In this Article
यह कहानी एक बंदर और मगरमच्छ की है जिनकी बहुत अच्छी दोस्ती थी। दोनों एक दूसरे का बहुत अच्छे से ख्याल रखते थे, लेकिन एक दिन किसी तीसरे की वजह से इनकी दोस्ती में हमेशा के लिए दरार आ जाती है। यह कहानी हमें ये सिखाती है कि दोस्ती के बीच कभी लालच नहीं आना चाहिए और यदि ऐसा होता है तो आप अपना बहुत अच्छा दोस्त हमेशा के लिए खो देते हैं और साथ ही ये भी कि यदि आपको किसी पर भी आंख बंद कर के भरोसा नहीं करना चाहिए चाहे वो आपका खास दोस्त क्यों न हो। आपको मुश्किल परिस्थिति में अपनी बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए ताकि आप छलावे से बच सकें। ऐसी कहानियां बच्चों को बेहद पसंद आती है और वो बहुत मन से इसे पढ़ते हैं। अगर आपको ऐसी कहानियां अपने बच्चों को सुनानी है तो हमसे जुड़े रहें।
एक बार की बात है, शहर से दूर एक घना जंगल था जहां के जानवर एक दूसरे के साथ हंसी-खुशी रहा करते थे। वहीं उस जंगल में एक खूबसूरत और विशाल तालाब था, जिसमें एक मगरमच्छ रहता था। इस तालाब के हर तरफ फलों से भरे पेड़ लगे थे और उन पेड़ों में से एक पेड़ पर बंदर रहता था। बंदर और मगरमच्छ की दोस्ती बहुत अच्छी थी।
बंदर हमेशा पेड़ से अच्छे और स्वादिष्ट फल तोड़कर खाता और अपने मगरमच्छ दोस्त के लिए भी लाता था। बंदर अपने साथी मगरमच्छ का बहुत अच्छे से ध्यान रखता और मगरमच्छ भी उसे अपनी पीठ पर बिठाकर पूरे तालाब का दर्शन करवाता था।
समय बीतता गया और ऐसे ही बंदर और मगरमच्छ की दोस्ती गहरी होती चली गई। बंदर अपने दोस्त के लिए जो भी फल ले जाता था उसमें से कुछ फल मगरमच्छ अपनी बीवी को खाने के लिए देता था और दोनों लोग खुशी-खुशी फलों को खाते थें।
एक दिन मगरमच्छ अपनी बीवी के साथ बैठा था तो उसकी बीवी ने उससे कहा कि बंदर हमेशा मीठे और स्वादिष्ट फल खाता है, तो जरा सोचो उसका कलेजा खाने में कितना मजेदार होगा। इसके बाद मगर की पत्नी उससे बंदर का जिगर खाने की जिद्द करने लगी।
यह बात सुनकर मगरमच्छ से अपनी पत्नी को समझाने का बहुत प्रयास किया लेकिन वो उससे नाराज हो गई। ऐसे में मगर का मन न होते हुए भी उसे अपनी बीवी की बात माननी पड़ी और कहा की अगले दिन जब वो बंदर को गुफा के अंदर लेकर आएगा तब वो उसका कलेजा निकालकर खा सकती है और यह बात वो मान गई।
हमेशा की तरह बंदर अपने साथ स्वादिष्ट फल लेकर अपने दोस्त मगर का इंतजार करने लगा। कुछ समय बाद मगर भी वहां आ गया और दोनों ने साथ में फलों का मजा लिया। उसके बाद मगर ने बंदर से कहा कि उसकी भाभी की उससे मिलने की इच्छा है और वह तालाब के दूसरी तरफ हमारे घर में तुम्हारा इंतजार कर रही है वहां चलते हैं।
इस बात को सुनकर बंदर तुरंत उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गया और उसकी पीठ पर गया। धीरे-धीरे मगर बंदर को लेकर गुफा की तरफ बढ़ने लगा और जैसे ही वे गुफा के करीब पहुंचे तभी मगर ने कहा दोस्त तुम्हारी भाभी को आज तुम्हारा कलेजा खाने की इच्छा है।
यह बात सुनकर बंदर कुछ सोचने लगा और मगर से बोला यह तुमने पहले क्यों नहीं बताया। इसपर मगर पूछने लगा ऐसा क्या हुआ तो बंदर बोला कि मैं अपना कलेजा पेड़ पर ही छोड़ कर आया हूं और तुम मेरे साथ वापस चलो तब मैं कलेजा अपने साथ ले आऊंगा।
यह बात सुनकर मगर बंदर की बातों में आ गया और उसको लेकर तालाब किनारे पहुंच गया। जैसे ही वह दोनों नहीं के किनारे पर पहुंचे तभी बंदर अचानक से पेड़ पर चढ़ गया और बोला मुर्ख तुम्हें पता नहीं की मेरा कलेजा मेरे शरीर के अंदर है। मैंने हमेशा तुम्हारी भलाई के लिए सोचा और तुम मुझे ही खाने वाले थे! यह कैसी दोस्ती है यहां से चले जाओ!
बंदर की बातें सुनकर मगर को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और उसने माफी भी मांगी, लेकिन बंदर इस बार उसकी बातों में नहीं आया।
बंदर और मगरमच्छ की इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जब भी आप किसी मुसीबत में फंसे, तो बिना घबराए अपने दिमाग का उपयोग करें और समझदारी के साथ उस संकट को टालने या उससे बचने की कोशिश करें। ऐसे में बच्चे भी इस कहानी से बंदर की समझदारी और चालाकी को समझेंगे और किसी मुश्किल परिस्थिति में उपयोग कर के अपने लिए उपाय निकालना सीखेंगे।
यह कहानी पंचतंत्र की कहानियों में एक है जो बच्चों को बहुत अच्छी लगती है। यह एक प्रेरणादायक कहानी है और आपको भी उन्हें इसे सुनाने में मजा आता है।
बंदर और मगरमच्छ की इस कहानी का मकसद यह बताना है कि चाहे आपकी दोस्ती कितनी गहरी क्यों न हो पर आपको किसी पर भी आंख बंद कर के विश्वास नहीं करना चाहिए और उनके गलत होने पर उनकी बात न मान कर अपनी बुद्धि का उपयोग कर सकते हैं।
जैसे बंदर ने संकट में अपनी बुद्धि का प्रयोग किया वैसे हमें भी मुश्किल आने पर अपनी बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए उससे आप मुसीबत को टाल सकते हैं या फिर पूरी तरह से खत्म कर सकते हैं।
इस कहानी को बच्चे और बड़े दोनों शौक से पढ़ेंगे और साथ ही उन्हें पंचतंत्र की अन्य कहानियां भी अच्छी लगेंगी। यह कहानियां सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं होती हैं बल्कि इनसे बहुत सीखने को मिलता है। जैसे इस कहानी ने आपको मुसीबत में अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल करना सिखाया है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको ये कहानी पसंद आई होगी और आप अपने बच्चों को भी ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे।
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…