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होल ग्रेन्स या साबुत अनाज फाइबर, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का एक सबसे अच्छा स्रोत होते हैं जो बच्चे की हेल्दी डाइट के लिए बहुत जरूरी हैं। होल ग्रेन्स अलग-अलग साइज, शेप, रंग और स्वाद में आते हैं। बच्चों की बढ़ती उम्र के साथ उन्हें होल ग्रेन्स खिलाने के लिए इसे पकाने के भी कई तरीके हैं। इसमें बहुत सारे विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं। डॉक्टरों के अनुसार यह खाद्य पदार्थ बच्चों को मुख्य रूप से एनर्जी प्रदान करता है। खाना पकाते समय रिफाइंड इंग्रेडिएंट्स को होल ग्रेन्स बदलकर बच्चे को खिलाना शुरू करना एक अच्छा तरीका है।
गेहूं, ओटमील, जौ, बाजरा, मक्का, क्विनोआ, ज्वार, रागी, सीरियल के ग्रेन में ब्रान, जर्म और एंडोस्पर्म को होल ग्रेन कहते हैं। रिफाइंड सीरियल के विपरीत जिसमें सिर्फ एंडोस्पर्म ही होता है साबुत अनाज छोटे और बड़े बच्चों के लिए न्यूट्रिशियस होता है। होल ग्रेन्स की सबसे ऊपरी लेयर को ब्रान कहा जाता है। इसमें न्यूट्रिएंट्स नियासिन, थायमिन, आयरन, जिंक और राइबोफ्लेविन भी होता है। यह फाइबर से भी भरपूर है। इसकी दूसरी लेयर को जर्म कहते हैं जो विटामिन और प्रोटीन्स का एक अच्छा सोर्स है। इसकी तीसरी लेयर एंडोस्पर्म की होती है जिसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट होता है।
होल ग्रेन्स विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट, फाइटोकेमिकल्स और फाइबर से भरपूर होते हैं जो आपके बच्चे के विकास के लिए आवश्यक है। इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स दिल के रोग, कुछ प्रकार के कैंसर और यहाँ तक कि डायबिटीज जैसी बीमारियां बढ़ने की संभावनाओं को कम कर देते हैं। होल ग्रेन्स में मौजूद फाइबर बच्चे को संतुष्ट महसूस कराता है जिससे स्नैकिंग यानी बार-बार कुछ कुछ न कुछ खाने की आदत नियंत्रित होती है।
बच्चे को होल ग्रेन्स खिलाना शुरू करने का तरीका यहाँ इस टेबल पर बताया गया है, आइए जानें;
साबुत अनाज
| आयु और फ्रीक्वेंसी | |||
6 महीने | 1 साल | 2 साल | 3 साल | |
ओट्स | 3 – 4 बड़े चम्मच; सप्ताह में 1-2 बार | 4-8 बड़े चम्मच; दिन में एक बार | ¼ कप; रोजाना | ½ आधा कप रोजाना |
ब्राउन राइस | ½ कप; सप्ताह में दो बार | 1 सर्विंग; सप्ताह में 1-2 बार | 1 सर्विंग; सप्ताह में 1-2 बार | 1 सर्विंग; सप्ताह में 2- 3 बार |
बाजरा | ½ कप; सप्ताह में दो बार | 1 सर्विंग; सप्ताह में 2-3 बार | 1 सर्विंग; सप्ताह में 2-3 बार | 1 सर्विंग; सप्ताह में 2-3 बार |
बच्चे की डाइट में होल ग्रेन शामिल करना और इसके बारे में पूरी जानकारी रखना एक स्वस्थ विकल्प है। आप बच्चे की डाइट में होल ग्रेन्स कैसे शामिल कर सकती हैं, आइए जानें;
बच्चे के रोजाना के खाने में रिफाइंड ग्रेन्स के साथ होल ग्रेन्स मिलाना फायदेमंद है। यह बच्चों को थोड़े हेवी टेक्सचर और फ्लेवर्स का होल ग्रेन्स खिलाने का अच्छा तरीका है। अब आप बेबी के लिए होल ग्रेन राइस भी ले सकती हैं और मार्केट में छोटे बच्चों के लिए होल ग्रेन्स बेबी सीरियल भी मौजूद हैं।
रिफाइंड आटे को पकाते समय बहुत ज्यादा होल ग्रेन्स जैसे स्पेल्ट (जर्मन गेहूं), राई या गेहूं से बदलने का प्रयास करें। क्या बच्चा बहुत नखरे करता है? एक परिचित स्वाद और टेक्सचर बनाए रखने के लिए आप इसकी आधी मात्रा ही शामिल करें।
व्यस्त जीवन में लोग बहुत आसानी से फास्ट फूड लेना शुरू कर देते हैं। लेकिन आप कोशिश करें कि उस रास्ते पर न जाएं और इसके बजाय बच्चे के लिए ऐसे खाद्य पदार्थ खरीदें जो सुविधाजनक व सेहतमंद हों। बच्चों को क्विनोआ ब्रेड या राइ क्रैकर्स या तिल के सीरियल बार्स दें।
अपने दिन की शुरुआत स्वस्थ तरीके से करने के लिए आप सबसे पहले नाश्ते को बेहतर बनाएं। बच्चे के लिए दलिया, गेहूं की रोटी या किसी भी एक प्रकार के होल ग्रेन का पैनकेक दिनभर एक्टिव रखने के लिए बहुत जरूरी है। कुछ स्टोर में आपको छोटे बच्चों के लिए होल ग्रेन ओट्स भी मिल जाएंगे।
बच्चे को अपनी पसंद का भोजन कराने के लिए आप उसे साइड डिश का अनुभव क्रिएटिव तरीके से कराएं जिससे वह अपने खाने को बहुत एन्जॉय करेगा। सूप या स्टू के साथ रोटी बच्चों के लिए एक पौष्टिक भोजन है।
बाहर आसानी से मिलने वाले जंक फूड के बढ़ते ऑप्शन के साथ घर पर बच्चों को स्वस्थ भोजन खिला पाना एक कठिन काम है। आप बच्चे को होल ग्रेन्स खाने के लिए प्रोत्साहित करें और बचपन से ही उसे हेल्दी खाने की आदत डालें। आप होल ग्रेन्स की कौन-कौन सी टेस्टी रेसिपीज बना सकती हैं, आइए जानें;
यह टॉडलर्स के लिए सबसे अच्छी होल ग्रेन्स रेसिपी में से एक है।
सामग्री:
तरीका:
यह बच्चे के लिए स्वादिष्ट वन-पॉट आहार है।
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तरीका:
आप मूंग दाल की खिचड़ी को सब्जियों के साथ भी पका सकती हैं और इससे बच्चों को एनर्जी भी मिलती है।
सामग्री:
तरीका:
यह एक आसान और फ्लफी व सॉफ्ट डिश की रेसिपी है।
सामग्री:
तरीका:
स्वस्थ आहार बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी है। हमें धीरे-धीरे बच्चों की डाइट में होल ग्रेन्स बढ़ाने का प्रयास करते रहना चाहिए। बच्चों की डाइट में कोई बदलाव करने या उन्हें कोई नया भोजन खिलाना शुरू करने से पहले आप डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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