शिशु

छोटे बच्चों को टाइफाइड होना: कारण, लक्षण और उपचार

एक नवजात शिशु का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता है और यह अभी भी डेवलपमेंट प्रोसेस में ही होता है, जिसके कारण वो उन्हें वायरल और बैक्टीरिया के प्रति और भी ज्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं। टाइफाइड एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो साल्मोनेला टाइफी नाम के बैक्टीरिया के कारण होता है, जिससे दस्त, बुखार और उल्टी आदि की समस्या पैदा होती है और यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो यह छोटे बच्चों के लिए घातक हो सकता है। इस आर्टिकल में, हम बच्चों में होने वाले टाइफाइड, इसके लक्षण, कारण, उपचार और बचाव के बारे में चर्चा करेंगे।

टाइफाइड क्या है?

टाइफाइड एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो साल्मोनेला टाइफी (एस टाइफी) बैक्टीरिया के कारण होता है, फैमिली साल्मोनेला (फूड पॉइजनिंग का कारण बनता है) जिससे बच्चे को टाइफाइड बुखार आने लगता है। ये बैक्टीरियल इंसानों में जिन्दा रहते हैं और मूत्र या मल के माध्यम से निकलते हैं। जब बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करते हैं, तो यह तेजी से बढ़ने लगते हैं और ब्लड फ्लो के जरिए पूरे शरीर में फैलने लगते हैं। बच्चों में टाइफाइड फिवर को लेकर लापरवाही करने और इन्फेक्टेड भोजन और पानी के संपर्क में आने के कारण हो सकता है। देखे गए लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं और ट्रीटमेंट शुरू होने के 5 दिनों के अंदर ये लक्षण खत्म होने लगते हैं। रिकवरी के बाद, भी बच्चे के जरिए इस बैक्टीरिया का दूसरे लोगों में फैलने का खतरा होता है।

छोटे बच्चों में टाइफाइड होने का क्या कारण है

साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया सेंट्रल सर्कुलेटरी सिस्टम पर हमला करते हैं और दोगुना बढ़ना शुरू हो जाते हैं। टाइफाइड एक बहुत संक्रामक रोग है, जो तेजी से फैलता है और नीचे बताए गए इन प्रमुख कारणों से हो सकता है:

  • भोजन और पानी: हैजा की तरह, टाइफाइड मुख्य रूप से दूषित भोजन (कंटामिनटेड फूड) और पानी से फैलता है। बच्चों के दूषित भोजन या पानी के सेवन से ही टाइफाइड जैसी बीमारी होती है।
  • कैरियर: कोई बच्चा तब संक्रमित होता है जब कोई टाइफाइड का कैरियर या संक्रमित व्यक्ति बिना हाथ धोए उसे छूता है।
  • भोजन तैयार करने की प्रक्रिया: अनहाइजेनिक फूड या सही से स्टोर न किए गए खाने से भी बच्चों में टाइफाइड होता है।
  • मल: टाइफाइड के बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति के मल में चले जाते हैं और टॉयलेट जाने के बाद हाथ नहीं धोने से इंफेक्शन फैल सकता है।

हालांकि दो से पाँच साल के बच्चों में टाइफाइड होना कॉमन है, वहीं छोटे बच्चे और बच्चों में भी यह फैल सकता है। टॉडलर्स और छोटे बच्चों में देखे जाने वाले इसके लक्षण से आप अन्य बीमारियों को लेकर पहचानने में कंफ्यूज हो सकती हैं। केवल ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चों का इससे इन्फेक्शन होना कॉमन नहीं होता है, क्योंकि माँ के दूध के माध्यम से बच्चे इम्युनिटी प्राप्त कर रहे होते हैं और उनके कंटामिनटेड फूड से दूर रहते हैं।

छोटे बच्चों में टाइफाइड के क्या लक्षण होते हैं?

बच्चों में टाइफाइड के लक्षण उसके दूषित भोजन या पानी का सेवन करने के संपर्क में के एक या दो सप्ताह के भीतर विकसित हो जाते हैं। ये लक्षण 4 सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकते हैं। बच्चों में दिखने वाले टाइफाइड के लक्षण इस प्रकार शामिल हैं:

  • 100.4 डिग्री फारेनहाइट तक हल्का बुखार बना रहना, जो समय के साथ बढ़ता है और तीन दिन से अधिक समय तक रहता है।
  • कुछ बच्चों में दिन के समय बुखार तेज चढ़ जाता है और सुबह तक कम हो जाता है।
  • पेट में पेट दर्द। कई बार इससे शरीर में दर्द होने लगता है।
  • बेचैनी, कमजोरी और थकान
  • जीभ का परतदार होना
  • तेज सरदर्द
  • दस्त या कब्ज
  • 1 सप्ताह के बाद छाती पर गुलाब के रंग के स्पॉट दिखना, जिन्हें शुरू में नोटिस करना मुश्किल हो सकता है
  • भूख में कमी
  • बच्चे के वजन में कमी

ये लक्षण बच्चे की हेल्थ, ऐज, वैक्सीनेशन हिस्ट्री के आधार पर माइल्ड से सीवियर भी हो सकते हैं।

टाइफाइड की डायग्नोसिस कैसे की जाती है?

टाइफाइड का निदान करना काफी मुश्किल हो सकता है। यदि डॉक्टर को संदेह है कि एक बच्चे को टाइफाइड का इन्फेक्शन है, तो डॉक्टर स्लो हार्टबीट, स्प्लीहा में सूजन और लिवर की जाँच करेंगे। हो सकता है कि बच्चे का ब्लड और मल सैंपल भी लिया जाए और लैब में जाँच के लिए भेजा जाए। टेस्ट के रिजल्ट आने पर, डॉक्टर पुष्टि कर सकते हैं कि बच्चे को टाइफाइड का इन्फेक्शन है या नहीं।

हालांकि एक टाइफी-डॉट-टेस्ट नामक टेस्ट होता है, जिसका का उपयोग ज्यादा नहीं किया जाता है। इसके बजाय, बीमारी के निदान के लिए ब्लड कल्चर का उपयोग किया जाता है। इसका रिजल्ट आने में कुछ समय लगता है, यही कारण है कि डॉक्टर पेचिश, मलेरिया या निमोनिया जैसे अन्य इन्फेक्शनों को दूर करने के लिए भी फिजिकल टेस्ट करेंगे।

ब्लड और स्टूल के लिए गए सैंपल का रिजल्ट आने में कुछ समय लग सकता है, इस बात की काफी संभावना है कि डॉक्टर एंटीबॉडी प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। मेडिसिन या ट्रीटमेंट में देर करने से कॉम्प्लीकेशन बढ़ सकते हैं इसलिए ट्रीटमेंट को लेकर कोई लापरवाही न बरतें।

आपको कब तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए

यदि आपका शिशु तेज बुखार, बेचैनी, लगातार उल्टी और दस्त के लक्षण दिखाता है, तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। भले ही लक्षण हल्के हों, यह सलाह दी जाती है कि कली में किसी भी इन्फेक्शन को दूर करने के लिए डॉक्टर से मिलें।

छोटे बच्चों में टाइफाइड से जुड़े कॉम्प्लिकेशन

यदि टाइफाइड के बुखार का तुरंत इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे कई कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं, खासकर अगर बच्चा दो सप्ताह से या अधिक समय के लिए से बीमार है। टाइफाइड के इन्फेक्शन का समय रहते इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। बच्चों में टाइफाइड के कारण होने वाले कुछ कम्प्लीकेशन इस प्रकार शामिल हैं:

  • आंतों और पेट में खून बहना
  • शॉक और कंफ्यूजन
  • ब्लड पॉइजनिंग
  • ब्रोंकाइटिस
  • मैनिंजाइटिस
  • कोमा
  • न्यूमोनिया
  • किडनी या ब्लैडर में इन्फेक्शन
  • कोलेसिस्टिटिस या ब्लैडर में  सूजन
  • पैंक्रियास में सूजन
  • मायोकार्डिटिस या हृदय की मांसपेशियों में सूजन
  • बेहोशी
  • हार्ट वाल्व और लीनिंग में सूजन

छोटे बच्चों में टाइफाइड का इलाज

एक बार टाइफाइड का निदान हो जाने के बाद, डॉक्टर बैक्टीरिया को मारने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं लिख सकते हैं। बच्चों में टाइफाइड ट्रीटमेंट और दवाएं दो सप्ताह तक जारी रखी जाएंगी। आपको यह सलाह दी जाती है कि इन एंटीबायोटिक दवाओं को ओवर दा काउंटर या खुद से इलाज करने के रूप में न खरीदें। डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन यह सुनिश्चित करता है कि आपके बच्चे उसकी उम्र और वजन के हिसाब से सही प्रकार की दवा और डोज मिले।

अगर आपका बच्चा गंभीर रूप से बीमार है और खा-पी नहीं सकता है, तो डॉक्टर उसे हॉस्पिटल में भर्ती होने की सलाह देंगे। ड्रिप के जरिए बच्चे को तरल पदार्थ, एंटीबायोटिक्स और न्यूट्रिएंट दिए जाएंगे। हालांकि, ज्यादातर बच्चे सही देखभाल करने पर घर में ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि आपके बच्चे को एंटीबायोटिक का पूरा कोर्स दिया जाए। घर पर रहते हुए, यदि आप इन टिप्स का पालन करती हैं तो आपका बच्चा तेजी से ठीक हो सकता है:

  • बच्चे को ठीक से भोजन और तरल पदार्थ दें: टाइफाइड के बुखार के कारण आपके बच्चे को पसीने, उल्टी और दस्त की समस्या हो सकती जिससे उनके शरीर से काफी फ्लूइड निकल सकता है। इसलिए आपको उनके शरीर में फ्लूइड को कवर करने के लिए पानी और लिक्विड चीजें देनी चाहिए। डॉक्टर आपके बच्चे के लिए ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) भी देने के लिए कह सकते हैं। टाइफाइड इन्फेक्शन वाले बच्चे को भूख में कमी भी हो सकती है, यह बहुत जरूरी है कि बच्चे को अपना एनर्जी लेवल बनाएं रखने के लिए उसे ठीक से न्यूट्रिएंट मिले। यदि आपका बच्चा अभी भी ब्रेस्टफीडिंग कर रहा है, तो उसे बार-बार ब्रेस्टफीड कराएं और कोशिश करें कि बच्चा देर तक फीडिंग करें। बच्चों के लिए, उनकी मील छोटे-छोटे हिस्सों में डिवाइड करें और पूरे दिन उन्हें इसे समय-समय पर देती रहे।
  • बच्चे को ठीक से आराम मिले: बुखार से उबरने के लिए आपके बच्चे को काफी ज्यादा रेस्ट की जरूरत होती है, जब तक कि इसके लक्षण पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाते। इससे शरीर तेजी से मजबूत होता है।
  • बच्चे को स्पंज बाथ दें: अगर बीमार होने के कारण अपने बच्चे को हर दिन नहलाना नहीं चाहती हैं, तो आपको उसे हर दिन या हर दूसरे दिन स्पंज से क्लीन करना चाहिए। हर दिन कपड़े बदलें ताकि बच्चा फ्रेश और क्लीन महसूस करे।

क्या टाइफाइड से कोई बचने का तरीका हैं?

भारत सरकार ने इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के साथ मिलकर टाइफाइड से बचाव के लिए एक वैक्सीन रिकमेंड की है। यह 9 से 12 महीने की उम्र के बच्चों को दिया जाता है। दो बूस्टर इंजेक्शन दो साल की अवधि में, 4 से 6 साल के बीच दिए जाते हैं। हालांकि वैक्सीन इससे बचने का एक बेहतरीन उपाय है, लेकिन इसके आलावा भी कुछ ऐसी चीजें हैं जो बच्चों को टाइफाइड से बचाने में मदद करते हैं।

  • साफ पानी का प्रयोग करें: इस बात खास खयाल रखें कि आपका परिवार और बच्चा हमेशा साफ पानी ही पीए और उपयोग करें। दूषित और अशुद्ध पानी के कारण ही ज्यादातर बीमारियां पैदा होती हैं। अपने बच्चे को पानी देने से पहले इसे उबाल लें या छान लें।
  • बच्चे को ठीक से न्यूट्रिएंट्स मिले: इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि टाइफाइड ब्रेस्ट मिल्क से फैलता है। इसलिए, अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना जारी रखें। यदि आपका बच्चा इतना बड़ा है कि आप उसे अलग अलग तरह के खाने दे सकती हैं तो आप उसके खाने को हेल्थी रखें जिसमें प्रोटीन, डेरी प्रोडक्ट, फ्रूट्स और वेजिटेबल शामिल करें।
  • हाइजीन बनाए रखें: आपको हाइजीन का बहुत खयाल रखना चाहिए, खाना पकाने, बच्चे को दूध पिलाने, टॉयलेट का उपयोग करने के बाद, पालतू जानवरों को छूने के बाद और बच्चे की नैपी बदलने के बाद पानी और साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए। बैक्टीरिया को दूर रखने के लिए बच्चे को रोजाना नहलाएं। किचन को साफ रखने के लिए खराब चीजों में बाहर फेक दें और समय समय पर ठीक से क्लीनिंग भी करें।

टाइफाइड वैक्सीन के बारे में जानकारी

टाइफाइड इंडिया, साउथ ईस्ट एशिया और पापुआ न्यू गिनी में काफी आम बीमारी है। अगर आप इन देशों की यात्रा कर रही हैं या उनमें रहते हैं, तो आपके बच्चे को इस बीमारी के होने का खतरा ज्यादा हो सकता है। सही प्रकार का टीकाकरण आपके बच्चे को साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से इन्फेक्टेड होने से बचाएगा। बच्चों के लिए उपलब्ध दो प्रकार के टीके में शामिल हैं:

  • इंजेक्शन: इस प्रकार के टीके को दो साल तक के बच्चों की बाहों में इंजेक्ट किया जाता है।
  • ओरल: विवोटीफ ओरल या अन्य ओरल वैक्सीन छह साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों को दिए जाते हैं।

यह वैक्सीन बच्चे को तीन साल तक की प्रोटेक्ट करते हैं। ध्यान दी कि जब बच्चे को उसके डेवलेपमेंट के दौरान शुरूआती टीके लगाए जा रहे हों, तो उसे इसकी वैक्सीन भी लगवाएं ताकि बच्चे को इन्फेक्शन से बचाया जा सके।

यदि टाइफाइड का सही समय पर निदान किया जाता है, तो आपके बच्चे के ठीक होने की संभावना ज्यादा  होती है। ट्रीटमेंट देर में किए जाने से टाइफाइड की बीमारी जानलेवा हो सकती है। इसलिए, किसी भी कॉम्प्लिकेशन से बचने के लिए डॉक्टर के पास जाएं और बच्चे की हेल्थ से जुड़ी अपनी सभी परेशानी को डिस्कस करें। इसके अलावा यह बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे की देखभाल अच्छी तरह से करें, ताकि बच्चा जल्द से जल्द ठीक हो सके।

 यह भी पढ़ें:

छोटे बच्चों में एनीमिया होना
छोटे बच्चों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन
छोटे बच्चों में मीजल्स (रूबेला) होना

समर नक़वी

Recent Posts

7 का पहाड़ा – 7 Ka Table In Hindi

जैसे हिंदी भाषा में बच्चों को सबसे पहले ‘वर्णमाला’ सिखाया जाता है वैसे ही गणित…

3 days ago

उ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | U Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी की वर्णमाला में उ अक्षर का महत्वपूर्ण स्थान है। यह अक्षर बच्चों के लिए…

3 days ago

ई अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | Ee Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी की वर्णमाला में 'ई' अक्षर का बहुत महत्व है, जिसे 'बड़ी ई' या 'दीर्घ…

3 days ago

एमनियोटिक थैली की झिल्ली हटाकर प्रसव पीड़ा प्रेरित करना l Amniotic Thaili Ki Jhilli Hatakar Prasav Pida Prerit Karna

जैसे-जैसे डिलीवरी की तारीख नजदीक आती है, गर्भवती महिला की चिंता और उत्तेजना बढ़ती जाती…

3 days ago

बच्चों में जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए) l Bacchon Mein Juvenile Idiopathic Arthritis(JIA)

आमतौर पर जोड़ों की बीमारियां बड़ों में देखने को मिलती हैं, लेकिन ये समस्याएं बच्चों…

3 days ago

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

4 days ago