In this Article
नई माओं के लिए अपने ब्रेस्ट मिल्क को लेकर चिंता जताना काफी सामान्य बात है। जब आप अपनी नर्सिंग स्टेज में होती हैं, तो आपको ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन से संबंधित एक दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है, जिसके बारे में आपने अपनी प्रेगनेंसी के दिनों में पढ़ा होगा। यदि आप ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन को लेकर समस्याओं का सामना कर रही हैं, तो आपका बच्चा सिर्फ ब्रेस्ट मिल्क से संतुष्ट नहीं होगा और हो सकता है आपको उन्हें फॉर्मूला दूध देने की जरूरत पड़े, जिससे बच्चे की पोषण संबंधित जरूरतों को पूरा किया जाए। लेकिन अगर आप अपने बच्चे के लिए फॉर्मूला मिल्क पर निर्भर नहीं रहना चाहती हैं, तो आपको अपने ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन को बढ़ाने के लिए अपने आहार में बदलाव करने की जरूरत है। सौंफ ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई को बढ़ाने के लिए जानी जाती है और यह बच्चे को कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान कर सकती है। सौंफ एक नेचुरल रेमेडी की तरह है, जिसे ज्यादातर माओं को उपयोग करने की सलाह दी जाती है, लेकिन क्या यह वास्तव में मिल्क सप्लाई बढ़ाने में मदद करती है? चलिए जानते हैं!
सौंफ एक हर्ब है जिसका इस्तेमाल अक्सर खाना बनाने में किया जाता है और इसे इसकी मेडिसिनल गुणों के लिए जाना जाता है। सौंफ, जिसे फोनीकुलम वल्गारे के नाम से भी जाना जाता है ये गाजर परिवार का एक हिस्सा है। इसमें पीले फूल और पंखदार पत्ते होते हैं। इस बेहतरीन मसाले के उपयोग का पता प्राचीन मिस्र द्वारा लगाया गया। फेनेल, जिसे भारत में सौंफ के रूप में जाना जाता है, उसका सेवन अक्सर पाचन को बढ़ावा देने के लिए भोजन के बाद किया जाता है।
जी हाँ, सौंफ ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई को बढ़ाने में मदद करती है। यह एक प्रसिद्ध हर्बल गैलेक्टागॉग (एक पदार्थ जो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई बढ़ाने में मदद करता है) है और सदियों से नर्सिंग महिलाओं में मिल्क सप्लाई बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है।
गैलेक्टागॉग एक दवा या फूड सोर्स है जो दूध पिलाने वाली माताओं की मिल्क सप्लाई को बढ़ाने में मदद करता है। दरअसल सौंफ में फाइटोएस्ट्रोजेन होता है, जो इंसान के शरीर द्वारा प्राकृतिक रूप से बनने वाले एस्ट्रोजन हार्मोन की तरह होता है। महिलाएं इसका उपयोग कई चीजों के लिए करती आ रही है, जिसने काफी फायदा भी पहुँचाया।
ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप अपनी स्तनपान की समस्याओं को हल करने के लिए सौंफ का इस्तेमाल कर सकती हैं। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि आप इसका सेवन कम मात्रा में ही करें। यहाँ बताया गया है कि आप अपने स्तनपान आहार में सौंफ को कैसे शामिल कर सकती हैं।
सौंफ की चाय बनाने के लिए एक कप उबलते पानी में 1 या 2 चम्मच सौंफ डालकर कुछ देर के लिए छोड़ दें। बाद में बीजों को छान लें। ज्यादा फायदा हो इसके लिए आप इसकी चाय का सेवन दिन में दो से तीन बार सेवन कर सकती हैं। सौंफ की चाय बनाने के लिए आपको हर बार ताजी क्रश की हुई सौंफ का उपयोग करना चाहिए।
सौंफ को कई डिशेस में इस्तेमाल किया जा सकता है। सलाद या किसी चटनी का स्वाद बढ़ाने के लिए आप उसमें सौंफ का इस्तेमाल कर सकती हैं। सौंफ के बीज बहुत बहुपयोगी होते हैं और अपने भोजन में स्वाद बढ़ाने वाले एजेंट के रूप में आप सौंफ इसका इस्तेमाल करना।
सौंफ की पत्तियों को सब्जी के रूप में भी खाया जा सकता है या आप इसे सूप या अन्य व्यंजनों में भी इसका उपयोग कर सकती हैं।
इस बेहतरीन हर्ब का अधिक लाभ उठाने के लिए, कच्ची सौंफ को चबाएं। अगर आपको कच्ची सौंफ पसंद नहीं है, तो आप इन्हें भून के भी खा सकती हैं।
ब्रेस्ट मिल्क की सप्लाई बढ़ाने के लिए सौंफ की कैप्सूल भी आती है, आप डॉक्टर की सलाह पर इसका सेवन कर सकती हैं, ये एक आसान तरीका है इसका सेवन करने का अगर रोजाना इसका सही मात्रा में सेवन किया जाए। अगर आपको सौंफ का स्वाद पसंद नहीं है तो कैप्सूल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
सौंफ के तेल की लगभग पंद्रह बूंदों को एक चम्मच शुद्ध नारियल तेल के साथ मिलाएं और अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के बाद अपने स्तन पर लगाएं। हालांकि, सुनिश्चित करें कि आप इसे अपने निपल्स पर न लगाएं। हर दस दिनों में सौंफ के तेल का इस्तेमाल करें।
लोग बिना किसी संदेह के इस हर्ब का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल सावधानी के साथ किया जाना चाहिए क्योंकि कुछ हर्ब यदि गलत मात्रा में ली जाती हैं तो, ये आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है। किसी भी प्रकार के हर्बल उपचार को लेने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें। किसी भी हर्ब का अधिक मात्रा में सेवन करने से इसका बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है यहाँ तक कि मिल्क सप्लाई भी कम हो सकती है। इसलिए, यदि आप अपने ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई बढ़ाने के लिए सौंफ लेने के बारे में सोच रही हैं, तो पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें और देख लें कि आपको इससे एलर्जी तो नहीं है। इसी तरह, सौंफ के तेल को ब्रेस्ट पर इस्तेमाल करने के लिए, पहले अपनी त्वचा के छोटे से हिस्से पर टेस्ट कर लें। जिससे पता चल जाएगा कि आपको इससे एलर्जी है या नहीं। वैसे तो छोटे बच्चों पर सौंफ का तेल नहीं लगाना चाहिए, लेकिन अगर आप ऐसा करती हैं, तो आपको बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है। इसके अलावा, जब आप बच्चे को फीड कराएं, तो अपने स्तनों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।
यहाँ सौंफ के कुछ अतिरिक्त स्वास्थ्य लाभ दिए गए हैं, जो आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं:
सौंफ के बीज का सेवन करने से एनीमिया का इलाज किया जा सकता है। सौंफ में हिस्टिडीन होता है और यह आयरन से भरपूर होता है। ये दो कम्पाउंड आयरन की कमी को ठीक कर सकते हैं और इस प्रकार एनीमिया का इलाज किया जा सकता है।
भारत में खाना खाने के बाद अक्सर कच्ची सौंफ खाई जाती है, क्योंकि यह डाइजेशन को बेहतर करती है। सौंफ में ऐसे कॉम्पोनेंट होते हैं जो डाइजेस्टिव जूस को उत्तेजित करते हैं, जिसकी वजह से पेट और आंतों में मौजूद किसी भी तरह की सूजन कम हो जाती है। साथ ही ये न्यूट्रिएंट्स को ठीक से अब्सॉर्ब करने में भी मददगार साबित होती है।
सौंफ के बीजों में एंटी-एसिडिक गुण होते हैं और सौंफ पाउडर को एक बहुत ही शक्तिशाली लक्जेटिव के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सौंफ एक ऐसी सामग्री है जिसका इस्तेमाल इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम, पेट दर्द, दस्त, और कई अन्य आंतों की समस्याओं के इलाज के लिए दवाई के तौर पर किया जाता है।
सौंफ पोटैशियम से भरपूर होती है। यह एक बेहतरीन है और ब्लड वेसल में तनाव को कम करती है, जो आपके ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करने में मदद करती है।
सौंफ के बीज विटामिन सी का अच्छा स्रोत है, जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं। अपने आहार में एक कप सौंफ को शामिल करने से आपकी डायट में विटामिन सी की 20% जरूरत पूरी हो सकती है। सौंफ का सेवन आँखों के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है और ये आपकी त्वचा और बालों के लिए अच्छा है।
हालांकि, सौंफ ब्रेस्टमिल्क की सप्लाई बढ़ाने में मदद करती है, लेकिन कुछ मामलों में इससे बचना चाहिए। स्तनपान कराने वाली माँ को निम्नलिखित परिस्थितियों में सौंफ से बचना चाहिए।
यदि आपको मिर्गी या किसी और दौरे से जुड़ी कोई दिक्कत है, तो सौंफ के सेवन से बचें। ऐसा इसलिए है क्योंकि इससे आपको मिर्गी के दौरे या अन्य दौरे पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। यदि आप अभी भी अपनी दवाओं पर हैं तो इससे बचना बहुत जरूरी है।
डाइबटीज से पीड़ित माओं के लिए सौंफ काफी अच्छी मानी जाती है, लेकिन उन्हें अपनी नर्सिंग पीरियड के दौरान कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होगी। यदि आपको डायबटीज है, तो हाइपोग्लाइकेमिया का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सौंफ आपके ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकती है, इसलिए ऐसी महिलाओं को सौंफ के सेवन से बचना जरूरी है।
सौंफ के कई फायदे हैं, लेकिन इसका सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए। यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकती है। यदि आप अपने ब्रेस्टमिल्क की सप्लाई बढ़ाने के लिए सौंफ का सेवन करना चाहती हैं, तो इसके लिए आप पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी, निदान या उपचार किसी भी प्रोफेश्नल मेडिकल की सलाह पर नहीं दिए गए हैं। हमारा निवेदन है कि किसी भी उपचार को घर में करने से पहले आप इसके लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
यह भी पढ़ें:
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कॉफी/कैफीन का सेवन
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कटहल खाना – क्या यह सही है?
क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान फ्लैक्स सीड (अलसी के बीज) खाना सही है?
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…
8 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित का एक अहम हिस्सा है, जो उनकी गणना…
गणित में पहाड़े याद करना बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण और उपयोगी अभ्यास है, क्योंकि…
3 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के मूलभूत पाठों में से एक है। यह…