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डीएचए एक ओमेगा 3 फैटी एसिड है। इसका उपयोग बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए किया जाता है। यह प्राकृतिक रूप से कई स्रोतों में पाया जाता है, एक गर्भवती महिला में भी मुख्य रूप से यह एसिड रहता है। प्रीनेटल समय में बच्चे के दिमाग को विकसित होने में तभी मदद मिलती है जब प्लेसेंटा के माध्यम से उसमें सही न्यूट्रिशन पहुंचता है। डीएचए से दिमाग, आंख और अन्य मुख्य न्यूरोलॉजिकल फंक्शन में सुधार होता है। यह बच्चे के शुरुआती समय या पहले दो सालों में काफी हद तक प्रभाव डालता है और दिमाग के तेज विकास व वृद्धि के लिए पर्याप्त मात्रा में डीएचए लेना बहुत जरूरी है।
एक हेल्दी डायट रोजाना लगभग 600 मिलीग्राम डीएचए प्रदान करती है जिससे बच्चे के कॉग्निटिव फंक्शन में प्रभाव पड़ता है और उसकी आंख व दिमाग का विकास होता है। ऑर्गन मीट और फैटी फिश (मछली) में भी डीएचए प्राकृतिक रूप से होता है पर दुर्भाग्य से यह चीजें बच्चों को आमतौर पर नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसे बहुत ज्यादा खाने से एलर्जी भी हो सकती है। हालांकि इसकी जागरूकता बढ़ने से बच्चों के साथ-साथ हर उम्र के लोगों के लिए दूध, फॉर्मूला और अन्य फोर्टिफाइड फूड में भी यह शामिल कर दिया गया है ताकि आवश्यक न्यूट्रिएंट्स के फायदे मिलते रहें।
डोकोसैक्सिनोइक एसिड (डीएचए) ओमेगा 3 फैटी एसिड का का ही भाग है जो पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड से जुड़ा हुआ है और इससे हेल्दी फैट्स कहते हैं। इसका शरीर पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह हमें हेल्दी रखता है और आंख व दिमाग के विकास के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है। वास्तव में जब गर्भ में न्यूरल टिश्यू व विजन टिश्यू बनते हैं तो इस न्यूट्रिएंट सबसे ज्यादा मुख्य होता है। डीएचए बढ़ती उम्र के साथ कॉग्निटिव, विजुअल और मानसिक क्षमता में सुधार लाता है।
जाहिर है अब लोग डीएचए-युक्त आहार का ही सेवन करना चाहते हैं और यह हर चीज में पाया जाने लगा है, जैसे अंडे, बेबी फूड और दूध। हर किसी के लिए यह न्यूट्रिएंट इतना जरूरी क्यों है? खैर, इसका जवाब यही है कि इसमें हेल्दी फैट्स होते हैं जो काफी फायदेमंद हैं। बच्चों व टॉडलर्स के शुरुआती दिनों के विकास में डीएचए मुख्य भूमिका निभाता है।
बच्चों के लिए: डीएचए दिमाग, आंख और नर्वस सिस्टम में स्ट्रक्चरल विकास के लिए एक मुख्य कॉम्पोनेन्ट है। ब्रेस्टमिल्क में भरपूर डीएचए होता है और जो बच्चे माँ का दूध पीते हैं उनका दिमाग और देखने की क्षमता का विकास बहुत अच्छा होता है।
टॉडलर्स के लिए: जन्म के बाद शुरूआती दिनों से लेकर पांच साल तक बच्चे का दिमाग तेजी से विकसित होता है और यह पूर्ण रूप से चौगुना बढ़ता है। इन महत्वपूर्ण दिनों में बच्चों को पर्याप्त मात्रा में डीएचए युक्त खाद्य पदार्थ देना चाहिए ताकि उसका मुख्य रूप से विकास और कॉग्निटिव फंक्शन में सुधार हो सके। इस बारे में रिसर्च की गई है और यह प्रमाणित भी है कि जो बच्चे पांच साल की उम्र तक पर्याप्त मात्रा में डीएचए से भरपूर डायट का सेवन करते हैं उनका आईक्यू बेहतर होता है, मेमोरी तेज होती है, पढ़ने की स्किल्स अच्छी होती है और आंखों की रोशनी भी तेज होती है।
अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) से पीड़ित बच्चों में डीएचए की कमी होना आम है। आसान शब्दों में कहा जाए तो डीएचए न्यूरोलॉजिकल और आंखों की रोशनी के विकास के लिए जरूरी है।
यद्यपि बच्चों को डीएचए की कितनी डोज देना चाहिए इसकी कोई भी गाइडलाइन्स नहीं हैं पर फिर भी कुछ मात्रा में इकोसापैनटोइनिक एसिड या इपीए और डीएचए लेने की सलाह दी जाती है।
बच्चों के लिए: ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चों को ज्यादा से ज्यादा डीएचए दूध से मिल जाता है। ब्रेस्टमिल्क बहुत ज्यादा डीएचए के लिए भी जाना जाता है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मांओं को डायट में डीएचए-युक्त खाद्य पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं को नेचुरल स्रोतों व सप्लीमेंट के माध्यम से एक दिन में कम से कम 600-800 मिलीग्राम डीएचए लेना चाहिए।
टॉडलर्स के लिए: 1.5 साल से 5 साल की उम्र में 20 किलोग्राम के बच्चे के लिए रोजाना लगभग 600 मिलीग्राम डीएचए और इपीए की सलाह दी जाती है।
डीएचए से भरपूर कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें आप अपने बच्चे की डायट में शामिल कर सकती हैं। यहाँ पर अलग-अलग उम्र के बच्चों के लिए डीएचए-युक्त खाद्य पदार्थों के बारे में बताया गया है, आइए जानें;
माँ का दूध पीने वाले बच्चों के लिए डीएचए का सबसे बेहतरीन स्रोत ब्रेस्ट मिल्क है। इसमें माँ की डायट और व कितना ओमेगा 3 व डीएचए ले रही है इसके आधार पर डीएचए की मात्रा होती है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं को यह सलाह दी जाती है कि वे अपनी डायट में मछली, अंडे, दही और ड्राई फ्रूट्स शामिल करें ताकि बच्चे को पर्याप्त डीएचए मिल सके और उसके दिमाग व आंख की रेटिना का विकास हो सके। जो बच्चे फॉर्मूला दूध पीते हैं उन्हें डीएचए तभी मिलता है जब फॉर्मूला दूध इससे फोर्टिफाइड हो और इसलिए आपको इसका लेबल अच्छी तरह से पढ़ना चाहिए।
बच्चों व टॉडलर्स के लिए डीएचए से भरपूर बहुत सारे फूड आइटम्स हैं। कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं जिन्हें नियमित रूप से बच्चे की डायट में शामिल किया जा सकता है, आइए जानें;
कई स्टडीज के अनुसार डीएचए के सप्लीमेंट्स से बच्चे के विकास में काफी प्रभाव पड़ता है। कुछ रिसर्च में यह भी प्रमाणित हुआ है कि सप्लीमेंट्स लेने से बच्चे के व्यवहारिक और कॉग्निटिव क्षमता में प्रभाव पड़ता है। बच्चों में अक्षमता जानने के साथ ही उन्हें डीएचए सप्लीमेंट्स देने से काफी हद तक मानसिक विकास होता है। हालांकि ज्यादा रिसर्च न होने के कारण बच्चों में कोई भी समस्या होने पर उन्हें डीएचए का ट्रीटमेंट कराने की सलाह नहीं दी जाती है। बच्चे की डायट में फैटी फिश, नट्स और अंडे शामिल करके डीएचए की कमी को पूरा करना संभव है। बच्चे को डीएचए के सप्लीमेंट्स देने से पहले इसके बारे में डॉक्टर से बात करें और इसकी डोज से संबंधित सलाह लें।
सीफूड में मरकरी बहुत ज्यादा होता है जिसे खाने से बच्चे के कॉग्निटिव डेवलपमेंट पर उल्टा प्रभाव भी पड़ सकता है। बच्चे में ओमेगा 3 की मणि पूरी करने के लिए आप उसे डीएचए दे सकती हैं। डीएचए के सप्लीमेंट्स हैं, जैसे शुद्ध मछली का तेल जिसमें मिनरल या कंटैमिनेटिंग मेटल न मिलाया गया हो। हालांकि इसमें थोड़ा बहुत टॉक्सिन भी होता है। भारत में माँ का दूध पीने वाले बच्चों के लिए पेरेंट्स डीएचए के ड्रॉप्स भी ले सकते हैं। पर बहुत ज्यादा मछली के तेल से बच्चे को ब्लीडिंग की समस्या भी हो सकती है। इसलिए बच्चे को डीएचए देने से पहले आप इसके सप्लीमेंट्स के बारे में डॉक्टर से बात करें और इस डोज व अन्य महत्वपूर्ण चीजें भी जान लें।
डीएचए एक जरूरी न्यूट्रिशन है जिससे बच्चे में मुख्य विकास होता है। संतुलित मात्रा में डीएचए लेने से रेटिनल हेल्थ और कॉग्निटिव क्षमता में सुधार होता है। बच्चे की डायट में डीएचए शामिल करने का सबसे सही तरीका है कि कैलोरीज के अलावा आप उसके खाने में हर चीज की गणना करें और उसके ऐसा सुपर फूड चुनें जिससे आवश्यक न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं।
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