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हर माँ के लिए उसके बच्चे के देखभाल करना सबसे प्यारा एहसास होता है और बच्चे को दूध पिलाते समय उसके साथ माँ का रिश्ता सबसे मजबूत बनता है। इस दौरान हो सकता है आप बच्चे को दूध पिलाने से लेकर, उसका डायपर बदलने, उसके स्लीपिंग पैटर्न को संभालने, उसके स्वास्थ्य की देखभाल करने तक बहुत कुछ कर रही हों और ये सभी चीजें आपको थका देने वाली भी हो सकती हैं। यह वो समय है जब आपके लिए यह बहुत जरूरी है कि आप बच्चे और अपने साथ थोड़ा धैर्य रखें।
जब आप मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत कुछ करती हैं तो जाहिर है इन सभी चीजों से आपको थकान भी होती होगी तो ऐसे में बस एक ही चीज है जो आपकी मांसपेशियों को शांति और आराम दिला सकता है। वह है एसेंशियल ऑयल्स का उपयोग करना। दिन के अंत में बच्चे को सुला देने के बाद आपके लिए एरोमेटिक एसेंशियल ऑयल्स के साथ हॉट बाथ लेने से ज्यादा कुछ भी बेहतर नहीं है। हालांकि एसेंशियल ऑयल्स का उपयोग करने से पहले आपको इसकी पूरी जानकारी लेना बहुत जरूरी है। यदि आप बच्चे को दूध पिलाती हैं तो इस दौरान आपके लिए कौन से एसेंशियल ऑयल सबसे ज्यादा फायदेमंद है, आइए जानते हैं।
एसेंशियल ऑयल्स पौधों से एक्सट्रेक्ट किए हुए कम्पाउंड होते हैं। इन कंपाउंड्स में पौधों की खुशबू और फ्लेवर होता है जो इसका सार भी माना जाता है। हर पौधे से एक्सट्रेक्ट किए हुए विभिन्न प्रकार के तेलों में एक अद्भुत खुशबू और स्वास्थ्य संबंधी फायदे होते हैं। इसे डिस्टिलेशन प्रक्रिया या अन्य मेकैनिकल तकनीकों, जैसे कोल्ड प्रेसिंग से एक्सट्रेक्ट किया जाता है। एक बार जब यह अरोमा कंपाउंड बन जाता है तो इसे करियर ऑयल्स या सामान्य तेल में मिलाया जाता है जिसे एसेंशियल ऑयल्स के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
क्या एसेंशियल ऑयल्स ब्रेस्टफीडिंग मांओं के लिए सुरक्षित है? यदि आप हाल ही माँ बनी हैं तो अच्छे गुणों वाले तेलों से आपकी मांसपेशियों का दर्द कम हो सकता है, आपकी चिंताएं कम हो सकती हैं और आप इन्हें अरोमा थेरेपी में भी उपयोग कर सकती हैं। यदि आप बच्चे की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन तेलों का उपयोग करती हैं तो इससे उसे कोई भी हानि नहीं होगी।
आप इन तेलों को न पिएं या निगलें और न ही इंजेस्ट करें क्योंकि यह आपके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है। आप इसका उपयोग ऊपरी रूप से और सामान्य तेलों में मिलाकर ही करें, जैसे आप इसे आलमंड ऑयल, हेंप सीड या कोकोनट ऑयल में मिला सकती हैं। ऐसा कहा जाता है कि एसेंशियल ऑयल और सामान्य तेलों को मिलाकर लगाने से इसका प्रभाव हर महिला में अलग-अलग होता है। यह सलाह दी जाती है कि आप किसी भी एसेंशियल ऑयल का उपयोग करने से पहले इस बारे में एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें। साथ ही उन तेलों का उपयोग न करें जिन्हें सॉल्वेंट का उपयोग करके एक्सट्रैक्ट किया जाता है, जैसे बूटेन या हेक्जेन क्योंकि तेल में इन केमिकल के कुछ ट्रेसेस रह जाते हैं। जब तक जरूरी न हो तब तक एसेंशियल ऑयल्स का उपयोग न करना ही बेहतर है।
आप ब्रेस्टमिल्क बढ़ाने के लिए निम्नलिखित तरीकों से एसेंशियल ऑयल्स का उपयोग कर सकती हैं, आइए जानें;
यदि आप एसेंशियल ऑयल को सामान्य तेल में मिलाकर लगाती हैं तो इससे ब्रेस्टमिल्क बढ़ने में मदद मिल सकती है। इसके लिए आप एक छोटे चम्मच नारियल के तेल में एक बूंद तुलसी का तेल डालकर अच्छी तरह से मिलाएं। फिर इसे अपने ब्रेस्ट में निप्पल्स को छोड़कर बाकी जगह पर लगाएं और अपनी उंगलियों से सर्कुलर मोशन में धीरे-धीरे मालिश करें।
हमारे शरीर में कुछ पल्स/एक्यूपंक्चर पॉइंट्स होते हैं जिन्हें एसेंशियल ऑयल्स की मदद से प्रेरित किया जा सकता है। आप ऊपर दिए हुए तरीके से ही अपनी एड़ियों में इसे लगाकर मालिश करें क्योंकि एड़ियों में ब्रेस्ट के अनुरूप पल्स पॉइंट होते हैं। आप अपने कानों के बाहर लैवेंडर ऑयल भी लगा सकती हैं इससे आपको आराम मिलेगा और ब्रेस्टमिल्क बढ़ने में भी मदद मिलेगी।
आप सोने से पहले डिफ्यूजर में लैवेंडर, तुलसी या फेनेल (सौंफ) एसेंशियल ऑयल की चार बूंदें डिफ्यूजर में डालकर रख सकती हैं। इसके पर्याप्त फायदों के लिए आप इसे दिन में एक घंटे के लिए उपयोग कर सकती हैं, इसका उपयोग ज्यादा न करें। यदि आपके पास डिफ्यूजर नहीं है तो आप सिरैमिक के कटोरे में गर्म पानी भरें और उसमें एसेंशियल ऑयल्स की कुछ बूंदें डाल दें। आप इसे अपने बेड के पास या लिविंग रूम में रख सकती हैं पर इसे अपने बच्चे से दूर रखें। आप अच्छी नींद के लिए भी इस तरीके का उपयोग कर सकती हैं।
यहाँ पर कुछ एसेंशियल ऑयल्स और उनके फायदों के बारे में बताया गया है, आइए जानें;
आप ब्रेस्टफीडिंग के दौरान तुलसी के तेल का उपयोग कर सकती हैं क्योंकि यह ब्रेस्टमिल्क बढ़ाने में मदद करता है। बेसिल (तुलसी) एसेंशियल ऑयल का उपयोग करने से मांसपेशियों की ऐंठन कम होती है, क्रैम्प, जोड़ों के दर्द, त्वचा में जलन और थकान में भी मदद मिलती है। यह ऑयल अपने एंटी-बैक्टीरियल और आराम देनेवाले गुणों के लिए प्रसिद्ध है।
लैवेंडर एसेंशियल ऑयल आराम और शांति प्रदान करनेवाले गुण हैं और इसलिए यह ऑयल लोकप्रिय भी है। लोग अक्सर इसका उपयोग अच्छी नींद के लिए और थकान कम करने के लिए करते हैं। अरोमाथेरेपी के लिए लैवेंडर एसेंशियल ऑयल का उपयोग करने की ज्यादातर सलाह दी जाती है।
इस तेल में स्ट्रेस और एंग्जायटी को कम करने के गुण हैं और इसका उपयोग अक्सर स्ट्रेस से संबंधित समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है।
इस अद्भुत तेल को एंटी-डेप्रेसेंट के रूप में उपयोग किया जाता है और यह एंग्जायटी को कम करने में मदद करता है। यह तेल अनिद्रा, दर्द को कम करने में मदद करता है और साथ ही यह सामान्य समस्याओं और डिटॉक्सिंग के लिए भी फायदेमंद है।
टी-ट्री ऑइल में एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं और इसका उपयोग मैस्टाइटिस (स्तनों में सूजन) को ठीक करने के लिए किया जाता है।
यह एसेंशियल ऑयल इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है और तनाव व मांसपेशियों के दर्द में भी आराम प्रदान करता है। यदि इस तेल का उपयोग सही से किया जाए तो यह चोट व इन्फेक्शन को भी ठीक कर सकता है।
यद्यपि कुछ मांएं ऐसे तेल की खोज करती हैं जो ब्रेस्टमिल्क को बढ़ाने में मदद कर सके पर कुछ ऐसी भी हैं जिनमें दूध बहुत ज्यादा आता है। यदि आपके ब्रेस्ट में अत्यधिक दूध आता है तो बच्चे को दूध पिलाते समय पेपरमिंट एसेंशियल ऑयल का उपयोग करने से दूध के प्रवाह को कम करने में मदद मिलती है। यह सलाह दी जाती है कि पेपरमिंट का उपयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए क्योंकि यह तेल ब्रेस्टमिल्क के उत्पादन को एकसाथ बंद भी कर सकता है।
कई ऐसे एसेंशियल ऑयल्स जिनका उपयोग करने से महिलाओं को बचना चाहिए क्योंकि इन तेलों के गुण अधिक प्रभावी होते हैं जो बच्चे को हानि भी पहुँचा सकते हैं। नीलगिरी, लोहबान, रोजमेरी, सेज और जायफल के तेल का उपयोग महिलाओं को बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान एसेंशियल ऑयल्स का उपयोग करने से पहले निम्नलिखित टिप्स पर ध्यान दें;
इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि एसेंशियल ऑयल आपको बहुत सारे फायदे पहुँचाते हैं पर आपका बच्चा अभी भी बहुत छोटा और नाजुक है और इससे उसको समस्याएं हो सकती हैं। हमेशा सही मात्रा में एसेंशियल ऑयल्स का उपयोग करें और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान किसी भी ऑयल का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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