ब्रेस्टफीडिंग के दौरान योग करना – फायदे और पोजीशन

ब्रेस्टफीडिंग के लिए योग करने से स्वास्थ्य संबंधी फायदे और पोजिशंस

ब्रेस्टफीडिंग से माँ और बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे होते हैं इसलिए महिलाओं के लिए यह अनुभव सबसे बेहतरीन हो सकता है। पर बच्चे को दूध पिलाना महिलाओं के लिए चैलेंजिंग भी हो सकता है क्योंकि इससे शरीर में स्ट्रेस बढ़ता है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली ज्यादातर मांओं का पोस्चर ठीक नहीं होता है और उनकी पीठ, कंधों व गर्दन में दर्द होने लगता है। जाहिर है अपनी खुद की देखभाल के लिए कई महिलाएं सामान्य एक्सरसाइज कर सकती हैं जिनमें योगासन भी शामिल है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान योग करने से महिलाओं को कई फायदे मिलते हैं और उनकी शारीरिक तकलीफें कम हो जाती हैं। 

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान योग करने के फायदे 

योग और ब्रेस्टफीडिंग दोनों ही नर्सिंग मांओं के लिए विशेष फायदेमंद होते है। पर क्या आप ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हॉट योग कर सकती हैं? शायद यह सही नहीं होगा। यह सलाह दी जाती है कि आप ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ज्यादा योग न करें क्योंकि इससे दूध की आपूर्ति में नेगेटिव इफेक्ट पड़ता है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान योग करने से आपको निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं, आइए जानें;

1. पोस्चर ठीक होता है  

अक्सर मांएं अपने बच्चे को दूध पिलाते हुए काफी समय बिताती हैं या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान उनकी पोजीशन असुविधाजनक होती है जिसके परिणामस्वरूप पीठ में दर्द होता है। देर तक बच्चे का वजन उठाने से महिलाओं के शरीर पर स्ट्रेस पड़ता है जिससे उनकी रीढ़ और पीठ में दर्द हो सकता है। योग के विभिन्न पोज से महिलाओं की पीठ का दर्द ठीक हो जाता है और शरीर का पोस्चर भी ठीक हो जाता है। 

2. शरीर के दर्द में आराम मिलता है 

बच्चे को ज्यादा देर तक और लगातार दूध पिलाने से महिलाओं के ऊपरी शरीर की मांसपेशियां कठोर हो जाती हैं और इनमें दर्द भी होता है। योग करने से शरीर स्ट्रेच होता है जिससे कंधों व गर्दन की मांसपेशियों का तनाव कम होने में मदद मिलती है और दर्द में आराम भी मिलता है। 

3. शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रहता है 

योग उस उचित सांस पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है जिससे ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं के संपूर्ण स्वास्थ्य को ठीक होने में मदद मिलती है। इसी तरह से योग की सामान्य पोजिशंस जोड़ों के दर्द में बहुत उपयोगी होती हैं और महिलाओं के शारीरिक आकार को दोबारा से ठीक करने में मदद करती हैं जो गर्भावस्था व ब्रेस्टफीडिंग के कारण खराब हो गया था। 

4. मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है 

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान योग करने से महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है। नींद कम आने और स्ट्रेस की वजह से अक्सर मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। योग करने से मन शांत होता है, तनाव कम होता है और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान रोज की समस्याओं से जरूरी आराम मिलता है।

5. धैर्य बढ़ता है  

बच्चे की देखभाल करने और उसे दूध पिलाने के लिए महिलाओं को सबसे ज्यादा एनर्जी और धैर्य की जरूरत होती है। योग की धीमी प्रक्रिया और हर एक सांस पर ध्यान केंद्रित करने से महिलाओं में धैर्य उत्पन्न होता है और उन्हें सिर्फ खुद से ही नहीं बल्कि बच्चे से भी जुड़ाव की अनुभूति होती है। 

ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं के लिए योग के पोज 

ब्रेस्टफीडिंग महिलाओं के लिए योग के निम्नलिखित कुछ पोज हैं जिनसे मदद मिल सकती है, आइए जानें; 

1. कैट काऊ पोज (मार्जरी आसन)

कैट काऊ पोज

कैट-काऊ पोज से छाती और रीढ़ का तनाव कम होता है। इसकी मदद से बच्चे को दूध पिलाते समय महिलाओं का पोस्चर भी सही रहता है। इसे आप कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;

  • ऐसी पोजीशन में आएं जिससे आपके हाथ और घुटने के साथ पैरों की उंगलियां भी जमीन को छुएं और आपके घुटने हिप्स से थोड़ा सा दूर हों। 
  • इस प्रकार से आप काऊ पोज में आएंगी और फिर सांस लें व अपने पेट को जमीन की ओर रहने दें। आप अपने सीने व ठोड़ी को ऊपर की ओर ले जाएं और छत को देखें। 
  • अपने कंधों को चौड़ा करते हुए कानों से दूर लेकर आएं। 
  • सांस छोड़ें और अपने पेट को रीढ़ की ओर खींचें व साथ ही अपनी पीठ को गोल करते हुए सिर को जमीन की ओर ले जाएं। 
  • सांस लें और काऊ पोज में वापिस आ जाएं और फिर सांस छोड़ते हुए कैट पोज बना लें। 

2. डाउनवर्ड फेसिंग डॉग (अधो मुख श्वानासन)

डाउनवर्ड फेसिंग डॉग

यह पोज आपके पूरे शरीर को स्ट्रेच करता है जिससे आपको ताजगी महसूस होती है। इससे पैरों के पिछले हिस्से की कठोरता कम होती है और यह पीठ व कंधों को प्रभावी रूप से स्ट्रेच करता है। यह खून के प्रवाह को भी बेहतर बनाता है। आप इस पोज को कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;

  • अपने हाथों व पैरों का सहारा लेते हुए शरीर को मोड़ लें। अपने हाथों को कंधों से थोड़ा आगे की ओर रखें और हथेलियों को फैलाएं। 
  • अपने पैरों की उंगलियों को कर्ल करें और सांस छोड़ते हुए घुटनों को जमीन से ऊपर लाएं। 
  • घुटनों को हल्का सा मोड़ें और साथ ही हाथों को धड़ तक सीधा करें। 
  • अपने दोनों पैरों को सीधा करें और जमीन का सहारा लेते हुए छाती को ऊपर की ओर लेकर आएं व खुद को ‘ए’ जैसी पोजीशन में रखें। 

3. स्फिंक्स पोज (सलंब भुजंगासन)

स्फिंक्स पोज

स्फिंक्स पोज से रीढ़ को मजबूती मिलती है और पीठ के निचले हिस्से का दर्द कम होता है। इसलिए यह स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए सबसे बेहतरीन है। आप इस पोज को कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;

  • इसे करने के लिए आप जमीन पर उल्टा लेट जाएं और पैरों को पीछे की ओर फैला लें, पैर की उंगलियों और ठोड़ी को जमीन पर रख लें। 
  • सांस लें और अग्रभुजाओं के बल पर खुद को उठाने का प्रयास करें जो एक दूसरे के समांतर में हैं। 
  • आप पेल्विस को जमीन पर रखें और सिर व सीने को ऊपर उठाएं। 

4. ब्रिज पोज (सेतुबंधासन)

ब्रिज पोज

ब्रिज पोज एक रेस्ट्रोरेटिव पोस्चर है जो शारीरिक एलाइनमेंट को सही करने में मदद करता है। इस पोज से सीना, रीढ़ और गर्दन उचित तरीके से स्ट्रेच हो जाते हैं और पैरों को मजबूती मिलने में मदद मिलती है। आप इस पोज को कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;

  • इसे करने के लिए जमीन पर लेट जाएं और घुटनों को मोड़ लें। 
  • अपने पंजों को जमीन पर स्थिर रखें और सांस छोड़ते हुए पंजों व हाथों को दबाएं और शरीर को ऊपर की ओर उठाएं। 
  • आप अपने टेलबोन को प्युबिस की ओर करें और हिप्स को उठाते हुए जमीन से ऊपर करें। 
  • इस दौरान अपने हाथों को शरीर के नीचे रखें और अपनी जांघों व पीठ को समांतर में रखकर ब्रिज बनाएं। 

5. ईगल आर्म्स (गरुड़ासन)

ईगल आर्म्स

यह पोज करने से आपके कंधों व पीठ की मांसपेशियों की स्टिफनेस कम होती है। इससे पैरों, घुटनों व एड़ियों में मजबूती आती है और जांघों के लिए भी सही है। आप इस पोज को कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;

  • सबसे पहले पालथी मारते हुए एक पैर को दूसरे पैर के ऊपर रखकर बैठ जाएं। अब आप अपने दोनों हाथों को सीधा करें और उन्हें एक दूसरे में ट्विस्ट की तरह मोड़ लें। 
  • अपनी कोहनी को हाथों के पास लाएं ताकि आपकी दोनों हथेलियां एक दूसरे से जुड़ जाएं। 
  • अब आप कोहनी पर धीरे-धीरे दबाव डालें अपने दोनों हाथों को ऊपर और नीचे करें। 

6. एक्सटेंडेड ट्रायंगल पोज (उत्थित त्रिकोणासन)

एक्सटेंडेड ट्रायंगल पोज

योग के अलग-अलग स्टाइल में यह भी एक पोज है जिसमें आपको खड़े होकर आर्क बनाना है। यह ग्रोइन क्षेत्र और हैमस्ट्रिंग की मांसपेशियों को खोलने में मदद करता है। इस योग से पीठ के निचले हिस्से को काफी सपोर्ट भी मिलता है। 

  • सबसे पहले दोनों हाथों को साइड में रखें और पैरों के बीच थोड़ी सी जगह बनाकर खड़ी हो जाएं। 
  • दाहिने पंजे को 90 डिग्री में घुमाएं और दाहिने घुटने से एड़ी तक के क्षेत्र को सीधा रखें। 
  • अपने हाथों को साइड में रखते हुए कंधों तक लेकर आएं और एक तरफ झुकते हुए सांस छोड़ें ताकि आपका दाहिना हाथ दाहिने पैर तक पहुँच सके और आपका बायां हाथ ट्राइएंगल की तरह छत की ओर होना चाहिए।  

7. अपवर्ड फेसिंग डॉग पोज (ऊर्ध्व मुख श्वानासन)

अपवर्ड फेसिंग डॉग पोज

यह योग करने से आंतरिक व हाथों की मांसपेशियों को ठीक होने में मदद मिलती है। यह रीढ़, पीठ, धड़ और हाथों के लिए सबसे बेहतरीन एक्सरसाइज है। आप इस पोज को कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;

  • इसे करने के लिए जमीन पर उल्टा लेटने से शुरू करें और अपने हाथों को शरीर के साइड में रखें। 
  • अपनी कोहनी को मोड़ते हुए हथेली को सबसे नीचे की रिब के साइड में रखें। 
  • सांस लें और दोनों हाथों से जमीन का सहारा लेते हुए धीरे-धीरे अपने धड़, हिप्स और घुटनों को जमीन से ऊपर उठाएं। 
  • आप धीमे से अपना सिर पीठ की तरफ टिल्ट करें और अपने शरीर के वजन को हथेली और पंजों के ऊपरी हिस्से पर डालें। 

8. प्राणायाम 

प्राणायाम

प्राणायाम में सांस लेने की प्रक्रिया और नियंत्रण से तनाव कम होने में मदद मिलती है और मन शांत होता है। आप इस पोज को कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;

  • पालथी मारकर सुविधाजनक पोजीशन में बैठ जाएं और अपनी आँखें बंद कर लें। 
  • अब आप अपनी दाहिनी नासिका को दाहिने अंगूठे से बंद करें और बाईं नासिका से गहरी सांस लें। 
  • अब बाईं नासिका को बंद करने के लिए अनामिका उंगली का उपयोग करें और दाईं नासिका से सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को बारी-बारी दोनों नासिका से दोहराएं। 

विशेषकर शुरूआती दिनों में हर माँ के लिए बच्चे को दूध पिलाना शारीरिक जरूरत है पर जब बच्चा पूरे दिन दूध पीता है तो इससे आपको स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। यदि आप अपनी लाइफस्टाइल में योग शामिल करती हैं तो इससे आपके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और आप अपने बच्चे को बेहतर तरीके से दूध पिला सकेंगी।