शिशु

शिशुओं में ब्रोंकियोलाइटिस – कारण, लक्षण और इलाज

क्या आपके बच्चे को सांस लेने में कठिनाई हो रही है और क्या उसे आजकल भूख नहीं लगती है? हो सकता है, उसे ब्रोंकियोलाइटिस हुआ हो, जो कि 3 से 6 महीने के बीच के बच्चों में बहुत ही आम बीमारी है। 

ब्रोंकियोलाइटिस क्या है?

जब फेफड़ों के एयर पैसेज म्यूकस से भर जाते हैं, तो इन्फ्लेमेशन हो जाता है और सांस लेने में और एयर फ्लो रेगुलेशन में रुकावट पैदा होती है। इसके कारण बच्चे को खांसी होती है और उसे सांस लेने में कठिनाई होती है। ब्रोंकियोलाइटिस बच्चों में एक संक्रामक बीमारी होती है 

ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकियोलाइटिस के बीच क्या अंतर है?

ब्रोंकाइटिस में म्यूकस के ज्यादा बनने से बड़े एयरवेज संक्रमित हो जाते हैं, जिसे फेफड़े खांसी के द्वारा बाहर निकालने की कोशिश करते हैं। वहीं, ब्रोंकियोलाइटिस में इन्फ्लेमेशन के कारण ब्रोंकायोल्स (छोटे एयरवेज) में कंजेशन पैदा हो जाता है, जिससे बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होती है। 

क्या छोटे बच्चों के लिए ब्रोंकियोलाइटिस एक समस्या बन सकती है?

शिशुओं और बच्चों में एक्यूट ब्रोंकियोलाइटिस, रेस्पिरेटरी सिनसिशल वायरस (आरएसवी) के कारण होता है और जिन बच्चों को पहले से दिल या फेफड़ों की कोई बीमारी होती है, उन्हें ब्रोंकियोलाइटिस की पहचान होने पर तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ता है। एक साल से कम उम्र के ज्यादातर छोटे बच्चे, आरएसवी इंफेक्शन का सामना करते हैं। लेकिन केवल 10% बच्चों में ब्रोंकियोलाइटिस की स्थिति पैदा होती है। 

बेबी ब्रोंकियोलाइटिस कितने लंबे समय तक रह सकता है?

ज्यादातर ब्रोंकियोलाइटिस अधिकतम 12 दिनों तक रहता है। हालांकि, खांसी और घरघराहट इस अवधि के बाद भी कुछ हफ्तों तक रह सकती हैं। दूसरे या तीसरे दिन के दौरान, बच्चे को सांस लेने में सबसे अधिक कठिनाई होती है। इसके बाद स्थिति में सुधार होने लगता है। 

बेबी को ब्रोंकियोलाइटिस होने की संभावना सबसे अधिक कब होती है?

3 महीने से 6 महीने की उम्र के बीच, बच्चों को ब्रोंकियोलाइटिस होने की संभावना सबसे अधिक होती है। अगर बच्चे प्रीमैच्योर हों या अगर उन्हें अच्छी तरह से ब्रेस्टफीड ना कराया गया हो, तो सिगरेट के धुएं के सीधे संपर्क में आने पर उनमें ब्रोंकियोलाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है। जिन बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है या दिल/फेफड़ों की क्रॉनिक बीमारी होती है, उनमें भी ब्रोंकियोलाइटिस होने का खतरा अधिक होता है। 

छोटे बच्चों में ब्रोंकियोलाइटिस के कारण

शिशुओं में ब्रोंकियोलाइटिस होने के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं: 

  • रेस्पिरेटरी सिनसिशल वायरस (आरएसवी), जो कि स्वभाव से संक्रामक होता है।
  • एडिनोवायरस, जो कि बच्चों में एक्यूट रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के 10% मामलों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
  • वायरस जो कि फेफड़ों, नाक और कंठ में इन्फ्लेमेशन पैदा करते हैं, जैसे इनफ्लुएंजा वायरस।
  • सिगरेट के धुएं और तंबाकू से संपर्क।

छोटे बच्चों में ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षण

आप निम्नलिखित लक्षणों पर नजर रखकर ब्रोंकियोलाइटिस से बेबी को बचा सकती हैं और इसका जल्द इलाज कर सकती हैं: 

  • बच्चे का ब्रेस्टफीडिंग से मना करना
  • नाक में उभार
  • लगातार खांसी के साथ हल्का बुखार
  • हर सांस के साथ कॉलर बोन के ऊपर और पसलियों के नीचे की त्वचा का धंस जाना
  • घरघराहट या अनियमित सांसें
  • चिड़चिड़ापन और सांसो के बीच थोड़ा ठहराव
  • दूध पीने के तुरंत बाद उल्टियां

पहचान

ब्रोंकियोलाइटिस की पहचान आमतौर पर हॉस्पिटल या क्लीनिक में की जाती है। डॉक्टर कॉटन स्वैब की मदद से आपके बेबी के म्यूकस का एक सैंपल लेंगे और स्टेथोस्कोप की मदद से उसकी छाती से उसकी सांसों के पैटर्न को सुनकर ऑब्जर्व करेंगे। यदि बच्चा गंभीर ब्रोंकियोलाइटिस से ग्रस्त हो, तो डॉक्टर निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं: 

  • छाती का एक्स-रे करना
  • शरीर में वाइट ब्लड सेल्स काउंट की जांच के लिए ब्लड टेस्ट करना

डॉक्टर आपसे यह भी पूछ सकते हैं, कि आपका बच्चा खाने के लिए मना कर रहा है या नहीं और ब्रेस्टफीडिंग में कमी के कारण होने वाले डिहाइड्रेशन जैसे संकेतों की जांच करेंगे, जैसे सूखा मुंह और सूखी त्वचा और पेशाब की मात्रा में कमी। 

जटिलताएं

गंभीर ब्रोंकियोलाइटिस के कारण साइनोसिस हो सकता है, जिसे ब्लड सेल में पर्याप्त ऑक्सीजन की कमी के कारण त्वचा की नीली रंगत के रूप में पहचाना जा सकता है। गंभीर ब्रोंकियोलाइटिस होने पर डिहाइड्रेशन के साथ-साथ थकावट भी हो सकती है। अत्यधिक गंभीर मामलों में रेस्पिरेटरी फेलियर हो सकता है, जो कि जानलेवा होता है। अगर आपके बच्चे को ब्रोंकियोलाइटिस के साथ-साथ गंभीर जुकाम भी हो, तो वह निमोनिया के प्रति सेंसिटिव हो सकता है। 

छोटे बच्चों में ब्रोंकियोलाइटिस के लिए इलाज

इन्फेंट ब्रोंकियोलाइटिस का इलाज करने के विभिन्न तरीके हैं, जो कि नीचे दिए गए हैं: 

  • छाती पर यूकेलिप्टस या कपूर कंपाउंड के इस्तेमाल से लगातार होने वाली खांसी से राहत मिल सकती है।

  • अगर आपके डॉक्टर अनुमति दें, तो आप अपने बच्चे को एक या दो बूंद नेजल ड्रॉप्स दे सकती हैं।
  • डॉक्टर द्वारा प्रिसक्राइब की गई आइबूप्रोफेन और एसिटामिनोफेन जैसी दवाएं भी मददगार हो सकती हैं।

हॉस्पिटलाइजेशन और दवाएं

अगर आपके बच्चे में ब्रोंकियोलाइटिस बहुत गंभीर रूप ले चुका है, तो दवाएं और हॉस्पिटलाइजेशन जरूरी है। आईवी फ्लुइड के साथ-साथ, एक विशेष लिक्विड डाइट आपके बच्चे को दी जाएगी, ताकि डिहाइड्रेशन से बचाव हो सके और लक्षणों से आराम मिल सके। अगर डॉक्टर बच्चे के एक्यूट ब्रोंकाइटिस ब्रोंकियोलाइटिस का संबंध किसी लंग इन्फेक्शन से होने के संकेत देखते हैं, तो वे कुछ एंटीबायोटिक भी प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। 

घरेलू उपचार

एक्यूट ब्रोंकायोलाइटिस से बचने का सबसे बेहतर तरीका है, कुछ आम लक्षणों को पहचान कर, घर पर ही इसके बचाव के लिए इलाज शुरू करना। यहां पर कुछ होम रेमेडीज दी गई हैं, जो कि बच्चों के लिए जादुई रूप से काम करते हैं: 

  • तरल पदार्थों के सेवन में बढ़ोतरी: अपने बच्चे को पानी और गर्म सूप अधिक पीने को दें। इससे बच्चे के गले को आराम मिलेगा और खांसी के द्वारा उसका म्यूकस बाहर निकल पाएगा। गर्म पानी में शहद और नींबू डालकर देना भी एक अच्छी प्राकृतिक होम रेमेडी है। हालांकि 1 साल के काम उम्र के बच्चे को शहद देना उचित नहीं है। ग्रीन टी और क्रैनबेरी जूस भी ब्रोंकायोलाइटिस से आराम पाने के लिए बेहतरीन है।
  • पर्याप्त आराम: ब्रोंकियोलाइटिस से ग्रस्त बच्चों के लिए भरपूर आराम करना और रिकवरी टाइम मिलना बीमारी के इलाज के लिए बहुत जरूरी है। इस बात का ध्यान रखें, कि आपका बच्चा सीधी अवस्था में सोए और गद्दे के नीचे दो तकिए रखकर उसके सिर को ऊंचा रखें।
  • स्टीम बाथ: बंद नाक से आराम दिलाने और ब्रोंकायोल्स से बलगम को बाहर निकालने के लिए स्टीम बाथ और गुनगुने पानी से नहलाना अच्छा होता है। स्टीम शावर लेने से बच्चा बेहतर ढंग से सांस ले पाएगा और उसे आराम भी मिलेगा।
  • नो स्मोकिंग: अपने घर में स्मोकिंग को बैन कर दें और परिवार के सदस्यों या दोस्तों को घर के अंदर सिगरेट पीने की इजाजत न दें। तंबाकू से संपर्क होने से बचाएं और धूल, पोलेन और केमिकल जैसे इरिटेंट को बाहर निकालें।
  • ओटीसी दवाएं: अगर आपका बच्चा ब्रोंकियोलाइटिस के लक्षणों के साथ-साथ दर्द और बुखार का अनुभव कर रहा है, तो आप उसे एसिटामिनोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाएं दे सकते हैं। लेकिन इन दवाओं के इस्तेमाल से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें और उचित खुराक और निर्देशों के लिए डॉक्टर से प्रिस्क्रिप्शन जरूर लें।
  • गर्म सेंक: अगर आपके बच्चे को सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो आप गर्म सेंक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे उसकी छाती पर रखें। इससे बच्चे को कंजेशन से आराम मिलेगा और बलगम बाहर निकल सकेगा।
  • ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल: घर पर एक ह्यूमिडिफायर लगाएं और रातों के दौरान इसे चलाकर डिहाइड्रेशन से बेबी को बचाएं।

बचाव

अगर आप सावधानी बरतें और सुरक्षा का ध्यान रखें, तो ब्रोंकायोलाइटिस को जल्दी पहचाना जा सकता है और इससे बचा जा सकता है। शिशुओं और बच्चों में इससे बचाव के तरीके नीचे दिए गए हैं: 

  • खिलौनों को साफ रखें: बेबी के खिलौनों को धोकर और पोंछकर धूल, मिट्टी और बाहरी संक्रामक पदार्थों से निजात पाएं।
  • हाथ धोएं: हर बार दूध पिलाने से पहले अपने और अपने बच्चे के हाथ धोएं।
  • डिस्पोजेबल टिशु का इस्तेमाल: डिस्पोजेबल टिशू के इस्तेमाल से वायरस और इन्फेक्शन के दूसरों तक फैलने से बचाव होता है। अगर परिवार में किसी को पहले से ब्रोंकियोलाइटिस हो, तो ऐसा करने से अन्य लोग संक्रमण से सुरक्षित रहते हैं, विशेषकर आपके बच्चे।
  • घर पर हाइजीन का ध्यान रखना: सिगरेट के धुए, तंबाकू, धूल-मिट्टी जैसे एनवायर्नमेंटल इरिटेंट से संपर्क से बचें। अपने घर को साफ-सुथरा रखें और अपने बच्चे को ब्रोंकियोलाइटिस से सुरक्षित रखने के लिए सभी सतहों को साफ करते रहें।

डॉक्टर से कब मिलें?

अगर आपका बच्चा लगातार खाँस रहा है और उसे सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर को बुलाना चाहिए। अगर आपके बच्चे को उल्टी हो रही है और वह ठीक से खा नहीं पा रहा है और उसकी उम्र एक साल से कम है और वह प्रीमेच्योर है, तो आपको सावधानी के लिए क्लिनिक जाकर तुरंत उसका चेकअप कराना चाहिए। ब्रोंकियोलाइटिस के लिए डेड-गिव-अवे होता है, आपके बच्चे की त्वचा (के साथ-साथ होंठ और नाखूनों) का नीला पड़ जाना और सांस लेने पर उसकी पसलियों का धंस जाना। 

हालांकि, ब्रोंकियोलाइटिस की जटिलताओं के लिए कोई विशेष इलाज का विकल्प उपलब्ध नहीं है, इसलिए बच्चे के इलाज के लिए इससे बचाव करना ही सबसे बेहतर है। एक हेल्दी जीवनशैली अपनाएं और अपने और अपने बच्चे के डेली रूटीन में ऊपर दिए गए टिप्स को शामिल करें, ताकि भविष्य में ब्रोंकियोलाइटिस होने से बचाव हो सके। 

यह भी पढ़ें: 

छोटे बच्चों में सांस की समस्या
छोटे बच्चों में कंठ रोग: कारण, लक्षण और उपचार
नवजात शिशु में ट्रांजियंट टेकिप्निया (टीटीएन) – कारण, लक्षण और इलाज

पूजा ठाकुर

Recent Posts

मेरी पसंदीदा जगह पर निबंध (Essay On My Favourite Place In Hindi)

हर किसी के जीवन में एक ऐसी जगह होती है जो शांति, खुशी और अपनापन…

10 hours ago

मुझे अपने परिवार से प्यार है पर निबंध ( Essay On I Love My Family In Hindi)

परिवार किसी के लिए भी सबसे अनमोल होता है। यही वह पहली जगह है जहाँ…

10 hours ago

बस की यात्रा पर निबंध (Essay On Journey By Bus In Hindi)

बच्चों के लिए निबंध लिखना बहुत मजेदार और सीखने वाला काम है। यह उन्हें अपनी…

11 hours ago

एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध (APJ Abdul Kalam Essay In Hindi)

ऐसी शख्सियत बहुत कम होती है जिनके होने से देश को उन पर गर्व हो,…

2 days ago

गाय पर निबंध (Essay On Cow In Hindi)

निबंध लेखन किसी भी भाषा को सीखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इससे…

3 days ago

मेरे पिता पर निबंध (Essay on My Father in Hindi)

माँ अगर परिवार का दिल है तो पिता उस दिल की धड़कन होते हैं। पिता…

3 days ago