शिशु

बच्चों के लिए न्यूमोकोकल टीकाकरण – पूरी जानकारी

स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया से गंभीर रोग होते हैं, जैसे निमोनिया और मेनिन्जाइटिस और यह इन्फेक्शन कुछ दिनों के भीतर लोगों में फैल जाता है। इस बैक्टीरिया से बच्चे के कान में गंभीर इन्फेक्शन भी हो सकता है। न्यूमोकोकल वैक्सीन इस बीमारी को पैदा करने वाले कई प्रकार के बैक्टीरिया से लड़ता है। 2010 में पीसीवी 13 वैक्सीन आई थी जो अन्य वैक्सीन की तुलना में शरीर को कई प्रकार के बैक्टीरिया से लड़ने के लिए इम्युनिटी प्रदान करती है। इस वैक्सीन के बारे में विस्तार से जानने के लिए आगे पढ़ें और पूरी जानकारी लेने के बाद ही बच्चे को यह इंजेक्शन लगवाएं। 

न्यूमोकोकल वैक्सीन क्या है?

एक न्यूमोकोकल वैक्सीन बच्चों को न्यूमोकोकल रोग नामक हानिकारक इन्फेक्शन से सुरक्षा प्रदान करती है। 

न्यूमोकोकल रोग

यह रोग स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया से होता है। यह बैक्टीरिया लोगों को इन्फेक्ट करता है या फिर बिना किसी बीमारी के गले में रहता है। यह बैक्टीरिया कैरियर (बिना लक्षणों के बैक्टीरिया का मौजूद रहना) के माध्यम से भी फैल सकता है जिसमें सांस लेते समय, खांसते या छींकते समय नाक व मुंह से हल्की-हल्की खून की बूंदें गिरती हैं। यह बैक्टीरिया कान के बीच के क्षेत्र, साइनस कैविटी और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को इन्फेक्ट करता है। बच्चों में निमोनिया का इन्फेक्शन खत्म करने के लिए इसका इंजेक्शन लगवाने की जरूरत है। 

बच्चों को यह वैक्सीन लगवाना क्यों जरूरी है

2 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को न्यूमोकोकल वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है। बच्चों को स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया से कान का इन्फेक्शन बहुत जल्दी हो जाता है। निमोनिया और मेनिन्जाइटिस इन्फेक्शन होने के कुछ दिनों के बाद ही विकसित होना शुरू हो जाता है। इसलिए बच्चों को यह वैक्सीन लगवाना बहुत जरूरी है। 

इस वैक्सीन की सभी डोज सही समय पर लगवानी चाहिए। क्योंकि यदि इसकी एक भी डोज छूट जाती है तो बच्चे की सेहत को खतरा हो सकता है इसलिए हम वैक्सीनेशन ट्रैकर का उपयोग करने की सलाह देते हैं। इस टूल से आप पता लगता रहेगा कि बच्चे को कब-कब डॉक्टर के पास ले जाना है। इसके रिमाइंडर सेट के फीचर से आप बच्चे को कान के गंभीर इन्फेक्शन व अन्य रोगों से बचा सकते हैं। 

यह वैक्सीन किसे लगवानी चाहिए

65 साल से बड़े लोगों यह वैक्सीन लगवाने की जरूरत पड़ती है। उनर के साथ इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होने लगता है और इससे इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ता है। 

जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है उन्हें यह वैक्सीन लगवाने की जरूरत पड़ती है। बहुत सारे रोगों की वजह से इम्युनिटी कमजोर हो जाती है जिससे शरीर में स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया से लड़ने की एनर्जी खत्म होने लगती है। जिन लोगों का दिल की बीमारी, अस्थमा, इम्फीसेमा, डायबिटीज आदि है उन्हें यह इन्फेक्शन बहुत जल्दी हो सकता है क्योंकि इस दौरान इम्युनिटी सिस्टम बहुत ज्यादा कमजोर हो जाता है। जिन लोगों को एचआईवी, एड्स है या जिन लोगों ने कोई अंग ट्रांसप्लांट करवाया है या कीमोरथैरेपी करवाई है उनका इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होने से भी यह इन्फेक्शन आसानी से हो सकता है। 

जो लोग बहुत ज्यादा स्मोकिंग करते हैं या अल्कोहल पीते हैं उन्हें भी यह वैक्सीन लगवानी चाहिए। जो लोग लंबे समय से स्मोकिंग करते हैं उनके लंग्स की आंतरिक पार्ट डैमेज हो जाती है। इस परत का छोटा सा भाग भी कीटाणुओं से बचाव करता है और यह डैमेज होने के बाद बिलकुल भी प्रभावी नहीं रह जाती है। जो लोग बहुत ज्यादा अल्कोहल पीते हैं उनका इम्युनिटी सिस्टम बहुत ज्यादा कमजोर हो जाता है। इस दौरान इन्फेक्शन से शरीर को बचाने वाले वाइट ब्लड सेल्स का फंक्शन करना बंद कर देते हैं। 

जो लोग गंभीर बीमारी या सर्जरी से रिकवर कर रहे हैं उन्हें भी यह वैक्सीन लगवानी चाहिए। इस दौरन भी इम्युनिटी सिस्टम रिकवर होने में मदद करता है और किसी भी इन्फेक्शन से लड़ने में उतना सक्षम नहीं रह जाता है। 

पीसीवी वैक्सीन किसे नहीं लगवानी चाहिए?

सभी लोगों को पीसीवी वैक्सीन लगवाने की जरूरत नहीं हैं। 18 से 64 उम्र के हेल्दी लोगों को यह वैक्सीन लगवाने की जरूरत नहीं है। जिन लोगों को इस वैक्सीन से एलर्जी है वे इसे न लगवाएं और इससे संबंधित जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें। 

छोटे बच्चों के लिए निमोनिया की वैक्सीन की डोज और शेड्यूल क्या है?

छोटे बच्चों व बेबीज को इस वैक्सीन की सीरीज लगवाने की सलाह दी जाती है। इसकी सीरीज में 3 डोज होती हैं जो  6 सप्ताह, 14 सप्ताह व बूस्टर डोज 9 महीनों में लगाई जाती है। यहाँ तक कि यदि बच्चे की कोई एक डोज छूट गई है तो भी वैक्सीन लगवाना बहुत जरूरी है। यह सलाह दी जाती है कि आप इस वैक्सीन के समय अंतराल व कितनी डोज देनी है इस बारे में जानने के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें। 

निमोनिया वैक्सीन कितने प्रकार की होती है?

निमोनिया की वैक्सीन दो प्रकार की होती है जिन्हें व्यक्ति की उम्र व स्वास्थ्य के अनुसार ही लगवाना चाहिए। 

न्यूमोकोकल कन्ज्यूगेट वैक्सीन (पीसीवी)

2 साल से छोटे बच्चों को पीसीवी वैक्सीन लगाई जाती है। पीसीवी13 वैक्सीन बेबीज में 13 प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देती है जिससे बच्चे को निमोनिया हो सकता है। 

न्यूमोकोकल पॉलीसेकेराइड वैक्सीन (पीपीवी)

यह वैक्सीन 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को लगाई जाती है। यह वैक्सीन उन्हें भी लगाई जाती है जिन्हें लंबे समय तक बीमारी होने का खतरा होता है। पीपीएसवी23 वैक्सीन बड़ों में 23 प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करती है जिससे निमोनिया हो सकता है। 

यदि 2 साल से बड़े बच्चे को निमोनिया होने का खतरा है तो उसे भी पीपीवी लगाई जाती है। ऐसा बहुत कम होता है कि टीका बच्चों पर काम न करे। न्यू बॉर्न बेबीज में पीसीवी वैक्सीन सभी प्रकार के बैक्टीरिया पर काम नहीं करता है पर फिर भी इससे 30 से भी ज्यादा बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। 

यह वैक्सीन कैसे दी जाती है?

पीपीवी इंजेक्शन स्किन के अंदर या मांसपेशियों में लगाया जाता है और पीसीवी इंजेक्शन मांसपेशियों में लगाया जाता है। शिशुओं और छोटे बच्चों को यह इंजेक्शन जांघ के नीचे मांसपेशियों में लगाया जाता है। बड़ों को यह इंजेक्शन कंधे की मांसपेशियों में लगाया जाता है। इसकी सुई की लंबाई जो इंजेक्शन लगवा रहा है उसकी उम्र के अनुसार ही चुनी जाती है। 

पीसीवी वैक्सीन कितना बेहतर प्रभाव डालती है?

पीसीवी वैक्सीन निमोनिया के इन्फेक्शन से बचाव के लिए 50 से 70% तक काम करती है। 

बेबीज में निमोनिया की वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स

लगभग सभी वैक्सीन के जैसे निमोनिया की वैक्सीन से भी माइल्ड साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, आइए जानें;

  • भूख कम लगना और थकान
  • हल्का फुल्का बुखार होना
  • इंजेक्शन लगाई हुई जगह पर सूजन और लाल होना
  • एलर्जिक रिएक्शन के अलावा इस वैक्सीन से कोई भी गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं होंगे।

वैक्सीन लगाने से पहले डॉक्टर को बताने योग्य बातें

यदि बच्चे में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं तो बच्चे को वैक्सीन लगवाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें, आइए जानें;

  • यदि बच्चे को बहुत तेज बुखार है।
  • यदि पहले कभी किसी दवा या वैक्सीन से एलर्जिक रिएक्शन हुआ है।
  • यदि बच्चे को हेमोफिलिया है या उसे सामान्य से अधिक ब्लीडिंग होती है।
  • यदि बच्चे का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर है।

यदि बच्चे को वैक्सीन से रिएक्शन हो जाए तो क्या करें

आप बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। डॉक्टर को वैक्सीनेशन और एलर्जिक रिएक्शन की पूरी जानकारी दें। वैक्सीन देने के बाद बच्चे में विपरीत प्रभावों पर नजर रखें। बच्चे को इससे होने वाले गंभीर रिएक्शन कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटों के लिए भी हो सकते हैं। आप बच्चे की कमजोरी, दिल की धड़कन, चक्कर आना, सांस लेने में दिक्कत, गले में खराश, हाइव्स और गले में सूजन के लक्षणों को जरूर चेक करें। 

यदि निमोनिया वैक्सीन की एक डोज छूट जाए तो क्या करें

यदि कोई बड़ा व्यक्ति या बच्चा निमोनिया की वैक्सीन लगवाना भूल जाता है तो आप यह कोर्स पूरा करने के लिए डॉक्टर से बात करें। यदि बच्चा एक साल से कम उम्र का है और उसे इंजेक्शन लगवाना रह गया है तो आप 2 महीने के गैप में इसके अन्य डोज पूरे जरूर लगवाएं। यदि बच्चा एक से दो साल का है और उसे एक बार इंजेक्शन लगवाना बाकी है तो आप उसे एक ही बार वैक्सीन लगवाने की जरूरत है। बच्चे को विशेष रूप से इंजेक्शन लगवाने की सलाह तभी दी जाती है जब उसे निमोनिया होने का डर हो। 

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) और निमोनिया वैक्सीन शुरू होने से पहले निमोनिया इन्फेक्शन हर साल लगभग 13,000 खून के इन्फेक्शन, 700 से अधिक मेनिन्जाइटिस के मामलों और पांच साल से कम उम्र के बच्चों में कान के इन्फेक्शन के लगभग 5 मिलियन मामलों का कारण होता था। आज यह वैक्सीन बहुत ज्यादा प्रभावी है और इससे 90% लोग ठीक हुए हैं। इसलिए बच्चे को निमोनिया की वैक्सीन लगवाना बहुत जरूरी है। 

यह भी पढ़ें:

बच्चों के लिए पेनलेस वैक्सीनेशन
बच्चों के लिए हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन
बच्चों के लिए चिकन पॉक्स (वेरिसेला) वैक्सीन

सुरक्षा कटियार

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