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जब आपका बच्चा इस दुनिया में प्रवेश करता है, तो वह काफी नाजुक और कमजोर होता है और पूरी तरह से आप पर निर्भर होता है। अगर आप नए माता-पिता बने हैं, तो आप अपने बच्चे से जुड़ी सभी नई चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक होंगे। लेकिन जरूरी नहीं उन सभी को देखना आपके लिए सुखद ही हो। कुछ बच्चे जन्म के बाद उल्टी करते हैं, हालांकि ज्यादातर बच्चे जन्म के बाद अपना पहला मल त्याग करते हैं। बच्चे का यह पहला शौच ज्यादातर माता-पिता के लिए काफी चौंकाने वाला हो सकता है क्योंकि यह वह पॉटी नहीं है जिसकी हम सभी उम्मीद करते हैं। हालांकि डॉक्टर और नर्स आपको बच्चे से जुड़ी कई सारी बातें समय समय पर बताती रहेंगी, लेकिन इसके साथ तालमेल बिठाने में आपको जभी थोड़ा समय लग सकता है। यहाँ हम जानेंगे की मेकोनियम या बच्चे का पहला मल त्याग क्या होता है और क्या आपके लिए चिंता का विषय फिर सिर्फ नेचुरल प्रक्रिया का हिस्सा है।
मेकोनियम एक मेडिकल शब्द है जिसका उपयोग बच्चे के जन्म के बाद होने वाले उसके पहले मल के रूप में बताया जाता है। इसके बारे में सबसे अजीब चीज यह है कि मेकोनियम में किसी प्रकार की गंध नहीं होती है, जो इसे नॉर्मल मल की तुलना में स्टेराइल बनाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपके बच्चे ने आपके गर्भ में रहते हुए केवल एमनियोटिक फ्लूइड का ही सेवन किया है। शरीर इसे प्रोसेस करता है और पेट के नमक और एसिड का एक कॉम्बिनेशन तैयार करता है, साथ ही अन्य कई पदार्थों का मौजूद होना, जब बच्चा गर्भ में केवल 16 सप्ताह का था।
कई बार बच्चे पैदा होने से पहले ही अपने शरीर से मेकोनियम को बाहर निकाल देते हैं। इसकी वजह से मेकोनियम गर्भ के अंदर तैरता रहता है और फिर एमनियोटिक फ्लूइड के साथ मिल जाता है, जिससे यह पीला-हरा रंग का नजर आता है। यह बच्चे के लिए काफी खतरनाक हो सकता है क्योंकि उसे एमनियोटिक द्रव के माध्यम से मेकोनियम में साँस लेने और मेकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम डेवलप होने का खतरा हो सकता है। डॉक्टर आमतौर पर बच्चे की सुरक्षा के लिए इसे बाहर निकालने के लिए एमनियोइंफ्यूजन या सक्शन तकनीक का ऑप्शन चुनते हैं।
हाँ! यह बच्चे के जन्म की एक नेचुरल प्रोसेस है, जिस तरह गर्भावस्था के दौरान फीटस का डेवलपमेंट नेचुरल होता है और बच्चा पैदा होता है, वैसे ही यह प्रक्रिया भी नेचुरल है। मेकोनियम बच्चे के लिए एक और काम भी करता है, जो बड़ी आंत को ठीक से खुला रखने में मदद करने लगता है। मेकोनियम का निकलना इस बात का संकेत देता है सारी प्रोसेस ठीक से अपना काम कर रही है, यही कारण है कि यह तब भी मौजूद रहता है जब बच्चा प्रीमैच्योर होता हो या कोई डिफेक्ट होता है।
मेकोनियम को देखने के बाद अक्सर माता-पिता को अपने बच्चे के बारे में चिंतित हो सकते हैं। हालांकि मल आमतौर पर ब्राउनिश-येलो रंग और एक स्पेसिफिक टेक्सचर का होता है, मेकोनियम तार जैसे पदार्थ के सामान दिखता है, जो बेहद गाढ़ा और गहरे काले रंग का होता है। इसमें बदलाव तभी आता है जब आप अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना शुरू कर देती हैं, जिससे उसका मल हरे रंग का हो जाता है, जो धीरे-धीरे पीले रंग में बदल जाता है।
एक बार जब मेकोनियम शरीर से बाहर निकल जाता है, तो बाहरी हवा इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के जरिए अपना रास्ता खोज लेता है। यह ई.कोलाई बैक्टीरिया के निर्माण को प्रेरित करता है, जो आंतों के भीतर पनपता है। बैक्टीरिया की उपस्थिति के कारण मल ब्राउनिश-येलो हो जाता है और उनकी एक्टिविटी के हिसाब से इसकी गंध में बदलाव होता है। ब्रेस्टमिल्क में मौजूद कोलोस्ट्रम भी इसे रंग बदलता है। इनमें से ज्यादातर बच्चों के मल का रंग हरे और भूरे रंग के बीच हो सकता है, जो नॉर्मल है। हालांकि, सफेद या लाल रंग का मल बच्चे में होने वाली दिक्कत की ओर संकेत देता है।
सामान्य तौर पर, एक पूर्ण गर्भावस्था के बाद पैदा हुए बच्चे, प्रसव के पहले 24 घंटों के भीतर टार जैसा ब्लैक मेकोनियम का उत्सर्जन करते हैं। कुछ बच्चों को ऐसा करने में एक या दो दिन और लग सकते हैं, मल को बैच में करते हैं जब तब कि उनके मल का रंग हरा न होने लगे। प्रीमैच्योर बच्चे के लिए मेकोनियम पास करना थोड़ा कठिन हो जाता है क्योंकि उन्हें इस बाहर निकालने के लिए एक्स्ट्रा एफर्ट करना पड़ता।
कुछ मामलों में, 72 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी बच्चे मेकोनियम पास नहीं करते हैं। यह आमतौर पर रास्ते में आने वाली रुकावट की ओर इशारा करता है, जिससे मेकोनियम को बाहर निकालने में आंत विफल हो जाता है। यह बच्चे के लिए काफी खतरनाक है क्योंकि इससे उन्हें पीलिया होने का खतरा होता है, जो कई बार गंभीर भी हो जाता है।
इलियस को शरीर के कोलन के निचले क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। जब मेकोनियम उस क्षेत्र में आ जाता है और आगे बढ़ने में विफल रहता है, तो यह प्रक्रिया मेकोनियम इलियस का कारण बन जाती है। यह आमतौर पर तब होता है जब मेकोनियम सामान्य लोगों की तुलना में बहुत अधिक मोटा और चिपचिपा होता है, जिसकी वजह से बच्चे का पेट फूल जाता है।
यह सिस्टिक फाइब्रोसिस नामक जेनेटिक कंडीशन कारण होता है। इस कंडीशन में बच्चे को पेट में दर्द होने के साथ-साथ कब्ज भी हो जाता है। सिस्टिक फाइब्रोसिस वाले सभी बच्चे मेकोनियम इलियस से पीड़ित नहीं होते हैं, लेकिन इसके विपरीत यह बात सच मानी जाती है।
मेकोनियम इलियस को ठीक करना तभी संभव है जब इसका ठीक से निदान किया जाए। यदि इसे रेडियोग्राफी या अल्ट्रासाउंड चेकअप के दौरान देखा जाए तो डिलीवरी से पहले इसका पता लगाया जा सकता है। मेकोनियम इलियस को ठीक करने का एकमात्र तरीका एनीमा है, जो अगर फेल हो जाए, तो सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है।
लोवर इलियस का ब्लॉक होना एक कंडीशन है। लेकिन इस बात की भी संभावना है कि मेकोनियम कोलन के कुछ क्षेत्र में ही फंसा रह सकता है। यह स्थिति 1000 में से 1 बच्चे में देखी जाती है, हालांकि, यह म्यूकस प्लग जैसी कंडीशन नहीं होती है।
नवजात शिशु में मेकोनियम प्लग के लक्षण काफी स्पष्ट होते हैं। 36-48 घंटों के बीतने के बाद भी मेकोनियम पास न होना, भूख में कमी, हरे रंग के लिक्विड में उल्टी, और इर्रिटेशन होना आदि समस्या पैदा हो सकती हैं। डॉक्टर यह पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड या रेडियोग्राफी करने का विकल्प चुन सकते हैं कि मेकोनियम कोलन के भीतर कहाँ पर है, इसके अलावा रेक्टम की बायोप्सी भी कर सकते हैं या कंट्रास्ट एनीमा के एप्लीकेशन का ऑप्शन भी चुन सकते हैं।
एक बच्चे में मेकोनियम प्लग की संभावना होने का एक अन्य कारण प्रेगनेंसी के दौरान माँ को डायबिटीज भी हो सकता है। इसकी वजह से बच्चे लेफ्ट पोरशन का कोलन बहुत छोटा हो सकता है। इसमें आमतौर पर किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होती है और मेकोनियम निकल जाने के बाद कोलन नॉर्मल तरीके से विकसित होना शुरू हो जाता है। एक जेनेटिक कंडीशन जिसे हिर्स्चस्प्रुंग रोग कहा जाता है, जो बच्चों में बहुत ही रेयर केस में देखी जाती है, उसके कारण से भी ऐसी कंडीशन का सामना बच्चे को करना पड़ सकता है।
एक बार जब आपका बच्चा मेकोनियम को बाहर निकाल देता है, तो यह उसकी हेल्थ की ओर से एक अच्छा संकेत होता है। लेकिन इसके अजीब से टेक्सचर के कारण इसकी देखभाल करना नॉर्मल मल की तरह आसान नहीं होता है। लेकिन आप यह सुनकर चिंता न करें, यहाँ आपको कुछ टिप्स दिए गए हैं, जो इसे सही से क्लीन करने में आपकी सहायता कर सकते हैं।
मेकोनियम पास करते समय किसी भी तरह की समस्या होने पर ज्यादातर अस्पताल में डॉक्टर और नर्स बच्चे की देखभाल के लिए मौजूद रहेंगे। एक बार इसके ठीक से हो जाने के बाद, आपका डॉक्टर आपको घर लौटने की अनुमति दे सकते हैं। क्योंकि अभी भी ये बच्चे के डेवलपमेंट के शुरुआती दिन हैं इसलिए आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है। यदि आप नीचे बताई गई किसी भी कंडीशन को नोटिस करती हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से या एक्सपर्ट से संपर्क करें।
जन्म के बाद बच्चे का पहला मलत्याग एक अहम संकेतों में से एक है जिसके आधार पर डॉक्टर को यह भरोसा हो जाता है कि बच्चे का शरीर सही से फंक्शन कर रहा है। बच्चे के शरीर के भीतर मौजूद सभी बहुत सारे पदार्थों और एमनियोटिक फ्लूइड को बाहर निकलने की जरूरत होती है, ताकि वह अपने लिए आने वाले नए जीवन को बिना किसी समस्या के शुरू कर सके। ज्यादातर बच्चे जन्म के बाद पहले कुछ दिनों के भीतर आसानी से मेकोनियम पारित कर देते हैं, जबकि कुछ बच्चों को इसे पारित करने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। यदि बाद में मल सख्त और मोटा हो जाता है, तो बच्चे को राहत देने के लिए अपने बच्चे के एनस पर मलहम लगा सकती हैं ताकि वो फ्री महसूस करें।
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