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यदि आपने सी-सेक्शन कराया है तो ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी हैं। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि आप इसे बिलकुल भी नहीं कर सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि सी सेक्शन डिलीवरी कराने वाली महिलाएं भी बच्चे को दूध पिलाती हैं। यह कहने की जरूरत नहीं है कि ब्रेस्टफीडिंग से नवजात शिशु और उसकी माँ के बीच एक बेहतर रिश्ता बनता है। यह करने पर ही आप सीख पाएंगी और सब बेहतर तरीके से होगा। हालांकि जानकारी और तैयारी रखना बहुत जरूरी है ताकि बच्चे को सुरक्षित रखा जा सके और स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जा सके।
सी-सेक्शन डिलीवरी से रिकवरी होना एक लंबा प्रोसेस है और इसलिए आप कुछ सावधानियां बरतने के साथ बच्चे को दूध पिलाती रहें। कभी-कभी बच्चे के स्वास्थ्य के लिए सी-सेक्शन के तुरंत बाद मांएं भी उसे ब्रेस्टफीड कराने से मना कर देती हैं। आपको अलग-अलग तरीके पता होना जरूरी है ताकि आप यह करने के लिए तैयार को सकें। इस बारे में आप तुरंत या थोड़ी देर बाद डॉक्टर से बात करें। यहाँ दी हुई निम्नलिखित चीजें आपकी कुछ मदद कर सकती हैं, आइए जानें;
जितना जल्दी संभव हो उतना जल्दी आप बच्चे को दूध पिलाना या ब्रेस्टफीड कराना शुरू कर दें। आप सर्जरी के बाद ऑपरेटिंग रूम से ही यह शुरू कर सकती हैं। यह नवजात शिशु के लिए प्राकृतिक रूप से हेल्दी होगा और जन्म के तुरंत बाद वह 20-30 मिनट तक दूध पिएगा (यदि बच्चा लेबर के दौरान दिए गए एनेस्थीसिया या दवा के कारण नींद में नहीं होगा) बच्चे में निप्पल चूसने और लैचिंग करने की क्षमता होती है। ऐसा कहा जाता है कि आप निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखें, आइए जानें;
विशेषकर सी सेक्शन डिलीवरी के बाद महिलाओं के लिए बच्चे को दूध पिलाना असुविधाजनक हो जाता है। बच्चे को होल्ड करने से चीरे पर दबाव पड़ता है और इससे बहुत असुविधाएं होती हैं। यहाँ पर कुछ पोजीशन दी हुई हैं जिन्हें आप सी-सेक्शन के बाद ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए ट्राई कर सकती हैं, आइए जानें;
डिलीवरी के बाद बच्चे को तुरंत दूध पिलाने परिणामस्वरूप आपको पीठ के बल काफी समय तक बिना किसी मूवमेंट के लेटना होगा। इससे बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने में कठिनाई हो सकती है। लेटने पर आप बच्चे को ब्रेस्ट के आर-पार पालने जैसी पोजीशन में दूध पिला सकती हैं। इससे बच्चा पेट के टांकों से दूर रहेगा और यह ब्रेस्टफीडिंग की एक नेचुरल पोजीशन है जिसका उपयोग आप बाद में जरूर करेंगी। यदि इसे आप खुद से न कर पाएं तो घर में किसी की या अपने पार्टनर की मदद लें।
पूरे समय कुछ घंटों या कुछ दिनों के लिए पीठ के बल लेटने से भी थकान हो सकती है। यह संभव है और आपके लिए पोजीशन बदलकर एक तरफ से बच्चे को दूध पिलाना सही रहेगा। जब एक बार आपको कम्फर्टेबल साइड पोजीशन मिल जाएगी तो आप आपने टांकों के सामने तकिए के साथ बच्चे को कडल करके ले सकती हैं ताकि इसमें कोई भी संपर्क न हो। यह आपके व बच्चे के लिए सबसे ज्यादा कम्फर्टेबल होगा व साथ ही यह बच्चे के साथ एक अच्छा समय बिताने का एक अच्छा मौका भी है। इस बात का ध्यान रखें कि आपके चारों ओर बहुत सारी तकिया रखी होनी चाहिए ताकि आप सुरक्षित व सुविधाजनक रहें। आप टांकों और बेड के बीच गैप में एक तकिया या कोई छोटा तौलिया भी रख सकती हैं।
यदि आप बच्चे को पिलो ब्रेस्टफीडिंग या उसी के जैसी पिलो शेप में ब्रेस्टफीडिंग कराती है तो आप बच्चे को तकिए के ऊपर रखकर बच्चे को दूध पिला सकती हैं क्योंकि जिस प्रकार से आप बच्चे को दूध पिलाती हैं उससे आपके चीरे पर किसी भी प्रकार का संपर्क नहीं होगा। फुटबॉल पोजीशन बहुत लोकप्रिय है और इस पोजीशन से बच्चे की बेहतर देखभाल होती है और दूध मिलता है।
इस बात का ध्यान रखें कि आप जितना ज्यादा कम्फर्टेबल होंगी आपके लिए बच्चे को न्यूट्रिशन प्रदान करना उतना ही ज्यादा आसान होगा। जब तक आपको सही पोजीशन न मिल जाए आप ऊपर बताई हुई पोजीशन ट्राई करें।
डिलीवरी के तुरंत बाद ब्रेस्टफीडिंग कराना बहुत जरूरी है क्योंकि से माँ और बच्चे का संबंध बेहतर होता है हालांकि यह थोड़ा सा चैलेंजिंग है। यदि बच्चे के स्वास्थ्य को देखभाल की जरूरत है और कुछ कारणों से उसे ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है और वह आपके पास नहीं रहता है तो आप दूध को पंप करके उसे दें क्योंकि शरीर में उत्पन्न हुए पहले दूध को कोलोस्ट्रम कहा जाता है जो बच्चे के लिए बहुत जरूरी होने के साथ-साथ शक्तिशाली और फायदेमंद भी है। इसे उन जरूरी एंटीबायोटिक के साथ बदला जा सकता है जिनसे बच्चे को पूरे जीवन भर फायदे होते हैं। बच्चे को बेस्ट चीजें न देने का कोई भी कारण नहीं है।
आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि हर किसी का शरीर अलग-अलग होता है इसलिए कुछ मापदंड के अनुसार यदि आपके साथ कुछ भी होता है तो ब्रेस्ट मिल्क के बहाव पास असर पड़ता है। कभी-कभी एनेस्थीसिया का प्रभाव कम होने में समय लग सकता है। ऐसी स्थिति में आप जल्दी नहीं उठती हैं जिससे ब्रेस्टफीडिंग का प्रोसेस देर से शुरू होता है। जिन्हे एपीड्यूरल दिया जाता है उनमें यह समस्या उतनी देखी जाती है।
दर्द की दवा न लेने का कोई भी कारण नहीं है क्योंकि सर्जरी के बाद शरीर को दोबारा से उसी तरह होने में मदद की जरूरत पड़ती है। हालांकि इस बात को समझें कि डोज और फॉलो अप्स बहुत जरूरी होते हैं जिन्हें अक्सर बंद कर दिया जाता है। इसे कुछ समय के लिए लेने और प्रिस्क्राइब की हुई थोड़ी बहुत डोज लेना सही है और इससे बच्चे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा बस उसे आलस आ सकता है।
बच्चे की जांच कराने पर निप्पल कन्फ्यूजन से बचें और बच्चे को ओरल सिरिंज या अन्य तरीकों या बोतल से सप्लीमेंट्स देती रहें।
आप मानें या न माएं पर हॉर्मोन्स की प्रतिक्रिया पर शरीर में अपने आप ही दूध उत्पन्न होता है। यहाँ तक कि जब आप बच्चे को दूध नहीं पिलाती हैं, तब भी डिलीवरी के बाद से ही शरीर में दूध उत्पन्न होना शुरू हो जाता है। आमतौर पर पहली बार बनी मांओं में दूध आने में 3-4 दिन लग जाते हैं। यदि आपको पहले भी बच्चा हुआ है तो यह जल्दी भी हो सकता है। आमतौर पर बच्चे के जन्म के कुछ दिन के बाद से आपके ब्रेस्ट भरे हुए और दूध के लिए तैयार लगेंगे।
यदि ब्रेस्ट मिल्क में स्थिर नहीं है और यह लगातार नहीं आता है जैसे अन्य लोग कहते हैं तो आप चिंता न करें। सी-सेक्शन के बाद कम मात्रा में दूध आना और लगातार दूध न आना आम है। आप इसे ठीक करने के लिए अपने रूटीन में कुछ बदलाव कर सकती हैं।
सी सेक्शन के बाद बच्चे को दूध पिलाना सच में चैलेंजिंग है और ज्यादातर महिलाएं इसका सामना करती हैं क्योंकि आज कल सी-सेक्शन बहुत आम है। ऐसा कहा जाता है कि आप थोड़ा सा धैर्य रखें, तैयारी करें और गाइडेंस लें ताकि इसे संभालने में आपको कोई भी दिक्कत न हो।
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