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ब्रेस्टमिल्क के उत्पादन को बंद करने के लिए प्राकृतिक रूप से बच्चे का दूध छुड़ाना ही सबसे बेहतर है क्योंकि यह धीरे-धीरे होता है। इससे माँ और बच्चे को भावनात्मक रूप से पर्याप्त समय मिलता है और साथ ही शारीरिक रूप से बदलाव में एडजस्ट होने का समय भी मिलता है।
पर कभी-कभी लैक्टेटिंग मांएं कई कारणों से अचानक ही वीनिंग का निर्णय लेती हैं, जैसे मेडिकल समस्याओं के कारण या बच्चे की मृत्यु की वजह से। अचानक ही वीनिंग से लैक्टेटिंग मांओं पर शारीरिक व मानसिक प्रभाव पड़ता है, जैसे मैस्टाइटिस होने का खतरा, ब्लॉक्ड डक्ट्स, कुछ छूटने का एहसास और दुःख। इसलिए यह जरूरी है कि आप ब्रेस्टमिल्क को प्रभावी रूप से जल्दी बंद करने के लिए एक योजना बनाएं।
कई माँएं ब्रेस्टमिल्क बंद करने का विचार कर सकती हैं। ऐसा क्यों है, आइए जानें;
यदि आप अपने बच्चे को कुछ पर्सनल कारणों से दूध नहीं पिलाना चाहती हैं पर फिर भी ब्रेस्टमिल्क बढ़ रहा है जिससे ब्रेस्ट भारी हो रहे हैं। इससे दर्द व असुविधा होती है।
बच्चे के बढ़ने के साथ आप उसे फार्मूला दूध या सॉलिड फूड खिलाना शुरू करना चाहती हैं। इस वजह से बच्चा ब्रेस्टमिल्क कम पिएगा। जिसके परिणामस्वारूप दूध ब्रेस्ट में इकट्ठा होता है और इससे समस्याएं होती हैं।
कभी-कभी आपको मेडिकल समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे मैस्टाइटिस (ब्रेस्ट इन्फेक्शन) या ब्लॉक्ड डक्ट्स जिसकी वजह से ब्रेस्टफीडिंग के दौरान दर्द होता है। कुछ ट्रीटमेंट, जैसे कीमोथेरेपी कराने से भी मांओं के पास ब्रेस्टफीडिंग रोकने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं रह जाता है।
बच्चे को फॉर्मूला मिल्क पिलाना या सॉलिड फूड देना शुरू करने पर भी कभी-कभी ब्रेस्ट से लगातार दूध निकलता रहता है। ऐसी स्थिति में असुविधाओं को कम करने के लिए लैक्टेशन सप्रेस करने की जरूरत पड़ती है।
गंभीर मामलों में बच्चे की मृत्यु होने के बाद या माँ ने बच्चे को अडॉप्शन के लिए दिया हुआ है तो वह ब्रेस्टमिल्क बंद करना चाहेगी।
बच्चे का दूध हमेशा धीरे-धीरे ही छुड़ाना चाहिए। यदि आप बच्चे को अचानक से दूध पिलाना छोड़ देती हैं तो इससे ब्रेस्ट में दर्द व सूजन की समस्या होती है जिसके परिणामस्वरूप आपको मैस्टाइटिस हो सकता है। आप ब्रेस्टमिल्क का उत्पादन कैसे बंद कर सकती हैं, आइए जानें;
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन भी हर माँ को कम कम कम से कम 6 महीने के लिए केवल ब्रेस्टफीड कराने की सलाह देता है। 6 महीने के बाद उसके 2 साल का होने तक बच्चे को ब्रेस्टमिल्क के साथ सॉलिड फूड देना शुरू करें।
ब्रेस्टमिल्क को सूखने में महीनों से लेकर एक साल तक का समय लगता है। जब तक माँ को कोई भी समस्या या तकलीफ नहीं होती है तब तक यह नॉर्मल है।
मैस्टाइटिस ब्रेस्ट इन्फेक्शन का ही एक रूप है जिसमें ब्रेस्ट के टिश्यू में सूजन आती है और दर्द भी होता है। जब ब्रेस्ट भरे हुए होते हैं तो इससे डक्ट ब्लॉक हो जाता है और दूध साफ नहीं हो पाता है। इसकी वजह से आसपास के टिश्यू में सूजन आने लगती है। इस समस्या में ब्रेस्ट में बहुत दर्द होता है और त्वचा लाल पड़ जाती है। प्रभावित मांओं में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे दर्द और कंपकंपी। ब्लॉक्ड डक्ट्स और मैस्टाइटिस को ठीक करने के कुछ तरीके निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
इस समय आपको फर्म और अच्छी फिटिंग वाली ब्रा पहननी चाहिए। ब्रेस्ट पैड्स दूध के डिस्चार्ज को सोख सकते हैं। यदि कुछ भी काम नहीं करता है और आपके ब्रेस्ट में दर्द व तकलीफ होती है तो आप इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप की मदद से पूरा ब्रेस्टमिल्क निकाल लें। आप इस बारे में डॉक्टर से पूरी जानकारी जरूर लें।
कभी-कभी महिलाओं को मेडिकल ट्रीटमेंट, जैसे कीमोथेरेपी के लिए ब्रेस्टफीडिंग बंद करनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में यदि माँ चाहे तो वह अपने बच्चे को ब्रेस्टमिल्क दे सकती है। कुछ मामलों में यदि किसी कारण से बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो उसकी माँ चाहे तो वह अन्य बच्चों को ब्रेस्टमिल्क प्रदान कर सकती है। कुछ मिल्क बैंक और नॉन प्रॉफिटेबल ऑर्गेनाइजेशन भी है जहाँ पर मांएं अन्य बच्चों की मदद के लिए ब्रेस्टमिल्क डोनेट करती हैं। यह नर्सिंग मांओं के लिए एक हीलिंग अनुभव होता है क्योंकि इससे वे अपने बच्चे को खोने के दुःख और पीड़ा से निजात पाने का प्रयास करती हैं।
कई कारणों के बावजूद भी आपको लैक्टेशन सप्रेशन के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना जरूरी है। इस दौरान दूध का उत्पादन कम होगा इसलिए हॉर्मोन्स में भी काफी उतार-चढ़ाव होगा और मूड स्विंग्स होंगे। इसलिए इस समय शारीरिक व मानसिक रूप से सपोर्ट सिस्टम को बनाए रखना जरूरी है।
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