In this Article
मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड के साथ मेनिनजीयल कवरिंग सेंट्रल नर्वस सिस्टम तैयार करते हैं। पाया मेटर, एरेक्नोइड और ड्यूरा मेटर एक साथ मिलकर मेनिनजेस बनाते हैं, जो कि अंदरूनी नर्वस टिशु के लिए शॉक अब्जॉर्बर और लुब्रिकेशन की तरह काम करता है। इन परतों में से किसी की भी सूजन को मेनिनजाइटिस कहते हैं। मेनिनजाइटिस और इसके इलाज के बारे में अधिक जानकारी के लिए आगे पढ़ें।
मेनिनजाइटिस एक ऐसा सिंड्रोम है, जिसमें मस्तिष्क या स्पाइनल कॉर्ड को ढकने वाली मेनिंजेस में सूजन हो जाती है। यह उन नवजात शिशुओं, छोटे बच्चों या वयस्कों को प्रभावित कर सकता है, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो। इससे बचाव और इसका इलाज संभव है, फिर भी यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे गंभीर न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं हो सकती हैं, खासकर बेबी मेनिनजाइटिस।
मेनिनजाइटिस किस ऑर्गेनेज्म से हुआ है, इस आधार पर इसका वर्गीकरण किया जा सकता है:
बच्चों और बड़ों में मेनिनजाइटिस के लिए कई तरह के बैक्टीरिया जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे स्ट्रैप्टॉकोक्कस निमोनिया, मेनिनगोकोक्कुस और स्टेफिलोकोक्कस।
हिमोफिलस इनफ्लुएंजा जैसे वायरस नवजात शिशु और छोटे बच्चों में मेनिनजाइटिस का कारण माने जाते हैं। विकासशील देशों में छोटे बच्चों में वायरल मेनिनजाइटिस एक गंभीर समस्या है।
माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस के कारण मेनिंजेस का ट्यूबरक्लोसिस होता है।
यह मेनिनजाइटिस का एक दुर्लभ प्रकार है। आमतौर पर यह एचआईवी और एड्स जैसी बीमारियों से ग्रस्त लोगों में देखी जाती है।
मेनिनजाइटिस स्वस्थ नवजात बच्चों और शिशुओं को प्रभावित कर सकता है। निम्नलिखित स्थितियों में छोटे बच्चे और शिशु इसके खतरे में अधिक होते हैं:
शिशुओं में मेनिनजाइटिस के कारण यहां पर दिए गए हैं:
आमतौर पर मेनिनजाइटिस निम्नलिखित बैक्टीरिया के कारण होता है:
बच्चों में असेप्टिक मेनिनजाइटिस के ज्यादातर मामलों के लिए एंटेरोवायरस जिम्मेदार होते हैं। ये गर्मियों में और ट्रॉपिकल देशों में अधिक आम होते हैं।
वायरल या एसेप्टिक मेनिनजाइटिस आमतौर पर पूरे ग्रुप के अलावा निम्नलिखित वायरस के कारण भी होता है:
आयु वर्ग के आधार पर मेनिनजाइटिस कई तरह से दिख सकता है:
शिशुओं में मेनिनजाइटिस के कारण निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं। लेकिन बच्चों में ये लक्षण केवल मेनिनजाइटिस के ही नहीं होते हैं और अन्य सिस्टमैटिक इंफेक्शन के कारण भी मौजूद हो सकते हैं:
टॉडलर्स या बच्चों (डेढ़ वर्ष से कम) में निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं:
बड़े बच्चों में आमतौर पर गर्दन में दर्द के साथ निम्नलिखित में से कोई एक लक्षण, मुख्य लक्षण के तौर पर दिखता है:
मेनिनजाइटिस की पहचान में मुख्य रूप से निम्नलिखित बातें शामिल होती हैं:
मेनिंगोकोक्केमिया जैसे मेनिनजाइटिस के कुछ खास संक्रामक कारक, एक अनोखे रैश और बुखार के साथ दिख सकते हैं। टंबलर टेस्ट में एक कांच के गिलास को रैश के ऊपर दबाया जाता है और अगर यह रैश स्पष्ट होने लगे, तो इसे पॉजिटिव माना जाता है।
मेनिनजाइटिस के लिए आम उपचार संबंधी गाइडलाइन्स यहां पर दी गई हैं:
चूंकि वायरल या असेप्टिक मेनिनजाइटिस के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, ऐसे में इलाज में केवल कंजरवेटिव मैनेजमेंट को शामिल किया जाता है और एंटीवायरल थेरेपी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, बशर्ते यह इंसेफलाइटिस से जुड़ा हो। एसाइक्लोवीर एंटीवायरल एजेंट (इंट्रावेनस एक-दो सप्ताह के लिए 10 मिलीग्राम/ किलोग्राम हर 8 घंटे में) एचएसवी एक और दो मैनिंजाइटिस के लिए मुख्य इलाज होता है।
गेंसीक्लोवीर और फोस्कार्नेट कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों में सीएमवी के लिए एंटीवायरल के विकल्प होते हैं।
बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस में तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है। जल्द पहचान और इलाज से मस्तिष्क के डैमेज और मृत्यु से बचा जा सकता है। बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस का इलाज इंट्रावेनस एंटीबायोटिक के द्वारा किया जाता है। बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस के लिए कोई विशेष एंटीबायोटिक नहीं होते हैं। यह इसके जिम्मेदार बैक्टीरिया के ऊपर निर्भर करता है।
फंगल मेनिनजाइटिस का इलाज एंटीफंगल एजेंट्स के द्वारा किया जाता है।
पैरासाइटिक मेनिनजाइटिस में या तो केवल लक्षणों का इलाज किया जाता है या सीधे संक्रमण को ठीक करने की कोशिश की जाती है। कारण के आधार पर यह प्रकार एंटीबायोटिक के बिना बेहतर हो सकता है, लेकिन अगर यह बिगड़ जाए तो आपके डॉक्टर इन्फेक्शन को ठीक करने की कोशिश कर सकते हैं।
वायरल मेनिनजाइटिस अपने आप ठीक हो सकता है। लेकिन वायरल मेनिनजाइटिस के कुछ कारण इंट्रावेनस एंटीवायरल दवाओं के साथ ठीक किए जाते हैं।
शिशुओं और बच्चों में मेनिनजाइटिस के कारण निम्नलिखित गंभीर लक्षण दिख सकते हैं:
चूंकि शिशु और छोटे बच्चे बढ़ रहे होते हैं, ऐसे में लॉन्ग टर्म में मेनिनजाइटिस उनके न्यूरो संबंधी विकास को प्रभावित कर सकता है और निम्नलिखित स्थितियों का कारण बन सकता है:
मेनिनजाइटिस एक संक्रामक बीमारी है और यह करीबी संपर्क और समाज में फैल सकता है।
स्ट्रैप्टॉकोक्कस और हिमोफिलस इनफ्लुएंजा जैसे पैथोजन मेनिनजाइटिस से प्रभावित होने के पहले से ही मरीज के नेसल पैसेज और कंठ में मौजूद होते हैं और ये खांसने, छींकने, थूकने या चूमने से भी फैल सकते हैं। वायरल मेनिनजाइटिस मीजल्स और मम्प्स जैसी बच्चों को होने वाली बीमारियों के बाद हो सकते हैं और ये बच्चों के बीच इसी तरह से फैल भी सकते हैं।
अगर आप अपने बच्चे में निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण देखते हैं, तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए:
यहां पर बचाव के कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनसे मेनिनजाइटिस को दूर रखा जा सकता है:
चूंकि मेनिनजाइटिस के ज्यादातर मामले नीमोकोकस, मेनिनगोकोक्कुस या एच. इनफ्लुएंजा के कारण होते हैं, ऐसे में इन ऑर्गेनेज्म के लिए उपलब्ध वैक्सीन के इस्तेमाल से मेनिनजाइटिस से बचाव संभव है।
हालांकि हीमोफिलस इनफ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन को अनिवार्य वैक्सीन के रूप में नेशनल इम्यूनाइजेशन शेड्यूल में शामिल नहीं किया गया है, लेकिन संदेहास्पद आबादी के साथ-साथ 2 महीने से 15 महीने से लेकर 5 वर्ष तक के बच्चों को कैच-अप वैक्सीनेशन की सख्त सलाह दी जाती है। इसे इंट्रा मस्कुलर इंजेक्शन के रूप में 6 सप्ताह से 12 महीने की उम्र में 2-3 खुराकों में प्राइमरी वैक्सीनेशन के रूप में दिया जाता है। वहीं तीसरी या चौथी खुराक या बूस्टर 12 से 15 महीने की उम्र में दी जाती है।
पीसीवी13 (13-वैलेंट निमोकोकल कन्ज्यूगेट वैक्सीन) 0.5 मिलीलीटर इंट्रा मस्कुलर इंजेक्शन 2, 4, 6 और 12 महीने की उम्र में चार खुराकों में दिए जाते हैं।
पॉलीवैलेंट पीपीएसवी23 (23-वैलेंट निमोकोकल पॉलिसैचेराइड वैक्सीन) इंट्रामस्कुलर वैक्सीन केवल 2 वर्ष से ऊपर के बच्चों को दी जाती है। इसे 0.5 मिलीलीटर इंट्रा मस्कुलर इंजेक्शन के द्वारा केवल अधिक खतरे वाले मरीजों (फेफड़ों या किडनी की लंबी बीमारी, स्ट्राइड थेरेपी से ग्रस्त) को रूटीन पीसीवी-13 वैक्सीन के साथ दी जाती है।
मेनिंगोकोकल वैक्सीन नेसीरिया मेनिनजाइटिडिस के ए, सी, वाय और डब्लू-135 नामक सभी चार स्ट्रेन से सुरक्षा देता है। इसकी सलाह केवल 2 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को दी जाती है। यह 0.5 मिलीलीटर की एक त्वचा के नीचे की खुराक के रूप में दी जाती है।
10 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को मेनिंगोकोकल ग्रुप बी वैक्सीन को रूटीन टेट्रावेलेंट वैक्सीन के साथ देने की सलाह दी जाती है। इसे 0.5 मिलीलीटर इंट्रा मस्कुलर खुराक के रूप में 0, 2 और 6 महीनों में दिया जाता है।
कीटाणुओं से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना सबसे बेहतर तरीका है। इसमें बार-बार हाथ धोना, नियमित रूप से नहाना, थूकने से बचना, संक्रामक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति से दूर रहना जैसी आदतें शामिल हैं। छोटे बच्चे और वयस्क जो ऐसे किसी संक्रमित व्यक्ति (परिवार के सदस्य या हेल्थ केयर अटेंडेंट) के करीबी संपर्क में रहते हैं, उन्हें सुरक्षात्मक बचाव के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
हालांकि मेनिनजाइटिस एक गंभीर बीमारी है, पर इसकी पहचान आसानी से हो सकती है और जागरूकता और उचित इलाज के माध्यम से इसे ठीक किया जा सकता है। लॉन्ग टर्म न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं से बचने के लिए वैक्सीन के माध्यम से शिशुओं और छोटे बच्चों में मेनिनजाइटिस से बचाव जरूरी है।
यह भी पढ़ें:
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…