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अनडिसेंडेड टेस्टिकल्स बचपन में होने वाली एक आम स्थिति है, जिसमें टेस्टिकल्स यानी कि अंडकोष, स्क्रोटम में अपनी सही जगह पर नहीं होते हैं। कभी-कभी छोटे लड़के केवल एक अंडकोष के साथ जन्म लेते हैं, जो कि उनकी पेनिस के पीछे स्थित स्किन सैक या स्क्रोटम में होता है। दूसरा अंडकोष हालांकि उपस्थित होता है, पर वह अपनी वास्तविक जगह से बहुत ऊपर पेट में स्थित होता है। कुछ बच्चों में दोनों अंडकोष इसी तरह होते हैं।
जन्म के समय लड़कों का अंडकोष अगर उनके स्क्रोटम में नीचे की ओर स्थित ना हो, तो इस स्थिति को अनडिसेंडेड टेस्टिकल का नाम दिया गया है। मेडिकल भाषा में इसे क्रिप्टरकेडिसम कहा जाता है। कुछ मामलों में दोनों ही अंडकोष जन्म के समय तक नीचे नहीं आ पाते हैं। जन्म के बाद 3 महीने के अंदर अंडकोष प्राकृतिक रूप से अपनी जगह पर आ जाते हैं। इस पर नजर रखने के लिए डॉक्टर रूटीन चेकअप करते हैं और अगर प्राकृतिक रूप से ऐसा ना हो, तो मेडिकल मदद की सलाह दी जाती है। प्रीमेच्योर बच्चों और कम वजन वाले बच्चों को इस स्थिति का खतरा ज्यादा होता है। अधिकतर मामलों में टेस्टिकल अपने आप ही अपनी सही जगह पर पहुंच जाते हैं और केवल जरूरत पड़ने पर ही सर्जरी की सलाह दी जाती है।
अनडिसेंडेड टेस्टिकल के मामले हर 100 नवजात शिशुओं में से लगभग 3 से 4 शिशुओं में देखे जाते हैं। सौभाग्य से इनमें से अधिकतर मामलों में जन्म के बाद के शुरुआती 3 महीनों के अंदर अंडकोष अपने आप ही अपने वास्तविक जगह पर आ जाते हैं। लेकिन कभी-कभी जीवन के शुरुआती 3 महीनों के बाद भी अंडकोष अपनी जगह पर नहीं आ पाते हैं। 100 लड़कों में से लगभग 1 या 2 में इस स्थिति के कारण इलाज की जरूरत पड़ती है।
यहां पर कुछ ऐसे पूर्व निर्धारित तथ्य दिए गए हैं, जो कि नवजात लड़कों में अनडिसेंडेड टेस्टिकल्स के खतरे को बढ़ाते हैं:
इस स्थिति के बनने का कोई सटीक कारण ज्ञात नहीं है। हालांकि ऊपर की सूची में दिए गए तथ्य शिशु में इस स्थिति के खतरे को बढ़ाते हैं। कुछ अन्य तथ्य जिनके कारण शिशुओं में जन्म के समय यह स्थिति हो सकती है, वे नीचे दिए गए हैं:
इस स्थिति के कोई खास लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन ऐसी कुछ बातें हैं जिन्हें देखा जा सकता है:
मूत्र त्याग पर क्रिप्टरकेडिसम का कोई प्रभाव नहीं होता है, इसलिए इसके ऐसे कोई संकेत नहीं होते हैं। क्रिप्टरकेडिसम में दर्द भी नहीं होता है।
डॉक्टर इसकी पहचान दो तरीके से करते हैं:
इसकी पहचान के लिए एमआरआई स्कैन और अल्ट्रासाउंड जैसे इमेजिंग टेस्ट को सही नहीं माना जाता है।
क्रिप्टरकेडिसम के इलाज के लिए 6 महीने से लेकर 2 साल की आयु के बीच, डॉक्टर ऑर्किडोपेक्सी नामक सर्जिकल ऑपरेशन की सलाह देते हैं। यह सर्जरी जनरल एनेस्थीसिया की मदद से की जाती है। इसमें सर्जन अंडकोष का पता लगाते हैं और उसे स्क्रोटम में उसकी वास्तविक जगह पर स्थापित कर देते हैं। अगर अंडकोष पेट में काफी ऊंची जगह पर हो, तो इस ऑपरेशन को दो चरणों में किया जाता है और इन दोनों चरणों में 6 महीनों का अंतर रखा जाता है। कुछ निश्चित दुर्लभ मामलों में सर्जन को अंडकोष की खराबी या इसके खराब फंक्शन का पता चलता है। ऐसे मामलों में खराब अंडकोष को निकाल दिया जाता है और स्वस्थ अंडकोष को स्वस्थ विकास के लिए स्क्रोटम में उचित जगह पर लगा दिया जाता है। कुछ लड़कों में क्रिप्टरकेडिसम सर्जरी के बाद भी अंडकोष वापस अपनी पुरानी जगह पर चला जाता है। इसलिए इलाज पर नजर रखने के लिए रूटीन चेकअप करने की सलाह दी जाती है।
पुरुषों में एक अनडिसेंडेड अंडकोष को सही करने की सर्जिकल प्रक्रिया की सफलता की दर 100% है। ऐसे पुरुषों की फर्टिलिटी सर्जरी के बाद बिल्कुल सामान्य होती है। पर जिन पुरुषों में दोनों अंडकोष गलत जगह पर होते हैं, उनमें सर्जरी से फर्टिलिटी बढ़ने की गारंटी हमेशा नहीं होती है। सर्जरी से अंडकोष के कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है, लेकिन यह पूरी तरह से खत्म नहीं होता है। यह ऑपरेशन करवाने वाले सभी पुरुषों में से 10% पुरुष अपने जीवन में बाद में फर्टिलिटी में कमी का अनुभव करते हैं।
अंडकोष अपनी वास्तविक जगह पर ना होने से कई तरह की कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं।
चाहे एक हो या दोनों, अंडकोष की अनुपस्थिति आपके बेटे को उसकी बनावट के कारण संकोची बना सकती है। अगर कभी दूसरों के सामने उसे अपने कपड़े उतारने पड़ें, तो उसे एंग्जाइटी हो सकती है और दूसरों की बातों के कारण तनाव का सामना करना पड़ सकता है। इन परेशानियों से निपटने के कुछ तरीके यहां दिए गए हैं:
डायपर्स बदलते समय और नहलाते समय रूटीन चेकअप करना ना भूलें। इलाज के बाद के समय सावधानीपूर्वक उसकी स्थिति पर नजर रखें। जब आपका बेटा प्युबर्टी पर पहुंचने लगे, तो आगे के दिनों में उसमें आने वाले शारीरिक बदलावों के बारे में उसे समझाएं और भविष्य में किसी तरह की समस्याओं से बचने के लिए उसके टेस्टिकल्स की जांच करना भी सिखाए।
अगर आपको लगे, कि बच्चे के अंडकोष स्क्रोटम के अंदर नहीं हैं, तब आपको डॉक्टर को बुलाने की जरूरत है। अनडिसेंडेड या रिट्रेक्टाइल टेस्टिकल की पहचान के लिए डॉक्टर एक शारीरिक जांच करेंगे।
इस स्थिति में किसी तरह का दर्द नहीं होता है और इससे पेशाब करने पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
अधिकतर मामलों में अनडिसेंडेड टेस्टिकल जन्म के बाद 3 महीने के अंदर अपनी वास्तविक जगह पर आ जाते हैं और डॉक्टर आमतौर पर इस समय तक इंतजार करते हैं और उसके बाद ही परिस्थिति के अनुसार किसी तरह की जांच या इलाज की सलाह देते हैं।
कई रिसर्च यह साबित करते हैं, कि टेस्टिकुलर कैंसर क्रिप्टरकेडिसम की जटिलताओं में से एक है। हालांकि, सर्जरी इस परिस्थिति को ठीक कर सकती है, लेकिन अगर आपको यह समस्या थी, तो आपको टेस्टिकुलर कैंसर होने की संभावना हो सकती है।
एक अंडकोष को स्क्रोटम में होना चाहिए, क्योंकि यह जगह ठंडी होती है और स्पर्म काउंट को बढ़ावा देती है। अगर यह लंबे समय तक शरीर के अंदर रहे, तो स्पर्म सामान्य रूप से परिपक्व नहीं हो पाते हैं। अगर दोनों ही अंडकोष गलत जगह पर हों, तो इससे भविष्य में फर्टिलिटी को लेकर समस्याएं आ सकती हैं। साथ ही टेस्टीक्यूलर कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। यह खून के प्रवाह को भी रोकता है, जिससे स्क्रोटम में दर्द और स्थाई रूप से खराबी आ सकती है।
अंडकोषों का गलत जगह पर होना असामान्य नहीं है और इसके बारे में विचार किया जाना चाहिए। हालांकि, ये अधिकतर मामलों में यह प्राकृतिक रूप से अपनी जगह पर आ जाते हैं और इसके लिए चिंता करने की कोई बात नहीं होती है, पर इसमें नियमित रूप से नजर रखनी चाहिए।
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