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ब्रेस्ट पंप ने बहुत सारी माओं के जीवन को काफी आसान बना दिया है। ब्रेस्ट मिल्क पंप करने और इसे स्टोर करके बाद में उपयोग करने की वजह से नई माएं को वापस अपने काम पर जल्दी लौटने की सहूलियत मिल जाती है और साथ में बच्चे को माँ का दूध भी समय पर मिल जाता है। हालांकि, ब्रेस्ट पंप का उपयोग करने के कुछ साइड इफेक्ट्स भी होते हैं, जिनके बारे में कई माओं को जानकारी नहीं होती है। इस लेख में आपको बताया गया है कि ब्रेस्ट पंप का उपयोग करने के क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करने से माँ और बच्चे दोनों के लिए ही कई फायदे हैं। वे उन माओं के लिए भी एक अच्छा विकल्प हैं, जो अलग-अलग कारणों से बच्चे को स्तनपान नहीं करा पाती हैं, फिर भी आपको अपने बच्चे को माँ के दूध के बजाय फॉर्मूला दूध देने से बचना चाहिए। यहाँ आपको ब्रेस्ट पंप इस्तेमाल करने के कुछ फायदे दिए गए हैं।
माँ या बच्चे की देखभाल करने वाली बच्चे को फीड करवाने के लिए एक शेड्यूल बना सकती हैं, इस प्रकार आपका बच्चे की फीडिंग टाइम पर ज्यादा कंट्रोल होगा। इससे पंपिंग और फीडिंग शेड्यूल व्यवस्थित बना रहेगा है और माँ के कुछ समय भी मिल जाएगा।
जो माएं वर्किंग हैं वो मिल्क पंप करके के स्टोर कर सकती हैं और बच्चे की देखभाल करने वाली से कहें कि बच्चे के शेड्यूल के अनुसार उसे बोतल में पंप किया हुआ दूध डालकर दें। ब्रेस्ट पंप की वजह से माँ को खुद के लिए कुछ समय मिल जाता है जिससे वो खुद देखभाल कर सकती हैं या लोगों और दोस्तों से मिल सकती हैं।
ब्रेस्टफीडिंग के बाद पंप करने से मिल्क सप्लाई बढ़ती है। जिन महिलाओं का मिल्क प्रोडक्शन कम होता है उन्हें लिए यह बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।
यदि आपको या बच्चे को कोई मेडिकल कंडीशन है, जिसकी वजह से आप उसे ब्रेस्फीडिंग नहीं करा सकती हैं, तो दूध को पंप करके इसे बच्चे को बोतल की मदद से पिला सकती हैं।
ब्रेस्ट पंप की वजह से माओं को काफी आसानी हो जाती है, बच्चे तभी भी माँ के दूध से वंचित नहीं रहते जब माँ बच्चे के आसपास न हों। बावजूद इसके ब्रेस्ट पंप का उपयोग से कुछ साइड इफेक्ट्स भी होते हैं जिनके बारे में नए माओं को पता होना चाहिए। यहाँ आपको ब्रेस्ट पंप का उपयोग करने के कुछ साइड इफेक्ट्स दिए गए हैं:
ब्रेस्ट मिल्क को लगातार पंप करने का एक साइड इफेक्ट यह है कि इससे मिल्क सप्लाई कम हो जाती है। ब्रेस्ट पंप की प्रक्रिया बच्चे द्वारा निप्पल को लैच करने और चूसने से बहुत अलग होती है। बच्चे द्वारा लैच करने से आपका शरीर मिल्क प्रोडक्शन को बढ़ाता है। अगर बच्चे को लैच नहीं करने दिए जाए तो इससे आपका मिल्क प्रोडक्शन कम हो सकता है।
जब बच्चा माँ से सीधे फीडिंग करता है, तो उसकी हेल्दी ग्रोथ के लिए लिए उसे सभी पोषक तत्व मिलते हैं। तीन महीने से ज्यादा समय के लिए ब्रेस्ट मिल्क को फ्रीज करने व इसे पिघलाने और गर्म करने से ब्रेस्ट मिल्क में पाए जाने वाले पोषक तत्वों में कमी हो जाती है।
ब्रेस्ट पंप निपल्स और ब्रेस्ट टिश्यू को डैमेज कर सकते हैं। ब्रेस्ट पंप की गलत सेटिंग से आपको काफी दर्द हो सकता है। मैन्युअल पंप का इस्तेमाल करने से आपके दोनों स्तनों और हाथों में दर्द पैदा हो सकता हैं, क्योंकि मैन्युअल रूप से पंप करना आपको थका सकता है।
यदि आप बोतल और ब्रेस्फीडिंग के बीच लगातार स्विच करती रहेंगी, तो इससे बच्चे को कंफ्यूजन हो सकती है। क्योंकि दोनों मामलों में चूसने की प्रक्रिया में अंतर हो जाता है। बच्चा माँ के निपल्स पर ज्यादा जोर से चूस सकता है, जैसा कि वह बोतल से फीडिंग करते समय करता है। इससे आपके निप्पल में दर्द हो सकता है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि बच्चा सही तरीके से लैच करना नहीं समझ पाता है और उसे रबर के निप्पल वाली बोतल से दूध पीने की आदत हो गई होती है।
इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप साइड इफेक्ट्स में से एक यह है कि माएं बहुत ज्यादा पंप कर लेती हैं ताकि बाद में उपयोग करने के लिए ज्यादा मिल्क सप्लाई हो सके, इससे स्तनों में सूजन आ जाती हैं और बहुत ज्यादा दूध से भर जाता हैं। यह माँ के लिए बहुत दर्दनाक हो सकता है।
स्तनपान कराने से बच्चे और माँ के बीच मजबूत रिश्ता बनता है, जो बोतल से दूध पिलाएं जाने पर कभी नहीं बन सकता है। बच्चे को अपनी बाहों में लेकर उसे दूध पिलाना दोनों के बीच इमोशनल बॉन्डिंग बनाती है।
ब्रेस्ट पंप का उपयोग करने का एक नुकसान यह है कि जब आप दूध को बोतल में डालकर बच्चे को देती हैं, तो उससे पहले आपको बोतल और निप्पल को अच्छी तरह से धोना और स्टरलाइज करना पड़ता है। एक परेशानी यह भी है कि महिलाएं घर के बाहर पंप नहीं कर सकती हैं। इसके अलावा पंप किए गए ब्रेस्ट मिल्क को स्टोर करने के लिए उन्हें जगह भी नहीं मिलती है।
चाहे आप कितनी भी अच्छी तरह से सफाई कर लें, लेकिन पंप मिल्क को बैक्टीरिया से बचा पाना बहुत मुश्किल होता है। बैक्टीरिया और फंगस पोषक तत्वों से भरपूर ब्रेस्ट मिल्क की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। ब्रेस्ट मिल्क के दूषित होने की वजह से बच्चा बीमार पड़ सकता है।
बोतल से दूध पिलाने से आगे चलकर बच्चे के दांत खराब हो सकते हैं। जब एक बच्चा स्तनपान करता है, तो दूध बच्चे के दाँतों तक नहीं पहुँचता है, क्योंकि माँ के निप्पल बच्चे के दाँतों से दूर रहते हैं। बोतल से दूध पिलाते समय, बच्चा अक्सर बोतल को मुँह में रखकर सो जाता है, जिससे दाँतों पर दूध लगा रह जाता है। इससे दाँतों में सड़न पैदा हो सकती है। यदि दांत बहुत ज्यादा खराब हो गए तो दाँतों पर कैप लगवानी पड़ सकता है या फिर डेंटिस्ट की से निकलवाना पड़ सकता है।
जब एक माँ अपने बच्चे को सीधे ब्रेस्फीडिंग कराती है, तो हार्मोन ऑक्सीटोसिन उसके शरीर में रिलीज होते हैं। ऑक्सीटोसिन गर्भाशय में संकुचन का कारण बनता है, जिससे पोस्टपार्टम ब्लीडिंग हो सकती है। ब्रेस्फीडिंग से गर्भाशय के साइज जल्दी नॉर्मल हो जाता है। स्टडी से पता चला है कि ब्रेस्फीडिंग कराने वाली माँ का गर्भाशय जल्दी नॉर्मल साइज में वापस आ जाता है, जबकि गर्भाशय को नॉर्मल साइज में आने तक दस सप्ताह लग जाते हैं, उनके मुकाबले जो माएं ब्रेस्फीडिंग नहीं कराती है।
यहाँ आपको कुछ टिप्स दी गई हैं जिनका उपयोग करके आप ब्रेस्ट पंप के साइड इफेक्ट्स से कुछ हद तक बच सकती हैं:
ब्रेस्ट पंप का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर द्वारा दिए गए ब्रेस्फीडिंग के सुझावों का पालन करें। वह आपको ब्रेस्ट पंप का उपयोग करते समय मिल्क सप्लाई को पर्याप्त रूप से बनाए रखने के लिए बेहतर तरीके से गाइड कर सकेंगे।
कम से कम पहले छह महीनों के लिए अपने बच्चे को सीधे ब्रेस्फीडिंग कराएं। जितना संभव हो सके बच्चे को गोद में लेकर खुद दूध पिलाएं। बच्चे को पकड़ कर उसे दूध पिलाने से आपके शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन बढ़ता है। यह हार्मोन आपके शरीर से मिल्क प्रोड्यूस करने में मदद करता है। शरीर में ऑक्सीटोसिन का स्तर जितना अधिक होगा, उतने ही बेहतर तरीके से दूध का प्रोडक्शन हो सकेगा।
ब्रेस्ट पंप को हर आठ से दस महीनों में बदल दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे तक बैक्टीरिया युक्त दूध न पहुँचे और उन्हें पौष्टिक दूध मिले। पुराना ब्रेस्ट पंप ठीक से साफ नहीं हो पाता है। यह स्तन के दूध को दूषित कर सकता है और बच्चे को बीमार कर सकता है। बहुत ज्यादा ब्रेस्ट पंप करने की वजह से ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन कम होने लगता है।
मैन्युअल के बजाय इलेक्ट्रिक या ऑटोमेटिक ब्रेस्ट पंप का उपयोग करें। मैन्युअल पंप के लगातार उपयोग से आपकी मिल्क सप्लाई कम होने लगती है। इसके कारण, आपके बच्चे को पर्याप्त दूध नहीं मिल पाता है। मैन्युअल पंप का इस्तेमाल करने से आपके हाथ भी थक सकते हैं, क्योंकि दूध को निकालने के लिए अपने हाथों का उपयोग करना होता है।
ब्रेस्ट पंप ने वर्किंग महिलाओं का काम आसान कर दिया है, ताकि उनके बच्चे को माँ का दूध मिल सके, खासकर अगर आप बच्चे के पास न हों। कई माएं दूध निकालने के लिए पंप का भी उपयोग करती हैं ताकि अगर वो घर पर न भी हों तो कोई बोतल से बच्चे को दूध पिला सके। इससे आपको भी खुद के लिए कुछ समय मिल जाता है। हालांकि, ब्रेस्ट पंप का उपयोग करने के कई साइड इफेक्ट्स भी हैं, जो आपको इस लेख में बताया भी गया हैं। इसलिए आपको ज्यादा से ज्यादा कोशिश करनी चाहिए कि आप खुद ही बच्चे को ब्रेस्फीडिंग कराएं। इसके अलावा ब्रेस्ट पंप करने के लिए अपने डॉक्टर से पूछना चाहिए और इसे फायदे और नुकसानों को जानने के बाद भी तय करें कि क्या आपको ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करना है या नहीं।
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