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जब से बच्चा पैदा होता है, तो चाहे डॉक्टर हो या घरवाले सब यही कहते हैं कि बच्चे से बातें करो, उसे नई-नई चीजें दिखाओ, भले वो अभी बात न करता हो और ये सब उसके लिए अच्छा होता है। इससे बच्चे को अटेंशन मिलता है और उसे अच्छा महसूस होता है। लेकिन अगर बच्चे के साथ बहुत ज्यादा खेलने या बातें करने लगें या उसके आस-पास बहुत शोर हो, तो उसे ऐसे में ओवेरस्टिमुलेशन की समस्या हो सकती है। इसमें बच्चा घबराने और परेशान होने लगता है। ऐसा होने पर बच्चे को थकान और बेचैनी महसूस होती है। इसलिए, ये समझना जरूरी है कि बच्चों के साथ ऐसा क्यों होता है और इस समय अपने बच्चे को कैसे शांत करें।
अति उत्तेजना जिसे अंग्रेजी में ओवरस्टिमुलेशन कहते हैं, यह तब होता है जब बच्चे के आस-पास बहुत सारी चीजें एक साथ होने लगती हैं। छोटे बच्चे हर चीज को बिना किसी फिल्टर के महसूस करते हैं। अगर माहौल शांत हो, तो उन्हें ठीक महसूस होता है। लेकिन जब बहुत सारे लोग, शोर या जगहें बार-बार बदलती हैं, तो बच्चे के दिमाग पर ज्यादा दबाव पड़ता है। इससे बच्चा घबराने लगता है और अगर स्थिति जल्दी संभाली न जाए, तो वो बिना रुके रोने लगता है।
हर बच्चा अलग होता है और हर बच्चे की अपनी अलग जरूरतें होती हैं। जो चीज एक बच्चे के लिए ज्यादा हो जाती है, वही किसी दूसरे बच्चे को शांत कर सकती है। लेकिन आमतौर पर नीचे बताए गए ओवरस्टिमुलेशन के कुछ मुख्य कारण होते हैं:
ज्यादातर बच्चे आसानी से ये जताने लगते हैं कि उनके चारों ओर हो रही चीजें उन्हें परेशान कर रही हैं और वे उसे संभाल नहीं पा रहे। अगर आप इन संकेतों को पहचान लें, तो आप जल्दी समझ सकती हैं कि आपका बच्चा अधिक उत्तेजित हो रहा है।
बच्चे अक्सर अपनी भावनाओं को संभालने की कोशिश करते हैं और इसका असर उनके चेहरे पर साफ दिखता है, जैसे वो जोर लगाकर कुछ कर रहे हों। उनका मुंह कस जाता है, चेहरा लाल हो जाता है और वो असहज दिखाई देते हैं। यह एक बड़ा संकेत होता है कि बच्चा माहौल से खुश नहीं है। अगर ऐसे समय पर उससे और बातचीत की जाए, तो वो अचानक से बहुत ज्यादा रोने लगता है।
बच्चों के शुरुआती सालों में उनकी हरकतें वैसे भी थोड़ी अनियमित होती हैं। लेकिन जब बच्चा बहुत ज्यादा उत्तेजित महसूस करता है, तो वो अपने आपको शांत करने और रोना रोकने की कोशिश करता है। इस चक्कर में उसकी हरकतें अजीब होने लगती हैं और वह झटकों के साथ हर चीज करने लगता है। यह आमतौर पर उनके चेहरे पर दिखने वाली कंफ्यूजन से पता चलता है।
बच्चों की धड़कनें और सांसें वैसे भी तेज होती हैं, लेकिन ओवरस्टिमुलेशन के समय ये और भी तेज हो जाती हैं। ऐसा लगेगा जैसे बच्चा अभी-अभी दौड़ने के बाद अपनी सांसें लेने की कोशिश कर रहा हो। ऐसे में अगर उसके आसपास का माहौल शांत हो जाए, तो उसकी सांसें धीरे-धीरे सामान्य होने लगती हैं, ये एक पक्का संकेत है कि बच्चा अधिक उत्तेजित हो चुका था।
अगर बच्चा किसी नई जगह पर जाता है या अजनबियों के बीच हो, तो हो सकता है उसे वहां अच्छा नहीं लग रहा होगा। ऐसे में वो खुद को बचाने के लिए लोगों से नजरें चुराने लगता है। यहां तक कि वो आपसे भी नजरें फेरने लग सकता है। तेज आवाज और बहुत हलचल वाले माहौल में बच्चे अक्सर ऐसा करते हैं।
जब बच्चे ऐसी जगह पर होते हैं, जहां का माहौल हलचल भरा हो तो कुछ बच्चे अति उत्तेजित हो जाते हैं, और वे कभी-कभी रोने की बजाय उस उत्तेजना से बचने की कोशिश करते हैं। ऐसे में वे एक जगह चुपचाप देखते लगते हैं या अपनी ही दुनिया में खो जाते हैं। इस दौरान वह अपने आसपास की आवाजों या हरकतों को नजरअंदाज कर देते हैं। कई बार इससे बच्चे को शांति भी मिलती है।
अगर आपको समझ आ गया है आपका बच्चा अधिक उत्तेजित हो गया है लेकिन आप सोच नहीं पा रही कि उसे कैसे संभालें, तो सबसे जरूरी है कि आप उसे तुरंत शांत कमरे में ले जाएं और सुरक्षित व आरामदायक महसूस कराएं। ऐसे कुछ आसान तरीकें हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपने बच्चे को आराम दे सकते हैं। आइए नीचे दिए गए बिंदुओं के आधार पर समझें।
बच्चों को लगातार होने वाले बदलाव पसंद नहीं होते। इससे वो उलझन में पड़ जाते हैं और उन्हें समझ नहीं आता कि आगे क्या होगा। ऐसे में बच्चे को उसकी पुरानी दिनचर्या में वापस ले जाने से उनको ठहराव और आरामदायक महसूस होता है। जैसे अगर आपका बच्चा दोपहर में सोना पसंद करता है, तो उसे वही करने दें। इससे वह सुरक्षित महसूस करेगा।
पारिवारिक कार्यक्रमों या भीड़-भाड़ वाली जगहों पर बहुत शोर और नए लोगों से मिलने पर बच्चा घबराने और उत्तेजित होने लगता है। ऐसे में थोड़ी देर के लिए वहां से निकलकर बच्चे को शांत जगह पर ले जाएं। अगर संभव हो, तो उसे दूध पिलाएं या लोरी गाकर उसे शांत करें। इससे वो जान सकेगा कि वो सुरक्षित हाथों में है और धीरे-धीरे शांत हो जाएगा।
बच्चे उन लोगों की मौजूदगी को जल्दी पहचान लेते हैं जिनके वो आदी होते हैं। अगर बच्चा लंबे समय से नए लोगों से मिल रहा हो, तो उसे कुछ समय के लिए अपनी गोद में ले लें या गले से लगा कर उसका पीठ सहलाएं। अगर मुमकिन हो, तो किसी कमरे में जाकर या अगर शॉपिंग मॉल में हैं तो बेबी केयर रूम में जाकर उसे दूध पिलाएं इससे जब वो आपके स्किन के कॉन्टैक्ट में आएगा तो खुद ही शांत और सहज महसूस करेगा।
कुछ बच्चों को बार-बार गोद में लेना या पकड़कर रखना पसंद नहीं होता। ऐसे बच्चे खुद से थोड़ा समय बिताना पसंद करते हैं। अगर आपका बच्चा ऐसा है, तो उसे थोड़ी देर अकेले शांत जगह छोड़ दें। आप बस उसे दूर से बिना किसी बातचीत के देखते रहें, ताकि वो आराम कर सके।
कई बच्चे तब बेहतर महसूस करते हैं जब वो अपनी परेशानी रोकर निकाल लेते हैं। अगर आपका बच्चा अधिक उत्तेजित हो गया है और रोने लगा है, तो उसे थोड़ा शांत करने की कोशिश न करें और उसे रोने दें। आमतौर पर बच्चे थककर सो जाते हैं और इसके बाद वो बेहतर महसूस करते हैं।
ऊपर हमनें जाना अपने बच्चों को उत्तेजित होने पर कैसे शांत करें पर अगर हम कोशिश करें अपने बच्चे को उत्तेजित न होने दें तो ऐसे में बच्चा ज्यादा समय तक शांत और खुश रह सकता है। इसे कुछ आसान तरीकों से किया जा सकता है:
अगर आपका बच्चा बाहर जाकर भी शांत रहता है और ओवरस्टिमुलेशन से बचा रहता है, तो ये न केवल बच्चे के लिए बल्कि उसके आसपास के लोगों के लिए भी फायदेमंद होता है:
किसी किसी माता-पिता के लिए अति उत्तेजना कोई नई बात नहीं है, लेकिन कुछ नए माता-पिता के मन में इसे लेकर कई सवाल हो सकते हैं जिनके जवाब मिलना उनके लिए बहुत जरूरी हैं।
जिस तरह अति उत्तेजना बच्चे को प्रभावित करती है, उत्तेजना की कमी भी उसे प्रभावित करती है। वह ऊब सकता है और किसी का ध्यान आकर्षित करने के लिए वह अधिक रोने लग जाता है।
बच्चे को लगातार उत्तेजित महसूस होने के कारण उसे सोने में परेशानी होती है, या लगातार नई चीजों को महसूस करने के कारण डर का अनुभव होता है। जो कि आमतौर पर बच्चों को रोने और दूसरे से मदद मांगने पर मजबूर करता है।
जी हाँ, वे ऐसा कर सकता है, लेकिन तब जब वे बड़े हो जाते हैं और कुछ चीजें खुद से करना शुरू कर देते हैं। शुरुआती सालों में बच्चे ओवरस्टिमुलेशन के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
एक बच्चे की देखभाल करना कोई आसान काम नहीं है और खासकर एक परेशान बच्चे को शांत करना और भी मुश्किल होता है। अतिउत्तेजना के लक्षणों पर ध्यान देकर और उन्हें शुरुआत में ही पहचानकर, आप इस बात का ध्यान रख सकती हैं कि आपका बच्चा कैसे अनजान जगह पर सुरक्षित महसूस करे, साथ ही वह एक सुरक्षित और नियंत्रित माहौल में नई चीजों का कैसे अनुभव करे।
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