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आज के इस मॉडर्न समय में टेक्नोलॉजी तेजी से बढ़ रही है और इस समय आपके पास बहुत सारे गैजेट्स होंगे। बच्चे भी टेक्नोलॉजी के साथ-साथ तेजी से विकसित होते हैं। स्पष्ट है कि बच्चा आपके स्मार्टफोन या आई-पैड की तरफ आकर्षित होता है। इससे ऐसा लगता है कि आप बच्चे को समय के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्णय ले सकती हैं ताकि वह भविष्य में सफल हो सके।
जीवन में काफी व्यस्तता है जिसकी वजह से आपको बच्चे के साथ समय नहीं मिल पाता होगा। इसलिए आप ज्यादातर बच्चे को अपने कोई कूल गैजेट देकर अकेले ही व्यस्त कर देती होंगी। इससे सभी काम खत्म करने के लिए आपको समय मिल सकता है और साथ ही बच्चा भी व्यस्त रहता है। पर क्या अब स्क्रीन टाइम से बच्चे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा? इससे संबंधित जानकारी निम्नलिखित है, जानने के लिए आगे पढ़ें।
एक्सपर्ट के अनुसार 2 साल से कम उम्र के बच्चों को टीवी देखने या गैजेट का उपयोग करने के लिए प्रेरित नहीं करना चाहिए। हालांकि बड़े बच्चों के लिए भी इसका एक नियंत्रित समय होना चाहिए। पेरेंट्स को इस पर पूरा ध्यान देने की सलाह दी जाती है।
छोटे बच्चों का विकास बहुत तेजी से होता है और उनका दिमाग भी तेजी से विकसित होता है। यदि दिमाग तक बहुत ज्यादा आवाज पहुँचती है तो इससे दिमाग को काफी जानकारी मिलती है। बच्चे के लगातार टीवी या स्मार्टफोन देखने से उसकी लर्निंग पर प्रभाव पड़ता है और कॉग्निटिव विकास भी धीमा हो जाता है। टीवी पर दिखाई देने वाली बॉल बच्चे को 3डी के बजाय 2डी में दिखाई देती है। बहुत ज्यादा टीवी देखने में बच्चे में भाषा का विकास भी धीमा होता है।
बच्चे पर ध्यान देते समय आप टीवी को ज्यादातर बंद रखें। टीवी की लगातार आवाज से बच्चे का ध्यान भटकता है। इससे बच्चों को सीखने में कठिनाई होती है और साथ ही बच्चा देर से समझता व प्रतिक्रिया देता है।
स्क्रीन टाइम का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में रेड मार्क्स के रूप में दिखता है। स्क्रीन टाइम एक निश्चित उम्र तक सीमित नहीं है। डिजिटल गैजेट्स के साथ बहुत ज्यादा समय बिताने से बच्चे की इच्छाएं व एनर्जी कम हो जाती है और इसलिए इसका परिणाम रिजल्ट में दिखता है।
बच्चा आसपास के लोगों से सबसे ज्यादा सीखता है। को-लर्निंग बहुत तरीको से मदद करती है और इसके लिए आपको कुछ बेहतरीन तरीके खोजने चाहिए। बहुत ज्यादा टीवी देखने से छोटे बच्चों को कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे आंखों में दिक्कत या ध्यान देने में दिक्कत।
बच्चे के लिए टीवी या मोबाइल देखने का एक समय निश्चित करना और लिमिट लगाना जरूरी है। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे बच्चे को समय व शिष्टाचार का महत्व सीखने में मदद मिलती है। स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण रखने से बच्चा पहले अपना काम पूरा करेगा, जैसे भोजन करना या होमवर्क खत्म करना फिर बाद में टीवी देखेगा।
कभी-कभी बच्चे अकेले काफी होते हैं। यद्यपि बच्चों के पास गैजेट रखने से वे आप जितना चाहती हैं उससे ज्यादा व्यस्त हो सकते हैं पर इससे आपके व बच्चे के बीच एक स्पेशल टाइम कम हो जाता है जो वह आपके साथ बिता सकता था।
यह सलाह दी जाती है कि आप 3 से 4 साल तक के बच्चों को टीवी न देखने दें। हालांकि यह पूरी तरह से आप पर व आपके पार्टनर पर निर्भर करता है। बढ़ते बच्चे को आपकी गाइडेंस की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। स्क्रीन टाइम के अपने ही कुछ फायदे हैं जिससे बच्चा बहुत कुछ सीखता है और जरूरी नहीं कि यह एक खराब चीज है।
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