शिशु

सिजेरियन के बाद ब्रेस्टफीडिंग कराना

यदि आपने सी-सेक्शन कराया है तो ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी हैं। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि आप इसे बिलकुल भी नहीं कर सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि सी सेक्शन डिलीवरी कराने वाली महिलाएं भी बच्चे को दूध पिलाती हैं। यह कहने की जरूरत नहीं है कि ब्रेस्टफीडिंग से नवजात शिशु और उसकी माँ के बीच एक बेहतर रिश्ता बनता है। यह करने पर ही आप सीख पाएंगी और सब बेहतर तरीके से होगा। हालांकि जानकारी और तैयारी रखना बहुत जरूरी है ताकि बच्चे को सुरक्षित रखा जा सके और स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जा सके। 

सिजेरियन के तुरंत बाद ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए टिप्स

सी-सेक्शन डिलीवरी से रिकवरी होना एक लंबा प्रोसेस है और इसलिए आप कुछ सावधानियां बरतने के साथ बच्चे को दूध पिलाती रहें। कभी-कभी बच्चे के स्वास्थ्य के लिए सी-सेक्शन के तुरंत बाद मांएं भी उसे ब्रेस्टफीड कराने से मना कर देती हैं। आपको अलग-अलग तरीके पता होना जरूरी है ताकि आप यह करने के लिए तैयार को सकें। इस बारे में आप तुरंत या थोड़ी देर बाद डॉक्टर से बात करें। यहाँ दी हुई निम्नलिखित चीजें आपकी कुछ मदद कर सकती हैं, आइए जानें;

  1. पूरी जानकारी के साथ तैयार रहें: शुरुआत के लिए आप डिलीवरी के बाद हर संभव चीजों के बारे में सोचें। आप अन्य मांओं के अनुभवों के बारे में भी जान सकती हैं पर इस बात का ध्यान रखें कि जरूरी नहीं है आपका अनुभव उनके अनुभव जैसा ही हो।
  2. डॉक्टर से चर्चा करें: आप इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर करें। डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री को ध्यान में रखकर बेस्ट संभावित समाधान देंगे। डिलीवरी के बाद बच्चे को तुरंत ब्रेस्टफीडिंग कराना बिलकुल संभव है। आपके स्वास्थ्य और उपयोग किए हुए एनेस्थीसिया के टाइप पर भी निर्भर करता है क्योंकि इससे ब्रेस्ट मिल्क और ब्रेस्टफीडिंग के प्रोसेस पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
  3. सपोर्ट लें: यदि आप ऑपरेटिंग रूम में ही ब्रेस्टफीडिंग शुरू करना चाहती हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आपके पार्टनर या कोई भी सही व्यक्ति बच्चे को संभालने के लिए मौजूद हो। सर्जरी के बाद दूध पिलाना शुरू करना कठिन हो सकता है पर किसी की मदद व गाइडेंस से यह संभव है। सी-सेक्शन ब्रेस्टफीडिंग तकिए का उपयोग करने से यह प्रोसेस आसान हो सकता है क्योंकि यह बच्चे का वजन संभाल सकता है और इससे आपके टांके भी सुरक्षित रहेंगे।
  4. अलग-अलग पोजीशन ट्राई करें: इस समय सबसे लोकप्रिय क्रैडल होल्ड कंफर्टेबल नहीं होगा क्योंकि आपके टांके अब भी फ्रेश हैं और आप सर्जरी से रिकवर कर रही हैं। इसके बजाय आप लैक्टेशन एक्सपर्ट से संपर्क करें और ऐसी पोजीशन के बारे में जानें जो आपके व बच्चे के लिए सही व कम्फर्टेबल हो।
  5. धैर्य रखें: इस समय खुद के साथ कठोरता बरतना सही नहीं है। यदि आप पहली बार माँ बनी हैं तो इसके लिए आप थोड़े समय की जरूरत है। दूध का उत्पादन होने में समय लगेगा, लैचिंग में गलतियां और ट्रायल होंगे और बच्चे को इस प्रोसेस में एडजस्ट होने में भी समय लगेगा। इस बात का ध्यान रखें कि आप दोनों ही ठीक हो रहे हैं और ऐसे में धैर्य रखना बहुत जरूरी है।

यदि आपका सिजेरियन हुआ है तो ब्रेस्टफीड कब कराना शुरू करें

जितना जल्दी संभव हो उतना जल्दी आप बच्चे को दूध पिलाना या ब्रेस्टफीड कराना शुरू कर दें। आप सर्जरी के बाद ऑपरेटिंग रूम से ही यह शुरू कर सकती हैं। यह नवजात शिशु के लिए प्राकृतिक रूप से हेल्दी होगा और जन्म के तुरंत बाद वह 20-30 मिनट तक दूध पिएगा (यदि बच्चा लेबर के दौरान दिए गए एनेस्थीसिया या दवा के कारण नींद में नहीं होगा) बच्चे में निप्पल चूसने और लैचिंग करने की क्षमता होती है। ऐसा कहा जाता है कि आप निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखें, आइए जानें;

  1. डॉक्टर की सलाह और उनका अप्रूवल लेने के बाद ही आप बच्चे को त्वचा के संपर्क में रखकर ब्रेस्टफीडिंग कराना शुरू करें। इस तरह से आप बच्चे को नर्सिंग के लिए उत्तेजित कर सकती हैं जहाँ बच्चा भूख लगने पर खुद ही आपके पास जाएगा। इससे बच्चे का तापमान नियंत्रित रखने में मदद मिलती है और यह उसके लिए नेचुरल व कम्फर्टेबल भी रहेगा।
  2. डिलीवरी के बाद आपको दर्द होना संभव है। आप डॉक्टर से दर्द की दवा के बारे में पूछ सकती हैं ताकि आपको कम्फर्टेबल होने में मदद मिल सके और आप बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। दर्द दूध के बहाव को कम करता है इसलिए आपके शरीर का कम्फर्टेबल होना जरूरी है। चूंकि आप दर्द की दवा ले रही हैं इसलिए बच्चे को भी थोड़ा बहुत आलस आ सकता है या उसे नींद आ सकती है। यह आम है और ऐसी स्थिति में भी ब्रेस्टफीड कराया जा सकता है।
  3. डिलीवरी के बाद आपका तापमान ज्यादा होगा और थोड़ा बहुत बुखार भी रहेगा। यह जहाँ तक सही ही है और इसमें डरने या बच्चे को दूध पिलाना बंद करने की जरूरत नहीं है। बस आप बच्चे के संपर्क में आने से पहले हाइजीन बनाए रखें ताकि उस तक कीटाणु न पहुँचें।

सी सेक्शन के बाद ब्रेस्टफीडिंग के लिए बेस्ट पोजीशन

विशेषकर सी सेक्शन डिलीवरी के बाद महिलाओं के लिए बच्चे को दूध पिलाना असुविधाजनक हो जाता है। बच्चे को होल्ड करने से चीरे पर दबाव पड़ता है और इससे बहुत असुविधाएं होती हैं। यहाँ पर कुछ पोजीशन दी हुई हैं जिन्हें आप सी-सेक्शन के बाद ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए ट्राई कर सकती हैं, आइए जानें;

1. क्रैडल होल्ड

डिलीवरी के बाद बच्चे को तुरंत दूध पिलाने परिणामस्वरूप आपको पीठ के बल काफी समय तक बिना किसी मूवमेंट के लेटना होगा। इससे बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने में कठिनाई हो सकती है। लेटने पर आप बच्चे को ब्रेस्ट के आर-पार पालने जैसी पोजीशन में दूध पिला सकती हैं। इससे बच्चा पेट के टांकों से दूर रहेगा और यह ब्रेस्टफीडिंग की एक नेचुरल पोजीशन है जिसका उपयोग आप बाद में जरूर करेंगी। यदि इसे आप खुद से न कर पाएं तो घर में किसी की या अपने पार्टनर की मदद लें। 

2. साइड लाइंग पोजीशन

पूरे समय कुछ घंटों या कुछ दिनों के लिए पीठ के बल लेटने से भी थकान हो सकती है। यह संभव है और आपके लिए पोजीशन बदलकर एक तरफ से बच्चे को दूध पिलाना सही रहेगा। जब एक बार आपको कम्फर्टेबल साइड पोजीशन मिल जाएगी तो आप आपने टांकों के सामने तकिए के साथ बच्चे को कडल करके ले सकती हैं ताकि इसमें कोई भी संपर्क न हो। यह आपके व बच्चे के लिए सबसे ज्यादा कम्फर्टेबल होगा व साथ ही यह बच्चे के साथ एक अच्छा समय बिताने का एक अच्छा मौका भी है। इस बात का ध्यान रखें कि आपके चारों ओर बहुत सारी तकिया रखी होनी चाहिए ताकि आप सुरक्षित व सुविधाजनक रहें। आप टांकों और बेड के बीच गैप में एक तकिया या कोई छोटा तौलिया भी रख सकती हैं। 

3. फुटबॉल होल्ड

यदि आप बच्चे को पिलो ब्रेस्टफीडिंग या उसी के जैसी पिलो शेप में ब्रेस्टफीडिंग कराती है तो आप बच्चे को तकिए के ऊपर रखकर बच्चे को दूध पिला सकती हैं क्योंकि जिस प्रकार से आप बच्चे को दूध पिलाती हैं उससे आपके चीरे पर किसी भी प्रकार का संपर्क नहीं होगा। फुटबॉल पोजीशन बहुत लोकप्रिय है और इस पोजीशन से बच्चे की बेहतर देखभाल होती है और दूध मिलता है। 

इस बात का ध्यान रखें कि आप जितना ज्यादा कम्फर्टेबल होंगी आपके लिए बच्चे को न्यूट्रिशन प्रदान करना उतना ही ज्यादा आसान होगा। जब तक आपको सही पोजीशन न मिल जाए आप ऊपर बताई हुई पोजीशन ट्राई करें। 

यदि सिजेरियन डिलीवरी के बाद आप ब्रेस्टफीडिंग नहीं करा पाती हैं तो क्या करें

डिलीवरी के तुरंत बाद ब्रेस्टफीडिंग कराना बहुत जरूरी है क्योंकि से माँ और बच्चे का संबंध बेहतर होता है हालांकि यह थोड़ा सा चैलेंजिंग है। यदि बच्चे के स्वास्थ्य को देखभाल की जरूरत है और कुछ कारणों से उसे ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है और वह आपके पास नहीं रहता है तो आप दूध को पंप करके उसे दें क्योंकि शरीर में उत्पन्न हुए पहले दूध को कोलोस्ट्रम कहा जाता है जो बच्चे के लिए बहुत जरूरी होने के साथ-साथ शक्तिशाली और फायदेमंद भी है। इसे उन जरूरी एंटीबायोटिक के साथ बदला जा सकता है जिनसे बच्चे को पूरे जीवन भर फायदे होते हैं। बच्चे को बेस्ट चीजें न देने का कोई भी कारण नहीं है। 

सी सेक्शन के बाद ब्रेस्टफीडिंग पर प्रभाव

आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि हर किसी का शरीर अलग-अलग होता है इसलिए कुछ मापदंड के अनुसार यदि आपके साथ कुछ भी होता है तो ब्रेस्ट मिल्क के बहाव पास असर पड़ता है। कभी-कभी एनेस्थीसिया का प्रभाव कम होने में समय लग सकता है। ऐसी स्थिति में आप जल्दी नहीं उठती हैं जिससे ब्रेस्टफीडिंग का प्रोसेस देर से शुरू होता है। जिन्हे एपीड्यूरल दिया जाता है उनमें यह समस्या उतनी देखी जाती है। 

क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पेन किलर लेना सही नहीं है?

दर्द की दवा न लेने का कोई भी कारण नहीं है क्योंकि सर्जरी के बाद शरीर को दोबारा से उसी तरह होने में मदद की जरूरत पड़ती है। हालांकि इस बात को समझें कि डोज और फॉलो अप्स बहुत जरूरी होते हैं जिन्हें अक्सर बंद कर दिया जाता है। इसे कुछ समय के लिए लेने और प्रिस्क्राइब की हुई थोड़ी बहुत डोज लेना सही है और इससे बच्चे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा बस उसे आलस आ सकता है। 

बच्चे की जांच कराने पर निप्पल कन्फ्यूजन से बचें और बच्चे को ओरल सिरिंज या अन्य तरीकों या बोतल से सप्लीमेंट्स देती रहें।

सिजेरियन के बाद माँ का दूध आना कब शुरू होता है?

आप मानें या न माएं पर हॉर्मोन्स की प्रतिक्रिया पर शरीर में अपने आप ही दूध उत्पन्न होता है। यहाँ तक कि जब आप बच्चे को दूध नहीं पिलाती हैं, तब भी डिलीवरी के बाद से ही शरीर में दूध उत्पन्न होना शुरू हो जाता है। आमतौर पर पहली बार बनी मांओं में दूध आने में 3-4 दिन लग जाते हैं। यदि आपको पहले भी बच्चा हुआ है तो यह जल्दी भी हो सकता है। आमतौर पर बच्चे के जन्म के कुछ दिन के बाद से आपके ब्रेस्ट भरे हुए और दूध के लिए तैयार लगेंगे। 

दूध की अच्छी आपूर्ति के लिए कुछ टिप्स

यदि ब्रेस्ट मिल्क में स्थिर नहीं है और यह लगातार नहीं आता है जैसे अन्य लोग कहते हैं तो आप चिंता न करें। सी-सेक्शन के बाद कम मात्रा में दूध आना और लगातार दूध न आना आम है। आप इसे ठीक करने के लिए अपने रूटीन में कुछ बदलाव कर सकती हैं। 

  1. बच्चे को कडल करें: आप ज्यादा से ज्यादा बच्चे के शारीरिक संपर्क में रहें और उसे कडल करें। इससे बच्चा जब भी भूखा होगा तो नियमित रूप से आपके पास आएगा और इससे दूध का बहाव हेल्दी रहेगा।
  2. दूध ज्यादा भरने न दें: बच्चे की भूख को मॉनिटर करें और इस बात का ध्यान रखें कि यह नियमित रहनी चाहिए। लगातार दूध पिलाने के लिए आप छोटे-छोटे एडजस्टमेंट करती रहें। आप लगातार ट्राई करके बच्चे जो जितना ज्यादा संभव हो उतना ज्यादा दिन और रात में लगभग 2 – 3 घंटे दूध पिलाएं। इससे नियमित बनाए रखने में मदद मिलेगी और ब्रेस्ट भी नहीं बढ़ेंगे।
  3. ब्रेस्ट पंप का उपयोग करें: यहाँ तक कि यदि आपको आलस या नींद आती है तो इस बात का ध्यान रखें कि आपके पार्टनर को इस शेड्यूल के बारे में पता होना चाहिए ताकि वो इसमें आपकी मदद कर सके। विशेषकर यदि आप पूरे समय के लिए बच्चे के साथ नहीं रह पाती हैं तो ब्रेस्ट पंप खरीदना काफी सही रहेगा।
  4. आसपास की चीजों को चेक करती रहें: आप हॉस्पिटल के कमरे में शांति का माहौल बनाए रखें। यदि आप एक माँ होने के नाते कंफर्टेबल महसूस करेंगी और शांति में रहेंगी तो यह आप अपने बच्चे को भी प्रदान कर सकेंगी जो दूध की आपूर्ति को मैनेज करने के लिए बहुत जरूरी है।
  5. अपनी एनर्जी बचाकर रखें: आप ज्यादा किसी से न मिलें। बहुत सारे लोगों से मिलने से आपको थकान हो सकती है और इससे दूध की आपूर्ति पर असर पड़ता है। जब आप अपने बच्चे को हैंडल करने में सक्षम हो जाएं और जिम्मेदारी संभालने लगें तो लोगों से मिलना शुरू कर सकती हैं।

सी सेक्शन के बाद बच्चे को दूध पिलाना सच में चैलेंजिंग है और ज्यादातर महिलाएं इसका सामना करती हैं क्योंकि आज कल सी-सेक्शन बहुत आम है। ऐसा कहा जाता है कि आप थोड़ा सा धैर्य रखें, तैयारी करें और गाइडेंस लें ताकि इसे संभालने में आपको कोई भी दिक्कत न हो। 

यह भी पढ़ें:

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान एंटीबायोटिक लेना
क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान दवाओं का सेवन सुरक्षित है?
क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान गर्भनिरोधक लेना सुरक्षित है?

सुरक्षा कटियार

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