डी, ई, के और कई अन्य।
- हार्मोन जो केमिकल मैसेंजर होते हैं जो खून के रास्ते से एक या कोशिकाओं के पूरे समूह को दूसरे तक संकेत पहुंचाते हैं
- एमाइलेज, कैटेलेज, लाइपेज आदि जैसे एंजाइम, जो शरीर में केमिकल रिएक्शन को सपोर्ट करते हैं
- एंटीमाइक्रोबियल कारक, जिनका उपयोग शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बाहरी चीजों को पहचानने और उसे बेअसर करने के लिए किया जाता है, जैसे कि न्यूट्रोफिल, लिम्फोसाइट्स, फैगोसाइट्स
- एचएमओ (ह्यूमन मिल्क ओलिगोसैकेराइड), फैट और लैक्टोज के बाद माँ के दूध में तीसरा सबसे बड़ा ठोस घटक है, लेकिन इसका कोई पोषक कार्य नहीं है। एचएमओ आंत के अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देकर प्रतिरक्षा प्रणाली को सीधे उत्तेजित करते हैं, जो गट बैरियर फंक्शन को मजबूत करता है और पैथोजन को रोकता है। इनमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव होता है
माँ के दूध में भरपूर मात्रा में एंटीबॉडी मौजूद होते हैं जो बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करने में मदद करते हैं। लंबे समय में, यह उसके विकास के लिए अधिक फायदेमंद साबित होता है। आइए फॉर्मूला दूध की तुलना में माँ के दूध के फायदों पर एक नजर डालते हैं।
फॉर्मूला दूध की तुलना में स्तनपान के फायदे
बच्चे के लिए माँ के दूध की तुलना में कुछ नहीं है। जैसा कि ऊपर बताया गया है, माँ का दूध प्राकृतिक एंटीबॉडी प्रदान करता है जो आपके बच्चे को बीमारियों और संक्रमण से बचाता है। यह आसानी से पच जाता है और इसलिए, बच्चे को पेट फूलने और गैस बनने जैसी समस्याएं कम होती है। स्तनपान के दौरान यह बच्चे को जो पोषण प्रदान करता है, वह अन्य बीमारियों की संभावना को भी कम करता है, जैसे कि टाइप 2 डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, ल्यूकेमिया, अस्थमा, आदि। माँ को भी स्तनपान कराने से फायदा होता है क्योंकि यह डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस, हृदय रोग और स्तन कैंसर के जोखिम को कम करता है।
दूसरी ओर, फॉर्मूला दूध के अपने फायदे और नुकसान हैं। जब स्तनपान प्रभावित होता है, तो यह ब्रेस्ट मिल्क की जगह चुना जाने वाला एक स्वस्थ विकल्प है, और सुविधाजनक भी है, क्योंकि यह बच्चे को दूध पिलाने के लिए सुविधाजनक होता है। लेकिन इससे कुछ स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, जो आमतौर पर स्तनपान करने वाले बच्चों में नहीं देखी जाती हैं। फॉर्मूला दूध में मौजूद कुछ घटक पचाने में मुश्किल होते हैं और इसके परिणामस्वरूप बच्चे को दस्त हो सकते हैं।
अध्ययनों से पता चलता है कि माँ का दूध फॉर्मूला दूध के मुकाबले अधिक पौष्टिक होता है। इसके अलावा, माँ के दूध में फैट अलग हो सकता है, ये शुरू और अंत में एक ही फीड में अलग-अलग होते हैं, जबकि फॉर्मूला दूध में फैट एक समान रहता है। फॉर्मूला मिल्क में बहुत कम फैट की प्रतिकृति होती है और माँ के दूध में पाए जाने वाले अलग-अलग फैट का काम भी अलग-अलग होता है। किसी भी दूध में मौजूद फैट वजन बढ़ाने में मदद करता है, लेकिन थोड़ा ही। इसका प्रमुख कार्य दिमाग का विकास और दृष्टि में सुधार करने का काम करता है, जिसकी जगह कभी भी कोई भी फॉर्मूला दूध नहीं ले सकता है। इसलिए, महिलाओं को अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और अपने बच्चे के शुरुआती सालों के विकास में अपने पूर्ण रूप से पोषण प्रदान करने के लिए स्तनपान संबंधी समस्याओं का तुरंत समाधान ढूंढना चाहिए।
फॉर्मूला दूध की तुलना में स्तनपान का एक और फायदा यह है कि बच्चे को माँ के साथ और भी बेहतर रिश्ता बनाने का मौका मिलता है। फॉर्मूला दूध से माँ और बच्चे के बीच वो भावनात्मक रिश्ता नहीं बन पाता है। लेकिन, जो माएं किसी समस्या के कारण बच्चे को फॉर्मूला दूध पिलाती हैं, वे अपने बच्चों के साथ संबंध बनाने के अन्य तरीकों का उपयोग कर सकती हैं। उन्हें परिवार और दोस्तों से समर्थन की बेहद जरूरत होती है, इसलिए एक सपोर्ट ग्रुप बनाने से उन्हें खुद को प्रेरित करने में मदद मिल सकती है और उन्हें और उनके छोटे बच्चों के लिए उपयुक्त तरीका खोजने में मदद मिल सकती है।
माँ के दूध और फॉर्मूला दूध के बीच अदलाबदली
जब आपका शरीर आपके बच्चे के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन नहीं कर रहा हो या जब आप समय या जगह की कमी के कारण दूध पिलाने या पंप करने में असमर्थ हों, तो आप फॉर्मूला दूध पर स्विच करना एक समाधान हो सकता है। रात के समय में बार बार फीडिंग कराने के लिए उठना भी आपका फॉर्मूला दूध के विकल्प को चुनने का कारण हो सकता है। ऐसी स्थितियों में, आपको शायद अपने बच्चे के दूध पीने के समय में फॉर्मूला दूध शामिल करना पड़ सकता है।
- यदि माँ का दूध कम होने की वजह से आपको समय-समय पर फॉर्मूला मिल्क पर स्विच करने की जरूरत होती है, तो ध्यान रखें कि बच्चा स्तनपान की तुलना में अधिक दूध का सेवन करता है। इसका मतलब यह हो सकता है कि उसकी भूख को शांत होने में ज्यादा समय लगता है और उसके फीडिंग के बीच का समय बढ़ जाता है। हालांकि, जब आप बच्चे को अगली बार फीड कराएं तो उसे स्तनपान कराएं और ऐसे ही बारी बारी उसे कभी बॉटल से तो कभी स्तनों से दूध पिलाएं।
- जितनी जल्दी हो सके यह पता लगा लें कि आप रात के समय बच्चे को क्या फीड कराएंगी। अगर आपको नींद लेने की सख्त जरूरत है, तो सोने से ठीक पहले बच्चे को फॉर्मूला दूध पिलाएं। चूंकि इस दौरान बच्चा और अधिक दूध का सेवन करेगा, इससे उसे रात में भी अधिक समय तक सोने में मदद मिलेगी। ध्यान रखें कि आप उसे ठीक से डकार दिलाएं क्योंकि स्तनपान और बोतल से दूध पिलाने के बीच आपके बच्चे को गैस की समस्या हो सकती है।
- बच्चे को फॉर्मूला से परिचित कराते समय, कुछ का दावा है कि फॉर्मूला और माँ के दूध को मिलाने से बच्चे को फॉर्मूला के स्वाद को समायोजित करने में मदद मिलती है। हालांकि, दो मुख्य कारणों से हम आपको ऐसा न करने का सुझाव देते हैं पहला माँ के दूध और फॉर्मूला दूध के घटक अलग-अलग होते हैं और साथ ही उनका जीवनकाल भी अलग-अलग होता है। इस तरीके को अपनाने से आपके बच्चे को परेशानी हो सकती है।
डिलीवरी और जन्म देने की प्रक्रिया को झेलने के बाद, हर एक माँ की सबसे बड़ी चिंता उसके नवजात बच्चे के स्वास्थ्य और विकास की होती है। कुछ महिलाएं, केवल बच्चों को स्तनपान कराना चाहती हैं, लेकिन आनुवांशिक समस्या या मेडिकल कारणों से पर्याप्त दूध का उत्पादन नहीं कर सकती हैं। ऐसी परिस्थितियों में, पारिवारिक और सामाजिक दबाव आप पर बिना बात के मानसिक तनाव और मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल सकता है। ऐसे मामलों में आपको स्तनपान के विकल्प को चुनने के लिए कहा जाता है, लेकिन आपको एक बेहतर भावनात्मक सहारे की जरूरत होती है। बेहतर यही है कि आप अपने डॉक्टर से इस बारे में चर्चा करें और उसके हिसाब से ही निर्णय लें।
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