In this Article
साइटोमेगालोवायरस एक कॉमन वायरस है जो किसी को भी संक्रमित कर सकता है। यह एक हर्पीस वायरस है जो छोटे और बड़े बच्चों को संक्रमित कर सकता है। एक गर्भवती महिला के जरिए उसके बच्चे में सीएमवी ट्रांसफर हो सकता है। अक्सर यह इन्फेक्शन महीनों या वर्षों तक नोटिस में नहीं आता है और वायरस वर्षों तक निष्क्रिय अवस्था (डॉर्मेंट स्टेट) में रह सकता है और फिर अचानक एक्टिव हो सकता है जिससे बच्चे को खतरा हो सकता है। यह उन लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है जिन्हें ऑटोइम्यून डिसऑर्डर हों, जो ऑर्गन ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया गुजरे हों या जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो।
साइटोमेगालोवायरस एक हर्पीस वायरस है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। एक नॉर्मल हेल्दी इंसान के लिए यह इतना घातक नहीं होता है जितना कि एक बच्चे के लिए होता है, जिसका इम्यून सिस्टम अभी बहुत कमजोर होता है। नन्हे बच्चों को साइटोमेगालोवायरस तब होता है जब उनकी माँ इससे संक्रमित हो जाती है और इसका कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। हालांकि, कुछ उपचार हैं जो इसके लक्षणों को कम करने और नवजात शिशुओं को इससे बचाने में मदद करते हैं, जब वो पहली बात इसके कांटेक्ट में आते हैं। एक स्टडी के अनुसार, ये वायरस सभी को उनके जीवन में कभी न कभी जरूर प्रभावित करता है।
बच्चे में सीएमवी इंफेक्शन होने के कुछ कारण इस प्रकार दिए गए हैं:
सीएमवी वायरस का बच्चे में ट्रांसमिट होने के बाद सबसे बड़ा ये खतरा होता है कि इसके लक्षण काफी समय तक नजर नहीं आते हैं और कभी-कभी इसके लक्षण नजर आने में महीनों या साल लग जाते हैं, जो बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता हैं। बच्चे में दिखाई देने वाले कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
सीएमवी ज्यादातर हेल्दी और बच्चों में डिटेक्ट नहीं हो पाता है। पहले से पता लगने पर इसकी रोकथाम की जा सकती है, जो बेहद जरूरी है, इससे पहले कि ये आपके बच्चे को कोई बड़ा नुकसान पहुँचा दे। यहाँ बच्चे में सीएमवी का निदान करने के लिए कुछ टेस्ट बताए गए हैं:
अगर सीएमवी का ट्रीटमेंट सही समय पर न किया जाए, तो यह बच्चे पर बहुत हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। सीएमवी पॉजिटिव बच्चे के लक्षणों को नजरअंदाज किए जाने पर आपको नीचे दी गई स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है:
इस इंफेक्शन का उपचार इसकी गंभीरता, उम्र और शरीर की ओवरऑल हेल्थ के आधार पर अलग-अलग किया जाता है। डॉक्टर तब तक कोई भी ट्रीटमेंट नहीं बताते हैं, जब तक वो ये कंफर्म न कर लें कि बच्चा वायरस से इंफेक्टेड हुआ है या नहीं। यदि बच्चे में सीएमवी वायरस का केस पाया गया, तो वायरस के इलाज के लिए न्यूबॉर्न बच्चे को दवाएं दी जाती हैं।
नीचे बताई गई स्थिति में आपको बच्चे को दवा देने की जरूरत होती है:
सीएमवी के ट्रांसमिशन के खतरे को कम से कम किए जाने पर इंफेक्शन का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है, जिसमें आपको हाइजीन पर बहुत बहुत ध्यान देना होगा और लाइफस्टाइल में बदलाव करने होंगे। यहाँ आपके लिए कुछ टिप्स दी गई हैं:
अपने नवजात शिशु में ऊपर बताए गए संकेत और लक्षणों को नोटिस करें। यदि आपने अभी तक गर्भधारण नहीं किया है मगर इसकी प्लानिंग कर रही हैं, तो अपना और अपने पति का टेस्ट करा लें ताकि इसके बच्चे में ट्रांसमिट होने का खतरा न रहे। तो अपने बेबी को सीएमवी इंफेक्शन से बचाव करने के लिए आप ऊपर बताई गई टिप्स को फॉलो करें।
यह भी पढ़ें:
शिशुओं में ऑटिज्म – लक्षण, कारण और इलाज
शिशु जन्म दोष – प्रकार, कारण, पहचान और इलाज
नवजात शिशु में ट्रांजियंट टेकिप्निया (टीटीएन) – कारण, लक्षण और इलाज
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…